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Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) और भड़काऊ भाषण पर पांच वर्ष की सजा

Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप)

Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप)

मंगलवार को, संसद के शीतकालीन सत्र के बारहवीं दिन, गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किए तीन बिल के कारण 49 सांसदों का निलंबन हुआ, जो लोकसभा में विपक्ष के अब तक 95 सांसदों का निलंबन है। ऐसे में विपक्ष की सदन में शक्ति घटकर एक तिहाई रह गई है। इस बीच, केंद सरकार ने वर्तमान आपराधिक नियमों की जगह तीन नए भारतीय न्याय संहिता प्रस्तुत किए।Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में आपराधिक कानून संशोधन के तीन नए बिलों को प्रस्तुत किया। बुधवार को 2.30 बजे गृहमंत्री तीनों बिलों पर उत्तर देंगे।

भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, CrPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 हो गए। गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त में संसद के मानसून सत्र में इन विधेयकों को लोकसभा में प्रस्तुत किया था। संसदीय स्थायी समिति ने बाद में तीनों बिलों को रिव्यू के लिए भेजा। पिछले हफ्ते विधेयकों का नवीनतम संस्करण या तीन नए बिलों को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि आपराधिक कानूनों में सुधार करना इन महत्वपूर्ण विधेयकों का लक्ष्य है।

Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) और दुसरे कानून में क्या बदलाव होंगे?


वर्तमान में IPC में 511 धाराएं हैं। भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद इसमें कुल 356 धाराएं रहेंगी। यानी 175 धाराएं परिवर्तित होंगी। भारतीय न्याय संहिता में 22 धाराएं हटाई गईं और 8 नई जोड़ी गईं। CrPC में भी 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराएं बदल जाएंगी, 9 नई जोड़े जाएंगे और 9 खत्म हो जाएंगे। पहले नहीं था, सुनवाई तक पूछताछ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जाएगी।

अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला कम से कम 3 साल के भीतर देना होगा. यह सबसे बड़ा बदलाव है। देश में 5 करोड़ केस अदालत में हैं। 4.44 करोड़ मामले इनमें से ट्रायल कोर्ट में हैं। यही नहीं, जिला अदालतों में 5,850 जज पदों में से 25,042 खाली हैं।

भड़काऊ भाषण पर पांच वर्ष की सजा भड़काऊ भाषण और भड़काऊ भाषण दोनों को अपराध के दायरे में लाया गया है। ऐसा बोलना तीन साल की सजा होगी। इसके साथ दंड भी होगा। भाषण धर्म या वर्ग के खिलाफ होने पर पांच वर्ष की सजा होती है।

Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप)

Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) दोषी गैंगरेप को आजीवन कारावास


गैंगरेप के दोषियों को नए बिल के तहत २० वर्ष की सजा या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। दोषी को मृत्युदंड देने का प्रावधान है अगर वह 18 साल से कम उम्र की बच्ची( Nabalig Gangrape )के साथ ऐसा करता है। Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) में यह एक अहम् मुद्दा है.क्या अभी भी Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) आरोपी सजा से बच पाएंगे? अमित शाह द्वारा Nabalig Gangrape (नाबालिग से गैंगरेप) वाले मुजरिम को अच पकड़ में लिया गया है.

जब पांच या इससे ज्यादा लोगों का समूह किसी व्यक्ति की जाति, समुदाय, भाषा और जेंडर के आधार पर हत्या करता है, तो हर दोषी को मौत या कारावास की सजा दी जाएगी. मॉब लिंचिंग पर सात साल की सजा दी जाएगी। साथ ही, इस मामले में दोषी को कम से कम सात वर्ष की सजा भी दी जा सकती है।

ट्रायल, भगौड़े देश में हों या नहीं, जारी रहेगा। उन्हें सुनेंगे और सजा दी जाएगी।

नए बिल में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है कि मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं अगर दोषी को मौत की सजा दी गई है।

यदि किसी मामले में संपत्ति की कुर्की की जरूरत होती है, तो कोर्ट करेगा, पुलिस का कोई अधिकारी नहीं।

2027 तक देश के सभी कोर्ट ऑनलाइन हो जाएंगे, जिससे आम लोगों को एक क्लिक पर मुकदमों की जानकारी मिल सकेगी।

जब कोई आरोपी गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे अपने परिवार को बताना अनिवार्य है। इतना ही नहीं, जांच पूरी करके 180 दिन के अंदर ट्रायल के लिए भेजना होगा।

किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ जारी ट्रायल का निर्णय 120 दिन में होना चाहिए। न्यायिक मामलों की गति बढ़ेगी।

अगर किसी मुकदमे में बहस खत्म हो चुकी है, तो कोर्ट को एक महीने में फैसला देना होगा। यह भी फैसले की तारीख के 7 दिन के अंदर इंटरनेट पर उपलब्ध कराना होगा।

बड़े और गंभीर अपराध से जुड़े मामले में पुलिस को तेजी से काम करना होगा, इसलिए चार्जशीट 90 दिन में फाइल होगी। चार्जशीट को 90 दिन के अंदर फाइल करना होगा। यदि कोर्ट इसे मंजूर करता है, तो समय नब्बे दिन तक बढ़ाया जा सकता है।

पीड़िता के बयान की रिकॉर्डिंग: अगर मामला यौन हिंसा से जुड़ा है, तो पीड़िता का बयान रिकॉर्ड किया जाएगा। यह जरूरी होगा

क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम आवश्यक: ऐसे अपराधों में 7 साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान है, उनमें फॉरेंसिक टीम की उपस्थिति अनिवार्य है।

यदि ब्लड सैम्पल लिया जाना है तो गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं होगी। आरोपी की हैंडराइटिंग, वॉयस या फिंगर प्रिंट के सैम्पल मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ले जा सकते हैं।

हर पुलिस स्टेशन और जिले में एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो अपराधियों का डिजिटल रिकॉर्ड रखेगा।

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