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रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) एक न्यूरोलॉजिकल क्या है किस से होता है?
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) एक न्यूरोलॉजिकल क्या है किस से होता है?
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome – RLS) जिसे हिंदी में अक्सर बेचैन पैर सिंड्रोम कहा जाता है, एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) विकार है। इसमें व्यक्ति को पैरों (कभी-कभी हाथों में भी) को लगातार हिलाने या हिलाने की तीव्र इच्छा होती है, खासकर आराम की स्थिति में या रात को सोते समय। इस समस्या में हमेशा ऐसा लगता है, जैसे पैरों पर कुछ रेंग रहा है। अनिद्रा भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। यदि मांसपेशियों में खिंचाव के साथ बेचैनी हो रही है, तो भी ये रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का लक्षण होता है।
RLS क्या है?
यह एक सेंसरी और मूवमेंट डिसऑर्डर है। मरीज को पैरों में झुनझुनी, खिंचाव, जलन, सुई चुभने जैसी या कीड़े रेंगने जैसी संवेदना होती है। लक्षण रात में ज्यादा बढ़ जाते हैं, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती और थकान/चिड़चिड़ापन होता है।
RLS किससे होता है? (संभावित कारण)
- डोपामिन असंतुलन – मस्तिष्क में डोपामिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी या असंतुलन से।
- आयरन की कमी (Iron Deficiency Anemia) – दिमाग और नसों में आयरन का स्तर कम होने से।
- आनुवांशिक कारण – परिवार में RLS होने पर संभावना ज्यादा होती है।
- क्रॉनिक बीमारियाँ – किडनी रोग, डायबिटीज़, पार्किंसन डिज़ीज़, पेरिफेरल न्यूरोपैथी।
- गर्भावस्था – खासकर आख़िरी महीनों में कई महिलाओं में यह समस्या हो जाती है (ज्यादातर डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है)।
- दवाइयाँ – कुछ एंटी-डिप्रेशन, एंटी-हिस्टामिन या एंटी-नॉज़िया दवाओं से लक्षण बढ़ सकते हैं।
- लाइफ़स्टाइल फैक्टर्स – नींद की कमी, तनाव, कैफीन, अल्कोहल और धूम्रपान से परेशानी बढ़ सकती है।
बेचैन पैर सिंड्रोम उसका ट्रीटमेंट क्या है???
बेचैन पैर सिंड्रोम (Restless Legs Syndrome – RLS) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें पैरों में अजीब-सी बेचैनी, झुनझुनी या हरकत करने की अनियंत्रित इच्छा होती है, खासकर रात को आराम करते समय।

RLS बेचैन पैर सिंड्रोम का ट्रीटमेंट
👉 इसका इलाज कारण पर निर्भर करता है।
1. लाइफ़स्टाइल और घरेलू उपाय
- सोने-जागने का नियमित समय रखें।
- कैफीन, अल्कोहल और सिगरेट से बचें।
- सोने से पहले हल्की गर्म पानी से पैर धोना, मसाज या स्ट्रेचिंग करें।
- योग और मेडिटेशन तनाव कम करते हैं।
- हल्की एक्सरसाइज (जैसे वॉकिंग) मददगार है।
2. पोषण संबंधी सुधार
- अगर आयरन की कमी है तो आयरन सप्लीमेंट्स या आयरन युक्त भोजन (पालक, चुकंदर, गुड़, अनार) लें।
- विटामिन D, B12 और फोलेट की जांच कराकर कमी हो तो पूरा करें।
3. मेडिकल ट्रीटमेंट (डॉक्टर की देखरेख में)
- डोपामिन एगोनिस्ट (Pramipexole, Ropinirole)
- गैबापेंटिन / प्रेगाबालिन – नसों की जलन और बेचैनी के लिए
- बेंज़ोडायज़ेपिन्स – नींद सुधारने के लिए
- ओपिऑइड्स (कम खुराक) – बहुत गंभीर मामलों में
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Uttarakhand : श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया सातों-आठों लोक पर्व
Uttarakhand : श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया सातों-आठों लोक पर्व
देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे पर्व हैं जिनकी अपनी ख़ास पहचान है। उन्हीं में से एक है ‘सातों-आठों’ पर्व। जो श्रद्दा और उल्लास के साथ मनाया गया। इसमें आराध्य देव शिव और गौरी को याद किया जाता है।
Uttarakhand : कुमाऊं क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण लोक पर्व, सातों-आठों पर्व आज बागेश्वर जिले में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। ग्रामीण अंचलों से लेकर नगर तक लोगों ने परंपरा के अनुरूप उपवास, पूजा और सामूहिक मेल-मिलाप कर इस पर्व को जीवित रखा। यह पर्व भाद्रपद मास की सप्तमी और अष्टमी को मनाया जाता है और इसमें महिलाएं गौरा-महेश की पूजा करती हैं। पर्व की शुरुआत बिरुड पंचमी से होती है, जब महिलाएं सात प्रकार के अनाज भिगोकर रखनी हैं। इस दौरान पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार आराध्य देव शिव व गौरी को याद किया गया। पूजा के दौरान मंत्रोच्चार के बीच लोकगीतों की धूम रही।

