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technology: सोशल मीडिया का अधिकांश लोग निष्क्रिय अनुभव का आनंद ले रहे हैं

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technology: सोशल मीडिया का अधिकांश लोग निष्क्रिय अनुभव का आनंद ले रहे हैं: नवीनतम अध्ययन के अनुसार, अरबों लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, लेकिन वे अधिक निष्क्रिय अनुभव का आनंद लेते हैं और कम पोस्ट करते हैं।

technology: 2010 में सोशल मीडिया

2010 में सोशल मीडिया आशाओं और उम्मीदों का प्रतीक बन गया था, लेकिन 2020 में फेक न्यूज और लोगों के राजनीतिक विचारों को प्रभावित करने के आरोपों का शिकार हो गया। महज दस साल में ही लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करने से परहेज करना शुरू कर दिया है। पोस्ट करने का अर्थ है इमेज फॉर्म में अपने आप को व्यक्त करना। लॉग इन तो करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग पोस्ट करते हैं।

डाटा-एनालिटिक्स फर्मों और उपयोगकर्ता सर्वेक्षण के अनुसार, अरबों लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, लेकिन वे कम पोस्ट करते हैं और अधिकतर निष्क्रिय अनुभव का आनंद लेते हैं। वे अभी भी लोगों की फीड या रील देखने में समय बिताते हैं, लेकिन अपनी राय देने में उतने सक्रिय नहीं हैं। यानी यह समय बर्बाद करने का साधन बन गया है, डाटा-इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट की अक्तूबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया अकाउंट वाले 61 प्रतिशत वयस्क अमेरिकी उत्तरदाताओं ने जो पोस्ट करते हैं, उसके बारे में अधिक सोचने लगे हैं।

भारत भी इससे बाहर नहीं है। यहां ऐसा नहीं दिखता, लेकिन सोशल मीडिया पर कम लोग पोस्ट कर रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। यह शोध से पता चला है कि लोग जो कुछ देखते हैं, उसे नियंत्रित नहीं कर सकते। उन्हें अपनी निजता की चिंता होने लगी है और वे अपने जीवन को ऑनलाइन साझा करने के प्रति भी अधिक सुरक्षात्मक हो गए हैं। सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स की बढ़ती संख्या ने भी लोगों का मनोरंजन कमजोर कर दिया है।

सोशल मीडिया कंपनियों को नुकसान होगा। वे दुनिया की सबसे शक्तिशाली कंपनियों और प्लेटफार्मों में से एक बन गए हैं क्योंकि उनमें अधिक से अधिक उपयोगकर्ता शेयर हैं। मजेदार बात यह है कि, भले ही ये कंपनियां कोई उत्पाद नहीं बनाती हैं, फिर भी ये विश्व की सबसे बड़ी और लाभकारी कंपनियां बन गई हैं। यकीन है कि ये कंपनियां सिर्फ यूजर जेनरेटेड कंटेंट से पैसा कमा रही हैं।

technology: भारत में हालात अमेरिका की तरह नहीं हैं,

भारत में हालात अमेरिका की तरह नहीं हैं, लेकिन लोग अपनी निजता को सुरक्षित रखने के लिए सब कुछ सोशल मीडिया पर डालने की सोच से विरोध कर रहे हैं। मीडिया लिट्रेसी का प्रचार और मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया एकाउंट का उपयोग इसका एक बड़ा कारण है। सोशल मीडिया पर पहुंचते ही उपभोक्ता डाटा में बदल जाता है। यही कारण है कि देश में हर सेकंड प्रचुर मात्रा में डाटा जेनरेट हो रहा है, जिससे इंटरनेट के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को लाभ हो रहा है।

क्योंकि सभी सोशल मीडिया कंपनियां इनसे संबंधित आंकड़े सार्वजनिक नहीं करतीं, इसलिए भारत में सोशल मीडिया से कितने आधिकारिक रोजगार पैदा हुए, इसका उल्लेख नहीं है। साथ ही, इन कंपनियों में काम करने वाले लोगों की कमी प्रत्यक्ष रोजगार की कमी का संकेत है। अब सोशल मीडिया कंपनियां उपयोगकर्ताओं को अधिक व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं। वे बातचीत को ज्यादा सुरक्षित बना रहे हैं, मैसेजिंग जैसे अधिक निजी उपयोगकर्ता अनुभवों में सुधार कर रहे हैं और लोगों को अंतरंग साथियों के लिए पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। Instagram ने हाल ही में क्लोज फ्रेंड्स फीचर पेश किया है।

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सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव

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