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First Driverless Car भारत की पहली चालक रहित कार का अनावरण: IISc, विप्रो और RV कॉलेज ने मिलकर बनाया देश का ‘ड्राइवरलेस वंडर’
First Driverless Car भारत की पहली चालक रहित कार का अनावरण: IISc, विप्रो और RV कॉलेज ने मिलकर बनाया देश का ‘ड्राइवरलेस वंडर’
First Driverless Car बेंगलुरु में हुआ भारत की पहली स्वदेशी चालक रहित कार का अनावरण, IISc, विप्रो और आरवी कॉलेज की टीम ने किया कमाल — देश में ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी के नए युग की शुरुआत।
IISc, विप्रो और बेंगलुरु के RV कॉलेज ने मिलकर भारत की पहली चालक रहित कार लॉन्च की। जानिए कैसे बदलेगी यह तकनीक भारत का ट्रैफिक भविष्य।

First Driverless Car भारत ने ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और ऐतिहासिक कदम रखा है। बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), विप्रो लिमिटेड और आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की संयुक्त टीम ने देश की पहली स्वदेशी चालक रहित कार (Driverless Car) का अनावरण किया है। इस प्रोजेक्ट को “WIRIN – Wipro IISc Research and Innovation Network” के नाम से विकसित किया गया है।
यह कार पूरी तरह से भारत में डिजाइन और इंजीनियर की गई है। इसका उद्देश्य भारतीय सड़कों की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों — जैसे ट्रैफिक जाम, गड्ढे, अनियमित लेन सिस्टम और सड़क पर अचानक आने वाले पशुओं — को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित और स्मार्ट ड्राइविंग अनुभव प्रदान करना है।
First Driverless Car तकनीक में भारतीय दिमाग की जीत
WIRIN ड्राइवरलेस कार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और एडवांस्ड सेंसर तकनीक से लैस किया गया है। यह कार LiDAR सेंसर, कैमरा मॉड्यूल, GPS सिस्टम, और डीप न्यूरल नेटवर्क पर आधारित एल्गोरिद्म का उपयोग करती है। इसके जरिए वाहन सड़क की स्थिति, मोड़, ट्रैफिक लाइट और पैदल यात्रियों को स्वतः पहचान कर दिशा तय करता है।
इस परियोजना का प्रमुख लक्ष्य है – भारत में इंडिजिनस ऑटोनॉमस व्हीकल टेक्नोलॉजी का विकास और इसका स्थानीयकरण। जहां विदेशी कंपनियाँ जैसे टेस्ला, वेमो और गूगल अपनी सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक विदेशों में टेस्ट कर रही हैं, वहीं IISc और विप्रो का यह प्रयास पूरी तरह भारतीय सड़क-स्थितियों पर केंद्रित है।
First Driverless Car लॉन्च और प्रदर्शन
27 अक्टूबर 2025 को बेंगलुरु स्थित RV कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के कैंपस में इसका आधिकारिक अनावरण हुआ। इस मौके पर विप्रो के CTO और IISc के प्रोफेसर समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद थे। इस दौरान कार का लाइव डेमो भी दिया गया, जिसमें यह वाहन बिना किसी मानव चालक के निर्धारित मार्ग पर सफलतापूर्वक चला।
RV कॉलेज के छात्रों और शोधकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट में हार्डवेयर इंटीग्रेशन, नेविगेशन एल्गोरिद्म और सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विप्रो ने औद्योगिक समर्थन और प्रायोगिक संसाधन उपलब्ध कराए, जबकि IISc ने अनुसंधान, डिज़ाइन और परीक्षण चरण का नेतृत्व किया।
First Driverless Car भारत में ट्रांसपोर्ट का नया अध्याय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत में स्मार्ट मोबिलिटी के भविष्य को दिशा देगी। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है, बल्कि यातायात प्रणाली भी और अधिक संगठित हो सकती है।
हालांकि, अभी यह परियोजना परीक्षण चरण में है और व्यावसायिक उपयोग के लिए इसे मंजूरी मिलना बाकी है। लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले वर्षों में भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर एक नई तकनीकी क्रांति का साक्षी बनेगा।IISc, विप्रो और RV कॉलेज का यह संयुक्त प्रोजेक्ट दिखाता है कि भारत अब केवल तकनीकी उपभोक्ता नहीं बल्कि नवाचार का निर्माता (Innovator Nation) बन चुका है। यह ड्राइवरलेस कार “मेक इन इंडिया” की भावना का सच्चा उदाहरण है — जो आने वाले समय में देश की सड़कों पर एक स्मार्ट और सुरक्षित परिवहन प्रणाली की नींव रखेगी।
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Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?
Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?
कार्तिक पूर्णिमा 2025 कब मनाई जाएगी? 4 या 5 नवंबर में से कौन-सी तारीख सही है? पूजा का शुद्ध मुहूर्त, वैष्णव परंपरा में गंगा स्नान का महत्व, तुलसी एवं भगवान विष्णु की उपासना विधि — संपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें।

Kartik Purnima 2025 कार्तिक पूर्णिमा 2025 का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा, तुलसी माता की आरती, तथा गंगा स्नान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। विशेष रूप से गौतम और कश्यप गोत्र के लोग इस पूर्णिमा को अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
- तुलसी विवाह के बाद का सबसे पवित्र दिन
- धर्मसाधना, जप, दान और दीपदान का अत्यधिक फलदायी समय
- मान्यता है कि इस दिन की पूजा से अनंत पुण्यफल एवं पापों का क्षय होता है

Kartik Purnima 2025 कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (विस्तार से)
- सूर्योदय से पूर्व स्नान — सम्भव हो तो गंगा या तीर्थ स्थलों पर
- भगवान विष्णु / श्रीकृष्ण / दामोदर रूप में पूजा-अर्चना
- तुलसी माता को अश्वमेध मंत्र के साथ दीप अर्पित करें
- श्रद्धा के साथ दीपदान — विशेष रूप से नदी किनारे दीप प्रवाहित करें
- दक्षिणा/दान — वस्त्र, घी, तिल, सोना, अनाज, मिठाई आदि का दान
- संध्या आरती के साथ परिवार की समृद्धि हेतु प्रार्थना
Kartik Purnima 2025 प्रमुख मान्यताएँ
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन “दामोदर व्रत” करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है
- मान्यता है — “एक दीप प्रवाहित करने से लाखों पाप नष्ट होते हैं”
- व्यापारी समाज के लिए यह नये वर्ष की शुरुआत, बही-खाता या तिजोरी पूजन का शुभ समय होता है
देव दिवाली कब मनाई जाएगी एवं चंद्रमा को अर्घ्य कब दिया जाएगा?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दिवाली का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल देव पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है, जो शाम 05:15 बजे से 07:50 बजे तक रहेगा। यानी देव दिवाली समारोह के लिए लगभग ढाई घंटे का उत्तम समय उपलब्ध होगा।
चंद्रमा की पूजा के लिए शुभ चंद्रोदयर समय शाम 05:11 बजे का है।
Kartik Purnima 2025: 4 या 5 नवंबर?
धार्मिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा बुधवार, 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात्रि से प्रारंभ होगी, लेकिन उदय तिथि के अनुसार मुख्य पूजा एवं स्नान-दान का समय 5 नवंबर की प्रातः होगा।
शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर, रात 09:28 बजे (आंकलित)
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर, शाम 07:14 बजे (आंकलित)
- स्नान एवं दान के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
5 नवंबर, प्रातः 04:30 बजे से 08:30 बजे तक
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Chhath Mahaparv 2025 छठ मईया का महापर्व 2025 में कब मनाया जाएगा? पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त यहाँ
Chhath Mahaparv 2025 छठ मईया का महापर्व 2025 में कब मनाया जाएगा? पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त यहाँ
Chhath Mahaparv 2025 छठ पूजा 2025 की सटीक तिथि, सूर्योदय-सूर्यास्त समय, पूजा विधि और महत्त्व जानें। बिहार, यूपी और झारखंड का यह सबसे बड़ा पर्व कैसे मनाया जाता है — विस्तार से पढ़ें।
Chhath Mahaparv 2025 छठ पूजा 2025: तिथि, महत्त्व और पूजा विधि (600+ शब्दों का विस्तृत लेख)
छठ पूजा, जिसे बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और अब पूरे देश में अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना का सबसे बड़ा लोकपर्व है। यह पर्व पूरी तरह प्रकृति, शुद्धता और जीवन की ऊर्जा के प्रतीक सूर्य की आराधना को समर्पित है। 2025 में यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाएगा — जैसे हर वर्ष होता है।
