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Geyser Buying Guide सर्दी में गीजर खरीदने की सोच रहे हैं? खरीदने से पहले ज़रूर जान लें ये 7 ज़रूरी बातें, वरना हो सकता है नुकसान
Geyser Buying Guide सर्दी में गीजर खरीदने की सोच रहे हैं? खरीदने से पहले ज़रूर जान लें ये 7 ज़रूरी बातें, वरना हो सकता है नुकसान
Geyser Buying Guide सर्दियों में गीजर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें? जानिए सही साइज, पावर, टाइप और सेफ्टी फीचर्स के साथ गीजर खरीदने की पूरी जानकारी। सर्दियों में गर्म पानी के लिए हर घर में जरूरी होता है गीजर। लेकिन गलत गीजर चुनने से बिजली बिल बढ़ सकता है और सुरक्षा जोखिम भी! जानिए सही गीजर खरीदने की पूरी गाइड।

Geyser Buying Guide Geyser Buying Guide सर्दियां आते ही गर्म पानी की जरूरत हर घर में बढ़ जाती है। चाहे सुबह का नहाना हो या रात का बर्तन धोना — गीजर (Water Heater) सर्द मौसम का सबसे जरूरी साथी बन जाता है। लेकिन बाजार में इतनी सारी कंपनियों और मॉडल्स के बीच सही गीजर चुनना आसान नहीं होता। अगर आप भी नया गीजर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इन ज़रूरी बातों का ध्यान रखना आपके लिए बेहद फायदेमंद रहेगा।
1. गीजर का प्रकार चुनें – Instant या Storage? Geyser Buying Guide
गीजर दो तरह के होते हैं – इंस्टेंट (Instant Geyser) और स्टोरेज (Storage Geyser)।
- इंस्टेंट गीजर छोटे परिवारों या किचन के लिए अच्छा रहता है, क्योंकि यह तुरंत पानी गर्म करता है।
- स्टोरेज गीजर बड़ी फैमिली के लिए बेहतर है, इसमें गर्म पानी कुछ समय तक स्टोर रहता है।
आपकी जरूरत और इस्तेमाल के हिसाब से सही प्रकार चुनें।
2. कितने लीटर का गीजर लें? (Capacity)
गीजर का साइज आपकी फैमिली और उपयोग पर निर्भर करता है।
- 1–2 लोगों के लिए: 6–10 लीटर
- 3–4 लोगों के लिए: 15–25 लीटर
- बड़ी फैमिली (5+ सदस्य): 25–35 लीटर
छोटा गीजर लगातार पानी नहीं देगा, और बहुत बड़ा गीजर बिजली की बर्बादी करेगा।
3. पावर कंजंप्शन पर ध्यान दें (Energy Efficiency)
गीजर जितनी बिजली बचाएगा, उतना ही आपके बिल में फर्क पड़ेगा।
BEE Star Rating वाले एनर्जी-एफिशिएंट गीजर खरीदें। 5-स्टार रेटिंग वाले मॉडल भले थोड़ा महंगे हों, लेकिन लंबी अवधि में बिजली की बचत करते हैं।4. टैंक की क्वालिटी और मैटेरियल देखें
गीजर का अंदरूनी टैंक स्टेनलेस स्टील या टाइटेनियम ग्लास लाइन कोटिंग वाला होना चाहिए। इससे पानी की क्वालिटी खराब नहीं होती और गीजर ज्यादा दिन चलता है।
हार्ड वॉटर वाले इलाकों में मैग्नीशियम एनोड रॉड वाला गीजर चुनें — यह टैंक को जंग से बचाता है।5. सेफ्टी फीचर्स सबसे जरूरी
सुरक्षा के मामले में कोई समझौता न करें। गीजर में थर्मोस्टेट, ऑटो कट-ऑफ, प्रेशर रिलीज वॉल्व और ओवरहीट प्रोटेक्शन जैसे फीचर्स जरूर होने चाहिए। ये न केवल आपको सुरक्षित रखते हैं बल्कि बिजली की भी बचत करते हैं।
6. ब्रांड और वारंटी जांचें Geyser Buying Guide
गीजर खरीदते समय विश्वसनीय ब्रांड जैसे Bajaj, Havells, AO Smith, Crompton, Racold या Venus चुनें।
कम से कम 2 से 5 साल की वारंटी देखें ताकि किसी तकनीकी खराबी पर सर्विस मिल सके।7. इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस पर ध्यान दें
गीजर को हमेशा प्रमाणित इलेक्ट्रिशियन से ही इंस्टॉल कराएँ।
हर 6 महीने में सर्विस करवाएँ और हार्ड वॉटर क्षेत्रों में डीस्केलिंग कराना न भूलें, ताकि हीटिंग एलिमेंट खराब न हो।बोनस टिप: Geyser Buying Guide
अगर आपके घर में सोलर पैनल लगे हैं, तो सोलर वॉटर हीटर एक बेहतरीन इको-फ्रेंडली विकल्प है। इससे बिजली बिल लगभग 70% तक कम हो सकता है।
गीजर खरीदना सिर्फ “ब्रांड” या “कीमत” का मामला नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा, ऊर्जा-बचत और दीर्घकालिक उपयोग से जुड़ा फैसला है। सही क्षमता, ऊर्जा रेटिंग और सुरक्षा फीचर्स के साथ चुना गया गीजर आने वाले कई सर्दियों तक आपका भरोसेमंद साथी साबित होगा।
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29 April 1946: जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल के बीच तय हुई भारत की आज़ादी की राह — कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर हुआ ऐतिहासिक मोड़
