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Bhopal: हम सिर्फ सात रंग हैं..।गाते हुए लोग आए और भट बंधुओं ने मंच कब्जा कर लिया; हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।

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Bhopal: Bhavnagar: राजधानी भोपाल में अनेक मंचों और रंगों के नजारे आए। गीत, गजल, पुराने और नए गीतों का संग्रह लाने वाले भले ही देश भर के अलग-अलग शहरों से आए हों, लेकिन उनके बीच एक गहरा संबंध है। तीन अलग-अलग उम्र के एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों के भट बंधुओं ने बारी-बारी से प्रस्तुति दी, जिससे हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट, वाह-वाह की दाद और कई बार आश्चर्य की पुकारें ही सुनाई दीं।

राजधानी के कुक्कूट भवन के सभागार में सुर और संगीत से सजी इस महफिल ने आकार लिया। कला समूह भोपाल के कार्यक्रम “लीनियेज-2” में भाग लेने का मौका था। यहां एक ही परिवार के सात भाईयों के म्यूज़िक ग्रुप “रुद्रम्स” के तीन पीढ़ीयों के सदस्यों ने यहां संगीत प्रेमियों की धड़कनों को नियंत्रित रखा।

Bhopal: इस तरह संगीत सफर शुरू हुआ

इंदौर की विभूति भट, सबसे युवा सदस्य, ने आर रहमान द्वारा संगीतबद्ध गीत “कहना ही क्या…” को स्वर दिया, जबकि रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर अनिल भट ने अपनी पत्नी के साथ “तू गंगा की मौज मैं जमना की धारा…” सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुर के दौरान, उज्जैन के प्रसिद्ध गजल गायक उमेश भट ने गुलाम अली की गजल “अपनी तस्वीर को हाथों से सजाता क्या है…” गाकर प्रशंसा प्राप्त की। पुणे से आई आरोही भट ने इस कड़ी में मधुर स्वर में “साथी रे भूल न जाना मेरा प्यार…” गाकर वातावरण को शांत कर दिया। भोपाल के युवा गायक आलाप और इंदौर के ओमकार ने इस संगीत महफिल में “किल दिल…” गाकर दर्शकों को अचंभित कर दिया।

Bhopal: रफी साहब, आपको याद आया

भोपाल के राजेश भट ने “जाने बहार हुस्न तेरा…” गीत से लोगों का दिल जीता, तो पुणे से आए अनिमेष भट ने कैलाश खेर का गीत “सैया” बखूबी निभाकर लोगों को लुभाया। इंदौर से आए रोहित भट ने अपना गीत “तू ही मेरी शब है सुबह है” पेश किया। साथ ही, नागदा के सुधीर भट के होंठों से निकले “मुसाफ़िर हूँ यारों…” और सुरत के मनोज भट के लबों पर “पुकारता चला हूं मैं…” गीतों ने सबका दिल जीता। इंदौर के दिनेश भट का गाना “हम तेरे शहर में आए हैं…” बहुत लोकप्रिय हुआ। मुंबई के अमित भट ने “मैं हूं झुमरू” से किशोर कुमार की याद दिलायी

शास्त्रीय सुलेखा गायन

देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सुलेखा भट भी इसी भट परिवार में है। जिन्होंने अक्सर देश भर में अपनी शानदार गायकी से मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है। एक नए तरीके से परिवार के साथ मंच पर आई और एक पंजाबी सूफ़ी उपशास्त्रीय गीत से परिवार को उत्साहित कर दिया।

ऐसे बना रूद्रम्स

Bhopal: हम सिर्फ सात रंग हैं..।गाते हुए लोग आए और भट बंधुओं ने मंच कब्जा कर लिया; हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।

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