छठ महापर्व अब सिर्फ बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा — यह आज राष्ट्रीय और वैश्विक आस्था का पर्व बन चुका है। परंपरागत रूप से यह पर्व निम्न प्रमुख क्षेत्रों में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है:

Chhath Mahaparv 2025 भारत के प्रमुख शहर जहाँ छठ सबसे बड़े स्तर पर मनाया जाता है:
- पटना (बिहार) – भारत का सबसे भव्य और विशाल छठ महापर्व यहीं आयोजित होता है (गंगा घाट)
- गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, समस्तीपुर, आरा, सीवान (बिहार)
- वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, मऊ, बलिया, देवरिया, गाज़ीपुर (पूर्वी उत्तर प्रदेश)
- झारखंड – रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर
- दिल्ली-NCR – यमुना घाटों पर लाखों श्रद्धालु जुटते हैं (कलिंदी कुंज, छठ घाट मयूर विहार)
- मुंबई – जुहू बीच, वर्सोवा, पवई लेक
- कोलकाता – हुगली नदी के घाटों पर बड़ी संख्या में भक्त
- सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा (गुजरात) – बिहारी प्रवासी समुदाय की बड़ी उपस्थिति
- पुणे, हैदराबाद, नागपुर, बेंगलुरु, चेन्नई – जहाँ भोजपुरी/मैथिली/मगही प्रवासी समुदाय बड़ी संख्या में है

भारत से बाहर जहाँ छठ मनाया जाता है:
- नेपाल (विशेषकर मधेश क्षेत्र एवं जनकपुर) || मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना – भोजपुरी मूल के प्रवासी देशों || USA, UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, UAE (दुबई/अबूधाबी) – प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा
छठ पूजा 2025 की प्रमुख तिथियाँ (Tentative):
- नहाय-खाय: 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
- खरना: 26 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- पहला अर्घ्य (संध्या अर्घ्य): 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- दूसरा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य): 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) — व्रत समाप्त
इन तारीखों की पुष्टि पंचांग और खगोल गणना के अनुसार होगी, लेकिन सामान्य रूप से दिवाली के छठे दिन यह पर्व संपन्न होता है।
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व
छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें कोई मूर्ति पूजा नहीं होती, न ही कोई भोग या विलासिता की सामग्री — केवल प्रकृति, अनुशासन, सूर्योपासना और आस्था। यह माना जाता है कि सूर्य ही जीवन ऊर्जा का मूल स्रोत है और छठ पर्व में व्यक्ति प्रकृति के साथ जुड़कर आत्मशुद्धि करता है।

Chhath Mahaparv 2025 लोक मान्यता है कि छठी मैया संतान सुख, आरोग्य, समृद्धि और परिवार की रक्षा का आशीर्वाद देती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, लेकिन आजकल पुरुष भी बड़ी संख्या में इस व्रत को करते हैं।
पूजा विधि और अनुष्ठान
- नहाय-खाय: व्रती शुद्ध स्नान कर सादा शाकाहारी भोजन करते हैं। घर को पूर्ण रूप से शुद्ध किया जाता है।
- खरना: सूर्यास्त के बाद व्रती गंगाजल मिश्रित चावल-गुड़ की खीर बनाते हैं और प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जल व्रत की शुरुआत करते हैं।
- संध्या अर्घ्य: नदी, तालाब या घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर कद्दू-भात, ठेकुआ, फल और गन्ने का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
- उषा अर्घ्य: अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, यहीं से व्रत पूर्ण होता है और प्रसाद वितरण किया जाता है।
इस पूरे पर्व में शुद्धता और अनुशासन सर्वोच्च होते हैं — स्टील, प्लास्टिक, नॉन-स्टिक बर्तनों तक का उपयोग वर्जित माना जाता है।
क्यों है छठ इतना विशेष?