Uttarakhand Uttarakhand महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में हिमालय की बेटी को याद किया। पंडित देवेन्द्र जोशी ने बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति का यह लोक पर्व प्रतिवर्ष पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। सावन के महीने में होने वाला यह पर्व धन-धान्य व खुशहाली का प्रतीक है। इस मौके पर देश के व समाज के कल्याण की कामना ईश्वर व आराध्य देव से की जाती है।
“देवभूमि की धरोहर: श्रद्धा और लोकगीतों से सजा सातों-आठों”
सातों-आठों पर्व एक तरीके से बेटी की विदाई का जैसा ही समारोह होता है। जिसमें माता गौरी को मायके से अपने पति के साथ ससुराल को विदा किया जाता है। इस अवसर पर गांव वाले भरे मन व नम आंखों से अपनी बेटी गमरा को जमाई राजा महेश्वर के साथ ससुराल की तरफ विदा कर देते हैं। साथ ही साथ अगले वर्ष फिर से गौरा के अपने मायके आने का इंतजार करते हैं।
लोक पर्व सातों-आठों की शुरुआत भाद्रपद मास (अगस्त-सितंबर) की पंचमी तिथि से होती है। इसे बिरुड पंचमी भी कहते हैं । इस दिन हर घर में तांबे के एक बर्तन में पांच अनाजों मक्का, गेहूं , गहत, ग्रूस व कलू को भिगोकर मंदिर के समीप रखा जाता है। इन अनाजों को सामान्य भाषा में बिरुडे या बिरुडा भी बोला जाता है। ये अनाज औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं। व स्वास्थ्य के लिए भी अति लाभप्रद होते हैं। इन्हीं अनाजों को प्रसाद के रूप में बांटा एवं खाया जाता है।
धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक Uttarakhand
भिगोए जाने वाले अनाज मक्का, गेहूं, गहत , ग्रूस(गुरुस), चना, मटर और कलों हैं। तांबे या पीतल के बर्तन को साफ़ कर उसमें धारे अथवा नौले का शुद्ध पानी भरा जाता है. बर्तन के चारों ओर नौ या ग्यारह छोटी-छोटी आकृतियां बनाई जाती हैं । ये आकृतियां गोबर से बनती हैं। गोबर से बनी इन आकृति में दूब डोबी जाती है। कुमाऊं में पिथौरागढ़ तथा चम्पावत के नेपाल सीमा से गुमदेश इलाके के दर्जनों गांवों में सातों आठों पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। महिलाएं गौरा महेश की गीतों के माध्यम से स्तुति गान करती हैं।
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PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुँचे
PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुँचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन पहुँचे।
उनके आगमन पर चीन के उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ली लेचेंग, तियानजिन सरकार के निदेशक यू यू लिन और भारत में चीन के राजदूत शुओ फेइहोंग ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

PM MODI एससीओ शिखर सम्मेलन एक अहम बहुपक्षीय मंच है, जहाँ क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और साझा विकास जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श होता है। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति भारत की इस संगठन में सक्रिय और बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
PM MODI शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)

