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UP: एजेंडे की धार और सहयोग; कांग्रेस ने रायबरेली-अमेठी और सपा ने मैनपुरी का मॉडल अपनाया

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UP: यूपी में एजेंडे की धार और एकजुटता से भारत गठबंधन सफल हुआ है। बेरोजगारी, संविधान की रक्षा और जातीय जनगणना का एजेंडा जीता। सपा-कांग्रेस ने प्रचार और बूथ प्रबंधन की रणनीति में समन्वय दिखाया। अल्पसंख्यक वोटों को नहीं दिया गया। दलितों भी साथ थे।

कांग्रेस और सपा गठबंधन ने अपने एजेंडे को मजबूत बनाया। दोनों दलों ने मिलकर मतदाताओं की जातिगत जनगणना कराने और संविधान की रक्षा का आह्वान किया। ऐसे में, अल्पसंख्यकों की एकजुटता और दलित मतदाताओं का साथ प्रदेश में बड़ी सफलता मिली।

प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में सपा 62 पर, कांग्रेस 17 पर और तृणमूल कांग्रेस 1 पर है। कांग्रेस और सपा को जनता का व्यापक समर्थन मिला। वे एनडीए की तुलना में अधिक सीटें जीतने में सफल रहे। दोनों पक्षों की कठोर रणनीति इस जीत का कारण रही।

कांग्रेस और सपा ने जातीय जनगणना के माध्यम से खुलकर दलितों और पिछड़ों का पक्ष लिया। इससे दलित और पिछड़े वोटबैंक एकजुट रहे। दोनों ने धर्म का पक्ष लिया, लेकिन राम मंदिर से दूर रहे

इससे वे अल्पसंख्यकों का भरोसा बचाने और उनसे जुड़ने में सफल रहे। राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की वकालत करते हुए पूरे चुनाव में मंडल बनाम कमंडल की छाया डालने का प्रयास किया। उन्हें भी इससे लाभ हुआ।

UP: चरण-दर-चरण बदलने वाली रणनीति

भारत गठबंधन के नेताओं ने रणनीति बदली। अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया गया, जबकि पहले और दूसरे चरण में सिर्फ अल्पसंख्यकों पर ध्यान दिया गया था। विधानसभा ने जिस जाति का वर्चस्व था, उसी जाति का नेता चुना। पार्टी के बैनर पर डॉ. आंबेडकर, संत गाडगे और ऊदादेवी पासी की तस्वीर लगाई गई। ऐसे में दलितों को विश्वास हुआ कि भारत गठबंधन ही उनके हक की रक्षा करेगा।

UP: रोजगार के मुद्दे पर युवा सहयोग

कांग्रेस ने न्याय पत्र में महिलाओं, छात्रों, किसानों और मनरेगा कर्मचारियों के लिए अलग-अलग घोषणाएं करके उन्हें एकजुट रखा। घर-घर पहुंचने वाली टीम चुनाव को लेकर बनाए गए घोषणापत्र और सपा और कांग्रेस की दस और पांच साल की उपलब्धियों से संबंधित पर्ची भी थमाती रही।
मनरेगा से लेकर कन्या विद्याधन तक का उल्लेख था। कांग्रेस ने घोषणापत्र में 30 लाख सरकारी नौकरियों की घोषणा की। युवा गठबंधन की ओर चले गए जब यह घर-घर पहुंचाया गया।

UP: कांग्रेस ने रायबरेली-अमेठी और सपा ने मैनपुरी का मॉडल अपनाया

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में सपा ने फ्रंटल संगठन के कार्यकर्ताओं को मैनपुरी में लगाकर टोह ली, जिस इलाके में सपा को वोट मिलने की संभावना नहीं थी। वे अपने मतदाताओं को समझाने में सफल रहे। इस चुनाव में भी यह फॉर्मूला लागू किया गया था। अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस ने क्षेत्रवार समीकरण बनाया। हर विधानसभा क्षेत्र एक सेक्टर में विभाजित था।

उस क्षेत्र में मतदाताओं की जाति के आधार पर संबंधित बिरादरी के नेताओं को पद दिया गया। स्थानीय कमेटी, जिला और प्रदेश के नेता बूथों पर हैं। कार्यकर्ताओं को प्रचार के तरीके सिखाए गए, सोशल मीडिया का उपयोग किया गया और स्थानीय कार्यकर्ताओं को जोड़ने की योजना बनाई गई।

UP: एजेंडे की धार और सहयोग; कांग्रेस ने रायबरेली-अमेठी और सपा ने मैनपुरी का मॉडल अपनाया

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