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SCO शिखर सम्मेलन: यूक्रेन संकट पर मोदी का बड़ा संदेश, पुतिन से बोले– शांति का रास्ता ही मानवता की पुकार
SCO शिखर सम्मेलन: यूक्रेन संकट पर मोदी का बड़ा संदेश, पुतिन से बोले– शांति का रास्ता ही मानवता की पुकार
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अहम मुलाकात हुई। इस बैठक में पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर खुलकर बात करते हुए कहा कि “यूक्रेन में शांति का रास्ता खोजना मानवता की सबसे बड़ी पुकार है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि युद्ध और संघर्ष किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकते। उन्होंने जोर दिया कि संवाद और कूटनीति ही आगे बढ़ने का रास्ता है। मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से शांति और स्थिरता का पक्षधर रहा है और वह यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण समाधान खोजने में रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है।
राष्ट्रपति पुतिन ने भी पीएम मोदी के विचारों का स्वागत करते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने की बात कही। दोनों नेताओं ने ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक भू-राजनीतिक हालात पर भी विस्तार से चर्चा की।

SCO शिखर सम्मेलन SCO शिखर सम्मेलन मोदी का संदेश:
पीएम मोदी ने कहा, “यह समय युद्ध का नहीं है। मानवता की भलाई के लिए हमें संघर्ष नहीं, बल्कि शांति का मार्ग चुनना होगा। दुनिया को एकजुट होकर मानवता की पुकार सुननी चाहिए।”
इस मुलाकात ने एक बार फिर भारत की भूमिका को वैश्विक मंच पर शांति और संवाद के प्रवक्ता के रूप में स्थापित किया है। SCO शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और पुतिन की यह बातचीत यूक्रेन संकट के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत देती है।

SCO शिखर सम्मेलन यूक्रेन संकट पर भारत का रुख
- प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि “यह समय युद्ध का नहीं है।”
- उन्होंने कहा कि संघर्ष किसी समाधान का रास्ता नहीं, बल्कि शांति और संवाद ही आगे का रास्ता है।
- भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि वह संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए रचनात्मक मध्यस्थता करने को तैयार है।
SCO शिखर सम्मेलन पुतिन की प्रतिक्रिया
- रूसी राष्ट्रपति ने भारत के दृष्टिकोण की सराहना की।
- उन्होंने भरोसा दिलाया कि रूस भारत के साथ बहुपक्षीय मंचों पर और द्विपक्षीय स्तर पर मजबूत सहयोग जारी रखेगा।
ऊर्जा और आर्थिक सहयोग
- दोनों नेताओं ने ऊर्जा आपूर्ति और परमाणु ऊर्जा सहयोग पर चर्चा की।
- व्यापारिक संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए रुपये-रूबल लेनदेन व्यवस्था को और मजबूत करने पर सहमति बनी।
- निवेश बढ़ाने और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्तों पर भी विचार हुआ।

