Medha Patkar: सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से बड़वानी और धार जिले के डूब प्रभावित हो रहे हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करने वाली मेधा पाटकर फिलहाल अनशन पर हैं। गुरुवार को उनकी हालत अचानक बिगड़ गई। मेधा पाटकर को जिला प्रशासन ने तुरंत चेकअप और जांच के लिए डॉक्टरों की एक टीम भेजा। डॉक्टरों की एक टीम ने अनशन स्थल पर मेधा पाटकर का चेकअप किया। उन्हें तबीयत बिगड़ने और शुगर लेवल कम होने के कारण उल्टियां होने लगीं।
डॉक्टर दिनेश नरगावे ने बताया कि मेधा पाटकर की तबीयत खराब हो गई है। छह लोगों की एक टीम अनशन स्थल पर चेकअप और जांच के लिए पहुंची। हमारे साथ वाहन चालक, स्टाफ नर्स, टेक्नीशियन, डॉक्टर और एएनएम थे। उनकी जांच रिपोर्ट आम है। भोजन नहीं करने से वे कमजोर हो गए हैं।
Medha Patkar: 16 हजार लोगों का पुनर्वास नहीं हुआ
Medha Patkar: पिछले छह दिनों से मेधा पाटकर बड़वानी और धार जिले के डूब प्रभावितों के साथ चिखल्दा में अनिश्चितकालीन उपवास कर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से बहुत से गांववासी प्रभावित हैं। गुरुवार सुबह, अनेक राजनीतिक दल और संगठनों के नेता अनशन स्थल पर पहुंचे।
मेधा पाटकर को हर कोई सहमत था। आंदोलन के प्रमुख मुकेश भगोरिया ने बताया कि पिछले साल मनावर विकासखंड के कई गांव नर्मदा नदी के बैक वाटर से डूब गए थे। एकलबारा, अछोदा, सेमल्दा, शरीकपुरा, बड़दा, मलनगांव, गोपालपुरा, कोठड़ा, रतवा, सामजीपुरा, गोगांवा सहित कई गांवों ने इससे प्रभावित हुआ था।
मुकेश भगोरिया ने बताया कि सरकार ने इन गांवों को नर्मदा नदी डूब क्षेत्र से बाहर कर दिया था। गत वर्ष बांध के पीछे से बहने वाले जल ने सात गांवों को बहुत नुकसान पहुँचाया, जिसमें करीब 150 पक्के-कच्चे घर गिरकर खंडहर बन गए। उनका कहना था कि इस घाटी में अभी तक 16 हजार लोगों का कानूनी रूप से पूरा पुनर्वास नहीं हुआ है, हालांकि 39 साल बीत चुके हैं।
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Medha Patkar: मेधा पाटकर की हालत खराब हो गई, बांध से प्रभावित 16 हजार ग्रामीण अनशन कर रहे हैं
मेधा पाटकर और सरदार सरोवर बांध से प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत