Guru Purnima:

Guru Purnima: हिंदू-मुस्लिम मिलकर गुरुपूजन करते हैं, नीम वाले बाबा की दरगाह में शंख-झालर गूंजते हैं

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Guru Purnima: हिंदू-मुस्लिम मिलकर गुरुपूजन करते हैं, नीम वाले बाबा की दरगाह में शंख-झालर गूंजते हैंहिन्दू और मुस्लिम दोनों अपने गुरु को दमोह में नीम वाले बाबा की दरगाह पर पूजते हैं। यहां झालर और शंख की आवाज दूर से सुनाई देती है। इस स्थान पर हिंदू और मुस्लिम लोगों ने एकता का उदाहरण दिया है।

दमोह जिले के हटा ब्लॉक में Guru Purnima: पर्व एक अलग तरह से मनाया जाता है। यहीं नातो सलाम पेश किए जाते हैं, सैयद नीम वाले बाबा की दरगाह पर शंख और झालर की गूंज सुनाई देती है। हिंदू और मुस्लिम दोनों यहां एक साथ गुरु पूजन करते हैं।

यह कहा जाता है कि गुरु हमेशा जोड़ने का काम करते हैं। वे जाति और धर्म को छोड़कर लोगों को एक सूत्र में पिरोते हैं। दमोह जिले के हटा ब्लॉक में भी गुरु-शिष्य की परंपरा का पालन हो रहा है। जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों अपने गुरु को नीम वाले बाबा की दरगाह पर पूजते हैं यहां झालर और शंख की आवाज दूर से सुनाई देती है। इस स्थान पर हिंदू और मुस्लिम लोगों ने एकता का उदाहरण दिया है।

दमोह जिला मुख्यालय से चालिस किलोमीटर दूर हटा के हजारी वार्ड में स्थित हजरत सैय्यद नीम वाले बाबा साहब की दरगाह पर आने वाले लोग बाबा को अपने गुरु के रूप में पूजते हैं, जिसे मुसलमान अल्लाह के वली ओलिया के रूप में मानते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन दरगाह पर घंटी और शंख का नाद एक साथ बजते हैं, जबकि नात सलाम कुरान की आयतें भी बजती हैं। फिर चैन और अमन की मांग की जाती है। गुरुपूर्णिमा पर बाबा को अपना गुरु मानकर दरगाह को दूध, गंगाजल, शहद और दही से स्नान कराकर चन्दन लगाया जाता है। फिर अगरबत्ती की धूनी, इत्र और लोभान लगाकर नवीन कपड़े पहनाए जाते हैं। धरती पर मंगल

Guru Purnima: हिंदू-मुस्लिम मिलकर गुरुपूजन करते हैं, नीम वाले बाबा की दरगाह में शंख-झालर गूंजते हैं60 वर्षों से जारी परंपरा

दरगाह पर मंगल कलश, सजे वंदनवार, रंगोली और दीप जलाया जाता है। हिन्दू परंपरा के अनुसार, इस अवसर पर बाबा के चाहने वाले भक्तों द्वारा अपने गुरु की मंगल आरती, भजन कीर्तन, शंख व घंटा बजाकर गुरु का पूजन किया जाता है। मुस्लिमों ने फिर नातो सलाम पेश कर फातिहा पढ़ी और सबके लिए अमन चैन की दुआ मांगी। साथ ही आम भंडारे और मालपुआ का वितरण किया जाता है। श्रद्धालुओं ने बताया कि वे बाबा साहब को गुरु मानते हैं। यहां हर वर्ष गुरुपूर्णिमा पर मिलाद पूजा अर्चना, आरती भंडारे और अन्य कई कार्यक्रम होते हैं।

Guru Purnima: हिंदू-मुस्लिम मिलकर गुरुपूजन करते हैं, नीम वाले बाबा की दरगाह में शंख-झालर गूंजते हैं

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