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  • Vivek Oberoi ने साझा किया: कैसे दुबई शिफ्ट होने ने बनाया 1200 करोड़ रुपये का रियल एस्टेट साम्राज्य

    Vivek Oberoi ने साझा किया: कैसे दुबई शिफ्ट होने ने बनाया 1200 करोड़ रुपये का रियल एस्टेट साम्राज्य

    विवेक ओबेरॉय ने साझा किया: कैसे दुबई शिफ्ट होने ने बनाया 1200 करोड़ रुपये का रियल एस्टेट साम्राज्य

    विवेक ओबेरॉय, जिन्हें बॉलीवुड में उनकी रोमांटिक भूमिका साथिया (2002) के लिए याद किया जाता है, इस बार सुर्खियों में अपनी फ़िल्मी भूमिकाओं के बजाय व्यापारिक सफलता के कारण हैं। 48 वर्षीय अभिनेता ने कथित तौर पर 1200 करोड़ रुपये से अधिक का रियल एस्टेट पोर्टफोलियो तैयार किया है, एक ऐसा आंकड़ा जिसने प्रशंसा और चकित होने दोनों को जन्म दिया।

    Vivek Oberoi ऐश्वर्या राय से मिले तब से विवादों से घिरे रहे है। सलमान खान से पंगा ले लिया था।

    हाल ही में एक इंटरव्यू में, विवेक ने दुबई में शिफ्ट होने को अपनी उद्यमशीलता की यात्रा का निर्णायक मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि दुबई की संस्कृति और स्वतंत्रता ने उन्हें व्यावसायिक अवसरों का आदर्श मिश्रण प्रदान किया। “आपको पूरी आज़ादी है। बस स्थानीय कानूनों, रीति-रिवाजों और लोगों का सम्मान करें, और आपको कोई समस्या नहीं होगी। यह एक संघर्ष-मुक्त, सुकून भरा माहौल है जहाँ आप फल-फूल सकते हैं,” उन्होंने साझा किया।

    Vivek Oberoi
    Vivek Oberoi

    राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म कंपनी से बॉलीवुड में कदम रखने वाले विवेक ओबेरॉय, अनुभवी अभिनेता और व्यवसायी सुरेश ओबेरॉय के बेटे हैं। युवा, ओमकारा, और शूटआउट एट लोखंडवाला जैसी फिल्मों के लिए मशहूर होने के बावजूद, विवेक को लंबे समय से बिज़नेस का शौक रहा है। बताया जाता है कि शुरुआती निवेश के जरिए उन्होंने किशोरावस्था में ही अपनी पहली बड़ी सफलता हासिल कर ली थी।

    आज विवेक ओबेरॉय यूएई स्थित बीएनडब्ल्यू डेवलपमेंट्स के प्रमुख हैं, एक लग्ज़री रियल एस्टेट फर्म। फॉर्च्यून इंडिया के अनुसार, कंपनी की वर्तमान संपत्ति का मूल्यांकन लगभग 7 अरब अमेरिकी डॉलर है। विवेक का मानना है कि दुबई का स्वागतपूर्ण माहौल, सुरक्षा और व्यावसायिक स्वतंत्रता ने उनके व्यवसाय को फल-फूलने का मौका दिया, और अब यह उनके लिए ऐसा महसूस होता है जैसे यह उनका दूसरा घर हो।

    Vivek Oberoi Net Worth: विवेक ओबेरॉय, जिनकी नेटवर्थ 1200 करोड़ रुपये है, अब भारत छोड़कर दुबई में बस गए हैं. कोविड के दौरान शिफ्ट हुए विवेक को वहां का बिजनेस-फ्रेंडली माहौल इतना पसंद आया कि परिवार समेत वहीं रहने लगे. अब उनका बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है.

    विवेक ओबेरॉय का बिजनेस पोर्टफोलियो

    Vivek Oberoi
    Vivek Oberoi

    BNW Real Estate Developers: दुबई में BNW Real Estate Developers के नाम से विवेक ने रियल एस्टेट कंपनी शुरू की. आज यह लग्जरी प्रोजेक्ट्स में बड़ा नाम बन चुका है. इस कंपनी के बड़े प्रोजेक्ट्स में Taj Wellington Mews (Al Marjan Island) जैसे प्रीमियम प्रोजेक्ट शामिल हैं. वर्तमान में BNW 23 अल्ट्रा-लक्जरी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है, जिनकी कुल वैल्यू लगभग $7 बिलियन बताई जाती है.

    लैब-ग्रो डाइमंड ब्रांड Solitario: विवेक ने Solitario नाम से लैब-ग्रो डाइमंड ब्रांड लॉन्च किया. इसके पीछे उनका मकसद ‘रक्त हीरे’ (Blood Diamonds) के अवैध कारोबार के खिलाफ एक नैतिक स्टैंड लेना था. “Blood Diamond” फिल्म देखने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया.

