Digital Arrest: मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन जिले में दो बैंग मैनेजर ठगी का शिकार हुए। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग का भय दिखाकर बदमाशों ने डिजिटल अरेस्ट करके ९० लाख ठग लिए। राज्य साइबर क्राइम अधिकारियों ने बताया कि लोगों को ठगी का शिकार बनाने के कारण क्या हैं?
मप्र में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट का अर्थ है किसी व्यक्ति को फोन या अन्य डिजिटल उपकरणों से इतना डराना कि वह कहीं भी बात नहीं कर सके। इस दौरान वह ठगी का शिकार बन जाए और साइबर फ्राड करने वालों को अपना पैसा दे। इंदौर समेत पूरी दुनिया में पिछले दो से तीन वर्षों में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। इस सप्ताह डिजिटल अरेस्ट के दो मामलों में अपराधियों ने इंदौर और उज्जैन में 90 लाख रुपए की चोरी की। दोनों मामलों में अपराध का पैटर्न समान था। ये फोन बहुत से लोगों को आ रहे हैं। पुलिस का दावा
Digital Arrest: उज्जैन में 50 लाख रुपये की ठगी
जालसाज़ों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर 65 वर्षीय रिटायर्ड बैंक अधिकारी राकेश कुमार जैन से 51 लाख रुपए से अधिक की ठगी की। आरोपियों ने उन्हें धन चोरी की धमकी दी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से डर भी व्यक्त किया। अधिकारी को गिरफ्तारी का डर दिखाकर दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट किया गया। फिर 50 लाख 71 हजार रुपए इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजे गए। शनिवार को माधव नगर थाने में एक वरिष्ठ रिटायर्ड अधिकारी ने धोखाधड़ी का शक व्यक्त किया है। राकेश कुमार जैन ने एसबीआई बैंक में मैनेजर पद से रिटायरमेंट ले लिया है। उनके साथ उनकी पत्नी रहती है। दो बेटे बाहर उज्जैन में काम करते हैं।
महालक्ष्मी नगर में रहने वाले राकेश कुमार गोयल, पूर्व बैंक अधिकारी, के साथ एक सनसनीखेज ठगी का मामला सामने आया है। डिजिटल गिरफ्तार करने का झांसा देकर बदमाशों ने उनसे 39.60 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस ने बताया कि मामला 11 जुलाई को दर्ज किया गया है। मुंबई के अंधेरी थाने के एक युवा व्यक्ति ने राकेश कुमार गोयल को फोन पर बताया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का वारंट जारी हुआ है।
अमर उजाला से बातचीत करते हुए राज्य सायबर सेल के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने बताया कि अभी तक डिजिटल अरेस्ट के तीन प्रमुख कारण सामने आए हैं। पहले डर, फिर लालच और फिर लापरवाही आते हैं। उन्होंने तीनों वजहों को भी विस्तार से बताया।
- डर: फोन आता है कि आपके बेटे को ड्रग्स के खिलाफ गिरफ्तार कर लिया गया है। TI आपसे बात करेगा। एक व्यक्ति फर्जी आईपी बनकर पैसे मांगता है। पैसे लोगों को भेजे जाते हैं।
- लालच: शेयर बाजार, क्रिप्टो करंसी आदि में निवेश करने के नाम पर लोगों को लालच दी जाती है। बताया गया है कि धन दोगुना होगा। लोग जानकारी के बिना पैसे खर्च करते हैं और फिर नुकसान होता है।
- अनियमितता आज भी लोग डिजिटल के बारे में बहुत कम जानते हैं। लोग आपके फोन का सही उपयोग नहीं जानते। लोग आपके आईडी पासवर्ड चुरा लेते हैं जब आप फोन का पूरा डाटा रखते हैं
जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2023 में दो लाख रुपये से अधिक के फ्राड के पच्चीस मामले दर्ज हुए हैं। इस साल भी 25 केस दर्ज किए गए हैं। राज्य सायबर सेल में दो लाख रुपये से अधिक के मामले हैं।
तुरंत शिकायत करने से धन मिलना चाहिए
जितेंद्र सिंह ने कहा कि तत्काल पुलिस शिकायत करने से धन वापस मिलने की उम्मीद है। अधिकांश मामलों में धन भारत के बैंक खाते में रहता है। पीड़ित को तुरंत शिकायत करने से पैसे को बैंक से बाहर करने से रोका जा सकता है।
Digital Arrest: ठगी से बचने के उपाय
1930 में ऐसी किसी भी घटना पर तुरंत संपर्क करें। यह राष्ट्रीय साइबर अपराध सहायता फोन नंबर है। बाद में नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करवाएं।
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Digital Arrest: जमापूंजी का एक कॉल, इंदौर-उज्जैन में ९० लाख की ठगी, बैंक मैनेजर का शिकार
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