29 April 1946: जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल के बीच तय हुई भारत की आज़ादी की राह — कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर हुआ ऐतिहासिक मोड़
29 April 1946 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम मोड़ था, जब सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के बीच देश के भविष्य को लेकर एक निर्णायक चर्चा और राजनीतिक घटनाएँ हुईं। 29 अप्रैल 1946 — वह दिन जब सरदार पटेल कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सबसे क़रीब थे, पर महात्मा गांधी के एक संकेत पर नेहरू को मिला नेतृत्व। यह फैसला भारत की स्वतंत्रता की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।
29 April 1946 को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सरदार पटेल की जगह नेहरू के चयन ने भारत की आज़ादी की दिशा बदली। जानिए क्या हुआ था उस ऐतिहासिक दिन।

29 April 1946 भारत के स्वतंत्रता संग्राम की यात्रा में 29 अप्रैल 1946 एक ऐसा दिन है, जिसने देश की आज़ादी और विभाजन — दोनों की कहानी को दिशा दी। इस दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर एक बड़ा निर्णय लिया गया था — कौन बनेगा स्वतंत्र भारत का नेतृत्व करने वाला?
यह वही समय था जब ब्रिटिश सरकार ने भारत में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू की थी, और कांग्रेस के नेतृत्व को देश का भविष्य तय करना था।29 April 1946 कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव: गांधी का निर्णायक संकेत
1946 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। यह वही पद था, जिसे धारण करने वाला व्यक्ति भविष्य में भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने वाला था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार अंतरिम सरकार का गठन करने जा रही थी।
उस समय 15 प्रांतीय कांग्रेस समितियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम भेजे।
इनमें से 12 समितियों ने सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम प्रस्तावित किया,
जबकि जवाहरलाल नेहरू का नाम किसी एक भी प्रांतीय समिति ने नहीं भेजा।लेकिन कांग्रेस की परंपरा के अनुसार, अंतिम निर्णय महात्मा गांधी के सुझाव पर निर्भर करता था। गांधीजी ने नेहरू को बुलाया और उनसे पूछा कि क्या वे कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहेंगे। नेहरू ने साफ कहा कि वे केवल तभी काम करेंगे जब वे अध्यक्ष होंगे।
गांधीजी जानते थे कि नेहरू का व्यक्तित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली है, और वे ब्रिटिश नेताओं के साथ बातचीत में उपयोगी साबित होंगे। इसलिए, उन्होंने पटेल से कहा कि वे “नेहरू के लिए जगह छोड़ दें” — और सरदार पटेल ने बिना किसी विरोध के गांधीजी की इच्छा का सम्मान किया।
29 April 1946 परिणाम: देश की दिशा तय करने वाला फैसला
29 अप्रैल 1946 को आधिकारिक तौर पर नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, और सरदार पटेल ने अपने नामांकन वापस ले लिया। यह घटना केवल पार्टी का आंतरिक मामला नहीं थी, बल्कि भारत के भविष्य को निर्धारित करने वाला क्षण था।
अगर उस दिन पटेल अध्यक्ष बनते, तो संभव है कि देश का राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा कुछ अलग होता। पटेल का दृष्टिकोण व्यावहारिक और निर्णायक था, जबकि नेहरू का दृष्टिकोण अधिक आदर्शवादी और समाजवादी झुकाव वाला था।
इतिहासकारों का मानना है कि इस एक निर्णय ने आने वाले वर्षों में भारत की नीति, विभाजन की प्रक्रिया, और नेहरू-गांधी युग की राजनीतिक नींव रख दी।
गांधी, नेहरू और पटेल: मतभेद नहीं, दृष्टिकोण का अंतर
गांधीजी, नेहरू और पटेल — तीनों भारत की स्वतंत्रता के तीन स्तंभ थे। उनके विचार भिन्न थे, लेकिन उद्देश्य एक था — स्वतंत्र और एकजुट भारत।
पटेल ने कभी भी इस निर्णय पर सार्वजनिक आपत्ति नहीं की, बल्कि नेहरू के नेतृत्व में काम किया और बाद में गृह मंत्री बनकर देश की रियासतों को एकसूत्र में पिरोने का महान कार्य किया।29 अप्रैल 1946 का यह दिन केवल राजनीतिक तिथि नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक मोड़ था —
जिसने तय किया कि भारत का पहला प्रधानमंत्री कौन होगा,