    Rutland Square Spirits Ltd में निवेश: विवेक ने Rutland Square Spirits Ltd में भी निवेश किया है. उन्होंने इस जिन ब्रांड में 21% हिस्सेदारी खरीद ली है. कंपनी की वैल्यूएशन लगभग 30 मिलियन यूरो बताई जाती है.

    विवेक ओबेरॉय के द्वारा और अलग-अलग सेक्टर में निवेश

    • AgriTech कंपनी Agribid में स्ट्रैटेजिक रोल || EdTech स्टार्टअप iScholar में निवेश || वाहन सर्विस प्लेटफॉर्म ReadyAssist में भागीदारी || ग्लोबल ब्रांड एक्सीलरेटर Impresario Global में भी विवेक का योगदान है.

    The TAJ Story ताजमहल मंदिर था? परेश रावल का सनातन मिशन शुरू ट्रेलर ने मचा दी गरमी!

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  • The TAJ Story ताजमहल मंदिर था? परेश रावल का सनातन मिशन शुरू ट्रेलर ने मचा दी गरमी!

    The TAJ Story ताजमहल मंदिर था? परेश रावल का सनातन मिशन शुरू ट्रेलर ने मचा दी गरमी!

    The TAJ Story परेश रावल जल्द ही “द ताज स्टोरी” नाम की फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आएंगे और इसका ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है। सच कहें तो यह शायद साल का सबसे हाई-वोल्टेज ड्रामा है — लेकिन अच्छे तरीके से नहीं। यह एक कोर्टरूम बैटल की कहानी है जिसमें एक टूरिस्ट गाइड ताजमहल की असली “उत्पत्ति” की सच्चाई जानने के लिए कानूनी मोर्चा खोल देता है।

    टूर गाइड विष्णु दास के किरदार में परेश रावल वाकई दमदार लगते हैं — और यही इस ट्रेलर का सबसे मज़बूत पहलू भी है। बाकी कंटेंट ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी वायरल व्हाट्सएप यूनिवर्स से सीधे स्क्रिप्ट उठाकर अदालत में पेश कर दिया गया हो। पूरे ट्रेलर का नैरेटिव इस जुनून के इर्द-गिर्द घूमता है कि ताजमहल दरअसल एक मंदिर था। यह वही टोन है जो हाल ही में वायरल हुए उस इंस्टाग्राम रील की याद दिलाता है, जिसमें दावा किया गया था कि “सभी मुसलमान शूर्पणखा के वंशज हैं।”

    The TAJ Story क्या है फिल्म का प्लॉट

    The TAJ Story
    The TAJ Story

    ट्रेलर लगातार अदालत में तीखी बहस और भड़काऊ तर्कों का माहौल बनाता है — उदाहरण के तौर पर वो डायलॉग:
    “कहीं शाहजहाँ कन्फ्यूज तो नहीं था — मकबरा बनवाऊँ या मंदिर?”
    और सबसे विचित्र मोड़ तब आता है जब परेश रावल ताजमहल का “DNA टेस्ट” कराने का सुझाव दे डालते हैं, सिर्फ इसलिए कि उसकी आर्किटेक्चर में एक ‘कलश’ मौजूद है।

    ट्रेलर विजुअली और भावनात्मक रूप से असरदार ज़रूर दिखता है, लेकिन इसके संवाद जिस तरह राजनीतिक और धार्मिक बहस को हवा देते हैं, वह कई जगह अनावश्यक रूप से सनसनीखेज प्रतीत होता है। परेश रावल ने “ओह माय गॉड” में धर्म और तर्क का बेहद संतुलित चित्रण किया था — लेकिन “द ताज स्टोरी” उस रास्ते से हटकर बहुत अधिक उकसाने वाले नैरेटिव को चुनती दिखती है।

    The TAJ Story मज़बूत कलाकारों की टीम

    परेश रावल के साथ ज़ाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ और नमित दास जैसे मज़बूत कलाकारों की टीम होने के बावजूद, ट्रेलर एक गंभीर सामाजिक विमर्श से ज़्यादा हाइपरड्रामा पर जोर देता नज़र आता है। फिल्म खुद को इस सवाल के जरिए बहुत गहरे और बहादुर अंदाज़ में पेश करने की कोशिश करती है —
    “आज़ादी के 79 साल बाद भी, क्या हम अब भी बौद्धिक आतंकवाद के गुलाम हैं?”
    लेकिन स्क्रीन पर जो दिखता है, वह ज्यादा एक बिना आवश्यकता की उत्तेजना पैदा करने वाला बहस-केंद्रित तमाशा प्रतीत होता है।

    फिल्म 31 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है।
    यदि अभी तक ट्रेलर नहीं देखा है, तो उसे यहाँ देख सकते हैं।


