Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?
कार्तिक पूर्णिमा 2025 कब मनाई जाएगी? 4 या 5 नवंबर में से कौन-सी तारीख सही है? पूजा का शुद्ध मुहूर्त, वैष्णव परंपरा में गंगा स्नान का महत्व, तुलसी एवं भगवान विष्णु की उपासना विधि — संपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा, तुलसी माता की आरती, तथा गंगा स्नान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। विशेष रूप से गौतम और कश्यप गोत्र के लोग इस पूर्णिमा को अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
- तुलसी विवाह के बाद का सबसे पवित्र दिन
- धर्मसाधना, जप, दान और दीपदान का अत्यधिक फलदायी समय
- मान्यता है कि इस दिन की पूजा से अनंत पुण्यफल एवं पापों का क्षय होता है
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (विस्तार से)
- सूर्योदय से पूर्व स्नान — सम्भव हो तो गंगा या तीर्थ स्थलों पर
- भगवान विष्णु / श्रीकृष्ण / दामोदर रूप में पूजा-अर्चना
- तुलसी माता को अश्वमेध मंत्र के साथ दीप अर्पित करें
- श्रद्धा के साथ दीपदान — विशेष रूप से नदी किनारे दीप प्रवाहित करें
- दक्षिणा/दान — वस्त्र, घी, तिल, सोना, अनाज, मिठाई आदि का दान
- संध्या आरती के साथ परिवार की समृद्धि हेतु प्रार्थना
Kartik Purnima 2025 प्रमुख मान्यताएँ
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन “दामोदर व्रत” करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है
- मान्यता है — “एक दीप प्रवाहित करने से लाखों पाप नष्ट होते हैं”
- व्यापारी समाज के लिए यह नये वर्ष की शुरुआत, बही-खाता या तिजोरी पूजन का शुभ समय होता है
देव दिवाली कब मनाई जाएगी एवं चंद्रमा को अर्घ्य कब दिया जाएगा?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दिवाली का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल देव पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है, जो शाम 05:15 बजे से 07:50 बजे तक रहेगा। यानी देव दिवाली समारोह के लिए लगभग ढाई घंटे का उत्तम समय उपलब्ध होगा।
चंद्रमा की पूजा के लिए शुभ चंद्रोदयर समय शाम 05:11 बजे का है।
Kartik Purnima 2025: 4 या 5 नवंबर?
धार्मिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा बुधवार, 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात्रि से प्रारंभ होगी, लेकिन उदय तिथि के अनुसार मुख्य पूजा एवं स्नान-दान का समय 5 नवंबर की प्रातः होगा।
शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर, रात 09:28 बजे (आंकलित)
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर, शाम 07:14 बजे (आंकलित)
- स्नान एवं दान के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
5 नवंबर, प्रातः 04:30 बजे से 08:30 बजे तक
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