यह एकमात्र पर्व है जिसमें डूबते और उगते दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 36 घंटे का निर्जल उपवास विश्व के सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। यह त्योहार घर की बजाय घाटों और नदियों पर सामूहिक रूप से मनाया जाता है — लोक जीवन की एक अद्भुत एकता के साथ। वैज्ञानिक आयुर्वेद के अनुसार यह ऋतु परिवर्तन के समय शरीर की आंतरिक ऊर्जा को पुनर्स्थापित करता है।
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How to Make Swastik स्वस्तिक बनाने का सही तरीका – हर लाइन का अर्थ और जीवन में महत्व
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Kurnool Kaveri Travels Fire : कुरनूल में दर्दनाक हादसा चलती बस में लगी भीषण आग, 15 की मौत की आशंका, कई घायल
Kurnool Kaveri Travels Fire : कुरनूल में दर्दनाक हादसा चलती बस में लगी भीषण आग, 15 की मौत की आशंका, कई घायल
Kurnool Kaveri Travels Fire : कुरनूल में दर्दनाक हादसा चलती बस में लगी भीषण आग, 15 की मौत की आशंका, कई घायल
आंध्र प्रदेश के कुरनूल में कावेरी ट्रैवल्स की बस आग में जलकर खाक। 15 यात्रियों की मौत की आशंका, 12 ने खिड़कियाँ तोड़कर बचाई जान। हादसे की जांच जारी। क्या ये पेट्रोल/डीजल के साथ एथनोल मिक्स करने की वजह से हो रहा है?
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले से एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही कावेरी ट्रैवल्स की एक निजी बस आज तड़के करीब 3 बजे भीषण हादसे की शिकार हो गई। यह घटना कुरनूल के चिन्नातेकुरु गाँव के पास हुई, जब बस की टक्कर एक दोपहिया वाहन से हो गई। टक्कर इतनी तेज़ थी कि देखते ही देखते बस में आग लग गई और पूरी बस कुछ ही मिनटों में आग के गोले में तब्दील हो गई।

Kurnool Kaveri Travels Fire बताया जा रहा है कि इस बस में कुल 42 से ज्यादा यात्री सवार थे। प्राथमिक जानकारी के अनुसार, कम से कम 15 यात्रियों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। यह संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि आग ने बस को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया था, जिससे कई यात्री बाहर निकल भी नहीं पाए। वहीं, करीब 12 यात्रियों ने साहस दिखाते हुए खिड़कियाँ तोड़कर किसी तरह अपनी जान बचाई। उन्होंने मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों की मदद से छलांग लगाई और बस की आग से बच निकले।
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। आग इतनी भीषण थी कि दमकल विभाग को आग पर काबू पाने में काफी समय लग गया। घटनास्थल से निकलने वाले धुएं और लपटों ने पूरे इलाके को दहला दिया। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चीख-पुकार और भगदड़ का माहौल बन गया था, और कुछ यात्री बस के अंदर फंस गए थे।

Kurnool Kaveri Travels Fire प्रशासन ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए पुलिस और फायर ब्रिगेड को मौके पर भेजा। फिलहाल घायलों को पास के कुरनूल सरकारी अस्पताल और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है, और डॉक्टर लगातार इलाज में जुटे हैं।
पहली जांच में सामने आया है कि बस की टक्कर सामने से आ रहे एक दोपहिया वाहन से हुई। टक्कर के बाद बस के फ्यूल टैंक में आग भड़क गई, जो कुछ ही सेकंड में पूरे वाहन में फैल गई। हादसे का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन पुलिस वाहन की स्पीड, ड्राइवर की लापरवाही या किसी तकनीकी खराबी के एंगल से भी जांच कर रही है।
