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Lucknow: इलाज के लिए एक बड़े अस्पताल ने आठ लाख रुपये मांगे, जबकि दूसरा अस्पताल ने 128 रुपये में ठीक कर दिया।

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Lucknow: परिजनों का कहना है कि मरीज को डराया गया था कि उसका वॉल्व खराब था। उसने यह भी कहा कि अगर आप जल्दी नहीं करते तो मरीज आधे घंटे में मर जाएगा। परिजनों ने असमर्थता जताई और दूसरे अस्पताल ले जाने लगे, तो डॉक्टरों और कर्मचारियों ने उनसे अभद्रता करने लगे।
मेदांता अस्पताल ने मरीज की जान को खतरा बताते हुए इलाज के लिए आठ लाख रुपये मांगे, लेकिन एक निजी अस्पताल ने उसे सिर्फ 128 रुपये की दवा देकर ठीक कर दिया। गैस की समस्या मरीज को थी। उधर, मरीज के डॉक्टरों ने मरीज के वॉल्व को बदलने की बात की।

Lucknow: तीमादारों का आरोप है कि जब उन्होंने मेदांता को अस्पताल में इलाज करवाने में असमर्थता जताई, तो उनसे दुर्व्यवहार किया गया। मरीज को बहुत मुश्किल से छोड़ दिया गया था। तीमारदार ने लिखित शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री से मेदांता अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। इसके बाद मामले की जांच करने का आदेश दिया गया है।

मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने लगे, क्योंकि परिजनों ने इलाज करवाने में असमर्थता जताई। डॉक्टर और कर्मचारी इससे भड़क गए और उनसे दुर्व्यवहार करने लगे। मरीज को बहुत देर की कठिनाई के बाद छोड़ दिया। दूसरे निजी अस्पताल में मरीज को गैस की समस्या को दूर करने के लिए दो इंजेक्शन और कुछ दवा दी गई। इसका मूल्य सिर्फ 128 रुपये था। मरीज को उसके स्वास्थ्य में सुधार होने पर छुट्टी दी गई।

Lucknow: हमने तो त्वरित इलाज दिया…

मेदांता हॉस्पिटल के अधीक्षक ने बताया कि मरीज चेस्ट दर्द से ओपीडी में आए थे। परीक्षण में उनके खून में ट्रोपोनिन आई की अधिक मात्रा पाई गई। पता चला कि उन्हें दिल की बीमारी है। ईसीजी ने दिल में ब्लाकेज की पुष्टि की। एंजियोग्राफी में एक नाड़ी में 100 प्रतिशत और दूसरी में 80 प्रतिशत ब्लॉकेज है। मरीज और उनकी पत्नी एंजिप्लास्टी के लिए तैयार नहीं थे। हॉस्पिटल छोड़ते वक्त पूरी जांच रिपोर्ट दी गई, जिसके रिकॉर्ड हैं। मरीज को कोई दुर्व्यवहार या दुर्व्यवहार नहीं हुआ। हमने तुरंत उपचार किया।

Lucknow: इलाज के लिए एक बड़े अस्पताल ने आठ लाख रुपये मांगे, जबकि दूसरा अस्पताल ने 128 रुपये में ठीक कर दिया।

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