SCO शिखर सम्मेलन SCO शिखर सम्मेलन भूराजनीतिक मुद्दे
- वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा हुई।
- दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बहुपक्षीय संस्थानों जैसे SCO, BRICS और G20 के जरिए साझा प्रयासों को और मजबूत किया जाए।
भारत की छवि और भूमिका
- इस मुलाकात ने भारत को एक शांति प्रवक्ता और जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
- भारत ने दिखाया कि वह न केवल आर्थिक और सामरिक शक्ति है, बल्कि विश्व राजनीति में संतुलन और संवाद की आवाज भी है।
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SCO शिखर सम्मेलन: पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र, सदस्य देशों ने कायराना हरकत की निंदा कर दिखाई एकजुटता
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SCO शिखर सम्मेलन: पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र, सदस्य देशों ने कायराना हरकत की निंदा कर दिखाई एकजुटता
SCO शिखर सम्मेलन: पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र, सदस्य देशों ने कायराना हरकत की निंदा कर दिखाई एकजुटता
SCO शिखर सम्मेलन दोहराया गया ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के संदेश
घोषणापत्र में कहा गया कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इससे निपटने के लिए सभी देशों को सामूहिक प्रयास करने होंगे। भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे पर सभी सदस्य देशों ने सहमति जताई।
SCO शिखर सम्मेलन नवाचार और स्टार्टअप्स पर फोकस:
घोषणा में 3–5 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 5वें SCO स्टार्टअप मंच के परिणामों का स्वागत किया गया। यह मंच विज्ञान, तकनीकी प्रगति और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने में अहम माना गया।थिंक टैंक सहयोग:
सदस्य देशों ने 21–22 मई 2025 को नई दिल्ली में हुई 20वीं SCO थिंक टैंक मंच बैठक को भी महत्वपूर्ण बताया। इस मंच ने नीति-निर्माण और क्षेत्रीय सहयोग को नई दिशा देने का कार्य किया।SCO शिखर सम्मेलन सांस्कृतिक सहयोग:
घोषणा में विश्व मामलों की भारतीय परिषद (ICWA) के तहत कार्यरत SCO अध्ययन केंद्र की सराहना की गई। इस संस्थान को सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक और मानवीय आदान-प्रदान मजबूत करने वाला अहम स्तंभ बताया गया।चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से एक बड़ा संदेश सामने आया है। संयुक्त घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए सभी सदस्य देशों ने इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा की है।

SCO शिखर सम्मेलन भारत का संदेश:
इस शिखर सम्मेलन में भारत सहित चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाख़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान मौजूद थे। घोषणापत्र में साफ कहा गया कि किसी भी रूप में आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और सभी देशों को मिलकर इससे लड़ना होगा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आतंकवाद किसी भी क्षेत्र या धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरी मानव सभ्यता पर हमला है। उन्होंने कहा कि पहलगाम जैसी घटनाएँ आतंकियों की कायरता को दर्शाती हैं और ऐसे हमलों के खिलाफ एकजुट होकर सख्त कदम उठाना जरूरी है।
रूस और चीन सहित अन्य सदस्य देशों ने भी हमले की निंदा करते हुए भारत के प्रति संवेदना जताई। सभी देशों ने यह भरोसा दिलाया कि आतंकवाद से निपटने के लिए SCO मंच पर सहयोग और मजबूत होगा।
SCO शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र होना न केवल भारत के लिए कूटनीतिक जीत है, बल्कि यह संदेश भी है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर साझा लड़ाई को और मजबूती मिलेगी।
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Puja Special Train: दिवाली-छठ पर यात्रियों को तोहफ़ा थावे–कोलकाता के बीच स्पेशल ट्रेन शुरू
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Puja Special Train: दिवाली-छठ पर यात्रियों को तोहफ़ा थावे–कोलकाता के बीच स्पेशल ट्रेन शुरू
Puja Special Train: दिवाली-छठ पर यात्रियों को तोहफ़ा थावे–कोलकाता के बीच स्पेशल ट्रेन शुरू
दिवाली-छठ पर्व पर यात्रियों के लिए रेलवे ने खास तोहफ़ा दिया है। भारतीय रेलवे ने थावे से कोलकाता के बीच पूजा स्पेशल ट्रेन चलाने का ऐलान किया है। यह ट्रेन त्योहारों के दौरान यात्रियों की भीड़ को देखते हुए चलाई जा रही है। रेलवे के मुताबिक इस ट्रेन की टिकट बुकिंग पहले ही शुरू हो चुकी है और यात्रियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
HighLights
- त्योहारी सीजन के लिए स्पेशल ट्रेन |
- थावे जंक्शन से लालकुआं-कोलकाता |
- 4 सितंबर से 13 नवंबर तक चलेगी |
Puja Special Train: ट्रेन का रूट और समय
- यह पूजा स्पेशल ट्रेन थावे जंक्शन से रवाना होकर कोलकाता पहुंचेगी।
- बीच में यह ट्रेन गोरखपुर, छपरा, पटना, गया जैसे महत्वपूर्ण स्टेशनों पर रुकेगी।
- ट्रेन का संचालन दिवाली और छठ महापर्व को ध्यान में रखते हुए विशेष तारीखों पर होगा।
- ट्रेन का टाइमटेबल रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट और IRCTC पोर्टल पर उपलब्ध है।
टिकट बुकिंग
- इस ट्रेन की आरक्षण (बुकिंग) IRCTC वेबसाइट और रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर शुरू हो चुकी है।
- त्योहार सीजन को देखते हुए रेलवे ने यात्रियों से जल्दी टिकट बुक करने की अपील की है।
- स्पेशल ट्रेनों में आमतौर पर स्पेशल किराया लागू होता है।