    Baby Chopra Chadha परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा के घर गूँजी किलकारियां 19 अक्टूबर को नन्हे मेहमान का आगमन

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  • Saal Mubarak 2025: दिवाली के बाद क्यों मनाया जाता है नया वर्ष? जानिए इसका महत्व और परंपरा

    Saal Mubarak 2025: दिवाली के बाद क्यों मनाया जाता है नया वर्ष? जानिए इसका महत्व और परंपरा

    Saal Mubarak 2025 क्यों दिवाली के ठीक बाद मनाया जाता है? जानिए इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारी महत्व। गुजराती न्यू ईयर की परंपरा, पूजा-विधि और इससे जुड़ी मान्यताएँ विस्तार से।

    साल मुबारक 2025: क्यों मनाया जाता है दिवाली के बाद नया वर्ष?

    भारत एक विविधताओं से भरा देश है, जहां हर संस्कृति और समुदाय की अपनी अनूठी औऱ गहरी परंपराएँ हैं। इन्हीं में से एक है — दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला नया वर्ष, जिसे गुजराती समुदाय में “साल मुबारक” कहकर मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से गुजराती विक्रम संवत का पहला दिन माना जाता है, जिसे ‘Bestu Varas’ या ‘Nutan Varsh’ भी कहते हैं।

    साल मुबारक दिवाली के बाद ही क्यों?

    दिवाली की रात अमावस्या होती है जिसे अंत का प्रतीक माना जाता है — अंधकार का अंत। उसके अगले दिन कार्तिक महीने का पहला दिन शुभ आरंभ और प्रकाश की नई ऊर्जा का संकेत देता है। इसलिए इसे नए वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।

    Saal Mubarak 2025 धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

    • इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा राजा बलि को पाताल लोक भेजे जाने की कथा जुड़ी है।
    • व्यवसायी वर्ग के लिए यह दिन नए लेखा-जोखा (बही-खाते) शुरू करने का बेहद शुभ अवसर माना जाता है।
    • लोग एक-दूसरे से मिलकर कहते हैं — “साल मुबारक”, जिसका अर्थ है समृद्ध नया वर्ष
    Saal Mubarak 2025
    Saal Mubarak 2025

    घरों और दुकानों में क्या होता है विशेष?

    • सुबह-सुबह लक्ष्मी और गणेश की आरती करके नया वर्ष स्वागत किया जाता है।
    • व्यापारी नई बही (चोपड़ा) पूजन करते हैं – जिसे चोपड़ा पूजा कहते हैं।
    • रिश्तेदारों और ग्राहकों के यहां जाकर मिठाई, उपहार और शुभकामनाएं दी जाती हैं।
    • यह दिन सिर्फ त्यौहार नहीं, आर्थिक शुभारंभ और संबंधों की मजबूती का उत्सव है।

    साल मुबारक का संदेश

    दिवाली जहां अंधकार से प्रकाश की यात्रा है, वहीं साल मुबारक नए अवसर, नई शुरुआत और नई उम्मीदों की प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हर नया साल केवल कैलेंडर नहीं बदलता, बल्कि हमारे विचार, रिश्ते और कर्मों को भी नया रूप देता है।


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  • Diwali 2025 Laxmi Puja Muhurat: दिवाली पर दुकान, कारखाने और ऑफिस में लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ समय जानें

    Diwali 2025 Laxmi Puja Muhurat: दिवाली पर दुकान, कारखाने और ऑफिस में लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ समय जानें

    दिवाली 2025 पर व्यापारी, कारोबारी और ऑफिस मालिक लक्ष्मी पूजन कब करें? दुकान, फैक्ट्री और बिज़नेस प्लेस पर धनलक्ष्मी को प्रसन्न करने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष उपाय जानें — संपूर्ण जानकारी

    दिवाली 2025 का पर्व इस बार अत्यंत शुभ संयोग लेकर आ रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस से लेकर दीपावली तक लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है। लेकिन व्यापारियों, दुकान और फैक्ट्री मालिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यही होता है — “लक्ष्मी पूजन का सबसे सटीक और लाभदायक मुहूर्त कौन सा है?”

