Case Of Fraud: लखनऊ में एक बड़ा डिजिटल अरेस्ट मामला सामने आया है। PGI डॉक्टर को सात दिनों का डिजिटल अरेस्ट मिला। लंबे समय तक डिजिटल अरेस्ट की चर्चा होती है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ठगी के मामले में एक प्रोफेसर को सात दिनों का डिजिटल अरेस्ट लगाया गया है। कृष्णानगर क्षेत्र में रहने वाली पीजीआई की असोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट करके साइबर जालसाजों ने उनसे विभिन्न खातों में 2.81 करोड़ रुपये भेजे। सीबीआई अफसर बनकर बात करने वाले ठगों ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में जेल भेजने का खौफ दिखाकर उनसे पैसा ऐंठ लिया। पीड़िता ने ठगी का अहसास होने पर साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की। पीड़िता के 27.88 लाख रुपये के दो जालसाज खातों को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है।
Case Of Fraud: जालसाजों ने पूरा खेल इस तरह खेला
पीजीआई की असोसिएट प्रोफेसर रुचिका टंडन चाणक्यपुरी, कृष्णानगर में अपनी मां के साथ रहती हैं। डॉ. गौरव तिवारी, उनके पति, का देहांत हो गया है। रुचिका ने साइबर क्राइम थाने को दी तहरीर में कहा कि एक अगस्त को उनके मोबाइल पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि वह ट्राई का कर्मचारी है। उन्होंने बताया कि सभी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबरों को रोका गया है। उन संख्या पर 27 शिकायतें आई हैं। उसने फिर स्काइप डाउनलोड किया।
उसने उनसे स्काइप पर सीबीआई के कथित अफसर राहुल गुप्ता से बातचीत की। जालसाज राहुल ने बताया कि आपका नाम नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है। आपका बैंक अकाउंट इसमें इस्तेमाल हुआ है। Women and Children Trafficking में मनी लॉन्ड्रिंग का पैसा खर्च किया गया है। आपके खिलाफ कोर्ट के पास सबूत हैं। कोर्ट आपकी रिकॉर्डिंग देख सकता है। आपको बचाव करने वालों से बातचीत हो रही है। इसमें प्रस्तुत करना चाहिए।
जालसाज ने पीड़िता को एक खेत भेजा, जिसमें उसने उनकी पूरी जानकारी भरवा दी। बैंक अकाउंट नंबर से लेकर जमा रकम तक की जानकारी ली। यह भी कहा कि आपको गिरफ्तार करने का आदेश है। आप चाहें तो डिजिटल अरेस्ट कर सकते हैं, लेकिन घर में किसी को नहीं बताइएगा।
रुचिका उनकी बातों में आ गईं और एक अगस्त से 8 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट होकर जालसाजों के कहने पर उनके खातों में पैसे भेजती रहीं। जालसाजों ने उनके बताए गए सात खातों में 2.81 करोड़ रुपये अपने पांच अकाउंटों से भेजने के बाद उनसे संपर्क करना बंद कर दिया।
Case Of Fraud: वेबसाइट पर ठगी की पुष्टि
डॉ. रुचिका ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट से छुट्टी मिलने के बाद उन्होंने सीबीआई की वेबसाइट खोली। यह जानता था कि सीबीआई डिजिटल गिरफ्तार करती है या नहीं। वेबसाइट पर पहुंचते ही पता चला कि यह एक जालसाज टूल है। CBI डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। बाद में उन्हें ठगी का शक हुआ और 10 अगस्त को साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज करवाई।
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया कि डॉ. रुचिका के 27.88 लाख रुपये जालसाजों के खातों से निकाल लिए गए हैं। बाकी धन को फ्रीज करने की कोशिश की जा रही है।
Case Of Fraud: ये भी ठगी का शिकार हुए
जालसाजों ने आलमबाग निवासी घनश्याम को शेयर ट्रेडिंग के नाम पर धोखा दिया और उनसे साइन टुमारो ऐप डाउनलोड करवाकर 10 लाख रुपये जमा करवा लिए। सिक्यॉरिटी एक्सचेंज रिसर्च ग्रुप-3 ने सुशांत गोल्फ सिटी निवासी अमित से 7,86,292 रुपये ठग लिए, उन्हें मुनाफा देने और आईपीओ शेयरों का आवंटन करने के नाम पर। Chinhat निवासी Vipin भी ठगों के जाल में फंस गए और उनकी ओर से भेजे गए लिंक पर क्लिक कर टेलिग्राम पर उनके साथ ट्रेडिंग करना शुरू किया। 1,45,000 रुपये जमा किए गए।
ट्रेडिंग अकाउंट में पैसा लगभग पांच लाख था। जब उन्होंने निकालने का प्रयास किया, तो उनसे अधिक पैसे की मांग शुरू हो गई, जिससे बाद में नंबर ब्लॉक हो गए। गोमतीनगर की रहने वाली रेनू भी ट्रेडिंग करते हुए आसानी से 8,96,260 रुपये खो बैठीं। वहीं, मड़ियांव में रहने वाली पूजा को जालसाजों ने स्टॉक ट्रेडिंग के जाल में फंसाया और उनसे भी 22,60,000 रुपये विभिन्न खातों में जमा करवाकर भाग गए।
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Case Of Fraud: लखनऊ में साइबर फ्रॉड का बड़ा मामला: पीजीआई की डॉक्टर को 7 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट, 2.81 करोड़ रुपये ट्रांसफर
पहले TRI, फिर CBI अफसर बनकर की बातचीत और ठग लिए 2.8 करोड़, लखनऊ PGI की डॉक्टर की कहानी