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Punjab: पंजाब में 96 हजार एकड़ कपास की खेती में गिरावट, कई कारण

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Punjab: इस बार पंजाब के आठ जिलों में कपास की खेती की जमीन 96 हजार एकड़ में सीमित है। 1990 के दशक में पंजाब में कपास के तहत 7 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन हुआ करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र धीरे-धीरे कम हो गया।

पंजाब में कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण उपायों को अपनाया। इसके बावजूद 96 हजार एकड़ में कपास की खेती जारी है। किसानों ने कपास को छोड़कर धान जैसे अन्य खेती की खेती की ओर रुख किया है।

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में पिछले वर्ष कपास की खेती एक लाख 79 हजार एकड़ में हुई थी, जबकि 2022 में दो लाख 48 हजार एकड़ में हुई थी। कपास की खेती में लगातार गिरावट के कारण किसानों को समय पर अच्छे बीज और कीटनाशक न मिलने से गुलाबी सुंडी की मौत हो रही है। यहां तक कि किसानों को बीते सितंबर में बारिश के कारण खराब हुई खेती का उचित मुआवजा न मिलने के कारण भी कपास की खेती से उनका मोह भंग हो गया है।

Punjab: आठ जिलों में इस बार कपास की खेती गिरी

96 हजार एकड़ क्षेत्रफल में कपास की खेती इस बार प्रदेश के आठ जिलों में हुई है, जो कपास की खेती के लिए जाना जाता है। इन आठ जिलों में कपास की खेती की गई है: फाजिल्का में 50,301 एकड़ जमीन, बठिंडा में 12,496 एकड़, मानसा में 22,516 एकड़, मुक्तसर साहिब में 10,019 एकड़, संगरूर में 224 एकड़, बरनाला में 440, फरीदकोट में 232 और मोगा में 72.5 एकड़।

Punjab: 83 हजार एकड़ क्षेत्र में धान की खेती की गई

इस बार करीब 83 हजार एकड़ कपास की फसल घटी है। मोहाली के कृषि विशेषज्ञ मनमोहन सिंह ने कहा कि कपास यानी नरमे की खेती में हुई गिरावट के पीछे कई कारण हैं। इस बार किसानों ने धान और अन्य फसलों की खेती की ओर रुख किया है, जो 83 हजार हेक्टेयर घटा है। यही नहीं, अगर राज्य सरकार कपास की खेती पर ध्यान नहीं देती तो यह भविष्य में संकट पैदा कर सकता है।

फसल खराब होने पर मुआवजा नीति में बदलाव, कपास की खेती के लिए अच्छे बीज और कीटनाशक के अलावा अन्य सुविधाओं की कमी, आने वाले सालों में इसका रकबा कम हो सकता है। धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ने से जमीनी पानी का संकट भी गहरा जाएगा। यह आने वाले 10 से 15 वर्षों में बहुत कुछ बदल सकता है।

Punjab: पिछले कुछ वर्षों में कपास की खेती

1990 के दशक में पंजाब में कपास के तहत 7 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन हुआ करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र धीरे-धीरे कम हो गया। 2017–2018 में कपास का क्षेत्रफल 2.91 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.81 लाख हेक्टेयर रह गया था। 2018-19 में 2.68 लाख हेक्टेयर कपास का उत्पादन हुआ था। आंकड़े देखें तो 2019–2020 में यह घटकर 2.48 लाख हेक्टेयर हो गया, और 2020–2021 में यह 2.52 लाख हेक्टेयर और 2.51 लाख हेक्टेयर हो गया। 2018-19 में पंजाब ने 827 किलोग्राम लिंट प्रति हेक्टेयर का उत्पादन किया था, लेकिन 2019-20 में यह घटकर 691 किलोग्राम लिंट प्रति हेक्टेयर हो गया। यह और घटकर 437 लिंट प्रति हेक्टेयर रह गया।

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