    दिवाली सिर्फ प्रकाश और खुशियों का त्योहार नहीं, बल्कि समृद्धि, धनवर्षा और व्यापार वृद्धि का आध्यात्मिक प्रवेश द्वार है। खासतौर पर दुकान, ऑफिस, गोदाम, शोरूम, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और कॉर्पोरेट स्पेस में यह पूजन एक बेहद शक्तिशाली ज्योतिषीय महत्व रखता है।

    दिवाली का महत्व

    दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक जीवनधारा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण अवसर है। इस पर्व के आते ही बाजारों में फिर से रौनक लौट आती है — छोटे दुकानदारों से लेकर बड़ी कंपनियों तक, सभी के लिए यह कमाई का स्वर्णिम समय माना जाता है। नए कपड़े, मिठाइयाँ, उपहार और सजावट की सामग्रियों की खरीद से हर घर में नए आरंभ और समृद्धि का संदेश गूंजता है।

    साथ ही, दिवाली सिर्फ रोशनी का उत्सव ही नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ने का भी पर्व है। इस समय लोग दूरियों को भुलाकर एक-दूसरे के साथ खुशी बाँटते हैं, पुरानी नाराज़गियाँ मिटाते हैं और नए विश्वास के साथ रिश्तों की नई शुरुआत करते हैं। यह त्योहार सामाजिक एकता, प्रेम, सद्भाव और समृद्धि का अद्वितीय प्रतीक है।

    Diwali 2025 Laxmi Puja Muhurat पूजन कैसे करें? (Business Focus Tips)

    • मुख्य द्वार पर कमलगट्टा और श्रीयंत्र रखें
    • कैश काउंटर / सेफ / अकाउंट रूम में लक्ष्मी-कुबेर की प्रतिमा रखें
    • पहली आरती धनलक्ष्मी को — दूसरी कार्यलक्ष्मी को (Business Success)
    • चांदी का सिक्का या नोट लक्ष्मी चरणों में रखकर पूरे वर्ष तिजोरी में रखें
    • ऑफिस/शॉप के सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर गुलाल या पीले फूल रखें — टेक्निकल ग्रोथ हेतु शुभ

    दिवाली 2025 — मुख्य लक्ष्मी पूजन तिथि

    तारीख: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 (अमावस्या तिथि)
    दिन: सोमवार (चंद्र और शिव योग का अद्भुत संयोग)
    तिथि शुरू: 20 अक्टूबर सुबह 06:11 AM से
    तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 04:28 AM तक

    व्यापारी वर्ग के लिए विशेष शुभ मुहूर्त Diwali 2025 Laxmi Puja Muhurat

    मुहूर्तसमय (भारतीय मानक समय)उपयोग के लिए उत्तम
    वृश्चिक लग्नशाम 06:59 PM से 08:47 PM तकदुकान, फैक्ट्री और बिज़नेस पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ
    प्रदोष काल + निशीथ काल07:11 PM से 10:55 PM तककॉर्पोरेट ऑफिस और बैंकिंग से जुड़े लोग
    सिंह लग्न (Optional)दोपहर 01:23 PM से 03:42 PM तकविशेष Corporate Puja या विदेशी क्लाइंट संबंधित बिज़नेस के लिए

    सबसे शक्तिशाली मुहूर्त: शाम 06:59 PM से 08:47 PM (वृश्चिक लग्न)
    यह मुहूर्त विशेषतः व्यापार, धन आगमन और फाइनेंशियल ग्रोथ के लिए उत्तम है।



    Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना सामान्य, पर भूखे डॉग्स को खाना खिलाना ‘समस्या’? समाज की सोच पर बड़ा सवाल

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  • Indian Fashion 14c to 21c भारतीय महिलाओं के फैशन का विकास: परंपरा से ग्लोबल ट्रेंड तक का अनोखा सफर

    Indian Fashion 14c to 21c भारतीय महिलाओं के फैशन का विकास: परंपरा से ग्लोबल ट्रेंड तक का अनोखा सफर

    भारतीय महिलाओं का फैशन कैसे घूंघट और साड़ी से शुरू होकर इंडो-वेस्टर्न और सस्टेनेबल फैशन तक पहुंचा? जानें इसका पूरा विकास — संस्कृति, सिनेमा और आधुनिक सोच के प्रभाव के साथ।

    Indian Fashion 14c to 21c भारतीय महिलाओं के फैशन का विकास

    भारतीय फैशन का इतिहास सिर्फ कपड़ों का नहीं, बल्कि संस्कृति, पहचान और स्वतंत्रता की सोच का भी विकास है। भारतीय महिलाओं का पहनावा समय के साथ समाज, सिनेमा और ग्लोबल exposure के प्रभाव से बदला है — लेकिन rooted हमेशा अपनी भारतीयता से ही रहा है

    प्राचीन और मध्यकालीन दौर

    भारत में महिलाओं का पारंपरिक पहनावा साड़ी, घूंघट और लहंगा-चोली था।

    • यह पहनावा सिर्फ सौंदर्य नहीं, संस्कार का प्रतीक माना जाता था । कपड़ों में अधिकतर कॉटन, सिल्क और हैंडवोवन फैब्रिक का उपयोग होता था। क्षेत्र के अनुसार स्टाइल बदलता था। बनारसी साड़ी, कांजीवरम, गोटा-पत्ती लहंगा, फुलकारी दुपट्टा आदि
    Indian Fashion 14c to 21c
    Indian Fashion 14c to 21c

