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  • Karwa Chauth Vrat History: चांद को अर्घ्य देने से पहले जानिए कैसे शुरू हुआ करवा चौथ का व्रत, क्या है इसका पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व

    Karwa Chauth Vrat History: चांद को अर्घ्य देने से पहले जानिए कैसे शुरू हुआ करवा चौथ का व्रत, क्या है इसका पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व

    Karwa Chauth Vrat History करवा चौथ व्रत की शुरुआत कैसे हुई? जानिए इस व्रत का इतिहास, पौराणिक कथाएं, वैज्ञानिक कारण और क्यों आज भी महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं यह निर्जला तपस्या।

    भारत में हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे विशेष माना जाता है। इस दिन वे पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और चांद के दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ व्रत की शुरुआत आखिर कब और कैसे हुई? इसके पीछे न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और वैज्ञानिक पहलू भी जुड़े हैं।

    Karwa Chauth Vrat History
    Karwa Chauth Vrat History

    करवा चौथ व्रत का इतिहास Karwa Chauth Vrat History

    करवा चौथ की परंपरा का जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है। कहा जाता है कि जब पांडव वनवास में थे, तब द्रौपदी ने भी अपने पति अर्जुन की सुरक्षा के लिए यह व्रत रखा था। भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया था कि यह व्रत रखने से पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

    एक अन्य मान्यता के अनुसार, यह व्रत उस समय शुरू हुआ जब महिलाएं अपने पतियों को युद्ध क्षेत्र में भेजती थीं। तब वे अपने पतियों की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए इस दिन व्रत रखतीं और भगवान शिव-पार्वती से उनके मंगल की प्रार्थना करती थीं।

    ‘करवा’ और ‘चौथ’ का अर्थ

    ‘करवा’ शब्द मिट्टी के बर्तन से जुड़ा है जो इस दिन पूजा के समय उपयोग किया जाता है, और ‘चौथ’ का अर्थ है चतुर्थी तिथि। यह संयोजन नारी की श्रद्धा, संयम और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं करवे में जल भरकर भगवान गणेश और माता गौरी की पूजा करती हैं, फिर चांद को अर्घ्य देकर पति के हाथ से जल ग्रहण करती हैं।

    लोककथा: वीरवती की कथा

    करवा चौथ व्रत से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथा वीरवती की है। कहा जाता है कि वीरवती नामक एक रानी अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी। विवाह के बाद जब उसने पहली बार यह व्रत रखा, तो भूख-प्यास से कमजोर होकर बेहोश हो गई। भाइयों से यह दृश्य देखा नहीं गया, उन्होंने छल से झूठा चांद दिखा दिया। जैसे ही वीरवती ने व्रत तोड़ा, उसके पति की मृत्यु हो गई। बाद में उसने सच्चे मन से पुनः व्रत रखकर अपने पति को पुनर्जीवित किया। तभी से यह व्रत स्त्रियों के अखंड सौभाग्य का प्रतीक बन गया।

    वैज्ञानिक पहलू

    वैज्ञानिक दृष्टि से भी करवा चौथ का व्रत शरीर को डिटॉक्स करने और मन को स्थिर रखने में सहायक माना जाता है। चांद को अर्घ्य देना जल और मन के संतुलन का प्रतीक है। इसके अलावा यह पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और मानसिक जुड़ाव को मजबूत करता है।

    आज का करवा चौथ

    आधुनिक युग में करवा चौथ सिर्फ पारंपरिक रस्म नहीं बल्कि एक भावनात्मक उत्सव बन गया है। अब कई पुरुष भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, जो समानता और साझेदारी का प्रतीक है। सोशल मीडिया पर यह पर्व प्रेम और भारतीय संस्कृति का खूबसूरत मिश्रण बन चुका है।



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  • Zoho के ‘Z’ में छिपा है सफलता का राज: Z से शुरू होने वाले 10 ब्रांडों ने रचा इतिहास

    Zoho के ‘Z’ में छिपा है सफलता का राज: Z से शुरू होने वाले 10 ब्रांडों ने रचा इतिहास

    जब ‘Z’ बन जाए सफलता का सूत्र Zoho और अन्य Z-ब्रांड्स की कहानी

    Zoho के “Z” में छुपा एक ब्रांड की ताकत है। जानिए कैसे Z से शुरू होने वाले 10 प्रमुख ब्रांडों ने अपनी पहचान बनाई, और इस अक्षर को अपने ब्रांडिंग व उत्पाद रणनीति में कैसे उपयोग किया।

    ब्रांड नाम चुनना आसान नहीं है — इसमें उतनी ही रणनीति होती है जितनी किसी उत्पाद या मार्केटिंग प्लान में। भारत और ग्लोबल मार्केट में देखा गया है कि “Z” अक्षर से शुरू होने वाले कई ब्रांड्स ने अपनी पहचान बनायी है — नाम की यही ताकत Zoho जैसे ब्रांड को भी मिली। आइए देखें कैसे “Z” अक्षर को अपने ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी में सफलतापूर्वक उपयोग किया, और साथ ही Z से शुरू होने वाले 10 यादगार ब्रांड्स की प्रेरणादायक कहानी।

    Zoho और “Z” का महत्व

    Zoho Corporation एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी है, जिसने अपनी शुरुआत 1996 में की थी।
    “Z” अक्षर को Zoho ने एक पहचान बना लिया — Zoho CRM, Zoho Books, Zoho Creator, Zoho Mail आदि सभी “Zoho + उत्पाद नाम” के संयोजन में चलते हैं, जिससे एक यूनिफाइड ब्रांड छवि बनती है।
    Zoho ने अपने AI असिस्टेंट का नाम भी Zia रखा — Z से शुरू होने वाला नाम, जो ब्रांड की “Z पहचान” को और मजबूत करता है।

