Aadujeevitham : मलयालम फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन की फिल्म ‘आडुजीवितम-द गोट लाइफ’ एक वास्तविक घटना पर आधारित है। फिल्म के निर्देशक ब्लेस्ली ने बेन्यामिन के लिखे और मलयालम साहित्य की दुनिया में सर्वाधिक बिकने वाले उपन्यास ‘आडुजीवितम’ की कहानी को परदे पर उतारा है। यह फिल्म मूल रूप से मलयालम में बनाई गई है, लेकिन हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में भी रिलीज हुई है। यह फिल्म एक मलयाली अप्रवासी कामगार की है जो पैसे कमाने के लिए सऊदी अरब जाता है और वहां फंस जाता है।
पृथ्वीराज सुकुमारन की अगले महीने ईद पर रिलीज होने वाली फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ उनके करियर का बेहतरीन ट्रेलर है। इससे पहले, पृथ्वीराज सुकुमारन ने हिंदी सिनेमाघरों में रानी मुखर्जी के साथ फिल्मों ‘अय्या’, ‘औरंगजेब’ और ‘नाम शबाना’ में काम किया था। उनका काम पिछले साल रिलीज़ हुई फिल्म सालार: पार्ट वन में भी काफी सराहा गया था।
adujeevitham : फिल्म की कहानी शुरू होती है नजीब मोहम्मद से, जो अपने गांव में नदी से रेत निकालकर अपने परिवार को खिलाता है। उसे आम लोगों की तरह कुछ अरमान और सपने हैं। वह चाहता है कि कम से कम इतनी कमाई करे कि अपनी पत्नी, आने वाले बच्चे और मां को खुश रख सके। लेकिन गांव में काम करके अपने परिवार को खुश नहीं रख सकता। तब उसके दोस्तों से सऊदी अरब जाने की सलाह मिलती है। नजीब क्या सोचता है कि पांचवी तक पढ़ा है, तो वहां जाकर क्या करेगा?
दोस्त बताते हैं कि वहां भी जाकर काम करना चाहिए। नजीब अपना घर गिरवी रखकर टिकट और वीजा के लिए पैसे की प्रतीक्षा करता है और सऊदी अरब आता है। लेकिन एयरपोर्ट पर ही गलत आदमी के हाथ लग जाता है और ऐसी जगह पहुँच जाता है जहां से वापस आने की कोई उम्मीद नहीं होती। नजीब ने स्वीकार कर लिया है कि वह अपने जीवन में उस दलदल से कभी भी बाहर नहीं निकल पाएगा।
फिल्म देखने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं क्योंकि यह खाड़ी देशों में काम करने वाले अप्रवासी कामगारों की पीड़ा और दुःख को ऐसे चित्रित करती है। इस फिल्म को देखने के बाद आप जानते हैं कि अप्रवासी कर्मचारियों को जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है। यह भी इस फिल्म में नजीब मोहम्मद के साथ होता है। रात भर नजीब को रेगिस्तान में भेड़, बकरी और ऊंटों के बीच छोड़ दिया जाता है। वह भेड़ बकरियों की तरह गुलाम जीवन जीने पर मजबूर हो जाता है।
क्योंकि वहाँ से वापस आने का कोई उपाय नहीं है। फिर, तीन साल वहाँ रहने के बाद, नजीब वहाँ से निकलने में सफल होता है, भले ही उसे कई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। इसके बाद फिल्म की कहानी चलती है। नजीब के किरदार ने इस फिल्म में अप्रवासी कामगारों की पीड़ा और दुःख को व्यक्त किया है जो अपने देश वापस आने की उम्मीद छोड़कर मौत के इंतजार में हैं।
Aadujeevitham The Goat Life: मोहम्मद का किरदार
पृथ्वीराज सुकुमारन ने इस फिल्म में नजीब मोहम्मद का किरदार निभाया है। किसी भी अभिनेता को इस किरदार को निभाना आसान नहीं होगा क्योंकि वह काया परिवर्तन से गुजरे हैं। उसकी भूमिका के लिए पृथ्वीराज सुकुमारन का काया बदलना बहुत सराहनीय है। किरदार के प्रति उनके समर्पण और भूमिका को सही ढंग से व्यक्त करने के लिए उन्होंने किए गए शारीरिक परिवर्तनों की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है।
फिल्म की कहानी सिर्फ इतनी है कि एक भारतीय मजदूर सऊदी अरब में जाकर फंस जाता है और वहां से बाहर निकलता है; फिल्म के निर्देशक ब्लेस्ली ने इसकी पटकथा को इतना प्रभावशाली बनाया है कि यह स्क्रीन पर रहती है। फिल्म के प्रत्येक सीक्वेंस को ब्लेस्ली ने बेहतरीन ढंग से सजाया है।
फिल्म का मुख्य पात्र नजीब मोहम्मद पृथ्वीराज सुकुमारन है। फिल्म में अमला पॉल ने पृथ्वीराज सुकुमारन की पत्नी सानू का किरदार निभाया है। फिल्म में उनकी एक छोटी सी भूमिका है, लेकिन वह काफी प्रभाव छोड़ती है। पृथ्वीराज सुकुमारन के दोस्त इब्राहिम खदिरी (जिमी जीन लुई) उनकी भागने में मदद करता है। जैसर की भूमिका में रिक एबी और जिमी जीन लुई की भूमिका में तालिब अल बशुली ने बेहतरीन अभिनय किया है। इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी एक बड़ी बात है।
Aadujeevitham The Goat Life: सिनेमाटोग्राफी अविश्वसनीय
सुनील के एस की सिनेमाटोग्राफी अविश्वसनीय है। वह चाहे नदी में अमला पॉल और पृथ्वीराज सुकुमारन के रोमांटिक दृश्य हो या दूर तक फैले रेगिस्तान का हो। फिल्म का हर सीन बहुत सुंदर दिखाया गया है। श्रीकर प्रसाद का संपादन बीच-बीच में थोड़ा कमजोर है, लेकिन पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने अभिनय से इतना प्रभावी बना दिया है कि इस बात को ध्यान नहीं देना चाहिए। A R रहमान का संगीत सुंदर है।
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Aadujeevitham The Goat Life : बड़े परदे पर पृथ्वीराज सुकुमारन की एक और उत्कृष्ट मलयालम फिल्म
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