    स्वतंत्रता आंदोलन और बदलाव की शुरुआत

    गांधी आंदोलन के समय खादी एक विचारधारा बनी। महिलाओं ने साड़ियाँ इस अंदाज़ में पहनना शुरू किया, जो आरामदायक और सादगीपूर्ण हो।

    • यहाँ से “simplicity is elegance” philosophy शुरू हुई
    • यह पहला मोड़ था, जब फैशन statement नहीं, expression बना

    60s–90s: बॉलीवुड का स्वर्ण युग

    Cinema ने फैशन को सीधे घर-घर पहुँचाया

    • मधुबाला और नरगिस ने grace और elegance को define किया
    • हेमा मालिनी, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित ने “बोल्ड लेकिन भारतीय” फैशन को रफ्तार दी
    • 90s में अर्जुन स्टाइल साड़ी, पतियाला सूट और शिफॉन साड़ी iconic बन गई

    2000s: Indo-Western का युग

    इस दौर ने पहली बार Fashion को “Global Language” बनाया

    • कुर्ती + जींस
    • अनारकली सूट
    • fusion शर्ट + शरारा
    • बेल्ट वाली साड़ी
    • crop टॉप + लहंगा

    Comfort + Glamour = New Indian Fashion Identity

    आज का दौर: स्वतंत्रता और Sustainability

    आज का Indian Women Fashion सबसे ज़्यादा inclusive & expressive है

    • साड़ी को Cape, Jacket और बेल्ट के साथ styling
    • Office + Festive दोनों के लिए wearable fashion
    • Zero Waste & Organic fashion का trend
    • Global runways पर भी Indian designers की धूम

    भारतीय महिलाओं का फैशन एक सफर है — घूंघट से Global Ramp तक, जहाँ हर दौर ने उसे और ज्यादा powerful और expressive बनाया। यह केवल कपड़ों का बदलाव नहीं, बल्कि महिलाओं की सोच और स्वतंत्रता का reflection है।



    Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना सामान्य, पर भूखे डॉग्स को खाना खिलाना ‘समस्या’? समाज की सोच पर बड़ा सवाल

    Kali Chaudas vs Narak Chaturdashi: क्या फर्क है इन दो त्योहारों में? जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    Karang Tel Diya करंज तेल के दीपक जलाने का विज्ञान और परंपरा

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  • Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना सामान्य, पर भूखे डॉग्स को खाना खिलाना ‘समस्या’? समाज की सोच पर बड़ा सवाल

    Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना सामान्य, पर भूखे डॉग्स को खाना खिलाना ‘समस्या’? समाज की सोच पर बड़ा सवाल

    Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना लोगों को मंजूर, लेकिन स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने पर आपत्ति क्यों उठती है? यह स्टोरी बताती है कि असली समस्या लोग नहीं, जागरूकता की कमी है। त्योहारों पर लोग खुले रोड पर पटाखे फोड़ते हैं, जो डॉग्स और जानवरों के लिए खतरनाक और डरावना होता है। लेकिन यही लोग सड़क पर जानवरों को खाना खिलाने पर आपत्ति करते हैं। क्यों?

    Say No To Patake Near Animals
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    दिवाली और दूसरे त्योहारों पर सड़कों पर पटाखे फोड़ना हमारे समाज में एक ‘मज़े का हिस्सा’ माना जाता है। भले ही उससे बुजुर्ग, बच्चे, मरीज और खासकर सड़क पर रहने वाले डॉग्स और जानवर डर के मारे कांपते हों, लेकिन बहुत से लोग इसे “कहां मना है? ये तो त्योहार है!” कहकर सही ठहराते हैं।

    दिवाली या किसी भी त्योहार पर सड़कों पर लोग पटाखे फोड़ते हैं — खुले रोड, गली, पार्किंग, यहां तक कि ट्रैफिक के बीच में भी। इसे “जश्न” का हिस्सा मान लिया जाता है। लेकिन जब कोई उसी सड़क पर किसी भूखे डॉग या स्ट्रे एनिमल को खाना खिलाता है, तो तुरंत कहा जाता है — “यह मत करो, दिक्कत होती है।”

    Say No To Patake Near Animals सवाल ये नहीं कि पटाखे फोड़ने दो या मत दो।
    सवाल ये है — इंसानियत कब allow होगी?