    लेकिन Zoho ही अकेला नहीं है — भारत में “Z कंपनियों” की संख्या पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ी है। उदाहरण स्वरूप, Zerodha, Zomato, Zudio इत्यादि नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं।
    MCA (Ministry of Corporate Affairs) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 से 2023 के बीच Z नाम वाली कंपनियों की संख्या में लगभग 70% की बढ़ोतरी हुई।

    Z से शुरू होने वाले 10 प्रेरणादायक ब्रांड

    नीचे कुछ प्रमुख ब्रांड हैं जिनकी शुरुआत “Z” अक्षर से होती है और जिन्होंने अपनी विविधता, नवाचार और मार्केट स्ट्रेंथ से सफलता पाई:

    Zoho
    Zoho
    1. Zoho — SaaS, बिजनेस सॉफ्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म
    2. Zerodha — भारत की सबसे लोकप्रिय डिस्काउंट शेयरब्रोकिंग कंपनी
    3. Zomato — रेस्टोरेंट डायरेक्ट्री + फूड डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म
    4. Zudio — फैशन रिटेल ब्रांड (Trendy / Youth Fashion)
    5. Zeno Health — हेल्थ/फार्मा स्टार्टअप
    6. Zing — विभिन्न एंटरटेनमेंट / मीडिया प्लेटफ़ॉर्म (उदाहरण के लिए Zing India)
    7. Zandu — आयुर्वेदिक
    8. Zydus — हेल्थ केयर
    9. Zeta — बैंकिंग टेक
    10. ZBrains — Zoho ecosystem consultant / services firm (Zoho से संबद्ध सेवा प्रदाता)

    इनमें से कुछ सीधे व्यापार या प्लेटफ़ॉर्म के तौर पर Z नाम को ही अपने ब्रांड आइडेंटिटी में शामिल करते हैं। उदाहरणतः ZBrains ने Zoho सेवाओं संबंधी कस्टमाइजेशन और सलाहकार सेवाएँ देना शुरू किया है।

    कैसे “Z” बेमिसाल ब्रांड पहचान लाता है?

    • स्मृति में रहना आसान: Z अक्षर दुर्लभ (less common) है — इसलिए जब किसी नाम की शुरुआत Z से होती है, वह जल्दी पकड़ लेता है।
    • ब्रांडिंग यूनिफॉर्मिटी: Zoho जैसे ब्रांड अपनी सभी सेवाओं/उत्पादों में Z जोड़ते हैं — जैसे Zoho CRM, Zoho Books, Zoho Mail — जिससे एक सहज पहचान बनती है।
    • नवीनता और युवा ऊर्जा की छवि: कई Z नामों का युवा और अनोखा इमेज होता है — जैसे Zudio फैशन, Zomato खाने और खोज का प्लेटफ़ॉर्म, Zerodha फाइनेंस में नवाचार।
    • विस्तारशीलता: ज़ नामों में सब-ब्रांडिंग और विस्तार करना आसान होता है — Zoho ने Zia, Zoho One, Zoho Creator जैसे नामों को सहजता से जोड़ा।

    बस नाम “Z” होने से सफलता नहीं मिलती — उत्पाद की गुणवत्ता, ग्राहक सेवा, निरंतर नवाचार ज़रूरी है।

    कई “Z” नाम ब्रांडों में नकल (imitative brands) भी होते हैं — पहचान टूट सकती है।

    Z नाम पर विशेष आशा होना (numerology / नामशास्त्र) एक पॉपुलर मान्यता है, लेकिन व्यावसायिक रणनीति और संचालन से ही सफलता सुनिश्चित होती है।

    “Z” अक्षर को अपनी ब्रांड पहचान का आधार बनाया और इस अक्षर से शुरू होने वाली कंपनियों की एक श्रेणी ने साबित किया कि यह नाम नहीं — रणनीति, नवाचार और निरंतरता मायने रखती है। Z से शुरुआत वाले ये 10 ब्रांड प्रमाण हैं कि नाम यदि सही हो और साथ में मूल्य दिया जाए — तो वह इतिहास रच सकता है।


    Keir Starmer तीन बड़ी फिल्में UK में, DDLJ 30 की सालगिरह में खास वापसी

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  • India UK Deal भारत-ब्रिटेन ने $468 मिलियन की रक्षा डील पर हस्ताक्षर किए कौन-कौनसे समझौते हुए तय?

    India UK Deal भारत-ब्रिटेन ने $468 मिलियन की रक्षा डील पर हस्ताक्षर किए कौन-कौनसे समझौते हुए तय?

    India UK Deal भारत और ब्रिटेन ने £350 मिलियन (लगभग $468 मिलियन) की रक्षा डील पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें India को UK द्वारा बनाए गए मल्टीरोल मिसाइल सप्लाई करना शामिल है। इसके साथ ही अगली डील शिप इलेक्ट्रिक इंजन साझेदारी की है। जानिए किन समझौतों पर मुहर लगी है और इसका रणनीतिक महत्व क्या है।

    India UK Deal भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने एक महत्वपूर्ण रक्षा-संबंधी समझौते पर हाथ मिलाया है: £350 मिलियन, अर्थात करीब $468 मिलियन की डील जिसमें यूके द्वारा भारत को Lightweight Multirole Missiles (LMMs / Martlets) सप्लाई करना शामिल है। यह घोषणा ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के भारत दौरे के दौरान की गई, और इसे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

    क्या है यह £350 मिलियन की डील?