PM MODI एससीओ एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संगठन है।
- स्थापना: 2001 में (चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा)
- विस्तार: जून 2017 में भारत और पाकिस्तान सदस्य बने
- नए सदस्य: ईरान (2023) और बेलारूस (2024)
- भागीदारी: कई अन्य देश पर्यवेक्षक और संवाद भागीदार के रूप में शामिल
यह सम्मेलन क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग को मज़बूती देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

PM MODI शंघाई सहयोग संगठन एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने मिलकर की थी। जून 201 में भारत और पाकिस्तान के जुड़ने से इसका विस्तार आठ सदस्य देशों तक हुआ। इसके बाद ईरान जुलाई 2023 और बेलारूस जुलाई 2024 में शामिल होकर एससीओ के कुल सदस्य देशों की संख्या 10 हो गई। इसके अलावा कई देश इस संगठन से पर्यवेक्षक या संवाद भागीदार के रूप में जुड़े हुए हैं।
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“भारतीय संस्कृति की छाप टोक्यो में! PM MODI ने दिए जापानी PM दंपति को अनोखे उपहार”
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Gujarat में शुरू हुआ देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल प्लाजा
Gujarat में शुरू हुआ देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोल प्लाजा
देशभर में मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है। इस कदम से टोल संग्रह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, कुशल और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनेगी तथा राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को स्मार्ट और आधुनिक स्वरूप मिलेगा।
Gujarat देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम गुजरात में शुरू
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने देश की टोलिंग व्यवस्था में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गुजरात के एनएच-48 स्थित चोर्यासी शुल्क प्लाजा पर भारत की पहली मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग प्रणाली लागू करने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के साथ समझौता किया है।
मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग एक बाधा रहित टोलिंग प्रणाली है जो उच्च प्रदर्शन वाले आरएफआईडी रीडर्स और एएनपीआर कैमरों द्वारा फास्टैग और वाहन पंजीकरण संख्या (वीआरएन) को पढ़कर लेनदेन को सक्षम बनाती है।इस प्रणाली से अब वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा और फास्टैग के जरिए स्वतः टोल कट जाएगा।

Gujarat नई दिल्ली स्थित एनएचएआई मुख्यालय में हुए इस समझौते पर भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) और आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एनएचएआई अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने कहा कि यह पहल टोलिंग व्यवस्था को आधुनिक, कुशल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
Gujarat एमएलएफएफ तकनीक उच्च क्षमता वाले आरएफआईडी रीडर्स और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरों पर आधारित है। इसके माध्यम से वाहनों की पहचान और टोल संग्रह बिना किसी बाधा के होगा। इससे भीड़भाड़ घटेगी, ईंधन की बचत होगी और प्रदूषण में कमी आएगी।
एनएचएआई इस वित्त वर्ष के दौरान लगभग 25 टोल प्लाजाओं पर इस व्यवस्था को लागू करने की योजना बना रहा है। हरियाणा के घरौंदा शुल्क प्लाजा (एनएच-44) पर भी इसी प्रणाली को लागू करने के लिए समझौता किया गया है। यह कदम देशभर में स्मार्ट और तेज़ राजमार्ग नेटवर्क के निर्माण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तकनीक के प्रयोग से न सिर्फ़ ड्राइवरों को सुगम और तेज़ यात्रा का अनुभव मिलेगा, बल्कि भारत के राजमार्ग नेटवर्क को स्मार्ट और विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा।
“Ahmedabad में मोदी का मेगा रोड शो, 5400 करोड़ की विकास योजनाओं से बदलेगा शहर का चेहरा”
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“भारतीय संस्कृति की छाप टोक्यो में! PM MODI ने दिए जापानी PM दंपति को अनोखे उपहार”
PM MODI “भारतीय संस्कृति की छाप टोक्यो में! पीएम मोदी ने दिए जापानी PM दंपति को अनोखे उपहार”
PM MODI ने जापान के प्रधानमंत्री और पत्नी को दिए अनोखे भारतीय उपहार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की आधिकारिक यात्रा के दौरान जापानी प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को विशिष्ट भारतीय तोहफे देकर द्विपक्षीय संबंधों और सांस्कृतिक संवाद को और भी मजबूत बनाया।
PM MODI भारत-जापान मित्रता का नया अध्याय