Puja Special Train Puja Special Train यात्रियों को लाभ
- इस ट्रेन से बिहार और झारखंड से कोलकाता जाने वाले हजारों यात्रियों को सुविधा मिलेगी।
- दिवाली और छठ पर्व पर बिहार और पूर्वांचल से बड़े पैमाने पर यात्रियों का पलायन होता है।
- रेलवे का कहना है कि त्योहारों पर भीड़भाड़ को नियंत्रित करने और यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है।
📢 रेलवे का संदेश
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि यह ट्रेन त्योहारों के दौरान यात्रियों की सुविधा और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। उन्होंने यात्रियों से अपील की कि टिकट केवल आधिकारिक पोर्टल या रेलवे काउंटर से ही बुक करें।
Gujarat में शुरू हुआ देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल प्लाजा
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PM MODI in CHiNa : तियानजिन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात, रिश्तों में नई दिशा पर चर्चा
PM MODI in CHiNa: तियानजिन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात, रिश्तों में नई दिशा पर चर्चा
PM MODI in CHiNa 31 अगस्त 2025 को तियानजिन (चीन) में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई:
मौजूदा बैठक: यह बैठक पीएम मोदी की सात साल बाद पहली चीन यात्रा थी और एससीओ सम्मेलन के दौरान आयोजित एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता थी।

