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Up Election: विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सपा और कांग्रेस फिर से एक साथ आते हैं, तो भाजपा को जीत मिलना मुश्किल होगा।

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Up Election: यूपी की दस सीटों पर उपचुनाव की तारीखें अभी घोषित नहीं की गई हैं। भाजपा को मुश्किल होगा क्योंकि सपा-कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा को ज्यादातर क्षेत्रों के सामाजिक समीकरणों से कोई मतलब नहीं है।

लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद, भाजपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से अच्छी तरह से चुनौती मिल सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनावों में शामिल ज्यादातर क्षेत्रों में सामाजिक परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश में नौ विधायकों के सांसद चुने जाने और कानपुर के सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के विधायक को आगजनी मामले में सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद शेष 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। उपचुनाव की तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। भाजपा ने उपचुनाव में सभी दस सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल होगा। क्योंकि सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।

Up Election: संगठन से लेकर बूथ तक तैयारी की शुरुआत

14 जुलाई को लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के आंबेडकर सभागार में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई। अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इसमें कार्यकर्ताओं से कहा कि हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनावों में पूरी तरह जीत हासिल करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष के इस आह्वान के बाद से भाजपा ने संगठन से लेकर बूथ स्तर तक तैयारियों को तेज कर दिया है, और मंत्रियों और पदाधिकारियों को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का कार्यभार सौंपा गया है।

Up Election: भाजपा कई सीटों पर नहीं है

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने कहा कि उपचुनाव की तारीख अभी नहीं तय हुई है, लेकिन पार्टी ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा और उसके सहयोगी प्रत्येक १० सीट जीतेंगे। यद्यपि, लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राजेश मिश्र ने कहा कि 2022 और 2024 के लोकसभा चुनावों के नतीजों को देखते हुए, भाजपा को सभी दस सीटों पर जीतने का लक्ष्य बहुत चुनौतीपूर्ण है। भाजपा को उपचुनाव वाली कई सीटों के राजनीतिक और सामाजिक समीकरण नहीं पसंद हैं। अगर भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी उम्मीदों को पूरा नहीं किया, तो

Up Election: भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 33 सीटें जीतीं।

भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से सिर्फ 33 पर जीत मिली, जबकि उसके सहयोगी रालोद को दो और अपने दल (एस) को एक सीट मिली। सपा 37 सीटों पर जीता, कांग्रेस छह। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने एक सीट जीती। कांग्रेस और सपा मिलकर उपचुनाव लड़ेंगी, जैसा कि प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है। सीटों के बंटवारे पर चौधरी ने कहा कि पार्टी आलाकमान इसे निर्धारित करना है।

यूपी में १० सीटों पर उपचुनाव होंगे

भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की 10 उपचुनाव सीटों में से मझवां और कटेहरी को सहयोगी निषाद पार्टी को दिया था, जबकि करहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, मीरापुर, फूलपुर और सीसामऊ में अपने उम्मीदवार उतारे थे। Nishaad Party ने मझवां में जीत हासिल की, लेकिन कटेहरी में हार गई। साथ ही, भाजपा ने आठ सीटों में से सिर्फ खैर, गाजियाबाद और फूलपुर में जीत हासिल की थी। रालोद (उस समय विपक्ष में था) ने एक सीट जीती, जबकि सपा ने बाकी पांच सीटें जीतीं। रालोद ने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की सत्तारूढ़ गठबंधन में भाग लिया था।

फूलपुर सीट पर जीत का अंतर बहुत छोटा था।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2022 के फूलपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार ने तीन हजार से भी कम मतों से सपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हराया था। भाजपा ने वहीं और गाजियाबाद में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन सपा ने करहल और कुंदरकी जैसी सीटों पर भाजपा को बहुत पीछे छोड़ दिया। भाजपा को मिल्कीपुर, सीसामऊ, कटेहरी और मीरापुर की सीटों से भी कोई लाभ नहीं हुआ।

Up Election: विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सपा और कांग्रेस फिर से एक साथ आते हैं, तो भाजपा को जीत मिलना मुश्किल होगा।


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