और स्वतंत्र भारत का भविष्य किस दिशा में आगे बढ़ेगा।सरदार पटेल का त्याग, नेहरू का नेतृत्व और गांधीजी की दूरदर्शिता — इन तीनों के संतुलन ने भारत को आज़ादी की ओर अग्रसर किया।
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Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: जानिए क्यों हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है ‘राष्ट्र एकता दिवस’
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: जानिए क्यों हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है ‘राष्ट्र एकता दिवस’
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस। जानिए लौहपुरुष पटेल की वो उपलब्धियाँ जिन्होंने भारत को एक सूत्र में पिरोया। भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर देशभर में मनाया जाएगा राष्ट्रीय एकता दिवस। जानिए क्यों पटेल का योगदान आज भी देश की एकता की पहचान बना हुआ है।
हर साल 31 अक्टूबर को भारत में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को समर्पित है — वह महान नेता जिन्होंने आज़ाद भारत को एकजुट राष्ट्र के रूप में गढ़ने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। सरदार पटेल को भारत की एकता, अखंडता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक माना जाता है।
स्वतंत्र भारत के शिल्पकार

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वे एक वकील, स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे। अंग्रेजों के खिलाफ़ सत्याग्रह और असहयोग आंदोलनों में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही — देश की 562 रियासतों को एकजुट कर भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाना।
आज़ादी के बाद जब देश रियासतों में बँटा हुआ था, तब कई नवाब और राजा भारत में शामिल होने से हिचकिचा रहे थे। ऐसे समय में पटेल ने अपनी राजनीतिक बुद्धिमत्ता, दृढ़ इच्छा शक्ति और कूटनीति से लगभग सभी रियासतों को भारत में विलय करने में सफलता प्राप्त की। इसीलिए उन्हें “भारत का लौहपुरुष” (Iron Man of India) कहा गया।
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस?
सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसका उद्देश्य देश के नागरिकों में राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा के महत्व को दोहराना है।
इस दिन पूरे देश में एकता दौड़ (Run for Unity), रैलियाँ, भाषण, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सरकारी दफ्तरों और स्कूलों में लोग “मैं भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करता हूँ” की शपथ लेते हैं।

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ – श्रद्धांजलि का प्रतीक
2018 में गुजरात के केवड़िया में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया गया, जो सरदार पटेल की स्मृति में बनाई गई दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है।
182 मीटर ऊँची यह प्रतिमा न सिर्फ़ सरदार पटेल के योगदान को सम्मान देती है, बल्कि भारत की एकता और दृढ़ता का प्रतीक भी है। हर साल लाखों लोग यहां आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।आज के भारत में पटेल का महत्व Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti
वर्तमान समय में जब क्षेत्रीय, भाषाई और सामाजिक विविधताएँ बढ़ रही हैं, सरदार पटेल के विचार और उनकी एकता की भावना पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा था —
“हमारा देश केवल तभी महान बनेगा जब हम सब एक रहेंगे, एक सोचेंगे और एक दिशा में आगे बढ़ेंगे।”उनका यह संदेश आज भी भारत के हर नागरिक को जोड़ने की प्रेरणा देता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वे भारत के “संघर्ष और समरसता” के प्रतीक थे। उनकी जयंती हमें याद दिलाती है कि स्वतंत्रता की असली शक्ति एकता और अनुशासन में निहित है।
31 अक्टूबर का दिन इसलिए विशेष है क्योंकि यह हमें यह सिखाता है —
“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” केवल एक नारा नहीं, बल्कि सरदार पटेल की विरासत है।
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First Driverless Car भारत की पहली चालक रहित कार का अनावरण: IISc, विप्रो और RV कॉलेज ने मिलकर बनाया देश का ‘ड्राइवरलेस वंडर’