    • इस डील के तहत, यूके की थेल्स (Thales) कंपनी नॉर्दर्न आयरलैंड में बनाए गए LMM (Lightweight Multirole Missiles) भारत को भेजेगी।
    • यह मिसाइल सिस्टम एयर-टू-सर्फेस, एयर-टू-एयर, सर्फेस-टू-एयर और सर्फेस-टू-सर्फेस ऑपरेशन्स में सक्षम है — यानी बहुपरिचालित (multi-role) उपयोग।
    • इस भारत-यूके रक्षा सौदे से नॉर्दर्न आयरलैंड में लगभग 700 रोजगार सुरक्षित होने की उम्मीद है।
    • ग़ौरतलब है कि ये वही मिसाइलें हैं जो यूक्रेन को भी सप्लाई की जा रही हैं।

    अन्य समझौते: नौसैनिक इलेक्ट्रिक इंजन साझेदारी

    मुस्कान यह है कि मिसाइल डील के अलावा भारत और UK ने नौसेना के लिए इलेक्ट्रिक पावर इंजन (electric-powered ship engines) सहयोग की अगली चरण की डील पर भी हस्ताक्षर किया है।
    इसका प्रारंभिक मूल्य £250 मिलियन घोषित किया गया है, और यह समझौता दोनों देशों के बीच समुद्री रक्षा एवं तकनीकी साझेदारी को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    India UK Deal
    India UK Deal

    व्यापक रणनीतिक महत्व

    1. अस्त्र-प्रौद्योगिकी साझेदारी
      इस मिसाइल डील और नौसैनिक इंजन समझौते से भारत और ब्रिटेन दोनों को संयुक्त रक्षा एवं तकनीकी विकास में लाभ होगा। यह केवल खरीद विक्रय नहीं, बल्कि लंबी अवधि की को-प्रोडक्शन और तकनीकी हस्तांतरण की दिशा में कदम है।
    2. डिफेंस आयात विविधीकरण
      भारत पर लंबे समय तक रूस पर निर्भरता बनी रही है। इस तरह की साझेदारी उसे अन्य देशों से रक्षा प्रौद्योगिकी लेने का अवसर देती है, और गुट-सम्बद्ध रक्षा संदर्भों में विकल्प बढ़ाती है।
    3. आर्थिक एवं रोजगार लाभ
      UK की रक्षा उद्योग को यह सौदा बड़े निर्यात अवसर देगा, और भारत को नए संसाधन, प्रौद्योगिकी और रक्षा संयंत्र सहयोग मिल सकेगा। 700 नौकरी बचाने की सूचना इसका एक ठोस संकेत है।
    4. UK-India संबंधों की गहराई
      यह डील दर्शाती है कि दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र को आर्थिक और सामरिक सहयोग की एक नई धुरी पर रखा है। पहले से ही UK-India व्यापार एवं तकनीक समझौतों पर बातचीत हो रही थी, और यह पहल इसे और पुष्ट करेगी।

    India UK Deal चुनौतियाँ और प्रश्न

    • इस तरह की भारी रक्षा डील में सुरक्षा, गोपनीयता और टेक्नोलॉजी हस्तांतरण संबंधी मसले जटिल होते हैं।
    • यह देखना होगा कि दोनों पक्ष कार्यक्रम नियंत्रण, गुणवत्ता सुनिश्चितता और समय पर डिलीवरी कैसे सुनिश्चित करेंगे।
    • घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति (Atmanirbhar Bharat) के संदर्भ में, इस तरह की आयात निर्भरता को कैसे संतुलित किया जाएगा?
    • अगले समझौते जैसे नौसैनिक इंजन विकास में लागत विभाजन, लॉयल्टी और साझा निर्माण की रूपरेखा क्या होगी?

    भारत तथा ब्रिटेन ने £350 मिलियन (लगभग $468 मिलियन) की मिसाइल डील से रक्षा भागीदारी को एक नई दिशा दी है। साथ ही, इलेक्ट्रिक पावर इंजन के लिए साझा समझौते ने इस साझेदारी को बहु-आयामी रूप दिया है। यह सिर्फ रक्षा संविदाएँ नहीं हैं — ये दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास, प्रौद्योगिकी साझेदारी और दीर्घकालीन सहयोग का प्रतीक बनेंगी।



    Keir Starmer तीन बड़ी फिल्में UK में, DDLJ 30 की सालगिरह में खास वापसी

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  • Keir Starmer तीन बड़ी फिल्में UK में, DDLJ 30 की सालगिरह में खास वापसी

    Keir Starmer तीन बड़ी फिल्में UK में, DDLJ 30 की सालगिरह में खास वापसी

    UK के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने मुंबई दौरे पर Yash Raj Films के साथ मिलकर तीन बड़े बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स को UK में बनाने की घोषणा की है। DDLJ जैसा रोमांस बड़े पर्दे पर फिर लौटेगा। जानिए इस साझेदारी का महत्व, चुनौतियाँ और सांस्कृतिक प्रभाव।

    मुंबई: इस समय बॉलीवुड एवं अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अपने भारत दौरे के दौरान घोषणा की है कि Yash Raj Films (YRF) अगले साल (2026) से तीन बड़े बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स यूके में बनाए गएगे। यह घोषणा न केवल फिल्म प्रेमियों के लिए रोमांचक है, बल्कि यह भारत-ब्रिटेन के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

    Keir Starmer
    Keir Starmer

    DDLJ की याद और भावनात्मक कनेक्शन

    खास बात यह है कि YRF ने यह घोषणा DDLJ (Dilwale Dulhania Le Jayenge) की 30वीं वर्षगांठ के संदर्भ में की है — एक ऐसा फिल्म जिसने भारत और ब्रिटेन के बीच रोमांस-कनेक्शन की छवि को गहरा किया।
    YRF के CEO Akshaye Widhani ने कहा कि “UK हमारे दिल में खास स्थान रखता है, और हमारी कई यादगार फिल्में जैसे DDLJ यहीं शूट की गई थीं। इस साल हम एक अंग्रेजी म्यूजिकल संस्करण, Come Fall in Love (DDLJ Musical), यूके में भी बना रहे हैं।” इसी दौरान UK-PM को YRF स्टूडियो में ले जाकर DDLJ का आइकॉनिक गीत “Tujhe Dekha To” बजाया गया, और बताया जाता है कि उन्होंने भावुकता से इसे सुना।

