Heeramandi: 

Heeramandi: हीरामंडी से पहले तवायफों के जीवन पर बनी ये पुरानी फिल्में देखें; इनमें से एक भंसाली ने ही बनाया है।

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Heeramandi: हीरामंडी वेब सीरीज से पहले भी बॉलीवुड में तवायफों की जिंदगी पर कई फिल्में बनाई गई थीं। यहां तवायफों की जिंदगी पर आधारित पांच पुरानी फिल्मों की सूची है।

संजय लीला भंसाली की वेब शो हीरामंडी इन दिनों चर्चा में है। इसके सेट पर भी बहुत चर्चा हो रही है। यह भंसाली का सर्वश्रेष्ठ सेट है। Film अंग्रेजों के शासनकाल में भारत के लाहौर में रहने वाले तवायफों की जिंदगी पर चर्चा करता है। तवायफों की जिंदगी पर पहले भी बॉलीवुड में फिल्में बन चुकी हैं। आज तवायफों की जिंदगी को चित्रित करने वाली पुरानी फिल्मों का अध्ययन करें।

Heeramandi: पाकीजा

1972 में आई फिल्म “पाकीजा” एक तवायफ “साहिबजान” है। मीना कुमारी ने इस फिल्म में तवायफ की भूमिका निभाई है। फिल्म को गुलाम मोहम्मद का संगीत और मीना कुमारी की दिल छू लेने वाली अभिनय ने काफी शानदार बनाया। इस फिल्म के लोकप्रिय गीतों में से कुछ हैं, जैसे “चलते-चलते यूंहीं कोई मिल गया था”, “तीर-ए-नजर देखेंगे”, “थाढ़े रहियो ओ बांके यार रे” और “इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा”।

मुजफ्फर अली की फिल्म उमराव जान 1981 में आई। उमराव जान एक तवायफ है। मिर्जा हादी रुस्वा का उपन्यास “उमराव जान अदा” फिल्म का आधार था। फिल्मी गीत आशा भोसले ने गाया है। उमराव जान फिल्म में अभिनेत्री रेखा का किरदार निभाया है।

Heeramandi: ‘साधना’

1958 में सुनील दत्त और वैजयंती माला की फिल्म ‘साधना’ रिलीज़ हुई। चंपाबाई (वैजयंती माला) और प्रोफेसर मोहन (सुनील दत्त) की कहानी फिल्म का केंद्र है। फिल्म में चंपाबाई समाज और तवायफों के प्रति मोहन की नकारात्मक सोच के बावजूद उससे प्यार करने लगती है, लेकिन उसे कई चुनौतियां मिलती हैं।

1970 में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की फिल्म “शराफत” ने सिनेमाघरों में प्रवेश किया। शराफत एक महिला की कहानी है जो अपने पुराने पेशे को छोड़कर समाज में सम्मान के साथ रहना चाहती है, लेकिन कुछ लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं। फिल्म में धर्मेंद्र एक प्रोफेसर की भूमिका में हैं, और हेमा मालिनी, एक तवायफ की भूमिका में, उन्हें काम से छुटकारा दिलाती है।

Heeramandi: ‘देवदास’,

‘देवदास’, शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का प्रसिद्ध उपन्यास, संजय लीला भंसाली ने बनाया था। मुख्य भूमिका में शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित हैं। फिल्म का केंद्र देवदास (शाहरुख खान) और पारो (ऐश्वर्या राय) हैं। दोनों की बचपन की दोस्ती प्यार में बदल जाती है, लेकिन दोनों सिर्फ इसलिए अलग हो जाते हैं कि पारो नाचने वालों का परिवार है। फिल्में माधुरी दीक्षित ने एक तवायफ की भूमिका निभाई है।

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