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Saryu Rai: सरयू राय ने रघुवर दास की राह में बाधा डाली, जेडीयू में शामिल होकर भाजपा को धर्म संकट में डाला

Saryu Rai:

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Saryu Rai: JDU सरयू राय के हाथ में है। इसके पीछे उनका उद्देश्य भाजपा को शिक्षा देना है। जेडीयू एनडीए में शामिल होने के कारण भाजपा अब जमशेपुर पूर्वी सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतार पाएगी। यही कारण है कि यह सीट अब जेडीयू की सिटिंग सीट होगी। यह चर्चा हुई कि भाजपा इस सीट से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और फिलहाल ओड़िशा के राज्यपाल रघुवर दास के रिश्तेदार को उम्मीदवार बनाएगी।

रविवार को महीने भर की मेहनत समाप्त हो गई। जमशेदपुर पूर्व के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अंततः जेडीयू में शामिल हो गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता सरयू राय ने अपनी पार्टी को भारतीय जन मोर्चा (बीजेएम) बनाया था, लेकिन उसका विस्तार उनके अकेले प्रयास से नहीं हुआ था। यद्यपि वे अपने रसूख पर सीएम रघुवर दास को अपने ही क्षेत्र में हराने में सफल रहे थे, लेकिन उन पर निर्दलीय का आरोप लगा था। वे इससे छुटकारा पाना चाहते थे। नीतीश कुमार से उनकी नजदीकी के कारण उन्होंने जेडीयू में शामिल हो गया।

Saryu Rai: सरयू का लक्ष्य रघुवर दास

सरयू राय केवल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू में शामिल होने से नहीं बने हैं। इसके पीछे उनकी योजना है। उन्हें लगता था कि उन्हें जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र में दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ेगा। भाजपा उनके सामने होगी, तो दूसरे इंडिया ब्लाक का उम्मीदवार भी होगा। ऐसे में वे डर रहे थे कि शायद ही वे इस बार भी जीत पा सकें। उन्हें लगता है कि जेडीयू एनडीए में शामिल होने पर जमशेदपुर पूर्वी सीट अब जेडीयू की सीटिंग सीट होगी। सिटिंग सीट पर आम तौर पर टिकट नहीं मिलता।

झारखंड की राजनीति के चाणक्य सरयू राय को पता था कि रघुवर दास के ओड़िशा का राज्यपाल बनने के बाद भाजपा उनके किसी रिश्तेदार को उम्मीदवार बना सकती है। एनडीए में जेडीयू शामिल होने के कारण भाजपा को अब जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के किसी रिश्तेदार को टिकट देने पर कई बार विचार करना होगा। सीधे कहना असंभव होगा।

Saryu Rai: 11 सीटों पर चुनाव प्रचार की तैयारी

बिहार में जेडीयू के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि झारखंड में भी जेडीयू एनडीए में शामिल होकर चुनाव लड़ेगा, जैसा कि बिहार में हुआ है। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा को भाजपा से सहयोग करने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी ने कितनी सीटों पर जेडीयू चुनाव लड़ेगा, इसका भी खाका बनाया है। जेडीयू ने ग्यारह सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है। जेडीयू को एनडीए में सीटों के बंटवारे में कुछ सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं, लेकिन भाजपा को अब उसकी दावेदारी को खारिज करना आसान नहीं होगा। सरयू राय ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बदला लिया।

Saryu Rai: सरयू जेडीयू की कमान संभालेंगे

झारखंड में जेडीयू की कमान अभी तक राज्यसभा सदस्य खीरू महतो के हाथ में है. सरयू राय, आरएसएस बैकग्राउंड वाले, पिछली बार भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था, जिसके लिए वे तत्कालीन सीएम रघुवर दास को जिम्मेदार मानते हैं, इसलिए वे निर्दलीय होकर चुनाव लड़ते हैं और दास को परास्त करते हैं।

Saryu Rai: जेडीयू को कुर्मी वोटों की चिंता है

नीतीश कुमार कुर्मी हैं। झारखंड में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 16 प्रतिशत लोग कुर्मी हैं। झारखंड में भी बहुत से बिहारी लोग रहते हैं। जेडीयू इसलिए अपनी सफलता पर भरोसा करता है। जेडीयू ने झारखंड में विधायक और मंत्री भी बनाए हैं। सरयू राय के साथ आने से जेडीयू को बिहारी मतदाताओं को आकर्षित करने में आसानी होगी, जबकि खीरू महतो कुर्मी मतदाताओं को आकर्षित करेंगे। नीतीश ने खीरू महतो को बिहार के कोटे से राज्यसभा भेजा था ताकि जेडीयू को झारखंड में खोई जगह मिल जाए। नीतीश कुमार और खीरू महतो की वजह से कुर्मी मतदाता कितना प्रभावित होंगे, यह कहना मुश्किल है।

इसलिए अब कुर्मी वोटों के लिए तीन प्रत्याशी होंगे। आजसू प्रमुख सुदेश महतो के मतदाताओं में से अधिकांश कुर्मी हैं। जेबीकेएसएस सदस्य जयराम महतो भी कुर्मी वोटों पर निर्भर हैं। अब प्रेमी नीतीश कुमार का जेडीयू भी सामने आ जाएगा। इसलिए सरयू राय के आने से कोई बड़ा चमत्कार हो सकता है, यह कहना जल्दबाजी होगी।

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