First Driverless Car भारत की पहली चालक रहित कार का अनावरण: IISc, विप्रो और RV कॉलेज ने मिलकर बनाया देश का ‘ड्राइवरलेस वंडर’
First Driverless Car बेंगलुरु में हुआ भारत की पहली स्वदेशी चालक रहित कार का अनावरण, IISc, विप्रो और आरवी कॉलेज की टीम ने किया कमाल — देश में ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी के नए युग की शुरुआत।
IISc, विप्रो और बेंगलुरु के RV कॉलेज ने मिलकर भारत की पहली चालक रहित कार लॉन्च की। जानिए कैसे बदलेगी यह तकनीक भारत का ट्रैफिक भविष्य।

First Driverless Car भारत ने ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और ऐतिहासिक कदम रखा है। बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), विप्रो लिमिटेड और आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की संयुक्त टीम ने देश की पहली स्वदेशी चालक रहित कार (Driverless Car) का अनावरण किया है। इस प्रोजेक्ट को “WIRIN – Wipro IISc Research and Innovation Network” के नाम से विकसित किया गया है।
यह कार पूरी तरह से भारत में डिजाइन और इंजीनियर की गई है। इसका उद्देश्य भारतीय सड़कों की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों — जैसे ट्रैफिक जाम, गड्ढे, अनियमित लेन सिस्टम और सड़क पर अचानक आने वाले पशुओं — को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित और स्मार्ट ड्राइविंग अनुभव प्रदान करना है।
First Driverless Car तकनीक में भारतीय दिमाग की जीत
WIRIN ड्राइवरलेस कार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और एडवांस्ड सेंसर तकनीक से लैस किया गया है। यह कार LiDAR सेंसर, कैमरा मॉड्यूल, GPS सिस्टम, और डीप न्यूरल नेटवर्क पर आधारित एल्गोरिद्म का उपयोग करती है। इसके जरिए वाहन सड़क की स्थिति, मोड़, ट्रैफिक लाइट और पैदल यात्रियों को स्वतः पहचान कर दिशा तय करता है।
इस परियोजना का प्रमुख लक्ष्य है – भारत में इंडिजिनस ऑटोनॉमस व्हीकल टेक्नोलॉजी का विकास और इसका स्थानीयकरण। जहां विदेशी कंपनियाँ जैसे टेस्ला, वेमो और गूगल अपनी सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक विदेशों में टेस्ट कर रही हैं, वहीं IISc और विप्रो का यह प्रयास पूरी तरह भारतीय सड़क-स्थितियों पर केंद्रित है।
First Driverless Car लॉन्च और प्रदर्शन
27 अक्टूबर 2025 को बेंगलुरु स्थित RV कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के कैंपस में इसका आधिकारिक अनावरण हुआ। इस मौके पर विप्रो के CTO और IISc के प्रोफेसर समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद थे। इस दौरान कार का लाइव डेमो भी दिया गया, जिसमें यह वाहन बिना किसी मानव चालक के निर्धारित मार्ग पर सफलतापूर्वक चला।
RV कॉलेज के छात्रों और शोधकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट में हार्डवेयर इंटीग्रेशन, नेविगेशन एल्गोरिद्म और सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विप्रो ने औद्योगिक समर्थन और प्रायोगिक संसाधन उपलब्ध कराए, जबकि IISc ने अनुसंधान, डिज़ाइन और परीक्षण चरण का नेतृत्व किया।
First Driverless Car भारत में ट्रांसपोर्ट का नया अध्याय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत में स्मार्ट मोबिलिटी के भविष्य को दिशा देगी। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है, बल्कि यातायात प्रणाली भी और अधिक संगठित हो सकती है।
हालांकि, अभी यह परियोजना परीक्षण चरण में है और व्यावसायिक उपयोग के लिए इसे मंजूरी मिलना बाकी है। लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले वर्षों में भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर एक नई तकनीकी क्रांति का साक्षी बनेगा।IISc, विप्रो और RV कॉलेज का यह संयुक्त प्रोजेक्ट दिखाता है कि भारत अब केवल तकनीकी उपभोक्ता नहीं बल्कि नवाचार का निर्माता (Innovator Nation) बन चुका है। यह ड्राइवरलेस कार “मेक इन इंडिया” की भावना का सच्चा उदाहरण है — जो आने वाले समय में देश की सड़कों पर एक स्मार्ट और सुरक्षित परिवहन प्रणाली की नींव रखेगी।
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Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?
Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?
कार्तिक पूर्णिमा 2025 कब मनाई जाएगी? 4 या 5 नवंबर में से कौन-सी तारीख सही है? पूजा का शुद्ध मुहूर्त, वैष्णव परंपरा में गंगा स्नान का महत्व, तुलसी एवं भगवान विष्णु की उपासना विधि — संपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें।

Kartik Purnima 2025 कार्तिक पूर्णिमा 2025 का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा, तुलसी माता की आरती, तथा गंगा स्नान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। विशेष रूप से गौतम और कश्यप गोत्र के लोग इस पूर्णिमा को अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
- तुलसी विवाह के बाद का सबसे पवित्र दिन
- धर्मसाधना, जप, दान और दीपदान का अत्यधिक फलदायी समय
- मान्यता है कि इस दिन की पूजा से अनंत पुण्यफल एवं पापों का क्षय होता है

Kartik Purnima 2025 कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (विस्तार से)
- सूर्योदय से पूर्व स्नान — सम्भव हो तो गंगा या तीर्थ स्थलों पर
- भगवान विष्णु / श्रीकृष्ण / दामोदर रूप में पूजा-अर्चना
- तुलसी माता को अश्वमेध मंत्र के साथ दीप अर्पित करें
- श्रद्धा के साथ दीपदान — विशेष रूप से नदी किनारे दीप प्रवाहित करें
- दक्षिणा/दान — वस्त्र, घी, तिल, सोना, अनाज, मिठाई आदि का दान
- संध्या आरती के साथ परिवार की समृद्धि हेतु प्रार्थना
Kartik Purnima 2025 प्रमुख मान्यताएँ
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन “दामोदर व्रत” करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है
- मान्यता है — “एक दीप प्रवाहित करने से लाखों पाप नष्ट होते हैं”
- व्यापारी समाज के लिए यह नये वर्ष की शुरुआत, बही-खाता या तिजोरी पूजन का शुभ समय होता है
देव दिवाली कब मनाई जाएगी एवं चंद्रमा को अर्घ्य कब दिया जाएगा?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दिवाली का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल देव पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है, जो शाम 05:15 बजे से 07:50 बजे तक रहेगा। यानी देव दिवाली समारोह के लिए लगभग ढाई घंटे का उत्तम समय उपलब्ध होगा।
चंद्रमा की पूजा के लिए शुभ चंद्रोदयर समय शाम 05:11 बजे का है।
Kartik Purnima 2025: 4 या 5 नवंबर?
धार्मिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा बुधवार, 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात्रि से प्रारंभ होगी, लेकिन उदय तिथि के अनुसार मुख्य पूजा एवं स्नान-दान का समय 5 नवंबर की प्रातः होगा।
शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर, रात 09:28 बजे (आंकलित)
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर, शाम 07:14 बजे (आंकलित)
- स्नान एवं दान के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
5 नवंबर, प्रातः 04:30 बजे से 08:30 बजे तक
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Chhath Mahaparv 2025 छठ मईया का महापर्व 2025 में कब मनाया जाएगा? पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त यहाँ
Chhath Mahaparv 2025 छठ मईया का महापर्व 2025 में कब मनाया जाएगा? पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त यहाँ
Chhath Mahaparv 2025 छठ पूजा 2025 की सटीक तिथि, सूर्योदय-सूर्यास्त समय, पूजा विधि और महत्त्व जानें। बिहार, यूपी और झारखंड का यह सबसे बड़ा पर्व कैसे मनाया जाता है — विस्तार से पढ़ें।
Chhath Mahaparv 2025 छठ पूजा 2025: तिथि, महत्त्व और पूजा विधि (600+ शब्दों का विस्तृत लेख)
छठ पूजा, जिसे बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और अब पूरे देश में अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना का सबसे बड़ा लोकपर्व है। यह पर्व पूरी तरह प्रकृति, शुद्धता और जीवन की ऊर्जा के प्रतीक सूर्य की आराधना को समर्पित है। 2025 में यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाएगा — जैसे हर वर्ष होता है।
छठ महापर्व अब सिर्फ बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा — यह आज राष्ट्रीय और वैश्विक आस्था का पर्व बन चुका है। परंपरागत रूप से यह पर्व निम्न प्रमुख क्षेत्रों में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है:

Chhath Mahaparv 2025 भारत के प्रमुख शहर जहाँ छठ सबसे बड़े स्तर पर मनाया जाता है:
- पटना (बिहार) – भारत का सबसे भव्य और विशाल छठ महापर्व यहीं आयोजित होता है (गंगा घाट)
- गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, समस्तीपुर, आरा, सीवान (बिहार)
- वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, मऊ, बलिया, देवरिया, गाज़ीपुर (पूर्वी उत्तर प्रदेश)
- झारखंड – रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर
- दिल्ली-NCR – यमुना घाटों पर लाखों श्रद्धालु जुटते हैं (कलिंदी कुंज, छठ घाट मयूर विहार)
- मुंबई – जुहू बीच, वर्सोवा, पवई लेक
- कोलकाता – हुगली नदी के घाटों पर बड़ी संख्या में भक्त
- सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा (गुजरात) – बिहारी प्रवासी समुदाय की बड़ी उपस्थिति
- पुणे, हैदराबाद, नागपुर, बेंगलुरु, चेन्नई – जहाँ भोजपुरी/मैथिली/मगही प्रवासी समुदाय बड़ी संख्या में है

भारत से बाहर जहाँ छठ मनाया जाता है:
- नेपाल (विशेषकर मधेश क्षेत्र एवं जनकपुर) || मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना – भोजपुरी मूल के प्रवासी देशों || USA, UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, UAE (दुबई/अबूधाबी) – प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा
छठ पूजा 2025 की प्रमुख तिथियाँ (Tentative):
- नहाय-खाय: 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
- खरना: 26 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- पहला अर्घ्य (संध्या अर्घ्य): 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- दूसरा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य): 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) — व्रत समाप्त
इन तारीखों की पुष्टि पंचांग और खगोल गणना के अनुसार होगी, लेकिन सामान्य रूप से दिवाली के छठे दिन यह पर्व संपन्न होता है।
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व
छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें कोई मूर्ति पूजा नहीं होती, न ही कोई भोग या विलासिता की सामग्री — केवल प्रकृति, अनुशासन, सूर्योपासना और आस्था। यह माना जाता है कि सूर्य ही जीवन ऊर्जा का मूल स्रोत है और छठ पर्व में व्यक्ति प्रकृति के साथ जुड़कर आत्मशुद्धि करता है।

Chhath Mahaparv 2025 लोक मान्यता है कि छठी मैया संतान सुख, आरोग्य, समृद्धि और परिवार की रक्षा का आशीर्वाद देती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, लेकिन आजकल पुरुष भी बड़ी संख्या में इस व्रत को करते हैं।
पूजा विधि और अनुष्ठान
- नहाय-खाय: व्रती शुद्ध स्नान कर सादा शाकाहारी भोजन करते हैं। घर को पूर्ण रूप से शुद्ध किया जाता है।
- खरना: सूर्यास्त के बाद व्रती गंगाजल मिश्रित चावल-गुड़ की खीर बनाते हैं और प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जल व्रत की शुरुआत करते हैं।
- संध्या अर्घ्य: नदी, तालाब या घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर कद्दू-भात, ठेकुआ, फल और गन्ने का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
- उषा अर्घ्य: अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, यहीं से व्रत पूर्ण होता है और प्रसाद वितरण किया जाता है।
इस पूरे पर्व में शुद्धता और अनुशासन सर्वोच्च होते हैं — स्टील, प्लास्टिक, नॉन-स्टिक बर्तनों तक का उपयोग वर्जित माना जाता है।
क्यों है छठ इतना विशेष?
यह एकमात्र पर्व है जिसमें डूबते और उगते दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 36 घंटे का निर्जल उपवास विश्व के सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। यह त्योहार घर की बजाय घाटों और नदियों पर सामूहिक रूप से मनाया जाता है — लोक जीवन की एक अद्भुत एकता के साथ। वैज्ञानिक आयुर्वेद के अनुसार यह ऋतु परिवर्तन के समय शरीर की आंतरिक ऊर्जा को पुनर्स्थापित करता है।
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Kurnool Kaveri Travels Fire : कुरनूल में दर्दनाक हादसा चलती बस में लगी भीषण आग, 15 की मौत की आशंका, कई घायल
Kurnool Kaveri Travels Fire : कुरनूल में दर्दनाक हादसा चलती बस में लगी भीषण आग, 15 की मौत की आशंका, कई घायल
Kurnool Kaveri Travels Fire : कुरनूल में दर्दनाक हादसा चलती बस में लगी भीषण आग, 15 की मौत की आशंका, कई घायल
आंध्र प्रदेश के कुरनूल में कावेरी ट्रैवल्स की बस आग में जलकर खाक। 15 यात्रियों की मौत की आशंका, 12 ने खिड़कियाँ तोड़कर बचाई जान। हादसे की जांच जारी। क्या ये पेट्रोल/डीजल के साथ एथनोल मिक्स करने की वजह से हो रहा है?
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले से एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही कावेरी ट्रैवल्स की एक निजी बस आज तड़के करीब 3 बजे भीषण हादसे की शिकार हो गई। यह घटना कुरनूल के चिन्नातेकुरु गाँव के पास हुई, जब बस की टक्कर एक दोपहिया वाहन से हो गई। टक्कर इतनी तेज़ थी कि देखते ही देखते बस में आग लग गई और पूरी बस कुछ ही मिनटों में आग के गोले में तब्दील हो गई।

