Nag Panchami:

Nag Panchami: बुंदेलखंड में रंग-बिरंगी गुड़िया पीटने की परंपरा, नाग पंचमी पर्व से जुड़ा इतिहास विलुप्त हो गया

Uttar Pradesh

Nag Panchami: देश के हर राज्य की वेशभूषा, भाषा और तीज त्यौहार बहुत अलग हैं। विभिन्नता के बावजूद, देश को एक सूत्र में पिरोता है एक समानता है। ऐसी ही विचित्र परंपरा, कपड़े से बनी गुड़िया को पीटने की, अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है।

बुंदेलखंड विविधतापूर्ण रिवाजों के लिए भी जाना जाता है। दिवारी नृत्य, आल्हा गायन, महाबुलिया और कजरी का त्योहार हर जगह उत्साह फैलाते हैं। नाग पंचमी भी ऐसा ही एक त्योहार है। इस उत्सव में चौरसिया समाज नागों की विशेष पूजा करता है। बालिकाएं भी रंगीन कपड़े की गुड़ियों को पीटकर बहुत खुश होती हैं।

Nag Panchami: गुड़िया नामक त्योहार

बुंदेलखंड में इस उत्सव को गुड़िया भी कहा जाता है। लड़कियां इस उत्सव पर चौराहे या तालाब किनारे रंग-बिरंगी गुड़िया लेकर निकलती हैं। जहां बालक डंडे से अपनी गुड़ियों को पीटकर बहुत खुश होते हैं यह खास परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन अब धीरे-धीरे गायब हो रही है।

बुंदेलखंड में नागपंचमी के दिन गुड़िया पीटने की अनोखी परंपरा निभाई जाती है, ऐसा पत्रकार संगीता सिंह ने बताया है। लड़कियां नागपंचमी के दिन घर के पुराने कपड़ों से रंग-बिरंगी गुड़िया बनाकर चौराहे पर रखती हैं। बच्चे इन गुड़िया को कोड़ों और डंडों से पीटते हैं।

Nag Panchami: महिला को श्राप मिला था

उसने बताया कि एक बार एक नाग ने गरुण से बचने के लिए एक महिला से कहा कि वह उसे कहीं छिपा ले। जिससे वह गुरु की क्रोध से बच सकता है। महिला ने गरुण को छिपा लिया, लेकिन वह नहीं रुकी। उसने दूसरों को भी बताया। यह सुनकर नागदेव क्रोधित हो गया और महिला को श्राप दिया कि साल में एक बार तुम सब पीटी जाओगी। यह प्रथा सदियों पुरानी है और आज भी एक उत्सव के रूप में मनाई जाती है।

Nag Panchami: यह कथा भी प्रचलित

हिन्दुओं का नागपंचमी एक प्रमुख त्योहार भी है, कहते हैं समाजसेवी कुलदीप शुक्ला। इसके बारे में कई लोकप्रिय कहानियां हैं।गुड़िया एक राजा की बेटी थी। वह एक अन्य राज्य के राजा के बेटे से प्यार करने लगती है। गुडिय़ा के भाइयों को दुश्मन राज्य के युवराज से प्रेम की बात स्वीकार नहीं होती, इसलिए उसे चौराहे पर पिटाई कर देते हैं।

चौराहे पर उसे इतना मारा जाता है कि वह मर जाती है। गुडिय़ा की मौत के बाद उसके सातों भाई लोगों को बताते हैं कि अगर कोई ऐसा कुछ करता है तो उसका हश्र भी ऐसा ही होगा। उस दिन से हर वर्ष यह परंपरा जारी रहती रही और चौराहों पर कपड़े की गुड़िया बनाकर पीटी जाने लगी।

Nag Panchami: बुंदेलखंड में रंग-बिरंगी गुड़िया पीटने की परंपरा, नाग पंचमी पर्व से जुड़ा इतिहास विलुप्त हो गया


नाग पंचमी पर गुड़िया क्यों पीटी जाती है । गुड़िया पीटने की परंपरा से जुड़ी कथा । nag panchami katha


Discover more from VR News Live

Subscribe to get the latest posts sent to your email.