    लेकिन जब कोई इंसान उसी सड़क पर किसी भूखे डॉग को खाना खिलाने लगे, तो कुछ लोग तुरंत कह देते हैं —
    “सड़क पर मत खिलाओ, समस्या करते हो!”
    यही डबल स्टैंडर्ड आज ट्रेंडिंग बहस का विषय बन गया है।

    पटाखों का असर — सबसे ज्यादा डरते हैं जानवर

    पटाखे हम इंसानों के लिए मनोरंजन हो सकते हैं, लेकिन सड़क पर रहने वाले डॉग्स, बिल्लियों, गायों और पक्षियों के लिए यह सीधा डर, तनाव और खतरा है।

    • तेज धमाकों से उनकी सुनने की क्षमता permanent नुकसान तक पहुंच सकती है
    • कई डॉग्स भागते-भागते accident का शिकार हो जाते हैं
    • कुछ जानवर हार्ट अटैक तक से मर जाते हैं
    • बच्चे पटाखे मज़े से फोड़ रहे होते हैं — लेकिन डॉग्स उनकी जान बचाने के लिए छिप रहे होते हैं
    Say No To Patake Near Animals
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    यानि जश्न हमारे लिए, पर जानवरों के लिए यह डर, दर्द और survival का समय होता है।

    Say No To Patake Near Animals असल दिक्कत क्या है?

    सच ये है कि समस्या खाना खिलाने से नहीं, संवेदनशीलता की कमी से है।
    लोग पटाखे फोड़कर ध्वनि और वायु प्रदूषण फैला रहे हैं — कोई कुछ नहीं कहता।
    पर जब कोई भूखे जीव को खाना खिलाए, तो तुरंत कहा जाता है — “गंदगी होगी, डॉग एडिक्ट हो जाएंगे, बच्चे डरेंगे…”

    यानि Noise Pollution चलेगा, लेकिन Compassion नहीं?

    • भारत के Animal Welfare Laws के अनुसार सड़क किनारे जानवरों को खाना खिलाना कानूनी रूप से allowed है, जब तक आप ट्रैफिक को बाधित नहीं करते और सफाई का ध्यान रखते हैं।
    • Supreme Court ने भी साफ कहा है — “Feeding is an act of compassion, not crime.”

    लेकिन real problem यही नहीं है — लोग feeding को love नहीं, nuisance मानने लगे हैं।

    समस्या पटाखों की नहीं, feeding की भी नहीं —
    समस्या mindset की है।

    एक समाज का असली मापदंड यह नहीं कि वो त्योहार कैसे मनाता है —
    बल्कि यह कि वह कमज़ोरों को कितनी इज्जत और करुणा देता है।

    लेकिन खाना खिलाना समस्या क्यों?

    अक्सर लोग कहते हैं —
    “सड़क पर खाना मत खिलाओ, डॉग्स आदत बना लेंगे, बच्चों के पीछे भागेंगे…”

    लेकिन असलियत यह है कि जो डॉग नियमित और safe जगह पर खाना खाते हैं, वे ज्यादा शांत और friendly बन जाते हैं।
    समस्या feeding की नहीं, irresponsible feeding की है।
    तय टाइम || तय स्थान || साफ-सफाई के साथ

    यानी feeding से problem नहीं होती — ignorance से होती है।

    त्योहार खुशी का समय है — दर्द और डर फैलाने का नहीं।
    “Lights मनाओ — पर किसी जानवर की जिंदगी अंधेरे में मत डालो।”
    पटाखे फोड़ने में कोई बुराई नहीं — लेकिन जानवरों के पास, उनके ऊपर या उनके बीच में मत फोड़ो।
    और अगर कोई भूखे जानवर को खाना खिला रहा है — वो दुनिया बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है, परेशानी नहीं।



    Kali Chaudas vs Narak Chaturdashi: क्या फर्क है इन दो त्योहारों में? जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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  • Baby Chopra Chadha परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा के घर गूँजी किलकारियां 19 अक्टूबर को नन्हे मेहमान का आगमन

    Baby Chopra Chadha परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा के घर गूँजी किलकारियां 19 अक्टूबर को नन्हे मेहमान का आगमन

    Baby Chopra Chadha Bollywood और राजनीति की सबसे चर्चित जोड़ी, परिणीति चोपड़ा और आप नेता राघव चड्ढा, अब माता-पिता बन चुके हैं। 19 अक्टूबर की सुबह उनके घर नन्हे मेहमान का आगमन हुआ है, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़ आ चुकी है। दोनों की शादी पिछले साल राजस्थान के उदयपुर में रॉयल स्टाइल में हुई थी और तब से ही फैंस इस खुशखबरी का इंतज़ार कर रहे थे।

    कन्फर्मेशन सोशल मीडिया से नहीं, फैमिली सोर्स से
    हालांकि अभी तक दोनों ने Official announcement नहीं की है, लेकिन सबसे पहले यह गुड न्यूज़ फैमिली सूत्रों के हवाले से सामने आई — कि Parineeti ने मुंबई के Khar स्थित प्रीमियम हॉस्पिटल में healthy baby को जन्म दिया है। हॉस्पिटल स्टाफ ने भी media speculation को नकारा नहीं है।

