UP: रायबरेली लोकसभा में अभी प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी लगभग पूरी तरह से प्रियंका गांधी के पक्ष में है।
अब रायबरेली कांग्रेस शांत, शांत और चुप है। उल्लासपूर्ण है। बस प्रियंका की आगमन की उम्मीद में..। रणनीतिकारों ने भी पिछले दो महीने से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। ब्लॉक स्तर से लेकर गांव स्तर तक, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने ग्रामीणों के बीच चौपाल लगाई है।
प्रियंका गांधी के नाम को अभी केंद्रीय नेतृत्व ने नहीं चुना है, लेकिन कार्यकर्ता उनसे उत्साहित हैं। कुल मिलाकर, 1967 में इंदिरा गांधी और 2004 में सोनिया गांधी के सियासी दौर में रायबरेली में वही परिस्थितियां हैं।
जिले में कांग्रेस संगठन 1800 से अधिक बूथों पर कार्यरत है। भाजपा इसलिए भी बूथ जीतने की योजना बना रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता इस तरह बूथ स्तर पर काम कर रहे हैं। प्रत्येक मतदाता के नाम और जातीय गणित का विश्लेषण किया जा रहा है। कांग्रेस का कार्यक्रम भी बूथों पर प्रचारित किया जा रहा है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पांच न्याय और बीस गारंटी बताए हैं, और जिला कांग्रेस समिति भी इसी पर ध्यान देती है।
UP :बीएमडी फार्मूले देखे जाएंगे
कांग्रेस पार्टी ने जिले में जातीय समीकरण को देखा है। विधानसभा में जिस जाति का अधिक प्रभाव है, उसी जाति के पदाधिकारियों को नियुक्त किया गया है। पुराने कांग्रेसियों को भी सहायता दी जाती है। कांग्रेस अभी भी रायबरेली में अपने पुराने ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित (बीएमडी) सिद्धांत को सही मानती है। इसलिए पार्टी इस बार भी चुनाव में इसी तरह काम कर रही है।
UP: भाजपा भी कोग्रेस के पत्तों का खुकने के इंतजार में
UP: भाजपा भी रायबरेली में प्रियंका गांधी की जीत का इंतजार कर रही है। इसलिए, पार्टी के जानकार किसी भी प्रत्याशी का नाम नहीं बता रहे हैं। जब कुछ गुप्त है भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी पता नहीं है कि कौन उतर रहा है।
प्रियंका ही संघर्ष करेगी। प्रियंका गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने से पूरी पार्टी को फायदा होगा। बूथ स्तर से न्याय पंचायत तक कर्मचारी और पदाधिकारी हैं। केंद्रीय कमेटी मई के पहले सप्ताह तक नाम घोषित करने की उम्मीद है।कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंख तिवारी
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Amethi और Raebareli से Congress Loksabha Election के प्रत्याशी पर बड़ा खुलासा । Rahul । Sonia Gandhi