Tuesday, November 11, 2025
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The TAJ Story ताजमहल मंदिर था? परेश रावल का सनातन मिशन शुरू ट्रेलर ने मचा दी गरमी!

The TAJ Story ताजमहल मंदिर था? परेश रावल का सनातन मिशन शुरू ट्रेलर ने मचा दी गरमी!

The TAJ Story परेश रावल जल्द ही “द ताज स्टोरी” नाम की फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आएंगे और इसका ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है। सच कहें तो यह शायद साल का सबसे हाई-वोल्टेज ड्रामा है — लेकिन अच्छे तरीके से नहीं। यह एक कोर्टरूम बैटल की कहानी है जिसमें एक टूरिस्ट गाइड ताजमहल की असली “उत्पत्ति” की सच्चाई जानने के लिए कानूनी मोर्चा खोल देता है।

टूर गाइड विष्णु दास के किरदार में परेश रावल वाकई दमदार लगते हैं — और यही इस ट्रेलर का सबसे मज़बूत पहलू भी है। बाकी कंटेंट ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी वायरल व्हाट्सएप यूनिवर्स से सीधे स्क्रिप्ट उठाकर अदालत में पेश कर दिया गया हो। पूरे ट्रेलर का नैरेटिव इस जुनून के इर्द-गिर्द घूमता है कि ताजमहल दरअसल एक मंदिर था। यह वही टोन है जो हाल ही में वायरल हुए उस इंस्टाग्राम रील की याद दिलाता है, जिसमें दावा किया गया था कि “सभी मुसलमान शूर्पणखा के वंशज हैं।”

The TAJ Story क्या है फिल्म का प्लॉट

The TAJ Story
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ट्रेलर लगातार अदालत में तीखी बहस और भड़काऊ तर्कों का माहौल बनाता है — उदाहरण के तौर पर वो डायलॉग:
“कहीं शाहजहाँ कन्फ्यूज तो नहीं था — मकबरा बनवाऊँ या मंदिर?”
और सबसे विचित्र मोड़ तब आता है जब परेश रावल ताजमहल का “DNA टेस्ट” कराने का सुझाव दे डालते हैं, सिर्फ इसलिए कि उसकी आर्किटेक्चर में एक ‘कलश’ मौजूद है।

ट्रेलर विजुअली और भावनात्मक रूप से असरदार ज़रूर दिखता है, लेकिन इसके संवाद जिस तरह राजनीतिक और धार्मिक बहस को हवा देते हैं, वह कई जगह अनावश्यक रूप से सनसनीखेज प्रतीत होता है। परेश रावल ने “ओह माय गॉड” में धर्म और तर्क का बेहद संतुलित चित्रण किया था — लेकिन “द ताज स्टोरी” उस रास्ते से हटकर बहुत अधिक उकसाने वाले नैरेटिव को चुनती दिखती है।

The TAJ Story मज़बूत कलाकारों की टीम

परेश रावल के साथ ज़ाकिर हुसैन, अमृता खानविलकर, स्नेहा वाघ और नमित दास जैसे मज़बूत कलाकारों की टीम होने के बावजूद, ट्रेलर एक गंभीर सामाजिक विमर्श से ज़्यादा हाइपरड्रामा पर जोर देता नज़र आता है। फिल्म खुद को इस सवाल के जरिए बहुत गहरे और बहादुर अंदाज़ में पेश करने की कोशिश करती है —
“आज़ादी के 79 साल बाद भी, क्या हम अब भी बौद्धिक आतंकवाद के गुलाम हैं?”
लेकिन स्क्रीन पर जो दिखता है, वह ज्यादा एक बिना आवश्यकता की उत्तेजना पैदा करने वाला बहस-केंद्रित तमाशा प्रतीत होता है।

फिल्म 31 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है।
यदि अभी तक ट्रेलर नहीं देखा है, तो उसे यहाँ देख सकते हैं।


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