PM MODI in CHiNa विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर ज़ोर: मोदी ने कहा कि भारत-चीन संबंधों को आधार होना चाहिए—आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर।
PM MODI in CHiNa सीमा पर शांति और सीमा प्रबंधन समझौता: पीएम मोदी ने सीमा पर शांति-स्थिरता की स्थिति पर संतोष जताया, और दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा प्रबंधन समझौते का हवाला दिया।
प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक सामंजस्य: संकेत मिले कि मोदी-शी की मुलाकात में प्रतीकात्मक गर्मजोशी की बजाय ठोस कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण की ओर ध्यान केंद्रित किया गया।
PM MODI in CHiNa “ड्रैगन और हाथी” की संगति: शी ने भारत और चीन को “ड्रैगन और हाथी” के रूप में कलात्मक रूप में वर्णित करते हुए कहा कि दोनों के बीच मित्रता एक सही विकल्प है।
“साथी, विरोधी नहीं” : दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि वे विकास सहयोगी हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं।
लोगों के बीच संपर्क सुविधाएं: दोनों देशों ने सीधी उड़ानों, वीज़ा आसानियों, और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली जैसे जन-संपर्क सुधारों पर सहमति की।
व्यापार व निवेश पर ज़ोर: व्यापार घाटे को कम करने और निवेश बढ़ाने की दिशा में कुल व्यापार और निवेश संबंधों को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाए जाने पर चर्चा हुई।
वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग: आतंकवाद, निष्पक्ष व्यापार और बहुपक्षीय मंचों में सहयोग जैसे वैश्विक मुद्दों पर दोनों ने साझा मंच तैयार करने का आश्वासन दिया।
दृढ़ता से अलगापय (strategic autonomy): मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों अपने निर्णय तीसरे देशों की दृष्टि से प्रभावित नहीं होने चाहिए।
भविष्य की आमंत्रण और समर्थन: मोदी ने शी को 2026 में भारत में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन में आने के लिए आमंत्रित किया, और शी ने चीन की ओर से समर्थन की पेशकश की।
PM MODI in CHiNa (प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग) से 31 अगस्त 2025 को तियानजिन, चीन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने:
- सीमा शांति बनाए रखने और सीमा प्रबंधन समझौते पर संतोष व्यक्त किया।
- व्यापार, कनेक्टिविटी (फ्लाइट, वीज़ा, कैलाश यात्रा) बढ़ाने की सहमति की।
- रणनीतिक स्वायत्तता और एक-दूसरे को विकास साझेदार मानने पर जोर दिया।
- प्रतिद्वंद्विता नहीं, बल्कि सहयोग पर जोर दिया।
- भविष्य के आयोजन और सहयोग के अवसरों पर सहमति जताई।
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PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुँचे
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रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) एक न्यूरोलॉजिकल क्या है किस से होता है?
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) एक न्यूरोलॉजिकल क्या है किस से होता है?
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome – RLS) जिसे हिंदी में अक्सर बेचैन पैर सिंड्रोम कहा जाता है, एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) विकार है। इसमें व्यक्ति को पैरों (कभी-कभी हाथों में भी) को लगातार हिलाने या हिलाने की तीव्र इच्छा होती है, खासकर आराम की स्थिति में या रात को सोते समय। इस समस्या में हमेशा ऐसा लगता है, जैसे पैरों पर कुछ रेंग रहा है। अनिद्रा भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। यदि मांसपेशियों में खिंचाव के साथ बेचैनी हो रही है, तो भी ये रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का लक्षण होता है।
RLS क्या है?
यह एक सेंसरी और मूवमेंट डिसऑर्डर है। मरीज को पैरों में झुनझुनी, खिंचाव, जलन, सुई चुभने जैसी या कीड़े रेंगने जैसी संवेदना होती है। लक्षण रात में ज्यादा बढ़ जाते हैं, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती और थकान/चिड़चिड़ापन होता है।
RLS किससे होता है? (संभावित कारण)
- डोपामिन असंतुलन – मस्तिष्क में डोपामिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी या असंतुलन से।
- आयरन की कमी (Iron Deficiency Anemia) – दिमाग और नसों में आयरन का स्तर कम होने से।
- आनुवांशिक कारण – परिवार में RLS होने पर संभावना ज्यादा होती है।
- क्रॉनिक बीमारियाँ – किडनी रोग, डायबिटीज़, पार्किंसन डिज़ीज़, पेरिफेरल न्यूरोपैथी।
- गर्भावस्था – खासकर आख़िरी महीनों में कई महिलाओं में यह समस्या हो जाती है (ज्यादातर डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है)।
- दवाइयाँ – कुछ एंटी-डिप्रेशन, एंटी-हिस्टामिन या एंटी-नॉज़िया दवाओं से लक्षण बढ़ सकते हैं।
- लाइफ़स्टाइल फैक्टर्स – नींद की कमी, तनाव, कैफीन, अल्कोहल और धूम्रपान से परेशानी बढ़ सकती है।
बेचैन पैर सिंड्रोम उसका ट्रीटमेंट क्या है???
बेचैन पैर सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome – RLS) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें पैरों में अजीब-सी बेचैनी, झुनझुनी या हरकत करने की अनियंत्रित इच्छा होती है, खासकर रात को आराम करते समय।