    Keir Starmer कला, संस्कृति और अर्थव्यवस्था का मेल

    इस घोषणा का महत्व सिर्फ फिल्मी दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है — यह फिल्म उद्योग, रोज़गार और सांस्कृतिक कूटनीति को जोड़ने वाला कदम है। ब्रिटिश सरकार कह रही है कि ये तीन परियोजनाएँ यूके में 3,000 से अधिक नौकरियाँ पैदा करेंगी और करोड़ों पाउंड की आर्थिक गतिविधि उत्पन्न करेंगी।
    UK सरकार और भारत सरकार की सांस्कृतिक एजेंसियाँ मिलकर एक सहयोग एग्रीमेंट (MoU) पर काम कर रही हैं, जिससे को-प्रोडक्शन, संसाधन साझा करना और फिल्म-तकनीक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिले। यह कदम भारत और ब्रिटेन के बीच बढ़े हुए व्यापार और कला संबंधों को और मजबूती देगा। विशेष रूप से, UK-India ट्रेड डील (2025) ने इस तरह के सांस्कृतिक साझेदारियों को भी प्लेटफ़ॉर्म दिया है।

    https://www.instagram.com/reel/DPjLB1YjKTs/?utm_source=ig_web_copy_link&igsh=c2VsdmY1cmhuaHd5

    Keir Starmer चुनौतियाँ, अपेक्षाएँ और संदर्भ

    पहले इतनी बड़ी प्रोजेक्ट्स को विदेश में करना आसान नहीं होगा — सेटअप, लागत, लॉगिस्टिक्स, मानकों का मेल करना होगा। स्थानीय टैक्स, शूटिंग परमिट, श्रम कानून और तकनीकी बुनियादी संसाधन जैसे स्टूडियो, उपकरण, तकनीशियन, आदि चुनौतियाँ हों सकती हैं। यदि इन परियोजनाओं में कहानी, अभिनय और तकनीकी स्तर वायदे के अनुरूप न हो, तो नकारात्मक प्रतिक्रिया भी हो सकती है। फिर भी, यह शुरुआत है — यदि पहले प्रोजेक्ट सफल रहा, तो आगे और भी बड़े इंटरनेशनल को-प्रोडक्शंस संभव होंगे।

    Keir Starmer यशराज के कदम से लोगों को मिलेंगे रोजगार

    2026 की शुरुआत से YRF का यूके में सक्रिय होना शायद नया दौर हो सकता है।

    • पहले प्रोजेक्ट्स में DDLJ-सदृश रोमांटिक या पैनोरमिक दृश्य हो सकते हैं — ग्रीन खेत, रेलगाड़ी, यूरोपीय बैकड्रॉप्स, क्लाइमैक्स दृश्य ब्रिटेन की खूबसूरती में।
    • बीच के वर्षों में और अधिक सहयोग, विदेशी कलाकारों का शामिल होना, और ब्रिटिश तकनीशियों का इस्तेमाल मिलेगा।
    • ड्रीम: DDLJ की तरह एक क्लासिक रोमांस जब नया रूप में बड़े पर्दे पर लौटे — युवाओं और पुराने फैंस दोनों को नयापन और नॉस्टैल्जिया मिलेगा।

    DDLJ जैसा रोमांस फिर बड़े पर्दे पर लौटने की उम्मीदें अब ज़्यादा प्रबल हो गई हैं, क्योंकि UK-PM कीर स्टार्मर और YRF ने तीन बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की है जो ब्रिटेन में बनाई जाएंगी। यह सिर्फ फिल्म नहीं, एक सांस्कृतिक पुल है, जो भारत और ब्रिटेन को भावनात्मक, आर्थिक और कलात्मक स्तर पर जोड़ता है। यदि ये योजनाएँ सफल हुईं, तो बॉलीवुड-ब्रिटेन संबंधों में एक नया क़िस्सा लिखा जाएगा।



    Bobby Deol ने बीते 30 सालों में लिखा अपना सफर: “The Fire Still Burns”

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  • Stock Market Boom क्या अब शेयर बाजार पकड़ेगा रफ्तार? विदेशी निवेशकों की वापसी से भारतीय बाजार में उम्मीदें

    Stock Market Boom क्या अब शेयर बाजार पकड़ेगा रफ्तार? विदेशी निवेशकों की वापसी से भारतीय बाजार में उम्मीदें

    Stock Market Boom भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की वापसी के संकेत मिलने लगे हैं। जानें किन कारणों से विदेशी पूंजी भारत लौट रही है, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं और कब तक शेयर बाजार में तेजी की उम्मीद की जा सकती है।

    भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ समय से उतार-चढ़ाव से गुजर रहा है। आर्थिक अस्थिरता, वैश्विक तनाव, अमेरिकी टैरिफ नीतियाँ, मुद्रा दबाव — सभी ने विदेशी निवेशकों (FII / FPI) को सावधानी पर डाल दिया था। लेकिन हाल ही में जो संकेत मिल रहे हैं, वे यह बताते हैं कि विदेशी निवेशक धीरे-धीरे भारत की ओर लौट रहे हैं। लेकिन क्या यह वापसी टिक जाएगी और बाजार पुनः तेज़ी पकड़ पाएगा?