    It’s a Boy or Girl? Fans on Fire!
    सोशल मीडिया पर अभी तक यह officially reveal नहीं हुआ है कि baby boy है या baby girl, लेकिन फैंस ने #BabyChopraChadha और #RoyalBaby ट्रेंड करना शुरू कर दिया है। कई फैंस इसे literally “Bollywood meets Parliament historic moment” बता रहे हैं।

    Baby Chopra Chadha
    Baby Chopra Chadha

    Bollywood Reacts
    जानकारी के मुताबिक, करीबी दोस्त प्रियंका चोपड़ा, अर्जुन कपूर, आयुष्मान खुराना सहित कई बॉलीवुड हस्तियों ने immediate शुभकामनाएं भेजी हैं। प्रियंका की ओर से कहा गया — “My little Mimi is now a Mom — so proud and emotional moment for the family!”

    Political World भी खुश
    आप पार्टी की ओर से official note जल्द जारी होने की उम्मीद है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राघव चड्ढा बेहद emotional हुए और उन्होंने कहा —
    “This is the most special day of my life. Grateful to Waheguru.”



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  • BRAHMOS Missile: भारत का सबसे घातक सुपरसोनिक हथियार फिर बना चर्चा का केंद्र

    BRAHMOS Missile: भारत का सबसे घातक सुपरसोनिक हथियार फिर बना चर्चा का केंद्र

    BRAHMOS Missile: भारत का सबसे घातक सुपरसोनिक हथियार फिर बना चर्चा का केंद्र — Global Demand बढ़ी, Defence Deals पर दुनिया की नज़र BRAHMOS Missile: भारत का सुपरसोनिक खौफ, 1500 km रेंज वाले अपग्रेड से दहल गई दुनिया

    BRAHMOS Missile को लेकर अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी बढ़ी, भारत-रूस संयुक्त तकनीक से बना ये सुपरसोनिक हथियार अब कई देशों की पहली पसंद। जानें ब्रह्मोस की खासियत, रेंज, और गेम-चेंजर स्ट्रैटेजिक महत्व। BrahMos Supersonic Missile को भारत ने 1500 km रेंज वाले नए अपग्रेड के साथ किया और भी घातक। जानें इसकी ताकत, दुनिया की प्रतिक्रिया और why it’s trending globally.

    BRAHMOS Missile
    BRAHMOS Missile

    भारत की सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल BRAHMOS एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। वजह साफ है — Global Military Powers अब openly interest दिखा रही हैं इस lethal precision weapon में, जिसे Indian Armed Forces ने कई strategic borders पर तैनात कर रखा है। भारत और रूस की संयुक्त तकनीक से बनी यह missile सिस्टम आज दुनिया की fastest operational cruise missile मानी जाती है।

    BrahMos Missile — दुनिया की सबसे fast supersonic cruise missile — एक बार फिर global spotlight में है। वजह है इसका नया 1500 km extended range version, जिसे भारत ने secretly टेस्ट करके अब officially showcase करना शुरू कर दिया है। पहले इसकी रेंज 290 km से लेकर 500 km तक थी, लेकिन अब यह direct Middle East से लेकर South China Sea तक multiple geographies को cover करने में सक्षम है।

    BrahMos क्या है?

    BrahMos भारत और रूस की joint venture missile है, जिसका नाम दो नदियों — Brahmaputra और Moskva — से लिया गया है। यह एक supersonic (Mach 3.0 speed) missile है जो cruise missile category में दुनिया की सबसे deadly और तेज़ गिनी जाती है

    क्यूं डर रही दुनिया?

    • रेंज अब 500 km से बढ़कर 1500 km+
    • sea, land और air — तीनों platform से launch ready
    • Pinpoint accuracy — 1 meter CEP
    • Hypersonic tech पर future development already on track
    • India विदेशी देशों को export deal भी कर रहा है — फिलीपींस को पहली shipment मिल चुकी है

    Strategic Message to China & Pakistan BRAHMOS Missile
    BrahMos की अपग्रेड रेंज का सीधा military impact यह है कि India अब सिर्फ border defence नहीं, बल्कि deep strike capability हासिल कर रहा है। China के sensitive naval और airbase अब इस reach के अंदर आ चुके हैं। Pakistan के almost हर major city तक पहुंच नामुमकिन नहीं रहा।

    माननीय रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh और उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री @myogiadityanath ने संयुक्त रूप से लखनऊ स्थित #BrahMos एयरोस्पेस यूनिट में निर्मित @BrahMosMissile के पहले बैच को हरी झंडी दिखाई। यह आयोजन उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे (#UPDIC) के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और #रक्षा निर्माण में #आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

    अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया?