Kurnool Kaveri Travels Fire बताया जा रहा है कि इस बस में कुल 42 से ज्यादा यात्री सवार थे। प्राथमिक जानकारी के अनुसार, कम से कम 15 यात्रियों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। यह संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि आग ने बस को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया था, जिससे कई यात्री बाहर निकल भी नहीं पाए। वहीं, करीब 12 यात्रियों ने साहस दिखाते हुए खिड़कियाँ तोड़कर किसी तरह अपनी जान बचाई। उन्होंने मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों की मदद से छलांग लगाई और बस की आग से बच निकले।
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। आग इतनी भीषण थी कि दमकल विभाग को आग पर काबू पाने में काफी समय लग गया। घटनास्थल से निकलने वाले धुएं और लपटों ने पूरे इलाके को दहला दिया। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चीख-पुकार और भगदड़ का माहौल बन गया था, और कुछ यात्री बस के अंदर फंस गए थे।

Kurnool Kaveri Travels Fire प्रशासन ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए पुलिस और फायर ब्रिगेड को मौके पर भेजा। फिलहाल घायलों को पास के कुरनूल सरकारी अस्पताल और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है, और डॉक्टर लगातार इलाज में जुटे हैं।
पहली जांच में सामने आया है कि बस की टक्कर सामने से आ रहे एक दोपहिया वाहन से हुई। टक्कर के बाद बस के फ्यूल टैंक में आग भड़क गई, जो कुछ ही सेकंड में पूरे वाहन में फैल गई। हादसे का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन पुलिस वाहन की स्पीड, ड्राइवर की लापरवाही या किसी तकनीकी खराबी के एंगल से भी जांच कर रही है।
फिलहाल इस हादसे को लेकर आंध्र प्रदेश सरकार ने संज्ञान लिया है और उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी मृतकों के परिवारों के लिए मुआवज़े की घोषणा जल्द करने के संकेत दिए हैं।
अधिक जानकारी और आधिकारिक पुष्टि की प्रतीक्षा जारी है।
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Lokpal in BMW लोकपाल ऐशो-आराम की गोद में? सरकारी भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था पर उठे सवाल
Lokpal in BMW लोकपाल ऐशो-आराम की गोद में? सरकारी भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था पर उठे सवाल
Lokpal in BMW जनता के लिए तत्पर रहने वाली लोकपाल संस्था खुद आलीशान सुविधाओं में? जांच एजेंसी की ऐशो-आराम वाली जीवनशैली पर उठे सवाल, पूरा सच यहाँ पढ़ें।
देश में भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करने और जन-सुनवाई आधारित शिकायतों को सख्ती से निपटाने के लिए गठित लोकपाल संस्था इन दिनों खुद चर्चा में है—वजह है उसका “रहना-सहना और सरकारी वैभव” पर सवाल उठना। लोकपाल को जनता के हितों की रक्षा करने वाला, निष्पक्ष एवं सादगीपूर्ण संस्थान माना जाता है, लेकिन हाल ही में सामने आई कुछ जानकारियों ने माहौल गर्म कर दिया है।

Lokpal in BMW सूत्रों के मुताबिक, लोकपाल कार्यालय को दिल्ली के प्रीमियम सरकारी बंगलों के समकक्ष सुविधाएँ मिली हुई हैं — पाँच सितारा स्तर का फर्निश्ड ऑफिस-स्पेस, imported फर्नीचर, व्यक्तिगत स्टाफ, बुलेटप्रूफ वाहन, VVIP सुरक्षा, और एक दर्जन से अधिक प्रशासनिक सहायकों की तैनाती। यह सब तब, जब आम नागरिकों की शिकायतें महीनों लंबित पड़ी रहती हैं और कई राज्यों से अभी तक पूरी क्षमताओं के साथ लोकायुक्त तक की नियुक्ति नहीं हो पाई।
प्रश्न यह भी उठा है Lokpal in BMW
क्या लोकपाल जैसे संस्थान के लिए सादगी, जवाबदेही और पारदर्शिता सर्वोच्च नहीं होनी चाहिए? क्योंकि इसी पहचान पर इसकी नैतिक ताकत खड़ी होती है। लेकिन जब कार्रवाई करने वाली संस्था खुद VIP संस्कृति जैसा व्यवहार करती हुई दिखे, तो आम जनता के मन में संशय स्वाभाविक है। आलोचक कहते हैं कि लोकपाल को सुविधाएँ मिलना गलत नहीं, लेकिन जब सुविधाएँ “ऐश” के रूप में दिखें और डिलीवरी “स्लो” तो छवि पर प्रश्न उठते ही हैं।
टीम के अधिकारियों ने दलील दी है कि उनके ऊपर जांच-कार्रवाई का दबाव, संवेदनशील मामलों की सुरक्षा और उच्च स्तर की confidentiality को देखते हुए यह स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल है। उनका कहना है कि “सुविधाओं से ईमानदारी तय नहीं होती, बल्कि परिणामों से होती है — और लोकपाल संस्थान अब तक कई बड़े भ्रष्टाचार मामलों की जांच शुरू कर चुका है।”
लेकिन नागरिक मंचों का तर्क है Lokpal in BMW
लोकपाल की गति और ग्राउंड रिपोर्टिंग अभी तक उतनी प्रभावी नहीं दिखी जितनी उम्मीद थी। खासकर राज्य स्तरीय लोकायुक्तों और केंद्रीय लोकपाल के बीच समन्वय की कमी का असर केस निपटान की गति पर पड़ा है। लोकपाल के पास हजारों शिकायतें लंबित बताई जा रहीं हैं, और उनमें से बड़ी संख्या preliminary जांच या scrutiny में ही अटकी हुई हैं।
सवाल यह नहीं कि लोकपाल को सुविधा क्यों मिली — सवाल यह है कि क्या ऐश की छाप इस संस्था की छवि को कमजोर कर रही है? क्या यह “जनता का प्रहरी” बन सका है या अभी भी “सरकारी club” बनने के खतरे में है?