    Stock Market Boom विदेशी निवेशकों की वापसी: किन्हीं सुरागों से

    • अप्रैल 2025 में FIIs ने कई महीने बाद भारतीय इक्विटीज़ में नेट खरीदार की भूमिका निभाई — लगभग ₹14,670 करोड़ की inflow की खबरें आईं।
    • “Have FIIs Returned to the Indian Stock Market?” शीर्षक आलेखों में यह कहा गया कि विदेशी संस्थागत निवेशक भारत की इक्विटी बाजार में वापस विश्वास दिखा रहे हैं, खासकर जब अन्य बाजारों में अस्थिरता अधिक है।
    • BofA Securities जैसी कंपनियों का अनुमान है कि जैसे ही टैरिफ अनिश्चितताएँ शांत होंगी, भारत एशिया में शीर्ष तीन बाजारों में से एक होगा निवेश आकर्षण के लिहाज से।
    • हालांकि, 2025 में अब तक FIIs के बड़े आउटफ्लो भी देखने को मिले हैं — कई स्रोतों ने बताया है कि इस वर्ष अब तक $12–13 बिलियन से अधिक मूल्य की बिकवाली हो चुकी है।
    • कुछ रिपोर्ट्स चेतावनी देती हैं कि कुछ समय की रैली बाजार को स्थिर कर पाए या नहीं — FIIs कुछ रुझान बना रहे हैं कि रैली ठहर सकती है।
    Stock Market Boom
    Stock Market Boom

    किन कारणों से वापसी संभव है

    1. मूल आर्थिक ताकतें (Macro Strengths): भारत की जीडीपी विकास दर, जनसांख्यिक संरचना, आंतरिक खपत आदि मजबूत बने हुए हैं, जो विदेशी पूंजी को आकर्षित कर सकती है।
    2. नीति / सुधार कदम: यदि भारत सरकार और RBI ऐसे सुधार लागू करें जो निवेशकों के लिए भरोसा उत्पन्न करें — जैसे टैक्स नीति सुधार, व्यापार अनुकूल माहौल, विदेशी पूंजी निवेश की छूट — ये बड़े रोल निभा सकते हैं।
    3. मुद्रा और ऋण बाजार सम्मिलन: भारत का FTSE बांड इंडेक्स में शामिल होना, मुद्रा स्थिरता और विदेशी निवेश बांड/ऋण बाजारों की खुली स्थिति निवेशकों की दृष्टि को बढ़ा सकती है।
    4. वैश्विक जोखिम रीरूटिंग: कई वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता है — कुछ निवेशक उद्यम करते हैं कि भारत अपेक्षाकृत कम जोखिम वाला विकल्प है।

    चुनौतियाँ और शंकाएँ Stock Market Boom

    • मूल्यांकन स्तर पहले से ऊँचे हैं — यदि कंपनियों की कमाई तय रफ़्तार न ले, तो बाजारCorrection का दबाव झेल सकता है। अमेरिकी टैरिफ नीतियाँ, व्यापार तनाव, विदेशी ब्याज दरों में उछाल — ये सभी दबाव डाल सकते हैं। FIIs की प्रवृत्ति अक्सर चापलूसी की होती है — छोटे समय के अवसरों में आते हैं, लेकिन जब माहौल बदल जाए तो बाहर निकल जाते हैं। सेक्टोर रुझान: आईटी और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों में बिकवाली अधिक हुई है — FIIs ने इन क्षेत्रों से हिस्सेदारी कम की है (IT में FII हिस्सेदारी 10.3% से 7.4% तक गिरने की खबर है)।

    क्या अब बाजार रफ्तार पकड़ सकता है?

    संक्षिप्त आकलन: हाँ, लेकिन यह पूरी तरह निर्भर करेगा समय, उपयुक्त क्षेत्रों और विश्व आर्थिक स्थिति पर। यदि नीति अनुकूल बनी, वैश्विक शोर शांत हो, और कंपनियों की कमाई मजबूत हो, तो बाजार 2026 के मध्य तक रफ्तार पकड़ सकता है। विशेष रूप से, बड़े और मिडकैप सेक्टर, बैंक्स / वित्तीय सेवाएँ, उपभोग – सामग्री, और इंफ़्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्र पहले लाभान्वित हो सकते हैं। मध्यम अवधि में (6–18 महीने) बाजार साइडवेज + हल्की बढ़ोतरी दिखा सकता है। परंतु लंबी अवधि (2–3 साल) में रुझान पॉजिटिव नजर आता है।

    निवेशकों को क्या करना चाहिए?

    • भाग लेने से पहले सेक्टर चयन करें — आईटी एवं हेल्थ जैसे सेक्टरों में सावधानी बढ़ाएं। डॉलर जोखिम, मुद्रा अस्थिरता और वैश्विक संकेतकों पर निगरानी रखें। ठोस, नकदी-संग्रहीत कंपनियों में निवेश करें — कम कर्ज वृहद् मुनाफा क्षमता वाली कंपनियाँ। समय-समय पर लाभ निकालने की योजना बनाएं — रैली के दौरान छोटे उद्देश्य तय करें। विविधीकरण जरूरी है — शेयरों के साथ डेट इंस्ट्रूमेंट, कम जोखिम वाली परिसंपत्तियाँ रखें।

    विदेशी निवेशकों की वापसी की शुरुआत संकेत देती है कि भारतीय शेयर बाजार में पुनरुत्थान की उम्मीद जगी है। यह वापसी धीरे-धीरे हो सकती है और पहले कुछ क्षेत्रों में केंद्रित हो सकती है। पूरी रफ्तार पकड़ने के लिए अभी भी समय चाहिए — लेकिन यदि घरेलू और वैश्विक कारक अनुकूल बने रहें, तो दीर्घकालीन निवेशकों के लिए यह सुनहरा अवसर हो सकता है।



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  • Deepika Padukone Wear Hijab दीपिका पादुकोण हिजाब पहनने पर ट्रोल

    Deepika Padukone Wear Hijab दीपिका पादुकोण हिजाब पहनने पर ट्रोल

    Deepika Padukone Wear Hijab अबू धाबी की एक टूरिज़्म एड में हिजाब पहने दिखायी देने के बाद दीपिका पादुकोण ट्रोल हुईं, लेकिन उनके फैंस ने कहा कि उन्होंने हमेशा स्थानीय संस्कृति और सम्मान की दिशा में कदम उठाया है। जानिए इस विवाद की पूरी कहानी।

    बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण इस समय सोशल मीडिया चर्चा का विषय बनी हुई हैं, जब उन्होंने अबू धाबी टूरिज़्म विज्ञापन में एक मुस्लिम परिधान (अबाया + हेडस्कार्फ़) पहना देखा गया। इस लुक को कुछ नेटिज़न्स ने ‘हिजाब’ नाम दिया और उन्हें ट्रोल किया गया।

    Deepika Padukone Wear Hijab
    Deepika Padukone Wear Hijab

    विज्ञापन में दीपिका पादुकोण और उनके पति रणवीर सिंह अबू धाबी के प्रसिद्ध शेख जायद ग्रैंड मस्जिद और अन्य ऐतिहासिक झरोखों की खूबसूरती को दिखाते हुए नजर आये। इस दौरान दीपिका ने ऐसा परिधान पहना जिसमें सिर और हाथ छूटे हुए थे, बाकी शरीर ढंका हुआ था।

    कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस पर सवाल उठाया कि क्या यह ‘माय चॉइस’ (My Choice) जैसी महिलाओं की स्वतंत्रता की वकालत करने वाली उनकी पूर्व परियोजनाओं की उपेक्षा नहीं है। विशेष रूप से उनका वो प्रोजेक्ट जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं को यह तय करने का हक है कि उन्हें क्या पहनना है — बिंदी लगाना हो या नहीं — और अब इस विज्ञापन पर उन्हें परिधान के चुनाव के चलते आलोचना झेलनी पड़ रही है।

    Deepika Padukone Wear Hijab
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    दीपिका के प्रशंसकों ने उनका जमकर बचाव किया

    कई लोगों ने यह तर्क दिया कि किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक स्थल पर जाने से पहले वहां के नियमों का पालन करना सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि जब वह मंदिरों में बहन जाती हैं, तो भी पारंपरिक और उपयुक्त परिधान पहनती हैं। यही परिधान उन्होंने अबू धाबी के मस्जिद परिसर में पहन लिया — इसका मतलब यह नहीं कि वे अपनी व्यक्तिगत आज़ादी छोड़ रही हों, बल्कि यह एक निवेदन था कि वह स्थानीय संस्कृति और धार्मिक प्रस्थान (dress code) का सम्मान कर रही हैं।

    एक अन्य प्रशंसक ने लिखा है, “यह दीपिका है जब वह मंदिर जाती हैं — उन्होंने हमेशा भारत की संस्कृति का सम्मान किया है। इस विज्ञापन में उन्होंने जो कुछ पहना, वह उस स्थान और संस्कृति के अनुरूप था।”

    Deepika Padukone Wear Hijab
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    वहीं आलोचकों की राय यह रही कि कलाकार को हर जगह एक ही पैमाना लागू करना चाहिए — चाहे यह भारतीय संस्कृति हो या विदेशी परिदृश्य। कुछ ने कहा कि यदि विज्ञापन में मुसलमानों के धर्मस्थल को प्रमोट कर रही हो, तो भारतीय संस्कृति/धर्मों के प्रति भी समान संवेदनशीलता होनी चाहिए।

    विज्ञापन में चर्चित ‘अबाया’ और ‘हिजाब’ के अंतर की भी चर्चा हुई — कई स्रोतों ने स्पष्ट किया है कि दीपिका ने जो वस्त्र पहना, वो हिजाब नहीं बल्कि अबाया है, जो शरीर के अधिकांश भाग को ढकने वाला परिधान है।

    अभी दीपिका पादुकोण या अबू धाबी के टूरिज़्म विभाग ने इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

    इस घटना ने साक्ष्य प्रदान कर दिया है कि भारत जैसे विविध सांस्कृतिक और धार्मिक देश में सार्वजनिक व्यक्ति और कलाकारों के हर कदम पर सोशल मीडिया पर निगाह बनी रहती है। उनकी पोशाक, उनके निर्णय, उनके विज्ञापन — सब कुछ चर्चा का विषय बन जाता है। इस विवाद ने यह भी दिखाया कि आजकल कला और प्रचार के बीच संतुलन खोजने में विवाद हो सकते हैं, खासकर जब संस्कृति और धर्म जुड़ा हो।



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  • Muhnochwa Real Story: लाल आंखों वाला प्राणी या सिर्फ अफवाह? जानिए ‘मुंहनोचवा’ की कहानी, जिसने गाँवों में फैलाई थी दहशत

    Muhnochwa Real Story: लाल आंखों वाला प्राणी या सिर्फ अफवाह? जानिए ‘मुंहनोचवा’ की कहानी, जिसने गाँवों में फैलाई थी दहशत

    Muhnochwa Real Story: 2002 के उत्तर प्रदेश-बिहार के ग्रामीण इलाकों में अचानक उभरी अफवाह ‘मुंहनोचवा’ ने रातों की नींद उड़ा दी। कुछ कहते थे लाल-पीली रोशनी वाला प्राणी, कुछ कहते थे हमले करता है मुंह नोच-नोच कर। सच क्या था, और कितनी अफवाह — पढ़िए पूरी कहानी।

    क्या मुंहनोचवा सच था या सिर्फ खौफ की कहानी

    Muhnochwa Real Story 2000 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और बिहार के कई गाँवों में एक अजीब-ओ-गरीब खौफ फैल गया, जिसका नाम था मुंहनोचवा। ये नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप उठती थी। कुछ कहते थे कि ये कोई जीव है, कुछ कहते थे मशीन या कोई एलियन होता है, जबकि बहुसंख्यक का मानना था कि ये रात में उड़ने वाला प्राणी है, जिसमें लाल-पीली-हरी लाइट जलती है।