    वैश्विक रक्षा विशेषज्ञ इसे ‘भारत का अंतिम निवारक हथियार’ कह रहे हैं। अमेरिका और जापान खुले तौर पर ब्रह्मोस का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि यह हिंद-प्रशांत सुरक्षा ढांचे को एक नया आकार देता है। चीनी मीडिया ने इसे खुले तौर पर “खतरनाक वृद्धि” बताया है।

    सैन्य विश्लेषक इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत रक्षात्मक रुख से सक्रिय रणनीतिक प्रभुत्व में बदल गया है। ब्रह्मोस केवल एक मिसाइल नहीं है – यह एक भू-राजनीतिक बयान है कि भारत अपनी सीमाओं से परे संचालन के लिए तैयार है, और खतरों को उभरने से पहले ही बेअसर कर सकता है।

    भविष्य की दृष्टि ब्रह्मोस-II: हाइपरसोनिक संस्करण विकासाधीन (मैक 7+) 5000 किमी का प्रोटोटाइप पहले से ही अनुसंधान एवं विकास योजनाओं में है भारतीय नौसेना और वायु सेना दोनों ही तैनाती का आक्रामक रूप से विस्तार कर रही हैं



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  • Bihar Election 2025: सीटों पर जम रही सियासत की बिसात, गठबंधन बदलेंगे समीकरण चुनावी माहौल हुआ गर्म

    Bihar Election 2025: सीटों पर जम रही सियासत की बिसात, गठबंधन बदलेंगे समीकरण चुनावी माहौल हुआ गर्म

    Bihar Election 2025 में NDA, INDIA Bloc और क्षेत्रीय दलों के बीच सीट शेयरिंग व उम्मीदवारों पर तेज़ हलचल। जानें कौन सी सीट पर किसकी दावेदारी मज़बूत है और जनता का मूड किस ओर झुक रहा है। हिंदी+English में पढ़ें फुल स्टोरी।

    Bihar Election 2025 का चुनावी माहौल अब आधिकारिक रूप से गर्म हो चुका है। पटना से लेकर गाँवों की गलियों तक सिर्फ एक ही चर्चा — किसकी सरकार बनेगी इस बार? NDA, INDIA Bloc और LJP जैसे क्षेत्रीय दलों ने जमीनी तैयारी तेज़ कर दी है। रणनीति पूरी तरह सीट-to-seat तैयार की जा रही है क्योंकि इस बार चुनाव सिर्फ विकास बनाम जातीय समीकरण नहीं, बल्की नेतृत्व और भरोसे की लड़ाई भी है।

    Seat Sharing का बड़ा गेम
    NDA में BJP और JDU के बीच पिछले चुनाव का फॉर्मूला आगे भी लागू रहेगा या बदलाव होगा — इस पर अब तक suspense कायम है। उधर INDIA Bloc में RJD, Congress और Left पार्टियों के बीच कुछ सीटों को लेकर ठनाव की खबरें लीक होने लगी हैं। लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान खुले तौर पर कह चुके हैं — “हम सिर्फ symbolic partner नहीं बनेंगे, हमारी हिस्सेदारी power-centric होगी।”
    यानी message साफ है — 2025 में हर सीट के पीछे bargaining maximum है।

    क्या नीतीश कुमार फिर से power में आएंगे?
    क्या तेजस्वी यादव इस बार पहली बार पूर्ण बहुमत की ओर बढ़ेंगे?
    या चिराग पासवान “game-changer” बनेंगे?

    Bihar Election 2025 Ground पर जनता की राय
    Bihar की जनता इस बार पूरी तरह practical mood में लग रही है।

    • Young voters job और migration को चेहरा देख कर नहीं, performance देख कर वोट देना चाहते हैं
    • महिलाएं सुरक्षा और महंगाई पर सीधा सवाल उठा रही हैं
    • गाँवों में अभी भी caste factor पूरी तरह strong है, लेकिन narrative बदल रहा है — “kaam kisne kiya?”

    NDA vs INDIA Bloc: कौन आगे?

    अभी तक के शब्दों में कहें तो NDA का रसूख सरकार में होने की वजह से strong दिखाई देता है, लेकिन तेजस्वी यादव ground connect में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। वहीं चिराग पासवान youth face के तौर पर एक silent लेकिन solid factor बनकर उभर रहे हैं।

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि 2025 का बिहार चुनाव एकतरफ़ा नहीं होगा। पहली बार, मतदान मनोविज्ञान विशुद्ध जातिगत विभाजन से हटकर परिणाम-उन्मुख शासन की बहस की ओर बढ़ता दिख रहा है। ग्रामीण क्षेत्र अभी भी विभाजित है, लेकिन शहरी और युवा मतदाता रोज़गार, निवेश और बुनियादी ढाँचे की माँग पहले से कहीं ज़्यादा ज़ोर-शोर से कर रहे हैं।


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