PM MODI Moonstone Bowl अगस्त 30, टोक्यो (जापान):
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान दौरे के दौरान वहां के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को अनोखे भारतीय उपहार दिए, जो भारतीय कला और संस्कृति का प्रतीक थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री को चांदी की बनी चॉपस्टिक्स के साथ एक कीमती पत्थर से बना विंटेज रेमन बाउल उपहार में दिया। यह बाउल भारतीय कलात्मकता और जापानी पाक कला की परंपरा का अद्भुत मिश्रण है। इसमें आंध्रप्रदेश का मून स्टोन और मकराना का संगमरमर है, जो बाउल की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री की पत्नी को लद्दाख के चांगथांगी बकरी के महीन ऊन से बना एक सुंदर पश्मीना शॉल उपहार में दिया। यह शॉल अपने हल्के, मुलायम और गर्म होने के कारण विश्वभर में लोकप्रिय है। कश्मीरी कारीगरों द्वारा हाथ से बुने गए इस शॉल में धूसर, गुलाबी और लाल रंग के नाज़ुक पुष्प और पैस्ले डिज़ाइन हैं। यह शॉल कश्मीर की कलात्मकता, विरासत और कालातीत लालित्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Pashmina Shawl जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को दिया गया उपहार:
- उन्हें जैसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए विंटेज प्रेशियस स्टोन (चाँद पत्थर) रेमन बाउल का सेट तथा चांदी के चॉपस्टिक्स उपहार में दिए गए।
- इसमें एक बड़ा भूरे रंग का मूनस्टोन बाउल और चार छोटे बाउल शामिल थे, जो जापान की पारंपरिक डोनबुरी और सोबा भोजन रीति-रिवाज से प्रेरित हैं।
- मुख्य बाउल की बेस मेंकराना संगमरमर से बनी है, जिसे राजस्थान की पारंपरिक पार्चिन कारी (पत्थरों की जड़ाई) शैली में सेमी-प्रीशियस पत्थरों से सजाया गया है—भारतीय शिल्प कला का अद्भुत नमूना।
- मूनस्टोन, जो आंध्र प्रदेश से आता है, अपनी चमक (adularescence) और प्रतीकों—प्रेम, संतुलन व सुरक्षा—के लिए जाना जाता है।
PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रान्तों के राज्यपालों से की मुलाकात
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PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रान्तों के राज्यपालों से की मुलाकात
PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रान्तों के राज्यपालों से की मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो में 16 जापानी प्रान्तों के राज्यपालों से मुलाकात की और भारत-जापान सहयोग को और मज़बूत करने के लिए राज्य-प्रान्त साझेदारी पहल पर कार्रवाई का आग्रह किया।

PM Modi 30 अगस्त,PM Modi: भारत-जापान के मज़बूत संबंधों को और मज़बूत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को टोक्यो में 16 प्रान्तों के राज्यपालों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों और प्रान्तों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने साझा प्रगति के लिए 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू की गई राज्य-प्रान्त साझेदारी पहल के तहत कार्रवाई का आग्रह किया। चर्चा में प्रौद्योगिकी, नवाचार, निवेश, कौशल, स्टार्ट-अप और लघु एवं मध्यम उद्यमों के क्षेत्र में भारतीय राज्यों और जापानी प्रान्तों के बीच बढ़ती साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत-जापान संबंधों को नई ऊँचाई देने के प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो में 16 जापानी प्रान्तों के राज्यपालों से मुलाकात की।
बैठक में प्रधानमंत्री ने 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू हुई राज्य-प्रान्त साझेदारी पहल को तेज़ी से आगे बढ़ाने का आग्रह किया। चर्चा का मुख्य फोकस प्रौद्योगिकी, नवाचार, निवेश, स्टार्ट-अप, कौशल विकास और MSME क्षेत्रों में सहयोग को और मज़बूत करना रहा।
PM MODI : जापान में प्रधानमंत्री मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया
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Ganesha Utsav : शिव पुराण अनुसार गणेशजी को ये न चढ़ाएँ
Ganesha Utsav : शिव पुराण अनुसार गणेशजी को ये न चढ़ाएँ
Ganesha Utsav शिव पुराण और अन्य ग्रंथों (जैसे गणेश पुराण, पद्म पुराण) में भगवान श्री गणेशजी की पूजा में क्या अर्पित नहीं करना चाहिए, इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया, जो आशा और समृद्धि का प्रतीक है। आज गणेश उत्सव का तीसरा दिन है सबको पता है गणेशजी की पसंदीदा चीजें क्या क्या है पर आपको ये पता है की क्या गणेशजी को चढ़ाना मुश्केली बढ़ा शकते है।

Ganesha Utsav Ganesha Utsav : गणेशजी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए :
- तुलसी पत्ता
- गणेशजी पर तुलसीदल अर्पित करना वर्जित है।
- कथा है कि तुलसीजी ने गणेशजी से विवाह का आग्रह किया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार किया, इसलिए तुलसी उन्हें स्वीकार्य नहीं।
- इस कारण तुलसीजी ने उन्हें श्राप दिया और गणेशजी ने भी तुलसी को श्राप दिया कि उनके पूजन में तुलसी का प्रयोग वर्जित रहेगा।
- दूध से बनी दही Ganesha Utsav
- दही या छाछ सीधे गणेशजी पर नहीं चढ़ाते।
- दही शीतल व भारी होता है, जबकि गणेशजी को हल्का, सुपाच्य और सात्विक प्रसाद (जैसे मोदक, लड्डू) प्रिय है।
- शिव पुराण में दही चढ़ाना वर्जित कहा गया है।
- शनि से और केतु ग्रह से संबंधित जुड़ी वस्तु
- जैसे तिल का तेल और उड़द दाल गणेशजी को अर्पित नहीं की जातीं।
- तिल और तिल का तेल शनि और केतु ग्रह से जुड़ा माना जाता है।
- गणेशजी विघ्नहर्ता हैं और शनि-केतु के कष्ट से मुक्ति दिलाते हैं, इसलिए यह अर्पण नहीं किया जाता।
- उड़द भी शनि ग्रह से जुड़ी है और तामसिक मानी जाती है।
- गणेशजी को सात्विक वस्तुएँ अधिक प्रिय हैं।
- शंख से जल अर्पण
- शंख से जल चढ़ाना गणेशजी को निषिद्ध है।
- शंख समुद्र से उत्पन्न होता है और गणेशजी को गंगा जल, स्वच्छ जल प्रिय है।
- शंख से जल चढ़ाना अशुभ माना गया है क्योंकि शंख विष्णु जी का प्रतीक है।
- अर्क/मदार के फूल
- गणेशजी को मदार, दूब के अलावा विषैले पौधे चढ़ाना वर्जित है।
- खासकर कुमुदनी, चमेली, मालती के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए।
- ये फूल अशुभ और तामसिक प्रभाव वाले माने जाते हैं।
- गणेशजी को लाल, ताजे और सात्विक फूल जैसे गेंदा, जपा, कमल अधिक प्रिय हैं।
- तुलसी से बनी माला या तुलसी की मंजीरी
- इसका विशेष निषेध है।
गणेशजी को तुलसी, शंख का जल, दही, तिल का तेल, उड़द, मदार/कुमुदनी/चमेली के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए।गणेशजी को सात्विक, पवित्र और शुभ वस्तुएँ प्रिय हैं। तुलसी, दही, तिल का तेल, उड़द और कुछ फूल श्राप, तामसिकता या अन्य देवताओं से जुड़ाव के कारण गणेशजी को अर्पित नहीं किए जाते।
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“Ganpati Bappa Morya! जानें कब और कितने दिन बाद करना है गणेश विसर्जन 2025 में”
- तुलसी पत्ता
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Bihar : पीएम मोदी की मां के लिए अभद्र भाषा, बिहार में बढ़ा विवाद #PoliticalControversy #BiharPolitics #RespectMothers
Bihar : पीएम मोदी की मां के लिए अभद्र भाषा, बिहार में बढ़ा विवाद
बिहार की राजनीति में उस समय हंगामा मच गया जब दरभंगा में कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां हीराबा मोदी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया। इस बयान के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध दर्ज कराया और पटना स्थित कांग्रेस कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।