    गाँवों में शाम होते ही खौफ का माहौल बनने लगता। लोग घरों की खिड़कियाँ बंद कर लेते; छतों पर नींद करना ख़तरनाक लगने लगता। छोटे बच्चे और बूढ़े बाहर निकलने से डरते थे। कहा जाता है कि मुंहनोचवा उन पर हमला करता है: मुंह नोच (मुँह को नोच लेना) – यानी चेहरे या होंठ को काट लिया जाना।

    2002 के आसपास ऐसी कई रिपोर्टें प्रकाशित हुईं कि किसी गाँव में लोगों ने मुंहनोचवा को देखा, किसी ने डरना शुरू कर दिया। लो मे यह अफवाह थी कि ये उड़ने वाला प्राणी किसी की छत से टकरा कर भाग जाता है, कभी छतों के बीच उड़ता है, कभी पेड़ों के ऊँचे हिस्सों से झाँकता है।

    Muhnochwa Real Story
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    लेकिन अफ़वाह का दायरा बढ़ने के साथ कई सवाल भी उठने लगे। पहला ये कि कहीं कोई भरोसेमंद गवाह नहीं मिला जिसने साक्षात मुंहनोचवा से सामना किया हो। कई लोगों ने कहा कि उन्होंने ध्वनि सुनी, रोशनी देखी, पर कभी कोई पुष्टि नहीं हुई कि उसके पंजे या दांत द्वारा हमला हुआ हो।

    दूसरी ओर, प्रशासन और वैज्ञानिकों ने इनियों की जांच करने की कोशिश की। इलाकों की पुलिस रिपोर्टों में अक्सर कहा गया कि कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल रहा है। IIT कानपुर सहित कुछ वैज्ञानिक संस्थानों को भी खबर पहुंची, लेकिन उन्होंने भी कोई तथ्यात्मक दस्तावेजी प्रमाण नहीं पा सके।

    उन लोगों की आँखों में चमकती लाल रोशनी… और डर जो नींद हराम कर दे

    एक समाचार लेख में लिखा गया कि “दिन में लकड़सुंघवा, रात में मुंहनोचवा” — लोगों की कल्पनाएँ और डर मिलकर एक मिथक को जन्म देते हैं।

    कई गाँवों में तो रात के समय लोग समूह बना कर सतर्क रहते थे; कोई नींद से पहले घंटा-घंटा जागता; कुछ लोग साथ बैठ कर गीत-भजन करते ताकि डर कम हो सके। बाजारों में मुंहनोचवा की कहानियाँ बेची जाती थीं — किसने देखा, किसने बच निकलने की कहानी सुनाई, किसका बच्चा डर के कारण बाहर नहीं गया।

    Muhnochwa Real Story
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    लेकिन समय के साथ ये खौफ फीका पड़ गया। मीडिया के बढ़ते संदेह, प्रशासन की चेतावनियों और लोगों की समझ-बूझ बढ़ने से मुंहनोचवा प्रकरण कहीं मिटने लगा। जो उजाले और रोशनी रात में डरावनी दिखती थीं, वे अब तारों की चमक, बिजली के खंभों की रोशनी, या किसी ड्रोन की झिलमिलाहट बन कर रह गईं।

    आज मुंहनोचवा मुख्यतः एक लोककथा बन कर रह गया है — एक अफ़वाह की कहानी जिसे सुन-सुन कर कई रातों की नींद उड़ी थी। लेकिन इससे सीख ये मिली कि अंधविश्वास और संदेह कैसे समाज में भय का वातावरण बना सकता है।

    मुंहनोचवा सच हो या न हो, उसकी कहानी हमें सावधान करती है: किसी भी अफ़वाह को सबूतों से आंकें, डर को न बढ़ने दें, और विज्ञान और तर्क को अपनाएँ।


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  • Chauth Mata Mandir: इस करवा चौथ पर पति की लंबी आयु के लिए जाए सवाई का प्रसिद्ध मंदिर

    Chauth Mata Mandir: इस करवा चौथ पर पति की लंबी आयु के लिए जाए सवाई का प्रसिद्ध मंदिर

    सवाई माधोपुर का प्रसिद्ध Chauth Mata Mandir: पति की लंबी आयु और मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

    राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित चौथ माता का मंदिर अपनी आस्था, मान्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ महिलाएं करवा चौथ और अन्य व्रतों के अवसर पर पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना के लिए दर्शन करने आती हैं।

    राजस्थान की धरती पर आस्था और परंपरा का संगम देखने को मिलता है। इन्हीं में से एक प्रमुख आस्था स्थल है — चौथ माता का मंदिर, जो सवाई माधोपुर जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूर, एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।

    मंदिर का इतिहास है पुराना

    कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना लगभग 500 साल पहले राजा भीमसिंह द्वारा की गई थी। माना जाता है कि राजा को माता चौथ का स्वप्न आया था और माता ने उन्हें आदेश दिया था कि वे इस स्थान पर उनका भव्य मंदिर बनवाएं। तब से यह स्थान “चौथ का बरवाड़ा” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

    Chauth Mata Mandir
    Chauth Mata Mandir

    खास मौके पर लगता है मेला

    यह मंदिर खासतौर पर करवा चौथ व्रत के दौरान अत्यधिक प्रसिद्ध रहता है। इस दिन महिलाएं दूर-दूर से यहां आती हैं और अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशियों के लिए माता की पूजा करती हैं। मंदिर के चारों ओर मेले जैसा माहौल रहता है — घंटों की लंबी कतारें, भक्ति गीत, आरती और दीपों की रोशनी से मंदिर का वातावरण अद्भुत हो उठता है।

    चौथ माता, जिन्हें देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है, अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं — ऐसा विश्वास है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल व्रती महिलाएं होती हैं, बल्कि परिवार समेत लोग माता के दर्शन कर जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं।

