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Haryana: लोकसभा चुनाव के नतीजों से विधानसभा चुनाव का भविष्य निर्धारित होगा, कई दिग्गजों की साख दांव पर है

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Haryana: अक्तूबर में हरियाणा में चुनाव होने हैं। 15 सितंबर से पहले चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। राजनीतिक दल इसलिए अभी से तैयार हो जाएंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे, स्थानीय नेतृत्व और जातीय समीकरण बहुत महत्वपूर्ण हैं।

लोकसभा चुनावों के नतीजों से हरियाणा में इस साल के अंतिम विधानसभा चुनाव की बिसात तय होगी। नए राजनीतिक समीकरण का आधार चार जून को ही पड़ेगा, चाहे जो भी हो।

चुनाव परिणामों से यह भी पता चल सकता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कौन विजयी होगा। पांच महीने बाद, अधिक सीटें लेने वाले व्यक्ति को लाभ जरूर मिलेगा। यह चुनाव भी सीएम नायब सिंह सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अभय चौटाला, कुमारी सैलजा और दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक भाग्य निर्धारित करेगा। अक्तूबर में राज्य में चुनाव होने हैं।

15 सितंबर से पहले चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। राजनीतिक दल इसलिए अभी से तैयार हो जाएंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे, स्थानीय नेतृत्व और जातीय समीकरण बहुत महत्वपूर्ण हैं। राज्य भी इस बारे में बहुत जागरूक है। उन्हें राज्य और केंद्र सरकार में किसे चुनना चाहिए पता है।

Haryana: भाजपा को विधानसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन दोहराना बड़ी चुनौती होगी, हालांकि भाजपा को लोकसभा में मिलने वाले वोट विधानसभा में नहीं मिलते हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में उसे बहुत अधिक वोट मिले, लेकिन विधानसभा चुनावों में वह वोट नहीं मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 34.8% वोट प्राप्त किए। वहीं, कुछ समय बाद हुए विधानसभा चुनाव में वह अपना वोट खो बैठा। भाजपा ने ३३ प्रतिशत वोट पाए और बहुमत भी हासिल किया।

Haryana: 2019 का ट्रेंड भी ऐसा ही था। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 58% वोट प्राप्त किए। वहीं, पांच महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में वोटों की मात्रा घटकर 36.7% हो गई। भाजपा को सरकार बनाने में भी कठिनाई हुई। भाजपा ने निर्दलीय विधायकों और जजपा के सहयोग से सरकार बनाई थी। भाजपा को विधानसभा चुनाव में कुछ चुनौती मिल सकती है अगर लोकसभा चुनाव में उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं मिलते हैं।

Haryana: कांग्रेस भी प्रभावित होगी

कांग्रेस और भाजपा दोनों चुनावों से प्रभावित होंगे। कांग्रेस पिछले दो बार से विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई है। गुटबाजी ने कांग्रेस को लक्ष्य से दूर कर दिया है। कांग्रेस को आगे बढ़ना मुश्किल होगा अगर उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं निकले। नतीजे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भविष्य को भी प्रभावित करेंगे। चार जून को आने वाले परिणामों से पता चलेगा कि क्या हुड्डा, जो दो बार सीएम रहे हैं, कांग्रेस के पक्ष में जाट वोट बैंक को बढ़ा सकते हैं और मोदी फैक्टर को नियंत्रित कर सकते हैं।

कांग्रेस में सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी के एसआरके गुट से भी हुड्डा को बचना होगा। कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में एसआरके गुट को लगभग दरकिनार कर दिया गया, हालांकि सैलजा को सिरसा से उम्मीदवार बनाया गया। वहीं, सिरसा से सैलजा की जीत से एसआरके गुट की शक्ति बढ़ेगी। क्योंकि हुड्डा गुट के सदस्य चुनाव प्रचार में नहीं पहुंचे थे।

Haryana: लोकसभा चुनाव के नतीजों से विधानसभा चुनाव का भविष्य निर्धारित होगा, कई दिग्गजों की साख दांव पर है

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