Lucknow: हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने खूंखार आवारा कुत्तों के उत्पात के मामलों को सख्त संज्ञान लिया है। कोर्ट ने नगर निगम और अन्य संबंधित अफसरों को मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लखनऊ नगर निगम के वकील से पूछा कि आवारा कुत्तों के हमलों को रोका क्यों नहीं जा रहा है? इस समस्या को हल करने में क्या बाधा उत्पन्न हो रही है? आवारा कुत्तों की हिंसा को कम करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं? आए दिन आवारा कुत्तों के काटने की खबरों का स्वयं संज्ञान लेकर कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने के साथ ही लखनऊ नगर आयुक्त को मामले में पक्षकार बनाने का आदेश दिया।
Lucknow: 2023 के नियमों के तहत
Lucknow: यह आदेश स्वयं संज्ञान के मामले में न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने दिया। सुनवाई के दौरान वकीलों ने अखबारों में छपी खबरों को कोर्ट में पेश किया, जिसमें शहर के विकासनगर क्षेत्र में आवारा कुत्तों से बचकर भागने के फेर में दो बच्चों की मौत हो गई थी।
कोर्ट ने कुत्तों के काटने के बारे में अन्य प्रकाशित खबरों को भी देखा। उधर, नगर निगम के वकील ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2023 के नियमों के तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण की जा रही है।
Lucknow: कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि अगर कुत्ते टीकाकरण और नसबंदी के बाद भी लोगों को काट रहे हैं तो इसे रोकने के लिए क्या किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि संबंधित अफसरों को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए।
क्योंकि यह समस्या मानव जीवन को खतरे में डालता है कोर्ट ने कहा कि जहां आवारा कुत्ते जानलेवा हो रहे हैं और बच्चों को काट रहे हैं, हम इसे चुपचाप नहीं देख सकते। इस टिप्पणी के साथ, कोर्ट ने नगर निगम सहित अफसरों को मामले में कार्रवाई करने का आदेश देकर अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में रखी है।
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Lucknow: हाईकोर्ट पहुंचा लखनऊ के आवारा कुत्तों का मामला, हिंसक घटनाओं को देखते हुए दर्ज कराई पीआईएल
UP News : Lucknow में आवारा कुत्तों का आतंक, आखिर बच्चे की मौत का कौन है गुनहगार?