RLS बेचैन पैर सिंड्रोम का ट्रीटमेंट
👉 इसका इलाज कारण पर निर्भर करता है।
1. लाइफ़स्टाइल और घरेलू उपाय
- सोने-जागने का नियमित समय रखें।
- कैफीन, अल्कोहल और सिगरेट से बचें।
- सोने से पहले हल्की गर्म पानी से पैर धोना, मसाज या स्ट्रेचिंग करें।
- योग और मेडिटेशन तनाव कम करते हैं।
- हल्की एक्सरसाइज (जैसे वॉकिंग) मददगार है।
2. पोषण संबंधी सुधार
- अगर आयरन की कमी है तो आयरन सप्लीमेंट्स या आयरन युक्त भोजन (पालक, चुकंदर, गुड़, अनार) लें।
- विटामिन D, B12 और फोलेट की जांच कराकर कमी हो तो पूरा करें।
3. मेडिकल ट्रीटमेंट (डॉक्टर की देखरेख में)
- डोपामिन एगोनिस्ट (Pramipexole, Ropinirole)
- गैबापेंटिन / प्रेगाबालिन – नसों की जलन और बेचैनी के लिए
- बेंज़ोडायज़ेपिन्स – नींद सुधारने के लिए
- ओपिऑइड्स (कम खुराक) – बहुत गंभीर मामलों में
Rabies: कौन से जानवर से आपको रेबीज़ होने की सबसे अधिक संभावना हैं?
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Uttarakhand : श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया सातों-आठों लोक पर्व
Uttarakhand : श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया सातों-आठों लोक पर्व
देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे पर्व हैं जिनकी अपनी ख़ास पहचान है। उन्हीं में से एक है ‘सातों-आठों’ पर्व। जो श्रद्दा और उल्लास के साथ मनाया गया। इसमें आराध्य देव शिव और गौरी को याद किया जाता है।
Uttarakhand : कुमाऊं क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण लोक पर्व, सातों-आठों पर्व आज बागेश्वर जिले में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। ग्रामीण अंचलों से लेकर नगर तक लोगों ने परंपरा के अनुरूप उपवास, पूजा और सामूहिक मेल-मिलाप कर इस पर्व को जीवित रखा। यह पर्व भाद्रपद मास की सप्तमी और अष्टमी को मनाया जाता है और इसमें महिलाएं गौरा-महेश की पूजा करती हैं। पर्व की शुरुआत बिरुड पंचमी से होती है, जब महिलाएं सात प्रकार के अनाज भिगोकर रखनी हैं। इस दौरान पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार आराध्य देव शिव व गौरी को याद किया गया। पूजा के दौरान मंत्रोच्चार के बीच लोकगीतों की धूम रही।

Uttarakhand Uttarakhand महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में हिमालय की बेटी को याद किया। पंडित देवेन्द्र जोशी ने बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति का यह लोक पर्व प्रतिवर्ष पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। सावन के महीने में होने वाला यह पर्व धन-धान्य व खुशहाली का प्रतीक है। इस मौके पर देश के व समाज के कल्याण की कामना ईश्वर व आराध्य देव से की जाती है।
“देवभूमि की धरोहर: श्रद्धा और लोकगीतों से सजा सातों-आठों”
सातों-आठों पर्व एक तरीके से बेटी की विदाई का जैसा ही समारोह होता है। जिसमें माता गौरी को मायके से अपने पति के साथ ससुराल को विदा किया जाता है। इस अवसर पर गांव वाले भरे मन व नम आंखों से अपनी बेटी गमरा को जमाई राजा महेश्वर के साथ ससुराल की तरफ विदा कर देते हैं। साथ ही साथ अगले वर्ष फिर से गौरा के अपने मायके आने का इंतजार करते हैं।
लोक पर्व सातों-आठों की शुरुआत भाद्रपद मास (अगस्त-सितंबर) की पंचमी तिथि से होती है। इसे बिरुड पंचमी भी कहते हैं । इस दिन हर घर में तांबे के एक बर्तन में पांच अनाजों मक्का, गेहूं , गहत, ग्रूस व कलू को भिगोकर मंदिर के समीप रखा जाता है। इन अनाजों को सामान्य भाषा में बिरुडे या बिरुडा भी बोला जाता है। ये अनाज औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं। व स्वास्थ्य के लिए भी अति लाभप्रद होते हैं। इन्हीं अनाजों को प्रसाद के रूप में बांटा एवं खाया जाता है।
धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक Uttarakhand
भिगोए जाने वाले अनाज मक्का, गेहूं, गहत , ग्रूस(गुरुस), चना, मटर और कलों हैं। तांबे या पीतल के बर्तन को साफ़ कर उसमें धारे अथवा नौले का शुद्ध पानी भरा जाता है. बर्तन के चारों ओर नौ या ग्यारह छोटी-छोटी आकृतियां बनाई जाती हैं । ये आकृतियां गोबर से बनती हैं। गोबर से बनी इन आकृति में दूब डोबी जाती है। कुमाऊं में पिथौरागढ़ तथा चम्पावत के नेपाल सीमा से गुमदेश इलाके के दर्जनों गांवों में सातों आठों पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। महिलाएं गौरा महेश की गीतों के माध्यम से स्तुति गान करती हैं।
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PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुँचे
PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुँचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन पहुँचे।
उनके आगमन पर चीन के उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ली लेचेंग, तियानजिन सरकार के निदेशक यू यू लिन और भारत में चीन के राजदूत शुओ फेइहोंग ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