आगे की राह यही बताती है
लोकपाल जैसी संस्था के लिए जनता के विश्वास से बड़ा कोई भी संसाधन नहीं। इसलिए जरूरत है transparency dashboards, लाइव केस स्टेटस, time-bound action reports और performance audit जैसी पहल की। तभी लोकपाल न केवल सत्ता के ऊपर निगरानी रख सकेगा, बल्कि जनता के दिलों में भी अपनी अपरिहार्य विश्वसनीयता बना सकेगा।
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Ethanol Alert यूरोपीय संघ इथेनॉल को कर सकता है ‘कैंसरकारक’ घोषित
Ethanol Alert यूरोपीय संघ इथेनॉल को कर सकता है ‘कैंसरकारक’ घोषित
Ethanol Alert EU की रिपोर्ट में इथेनॉल को संभावित कैंसरकारी और खतरनाक सैनिटाइज़र रसायन बताया गया। जानें क्या बदल सकता है नियम और इसका असर आम लोगों पर कैसा होगा।
कोविड-19 महामारी के दौरान जिस हैंड सैनिटाइज़र को हम सभी ने सुरक्षा का सबसे भरोसेमंद हथियार माना, अब उसी को लेकर यूरोपीय संघ (European Union) की एक नई रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इथेनॉल (Ethanol) — जो ज्यादातर हैंड सैनिटाइज़र्स में 60-80% तक पाया जाता है — को कैंसर पैदा करने वाले रसायन (Carcinogenic Substance) के रूप में क्लासिफाई किया जा सकता है।

Ethanol Alert क्या कहती है रिपोर्ट?
यूरोपीय संघ की European Chemicals Agency (ECHA) के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इथेनॉल की लंबे समय तक और अत्यधिक इनहेलेशन (सांसों के ज़रिए शरीर में जाना) कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।
यदि ये प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो इथेनॉल को आधिकारिक रूप से “Carcinogen Category 1” में रखा जा सकता है — यानी मनुष्यों में कैंसर पैदा करने वाला सिद्ध रसायन।
Ethanol Alert क्या हर इथेनॉल खतरनाक है?
जानकारों के अनुसार, खतरनाक प्रभाव शुद्धता (purity), exposure level और उपयोग की मात्रा पर निर्भर करता है।
- मेडिकल ग्रेड इथेनॉल को फिलहाल नियंत्रित रूप में सुरक्षित माना जाता है
- लेकिन कम गुणवत्ता वाले या दूषित इथेनॉल, खासकर मेथेनॉल से मिले हुए उत्पादों को बेहद खतरनाक माना जा रहा है
यहीं से हैंड सैनिटाइज़र को लेकर चिंता बढ़ती है — क्योंकि घरेलू व स्थानीय स्तर पर बने सस्ते सैनिटाइज़र में अक्सर अशुद्ध इथेनॉल का इस्तेमाल हो जाता है।
Ethanol Alert सैनिटाइज़र इस्तेमाल को लेकर उठे सवाल
- अगर EU इस वर्गीकरण को आधिकारिक रूप से लागू करता है, तो
- सैनिटाइज़र के फॉर्मूलेशन पर सख्त नियंत्रण लागू होगा
- मेडिकल उत्पादों पर नियम बदल सकते हैं
- कुछ प्रकार के सैनिटाइज़र बाज़ार से हटाए जा सकते हैं
- बच्चों, प्रेग्नेंट वुमन और संवेदनशील लोगों के लिए गाइडलाइन अपडेट होगी
विश्वभर में मचेगी हलचल
EU की रिपोर्ट का प्रभाव केमिकल, हेल्थकेयर और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री पर भारी हो सकता है।
भारत सहित कई देशों में इथेनॉल बेस्ड सैनिटाइज़र बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाते हैं, ऐसे में ग्लोबल गाइडलाइंस में बदलाव का असर बाज़ार और लोगों की जीवनशैली दोनों पर पड़ सकता है।क्या आम लोगों के लिए तुरंत खतरा है?
अभी के लिए विशेषज्ञों की सलाह है
- प्रमाणित ब्रांडेड सैनिटाइज़र ही इस्तेमाल करें | अनसर्टिफाइड, लोकल या बिना लेबल वाले प्रोडक्ट्स से बचें | बच्चों के हाथ में सैनिटाइज़र बार-बार न दें | जरूरत होने पर साबुन और पानी से हाथ धोना बेहतर विकल्प है
Zaherila Saanp क्या आप जानते हैं सांप के कितने दांत होते हैं? ये वीडियो आपकी सोच बदल देगा
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