    Chauth Mata Mandir
    Chauth Mata Mandir

    मंदिर का निर्माण राजस्थानी स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण है। ऊँचाई पर बने इस मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को सैकड़ों सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, लेकिन माता के प्रति श्रद्धा इतनी गहरी होती है कि लोग बिना थके चढ़ाई पूरी करते हैं। रास्ते में भक्त “जय चौथ माता की!” के जयकारे लगाते हैं।

    Chauth Mata Mandir
    Chauth Mata Mandir

    मंदिर परिसर से सवाई माधोपुर का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत सुंदर दिखाई देता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पहाड़ियों से दिखाई देने वाला नज़ारा भक्तों के मन को मोह लेता है।

    यहाँ प्रतिवर्ष करवा चौथ, महाशिवरात्रि, श्रावण मास और नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन किए जाते हैं। इन अवसरों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुँचते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता चौथ से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

    चौथ माता मंदिर के पास कई छोटे मंदिर भी हैं, जहाँ शिव, गणेश और भैरव देवता की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मंदिर के नीचे क्षेत्र में बाजार और धर्मशालाएँ भी बनी हैं, जहाँ श्रद्धालु ठहर सकते हैं।

    कैसे पहुंचे चौथ माता के मंदिर

    मंदिर तक पहुँचने के लिए सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है। जो भक्त पैदल यात्रा करना चाहते हैं, वे पहाड़ी मार्ग से माता के जयकारों के साथ चढ़ाई पूरी करते हैं।

    माता चौथ का यह मंदिर नारी शक्ति, श्रद्धा और वैवाहिक जीवन की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यहां का वातावरण भक्तिभाव से भरा होता है, जो हर आगंतुक के हृदय को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।


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  • Morbi के हलवद में मोगल माता के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले ‘भूवा’ का पर्दाफाश! विज्ञान जथा ने किया खुलासा

    Morbi के हलवद में मोगल माता के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले ‘भूवा’ का पर्दाफाश! विज्ञान जथा ने किया खुलासा

    मोरबी जिले के हलवद में मोगल माताजी के नाम पर चमत्कार दिखाने और अंधविश्वास फैलाने वाले भूवा का पर्दाफाश हुआ। शिकायत के बाद विज्ञान जथा की टीम मौके पर पहुँची और वैज्ञानिक तर्कों से पूरे मामले का सच सामने लाया।

    Morbi गुजरात के मोरबी जिले के हलवद तालुका में अंधविश्वास की एक चौंकाने वाली घटना

    गुजरात के मोरबी जिले के हलवद तालुका में अंधविश्वास की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक व्यक्ति खुद को “मोगल माताजी का दूत” और “देवी का अवतार” बताकर लोगों को भ्रमित कर रहा था। वह गाँव में चमत्कार दिखाने और भविष्यवाणी करने का दावा करता था। स्थानीय लोगों ने जब इस पर शक जताया तो पूरे मामले की शिकायत विज्ञान जथा (Science Awareness Team) को की गई।

    Morbi
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    फरियाद के बाद विज्ञान जथा की टीम मौके पर पहुँची और लोगों के बीच वैज्ञानिक तरीके से सच्चाई उजागर की। टीम ने यह साबित किया कि भूवा जो “चमत्कार” दिखा रहा था, वह किसी दैवी शक्ति का परिणाम नहीं, बल्कि रासायनिक और भौतिक प्रयोगों का खेल था।

    भूवा गाँव के मंदिर में रोज़ बैठता था और कहता था कि मोगल माताजी मेरे शरीर में विराजमान हैं। वह अपने अनुयायियों को यह दिखाता कि उसके हाथ से धुआँ या आग निकल रही है, या किसी व्यक्ति की बीमारी छूने मात्र से ठीक हो रही है। कुछ लोग उसकी बातों में फँसकर पैसे, गहने और चांदी का दान भी करने लगे थे।

    विज्ञान जथा टीम ने मौके पर जाकर यह दिखाया कि जिस “धुएँ” को चमत्कार बताया जा रहा था, वह दरअसल धूप, कपूर और केमिकल के मिश्रण से बनाया गया था। “रक्त के आँसू” जैसी घटनाएं भी रंगीन द्रव (chemical dye) से तैयार की गई थीं।

    टीम के एक सदस्य ने बताया —

    “हमारा उद्देश्य किसी की आस्था को ठेस पहुँचाना नहीं, बल्कि यह समझाना है कि विज्ञान से परे कोई जादू नहीं होता। लोग अपनी श्रद्धा रखें, लेकिन अंधविश्वास से बचें।”

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    Morbi मोगल माता के नाम पर अंधविश्वास

    इस कार्रवाई के बाद पुलिस भी मौके पर पहुँची और भूवा के खिलाफ धोखाधड़ी, लोगों को गुमराह करने और अंधविश्वास फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया।

    गाँव के लोगों में भी अब जागरूकता फैल रही है। कई लोगों ने स्वीकार किया कि वे डर और अंधविश्वास में फँस गए थे, लेकिन अब उन्हें समझ आया कि श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क है।

    स्थानीय शिक्षकों और युवाओं ने विज्ञान जथा के साथ मिलकर गाँव में जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के छलावे का शिकार न बने।

    एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा —

    “हमने सोचा था कि माता का चमत्कार है, लेकिन अब समझ में आया कि असली शक्ति हमारे ज्ञान और सोच में है।”

    इस पूरे घटनाक्रम ने यह संदेश दिया है कि अंधविश्वास का अंत केवल विज्ञान और तर्क से ही संभव है। समाज में अंधश्रद्धा को मिटाने के लिए शिक्षा, जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण बेहद जरूरी है। हलवद की यह घटना पूरे राज्य के लिए एक सीख है कि श्रद्धा जरूरी है, लेकिन अंधश्रद्धा नहीं।


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