MP: एमपी हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजौरा और मलय श्रीवास्तव को नोटिस भेजा है जो आदेश का उल्लंघन करते हैं। 13 प्रतिशत ओबीसी कोटा वाले पदों पर नियुक्तियां रोकने का आदेश दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि जल संसाधन, पंचायत और पीएचई विभाग और एमपी हाउसिंग बोर्ड ने इस आदेश का उल्लंघन किया है।
एमपी हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कई वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस भेजा है। मामला 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति पर रोक के आदेश के बावजूद भी जारी है। अब पूरा मुद्दा चर्चा का विषय है।
यह याचिका उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी अनुभव सैनी ने की है। सैनी ने अपनी याचिका में बताया कि 1 अगस्त, 2022 को कर्मचारी चयन बोर्ड ने ग्रुप-3 में सब-इंजीनियर पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। 4 अगस्त, 2023 को, ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 13 प्रतिशत अतिरिक्त कोटा के प्रावधान के तहत विज्ञापित 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियों को रोकने का अंतरिम आदेश हाईकोर्ट ने दिया।
MP: याचिकाकर्ता का कहना
याचिकाकर्ता का दावा है कि हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य सरकार के सभी विभागों पर लागू होता है। हालाँकि, एमपी हाउसिंग बोर्ड, जल संसाधन, पंचायत और पीएचई विभाग ने हाईकोर्ट द्वारा रोके गए 13 प्रतिशत पदों पर नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं। याचिका में कहा गया है कि यह कोर्ट को बदनाम करता है। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजौरा और मलय श्रीवास्तव, पीएचई सचिव जे पी नरहरि, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता शिरीष मिश्रा और एमपीएचबी के MD चंद्रमौली शुक्ला को प्रतिवादी बनाया गया है।
MP: न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने प्रतिक्रिया मांगी
प्रारंभिक सुनवाई के बाद, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस भेजा है। याचिकाकर्ता के वकील अंशुल तिवारी ने बताया कि 4 अगस्त, 2023 को हाईकोर्ट ने ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 13 प्रतिशत अतिरिक्त कोटा के प्रावधान के तहत विज्ञापित 13 प्रतिशत अतिरिक्त पदों पर नियुक्तियों को रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया था।
Table of Contents
Rajasthan Vidhansabha Live : राजस्थान विधान सभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण | 11 July 2024
Discover more from VR News Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.