फिलहाल इस हादसे को लेकर आंध्र प्रदेश सरकार ने संज्ञान लिया है और उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी मृतकों के परिवारों के लिए मुआवज़े की घोषणा जल्द करने के संकेत दिए हैं।
अधिक जानकारी और आधिकारिक पुष्टि की प्रतीक्षा जारी है।
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Lokpal in BMW लोकपाल ऐशो-आराम की गोद में? सरकारी भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था पर उठे सवाल
Lokpal in BMW लोकपाल ऐशो-आराम की गोद में? सरकारी भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था पर उठे सवाल
Lokpal in BMW जनता के लिए तत्पर रहने वाली लोकपाल संस्था खुद आलीशान सुविधाओं में? जांच एजेंसी की ऐशो-आराम वाली जीवनशैली पर उठे सवाल, पूरा सच यहाँ पढ़ें।
देश में भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करने और जन-सुनवाई आधारित शिकायतों को सख्ती से निपटाने के लिए गठित लोकपाल संस्था इन दिनों खुद चर्चा में है—वजह है उसका “रहना-सहना और सरकारी वैभव” पर सवाल उठना। लोकपाल को जनता के हितों की रक्षा करने वाला, निष्पक्ष एवं सादगीपूर्ण संस्थान माना जाता है, लेकिन हाल ही में सामने आई कुछ जानकारियों ने माहौल गर्म कर दिया है।

Lokpal in BMW सूत्रों के मुताबिक, लोकपाल कार्यालय को दिल्ली के प्रीमियम सरकारी बंगलों के समकक्ष सुविधाएँ मिली हुई हैं — पाँच सितारा स्तर का फर्निश्ड ऑफिस-स्पेस, imported फर्नीचर, व्यक्तिगत स्टाफ, बुलेटप्रूफ वाहन, VVIP सुरक्षा, और एक दर्जन से अधिक प्रशासनिक सहायकों की तैनाती। यह सब तब, जब आम नागरिकों की शिकायतें महीनों लंबित पड़ी रहती हैं और कई राज्यों से अभी तक पूरी क्षमताओं के साथ लोकायुक्त तक की नियुक्ति नहीं हो पाई।
प्रश्न यह भी उठा है Lokpal in BMW
क्या लोकपाल जैसे संस्थान के लिए सादगी, जवाबदेही और पारदर्शिता सर्वोच्च नहीं होनी चाहिए? क्योंकि इसी पहचान पर इसकी नैतिक ताकत खड़ी होती है। लेकिन जब कार्रवाई करने वाली संस्था खुद VIP संस्कृति जैसा व्यवहार करती हुई दिखे, तो आम जनता के मन में संशय स्वाभाविक है। आलोचक कहते हैं कि लोकपाल को सुविधाएँ मिलना गलत नहीं, लेकिन जब सुविधाएँ “ऐश” के रूप में दिखें और डिलीवरी “स्लो” तो छवि पर प्रश्न उठते ही हैं।
टीम के अधिकारियों ने दलील दी है कि उनके ऊपर जांच-कार्रवाई का दबाव, संवेदनशील मामलों की सुरक्षा और उच्च स्तर की confidentiality को देखते हुए यह स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है। उनका कहना है कि “सुविधाओं से ईमानदारी तय नहीं होती, बल्कि परिणामों से होती है — और लोकपाल संस्थान अब तक कई बड़े भ्रष्टाचार मामलों की जांच शुरू कर चुका है।”
लेकिन नागरिक मंचों का तर्क है Lokpal in BMW
लोकपाल की गति और ग्राउंड रिपोर्टिंग अभी तक उतनी प्रभावी नहीं दिखी जितनी उम्मीद थी। खासकर राज्य स्तरीय लोकायुक्तों और केंद्रीय लोकपाल के बीच समन्वय की कमी का असर केस निपटान की गति पर पड़ा है। लोकपाल के पास हजारों शिकायतें लंबित बताई जा रहीं हैं, और उनमें से बड़ी संख्या preliminary जांच या scrutiny में ही अटकी हुई हैं।
सवाल यह नहीं कि लोकपाल को सुविधा क्यों मिली — सवाल यह है कि क्या ऐश की छाप इस संस्था की छवि को कमजोर कर रही है? क्या यह “जनता का प्रहरी” बन सका है या अभी भी “सरकारी club” बनने के खतरे में है?
आगे की राह यही बताती है
लोकपाल जैसी संस्था के लिए जनता के विश्वास से बड़ा कोई भी संसाधन नहीं। इसलिए जरूरत है transparency dashboards, लाइव केस स्टेटस, time-bound action reports और performance audit जैसी पहल की। तभी लोकपाल न केवल सत्ता के ऊपर निगरानी रख सकेगा, बल्कि जनता के दिलों में भी अपनी अपरिहार्य विश्वसनीयता बना सकेगा।
BRAHMOS Missile: भारत का सबसे घातक सुपरसोनिक हथियार फिर बना चर्चा का केंद्र
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Ethanol Alert यूरोपीय संघ इथेनॉल को कर सकता है ‘कैंसरकारक’ घोषित
Ethanol Alert यूरोपीय संघ इथेनॉल को कर सकता है ‘कैंसरकारक’ घोषित
Ethanol Alert EU की रिपोर्ट में इथेनॉल को संभावित कैंसरकारी और खतरनाक सैनिटाइज़र रसायन बताया गया। जानें क्या बदल सकता है नियम और इसका असर आम लोगों पर कैसा होगा।
कोविड-19 महामारी के दौरान जिस हैंड सैनिटाइज़र को हम सभी ने सुरक्षा का सबसे भरोसेमंद हथियार माना, अब उसी को लेकर यूरोपीय संघ (European Union) की एक नई रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इथेनॉल (Ethanol) — जो ज्यादातर हैंड सैनिटाइज़र्स में 60-80% तक पाया जाता है — को कैंसर पैदा करने वाले रसायन (Carcinogenic Substance) के रूप में क्लासिफाई किया जा सकता है।

Ethanol Alert क्या कहती है रिपोर्ट?
यूरोपीय संघ की European Chemicals Agency (ECHA) के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इथेनॉल की लंबे समय तक और अत्यधिक इनहेलेशन (सांसों के ज़रिए शरीर में जाना) कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।
यदि ये प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो इथेनॉल को आधिकारिक रूप से “Carcinogen Category 1” में रखा जा सकता है — यानी मनुष्यों में कैंसर पैदा करने वाला सिद्ध रसायन।
Ethanol Alert क्या हर इथेनॉल खतरनाक है?
जानकारों के अनुसार, खतरनाक प्रभाव शुद्धता (purity), exposure level और उपयोग की मात्रा पर निर्भर करता है।
- मेडिकल ग्रेड इथेनॉल को फिलहाल नियंत्रित रूप में सुरक्षित माना जाता है
- लेकिन कम गुणवत्ता वाले या दूषित इथेनॉल, खासकर मेथेनॉल से मिले हुए उत्पादों को बेहद खतरनाक माना जा रहा है
यहीं से हैंड सैनिटाइज़र को लेकर चिंता बढ़ती है — क्योंकि घरेलू व स्थानीय स्तर पर बने सस्ते सैनिटाइज़र में अक्सर अशुद्ध इथेनॉल का इस्तेमाल हो जाता है।
Ethanol Alert सैनिटाइज़र इस्तेमाल को लेकर उठे सवाल
- अगर EU इस वर्गीकरण को आधिकारिक रूप से लागू करता है, तो
- सैनिटाइज़र के फॉर्मूलेशन पर सख्त नियंत्रण लागू होगा
- मेडिकल उत्पादों पर नियम बदल सकते हैं
- कुछ प्रकार के सैनिटाइज़र बाज़ार से हटाए जा सकते हैं
- बच्चों, प्रेग्नेंट वुमन और संवेदनशील लोगों के लिए गाइडलाइन अपडेट होगी
विश्वभर में मचेगी हलचल
EU की रिपोर्ट का प्रभाव केमिकल, हेल्थकेयर और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री पर भारी हो सकता है।
भारत सहित कई देशों में इथेनॉल बेस्ड सैनिटाइज़र बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाते हैं, ऐसे में ग्लोबल गाइडलाइंस में बदलाव का असर बाज़ार और लोगों की जीवनशैली दोनों पर पड़ सकता है।क्या आम लोगों के लिए तुरंत खतरा है?
अभी के लिए विशेषज्ञों की सलाह है
- प्रमाणित ब्रांडेड सैनिटाइज़र ही इस्तेमाल करें | अनसर्टिफाइड, लोकल या बिना लेबल वाले प्रोडक्ट्स से बचें | बच्चों के हाथ में सैनिटाइज़र बार-बार न दें | जरूरत होने पर साबुन और पानी से हाथ धोना बेहतर विकल्प है
Zaherila Saanp क्या आप जानते हैं सांप के कितने दांत होते हैं? ये वीडियो आपकी सोच बदल देगा
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Halloween Day 2025: क्या है हैलोवीन डे? क्यों मनाया जाता है और किन देशों में धूमधाम से होता है ये रहस्यमयी त्योहार?