Bihar स्थिति बिगड़ने पर बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई, जिसमें तोड़फोड़ और हाथापाई तक की नौबत आ गई। कई कार्यकर्ता घायल भी हुए।

Bihar इस मामले ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है। बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर “निजी हमले और असंवेदनशील राजनीति” करने का आरोप लगाया, वहीं कांग्रेस ने हिंसा की घटनाओं को बीजेपी की “राजनीतिक उकसावे की राजनीति” बताया।
दरभंगा में कांग्रेस मंच से पीएम मोदी और उनकी मां के लिए अभद्र भाषा। पटना में बीजेपी–कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भिड़ंत। कांग्रेस कार्यालय में हुई तोड़फोड़, कई घायल। बीजेपी का आरोप – कांग्रेस कर रही है घटिया राजनीति। कांग्रेस का पलटवार – बीजेपी फैला रही है हिंसा।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं: “पीएम मोदी की मां के लिए अभद्र भाषा” विवाद
▶ बीजेपी का तीखा हमला
- बीजेपी ने इसे लोकतंत्र और मर्यादा की “सीमाओं को लांघने वाला” मामला बताया।
जेपी नड्डा ने कहा कि यह “बहुत ही निंदनीय और अपमानजनक” था, “बिहार की संस्कृति का अपमान”। - अमित शाह ने कहा कि यह घटना “लोकतंत्र पर दाग” है। उन्होंने राहुल गांधी से माफी मांगने की अपील की।
- योगी आदित्यनाथ ने इस भाषा को लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला करार दिया।
- मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वस कैलाश सरंग ने भी इस घटना की तीखी आलोचना की और राहुल गांधी को माफी मांगने को कहा।

Bihar गुजरात सीएम भूपेंद्र पटेल की प्रतिक्रिया
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बिहार में पीएम मोदी और उनकी मां के प्रति की गई अभद्र टिप्पणी की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह भाषा “हर माँ और हर बच्चे की गरिमा पर हमला” है और यह बताता है कि कांग्रेस, विशेष रूप से राहुल गांधी के नेतृत्व में, “राजनीतिक मर्यादा की सबसे निचली सीमा तक आ गई है”।
पटेल ने आगे कहा कि मोदी की मां ने एक साधारण वातावरण में कठिन संघर्ष किया और अपने बेटे में मजबूत नैतिक मूल्यों को आकार दिया — जिससे भारत को एक समर्पित और देशभक्त नेता मिला। इस प्रकार की भाषा का प्रयोग “अक्षम्य और देश की भावना के खिलाफ” है। उन्होंने दावा किया कि देश जनता ऐसी मानसिकता को कभी माफ नहीं करेगी।
▶ कांग्रेस का बचाव और पलटवार Bihar
- कांग्रेस ने इसे पार्टी की ओर से आधिकारिक घटना नहीं माना। मोहम्मद नौशाद, जिनके नेटवर्क पर यह मंच बनाया गया था, ने माफी माँगी और कहा कि उन्होंने घटना के समय मंच खाली किया हुआ था।
- असित नाथ तिवारी (राज्य कांग्रेस प्रवक्ता) ने कहा कि इस तरह की भाषा BJP के पक्ष में आम है, न कि कांग्रेस की संस्कृति में।
- मृत्यंजय तिवारी (RJD प्रवक्ता) ने कहा कि यह विषय जांच का है और बताए जाने पर ही निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं; RJD/कांग्रेस कभी ऐसे असभ्य व्यवहार के पक्ष में नहीं रहे।
- दिग्विजय सिंह ने घटना पर जांच की मांग की और कहा कि कांग्रेस में ऐसी भाषा नहीं होती; दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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- बीजेपी ने इसे लोकतंत्र और मर्यादा की “सीमाओं को लांघने वाला” मामला बताया।
