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सिस्टम की बड़ी लापरवाही, गुजरात में मोरबी के बाद एक और बड़ी मानव निर्मित आपदा, जिसने ली मासूम बच्चो की जान

Boat Accident: तंत्र की लापरवाही ने ली मासूमों की जान

Boat Accident: तंत्र की लापरवाही ने ली मासूमों की जान

Vadodara Boat Accident : गुजरात के वडोदरा में एक बड़ा हादसा सामने आया है. शहर के हरनी झील में नाव पलटने से 15 लोगों की मौत हो गई. हादसे के वक्त 2 शिक्षक और 13 बच्चे छात्र शामिल हैं। उस वक्त नाव में 20 छात्रों के साथ चार शिक्षक मौजूद थे.

आंख मूंदकर कहें कि सिस्टम की बड़ी लापरवाही सामने आई है, इतनी बड़ी झील जहां अक्सर बच्चों को स्कूल पिकनिक के लिए लाया जाता है, इतनी गहरी झील में बिना किसी सुरक्षा के, बिना लाइफ जैकेट के बच्चों को कैसे गहरी झील वाले बोट में बिठा दिया गया? (Boat Accident)

क्या वीएमसी गहरी नींद में सो रही थी या उसे झील में ऐसे लापरवाही के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी….? क्या व्यवस्था ने केवल अपने अनुयायियों को ही ठेके देकर अपने हाथ खड़े कर दिये हैं?

आख़िर यह देखने की जहमत कौन उठाएगा कि जिसे ठेका दिया गया है, वह काम ठीक से कर रहा है या नहीं? आख़िरकार जो बच्चे और शिक्षक मरे हैं उनकी मौत का सौदागर कौन है, ठेकेदार या सिस्टम..?

मोरबी के बाद एक और बड़ी मानव निर्मित आपदा

क्या सिस्टम इतना संवेदनशील होगा कि बच्चों के परिवार की तकलीफ दुःख समझ सके और सख्त कार्रवाई कर सके।
सिस्टम गहरी नींद से कब जागेगा क्योंकि मोरबी के बाद गुजरात में यह दूसरी बड़ी आपदा है, जिसे दुर्घटना नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह मानव निर्मित आपदा है। जहा लापरवाही के कारन निर्दोष लोगो की जान गई है।

मोरबी में जिसे भी पूल का ठेका दिया गया, उसे पूल बनाने का कोई अनुभव नहीं था, टूटे पूल वीडियो में साफ देखा गया था की पूल के वायर पर जंक लगा हुआ था.

बरोदा में भी जिसे नाव का ठेका दिया गया, उसे नाव चलाने का कोई अनुभव नहीं था। यानि सूत्रों की बात माने तो यहाँ पे भी कॉन्ट्रेक्ट अपने जान पहचान वालो को ही मिला है।

सूत्रों के मुताबिक, इन नावों की जिम्मेदारी एक ऐसे व्यक्ति को सौंपी गई थी, जिसे नाव चलाने का कोई अनुभव नहीं था। 14 सीटों की क्षमता वाली नाव में 27 बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा गया था.

घटना के बाद गोताखोर और दमकलकर्मी बचाव कार्य में जुटे गए, वडोदरा कलेक्टर एबी गोरे और पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत मौके पर पहुंचे। शुरुआती जांच में वडोदरा नगर निगम की लापरवाही सामने आई है. जो लोग नाव चला रहे थे उन्हें नाव चलाने का अनुभव भी नहीं था.

Boat Accident: तंत्र की लापरवाही ने ली मासूमों की जान

 नगर निगम की देखरेख में इस तालाब (Boat Accident) में काम कराया गया। माना जा रहा है कि नाव दुर्घटना क्षमता से अधिक छात्रों और शिक्षकों की मौजूदगी के कारण हुई. मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है.

Boat Accident: लाइफ जैकेट भी नहीं पहनाया था

यह बात सामने आई है कि इस नाव हादसे में छात्रों ने लाइफ जैकेट नहीं पहन रखी थी. नाव में आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई अन्य व्यवस्था भी नहीं थी।

वडोदरा कलेक्टर एबी गोरे ने कहा है कि पूरे मामले की जांच की जाएगी. इस बीच, वडोदरा नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. शीलत मिस्त्री ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मिस्त्री ने कहा कि अब पूरा ध्यान बचाव कार्य पर है.

अगस्त, 2022 में लापरवाही को लेकर आवेदन दिया गया था

जब मासूम बच्चे पिकनिक मनाने गए थे तो सिस्टम को नहीं पता था कि हरणी के लेक जोन में लापरवाही इतनी भारी पड़ जाएगी, लेकिन इस हादसे के लिए जितना जिम्मेदार ठेकेदार कोठिया है, उससे कहीं ज्यादा वडोदरा नगर निगम का सिस्टम भी जिम्मेदार है।


जिम्मेदार भी, जिन्होंने सूरसागर त्रासदी के पीड़ितों के लिए वर्षों तक संघर्ष किया जब जागरूक नागरिक – उपभोक्ता संगठन के पीवी मुरजानी ने 2021 और 2022 में सुरक्षा उपकरणों के बिना चल रही नौकाओं के बारे में आयुक्त को नोटिस दिया, तो नाव दुर्घटनाओं के बारे में उनकी चिंता आज सच हो गई। देखिए, उन्होंने अगस्त, 2022 में ही इसके लिए आवेदन किया था।

मुख्यमंत्री ने जताया दुख

बचाव अभियान जारी है. नाव पलटने की घटना पर गुजरात के मुख्यमंत्री ने दुख जताया है. लेकिन उन्होंने अपनी जान गंवाने वाले मासूम बच्चों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए लिखा. दुःख की इस घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएँ। दयालु ईश्वर उन्हें यह दुःख सहने की शक्ति दे। फिलहाल नाव पर सवार छात्रों और शिक्षकों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.

यहां बता दें कि यह झील 7 एकड़ में फैली हुई है और हरनी झील के सौंदर्यीकरण का काम 2019 में किया गया था. इस तालाब का ठेका कोटिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को दिया गया था.

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