Halloween Day 2025: क्या है हैलोवीन डे? क्यों मनाया जाता है और किन देशों में धूमधाम से होता है ये रहस्यमयी त्योहार?
Halloween Day 2025 भारत में भी बढ़ रहा है Halloween का क्रेज — जानिए इसका इतिहास और महत्व
Halloween Day 2025 क्या है? क्यों मनाया जाता है यह डर और मस्ती से भरा त्योहार, जानें इसका इतिहास, महत्व और किन देशों में इसकी सबसे ज्यादा धूम होती है।
हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाला Halloween Day पश्चिमी देशों का एक बेहद लोकप्रिय और रहस्यमयी त्योहार है, जिसे डर, मस्ती और कल्पनाओं की दुनिया से जोड़कर देखा जाता है। इसे “All Hallows’ Eve” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है — पवित्र आत्माओं की पूर्व संध्या। हैलोवीन को आज दुनिया भर में एक कल्चरल फेस्टिवल की तरह सेलिब्रेट किया जाता है, खासकर अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड और ब्रिटेन में।
हेलोवीन डे क्या है?

Halloween Day 2025 हैलोवीन एक पारंपरिक त्योहार है जिसमें लोग रात को डरावने कॉस्ट्यूम पहनकर बाहर निकलते हैं, अपने घरों को भूतिया तरीके से सजाते हैं, और बच्चे Trick or Treat के लिए घर-घर जाकर चॉकलेट्स और कैंडीज मांगते हैं। यह दिन मुख्य रूप से आत्माओं और पूर्वजों की याद में मनाया जाता है।
Halloween का इतिहास
हैलोवीन की शुरुआत लगभग 2,000 साल पहले आयरलैंड और स्कॉटलैंड के प्राचीन Celtic Festival Samhain (साविन) से मानी जाती है। मान्यता थी कि इस दिन जीवित और मृत दुनिया के बीच की सीमा टूट जाती है, और आत्माएं धरती पर आ जाती हैं। लोग इन आत्माओं से बचने के लिए डरावने वेशभूषा धारण करते थे, आग जलाते थे और पूजा करते थे।

आज के दौर में हैलोवीन कैसे मनाया जाता है?
आधुनिक समय में हैलोवीन एक Fun Festival बन गया है, जिसमें लोग भूत, चुड़ैल, वैम्पायर, सुपरहीरो और मूवी कैरेक्टर्स जैसे कॉस्ट्यूम पहनते हैं।
- घरों में Pumpkin (कद्दू) को Jack-O’-Lantern बनाकर सजाया जाता है
- Haunted House Parties और Costume Contests आयोजित होते हैं
- बच्चे “Trick or Treat” कहकर घर-घर घूमते हैं
- सोशल मीडिया पर डरावने मेकअप और फोटोशूट्स का ट्रेंड छा जाता है
कौन से देश मनाते हैं Halloween?
हैलोवीन सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है —
- United States (अमेरिका)
- Canada (कनाडा)
- United Kingdom (यूके)
- Ireland और Scotland
इसके अलावा हाल के वर्षों में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, UAE जैसे देशों में भी इसका क्रेज तेजी से बढ़ा है, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों में।

Halloween Day 2025 Halloween 2025 कब है?
31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन पूरी दुनिया में Halloween डे का सेलिब्रेशन होगा।
भारत में हेलोवीन का बढ़ता ट्रेंड
भारत में यह त्योहार धार्मिक न होकर फैशन और एंटरटेनमेंट के रूप में मनाया जाता है। मेट्रो सिटी के स्कूल, कैफे, मॉल और पब में हेलोवीन थीम पार्टियां आयोजित की जाती हैं।
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Diwali Rangoli Cleaning Tips: रंगोली के दाग हटाएं मिनटों में वो भी ZERO मेहनत के साथ
Diwali Rangoli Cleaning Tips: रंगोली के दाग हटाएं मिनटों में वो भी ZERO मेहनत के साथ
Diwali Rangoli Cleaning Tips: दिवाली के बाद रंगोली के दाग साफ करने में परेशानी होती है? जानिए आसान घरेलू उपाय जिनसे बिना ज्यादा मेहनत के मिनटों में आपका फर्श चमक उठेगा। No stain, only shine!