PM MODI एससीओ शिखर सम्मेलन एक अहम बहुपक्षीय मंच है, जहाँ क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और साझा विकास जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श होता है। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति भारत की इस संगठन में सक्रिय और बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)

PM MODI एससीओ एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संगठन है।
- स्थापना: 2001 में (चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा)
- विस्तार: जून 2017 में भारत और पाकिस्तान सदस्य बने
- नए सदस्य: ईरान (2023) और बेलारूस (2024)
- भागीदारी: कई अन्य देश पर्यवेक्षक और संवाद भागीदार के रूप में शामिल
यह सम्मेलन क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग को मज़बूती देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

PM MODI शंघाई सहयोग संगठन एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने मिलकर की थी। जून 201 में भारत और पाकिस्तान के जुड़ने से इसका विस्तार आठ सदस्य देशों तक हुआ। इसके बाद ईरान जुलाई 2023 और बेलारूस जुलाई 2024 में शामिल होकर एससीओ के कुल सदस्य देशों की संख्या 10 हो गई। इसके अलावा कई देश इस संगठन से पर्यवेक्षक या संवाद भागीदार के रूप में जुड़े हुए हैं।
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“भारतीय संस्कृति की छाप टोक्यो में! PM MODI ने दिए जापानी PM दंपति को अनोखे उपहार”
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Gujarat में शुरू हुआ देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल प्लाजा
Gujarat में शुरू हुआ देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल प्लाजा
देशभर में मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है। इस कदम से टोल संग्रह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, कुशल और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनेगी तथा राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को स्मार्ट और आधुनिक स्वरूप मिलेगा।
Gujarat देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम गुजरात में शुरू
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने देश की टोलिंग व्यवस्था में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गुजरात के एनएच-48 स्थित चोर्यासी शुल्क प्लाजा पर भारत की पहली मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग प्रणाली लागू करने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के साथ समझौता किया है।
मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग एक बाधा रहित टोलिंग प्रणाली है जो उच्च प्रदर्शन वाले आरएफआईडी रीडर्स और एएनपीआर कैमरों द्वारा फास्टैग और वाहन पंजीकरण संख्या (वीआरएन) को पढ़कर लेनदेन को सक्षम बनाती है।इस प्रणाली से अब वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा और फास्टैग के जरिए स्वतः टोल कट जाएगा।