दिवाली के बाद रंगोली के दाग ऐसे करें साफ — बिना मेहनत मिनटों में चमक उठेगा आपका फर्श
दिवाली का त्योहार रंग, रोशनी और खुशियों से भरा होता है। घर के दरवाजों पर बनाई गई सुंदर रंगोलियाँ मेहमानों का स्वागत करती हैं, लेकिन जैसे ही त्योहार खत्म होता है, सबसे बड़ी टेंशन शुरू हो जाती है — रंगोली के दाग कैसे हटाएं? खासकर जब रंग जमीन पर गहरे धंस जाते हैं या सूखे हुए रंग दाग की तरह नज़र आते हैं।
अगर आप भी हर बार फर्श को रगड़-रगड़कर थक जाते हैं या रंग साफ करते-करते सफाई मुश्किल हो जाती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं Diwali Rangoli Cleaning Tips, जिनसे बिना ज्यादा मेहनत और बिना किसी नुकसान के सिर्फ कुछ ही मिनटों में फर्श बिलकुल नया जैसा चमक उठेगा।
1. सूखे रंग को “ड्राई क्लीनिंग” से शुरू करें
कभी भी गीला कपड़ा पहले इस्तेमाल न करें।
- एक मुलायम झाड़ू या वैक्यूम क्लीनर से पहले सूखे रंग को हल्के हाथों से हटाएं
- इससे रंग और ज्यादा फैलता नहीं और क्लीनिंग आसान हो जाती है
- कोशिश करें रंग को रगड़ें नहीं, ऊपर-ऊपर से ही धीरे हटाएं
2. बेकिंग सोडा + सफेद सिरका = जादुई क्लीनर Diwali Rangoli Cleaning Tips
यह सबसे असरदार और सुरक्षित घरेलू उपाय है।
- रंगोली वाले दाग पर थोड़ा-सा बेकिंग सोडा छिड़कें
- इसके ऊपर सफेद सिरका (white vinegar) डालें
- बस 2 मिनट इंतजार करें — हल्के बुलबुले उठते नजर आएंगे
- अब माइक्रोफाइबर कपड़े से पोंछ दें — दाग गायब!
3. नींबू और नमक का नेचुरल स्क्रबर
अगर फर्श पर रंग ज्यादा चिपक गया है —
- एक नींबू को बीच से काटें
- उस पर थोड़ा नमक छिड़कें और दाग पर हल्के हाथ घुमाएं
- ये नैचुरल एजेंट रंग को उठाता भी है और चमक भी देता है
- बाद में साधारण पानी से पोंछ लें

Diwali Rangoli Cleaning Tips 4. मार्बल या टाइल्स के लिए डिशवॉश लिक्विड टिप
- एक बाल्टी गुनगुने पानी में 1 चम्मच डिशवॉश लिक्विड मिलाएं
- माइक्रोफाइबर कपड़े को डुबोकर राउंड मोशन में साफ करें
- चमक तुरन्त वापस आ जाएगी
5. पुरानी घर वाली देसी ट्रिक — गेहूं का आटा
- नकली रंग या हल्दी वाले दाग के लिए सबसे बढ़िया उपाय
- दाग वाले हिस्से पर थोड़ा आटा छिड़क दें
- 3 मिनट छोड़ दें → आटा रंग को सोख लेगा
- झाड़ू से निकाल दें और हल्का गीला कपड़ा चलाएं
बोनस टिप: फर्श पर खरोंच न आए इसका ध्यान रखें Diwali Rangoli Cleaning Tips
- स्कॉच ब्राइट, स्टील स्क्रबर, या हार्ड ब्रश का इस्तेमाल बिल्कुल न करें
- खासकर मार्बल और ग्रेनाइट फर्श के लिए हमेशा माइल्ड तकनीक ही अपनाएं
दिवाली खत्म होते ही रंगोली हटाना सिरदर्द नहीं, एक 2 मिनट का आसान प्रोसेस बन सकता है — बस तरीका सही होना जरूरी है। इन 100% घर में उपलब्ध सामग्रियों से आप बिना किसी केमिकल और बिना ज्यादा मेहनत के अपने घर का फर्श चमका सकते हैं, वो भी बिना नुकसान के।
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