Gujarat नई दिल्ली स्थित एनएचएआई मुख्यालय में हुए इस समझौते पर भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) और आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एनएचएआई अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने कहा कि यह पहल टोलिंग व्यवस्था को आधुनिक, कुशल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
Gujarat एमएलएफएफ तकनीक उच्च क्षमता वाले आरएफआईडी रीडर्स और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरों पर आधारित है। इसके माध्यम से वाहनों की पहचान और टोल संग्रह बिना किसी बाधा के होगा। इससे भीड़भाड़ घटेगी, ईंधन की बचत होगी और प्रदूषण में कमी आएगी।
एनएचएआई इस वित्त वर्ष के दौरान लगभग 25 टोल प्लाजाओं पर इस व्यवस्था को लागू करने की योजना बना रहा है। हरियाणा के घरौंदा शुल्क प्लाजा (एनएच-44) पर भी इसी प्रणाली को लागू करने के लिए समझौता किया गया है। यह कदम देशभर में स्मार्ट और तेज़ राजमार्ग नेटवर्क के निर्माण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तकनीक के प्रयोग से न सिर्फ़ ड्राइवरों को सुगम और तेज़ यात्रा का अनुभव मिलेगा, बल्कि भारत के राजमार्ग नेटवर्क को स्मार्ट और विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा।
“Ahmedabad में मोदी का मेगा रोड शो, 5400 करोड़ की विकास योजनाओं से बदलेगा शहर का चेहरा”
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“भारतीय संस्कृति की छाप टोक्यो में! PM MODI ने दिए जापानी PM दंपति को अनोखे उपहार”
PM MODI “भारतीय संस्कृति की छाप टोक्यो में! पीएम मोदी ने दिए जापानी PM दंपति को अनोखे उपहार”
PM MODI ने जापान के प्रधानमंत्री और पत्नी को दिए अनोखे भारतीय उपहार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की आधिकारिक यात्रा के दौरान जापानी प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को विशिष्ट भारतीय तोहफे देकर द्विपक्षीय संबंधों और सांस्कृतिक संवाद को और भी मजबूत बनाया।
PM MODI भारत-जापान मित्रता का नया अध्याय

PM MODI Moonstone Bowl अगस्त 30, टोक्यो (जापान):
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान दौरे के दौरान वहां के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को अनोखे भारतीय उपहार दिए, जो भारतीय कला और संस्कृति का प्रतीक थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री को चांदी की बनी चॉपस्टिक्स के साथ एक कीमती पत्थर से बना विंटेज रेमन बाउल उपहार में दिया। यह बाउल भारतीय कलात्मकता और जापानी पाक कला की परंपरा का अद्भुत मिश्रण है। इसमें आंध्रप्रदेश का मून स्टोन और मकराना का संगमरमर है, जो बाउल की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री की पत्नी को लद्दाख के चांगथांगी बकरी के महीन ऊन से बना एक सुंदर पश्मीना शॉल उपहार में दिया। यह शॉल अपने हल्के, मुलायम और गर्म होने के कारण विश्वभर में लोकप्रिय है। कश्मीरी कारीगरों द्वारा हाथ से बुने गए इस शॉल में धूसर, गुलाबी और लाल रंग के नाज़ुक पुष्प और पैस्ले डिज़ाइन हैं। यह शॉल कश्मीर की कलात्मकता, विरासत और कालातीत लालित्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Pashmina Shawl जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को दिया गया उपहार:
- उन्हें जैसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए विंटेज प्रेशियस स्टोन (चाँद पत्थर) रेमन बाउल का सेट तथा चांदी के चॉपस्टिक्स उपहार में दिए गए।
- इसमें एक बड़ा भूरे रंग का मूनस्टोन बाउल और चार छोटे बाउल शामिल थे, जो जापान की पारंपरिक डोनबुरी और सोबा भोजन रीति-रिवाज से प्रेरित हैं।
- मुख्य बाउल की बेस मेंकराना संगमरमर से बनी है, जिसे राजस्थान की पारंपरिक पार्चिन कारी (पत्थरों की जड़ाई) शैली में सेमी-प्रीशियस पत्थरों से सजाया गया है—भारतीय शिल्प कला का अद्भुत नमूना।
- मूनस्टोन, जो आंध्र प्रदेश से आता है, अपनी चमक (adularescence) और प्रतीकों—प्रेम, संतुलन व सुरक्षा—के लिए जाना जाता है।
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