Wayanad Landslide: वायनाड का अभिजीत तिरुवनंतपुर में पढ़ाई कर रहा था, इसलिए वह बच गया। लैंडस्लाइड के बाद हुई तबाही में उसके सभी आठ जानवर मारे गए। ऊंचाई पर बसा उसका गांव सुरक्षित था, लेकिन आज वह बिल्कुल नष्ट हो चुका है।
अभिजीत, 18 साल का, कलिंगन होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं। अभिजीत को तस्वीरें खींचने, सेल्फी लेने और हर खुशी का क्षण अपने फोन में कैद करने का शौक था। उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली, पहाड़ों, झरनों और नदियों की बेहतरीन तस्वीर खींची। वह खाली समय में इन चित्रों को देखकर अपने सुखद क्षणों को याद करता था। लेकिन अभिजीत अब बदल गया है। वह इन दिनों अपने मोबाइल फोन की सभी तस्वीरों को एक-एक करके हटा रहा है। कारण वायनाड में आने वाले लैंडस्लाइड में सब कुछ नष्ट होना। उनका घर और परिवार इस तबाही में बह गए। वे अपने माता-पिता और परिवर के आठ सदस्यों को खो चुके हैं।
अभिजीत ने मेप्पाडी के सरकारी हाई स्कूल में एक राहत शिविर में बैठे हुए आंसू बहाए। परेशानी और थकान से भरा चेहरा था। हाथों में मोबाइल था, जिसकी स्क्रीन पर वह अपनी उंगलियों को स्लाइड कर रहे थे।
Wayanad Landslide: बर्दाश्त नहि हो रही यादें
अभिजीत ने कहा कि वे प्यारी तस्वीरों को अपने फोन से मिटा रहे थे क्योंकि वे उन यादों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे जो उन्होंने अपने फोन पर कैद कीं। मंगलवार की सुबह हुए भूस्खलन ने अभिजीत के गांव को बर्बाद कर दिया।
Wayanad Landslide: पूरा परिवार एक झटके में समाप्त हो गया
अभिजीत ने बताया कि उनके पूरे परिवार ने लैंडस्लाइट से मर गया था। उनके माता-पिता, भाई-बहन, दादी, चाचा, चाची और चचेरे भाई सब मर गए। उनके चार अन्य सदस्य भी इसमें मर गए। वायनाड में दो दिनों तक लगातार बारिश होने के कारण ये करीबी दोस्त घर में शरण लेने आए थे।
Wayanad Landslide: तिरुवनंतपुरम में होने से सिर्फ अभिजीत की बची जान
युवक ने बताया कि अपने परिवार में वह अकेला जीवित है। वह केवल तिरुवनंतपुरम में पढ़ाई करने के लिए बच गया। अभिजीत ने कहा कि उसका गांव ऊंचाई पर था, इसलिए सुरक्षित था। उसने अपने सुंदर गाँव की बहुत सारी तस्वीरें खींचीं। दोस्तों को इन्हें दिखाता था, जो चित्रों को देखकर गांव की प्राकृतिक सुंदरता की बहुत प्रशंसा करते थे। उसे इस सुंदर गांव में रहने का गर्व था।
आज यह गांव एक भयानक दुर्घटना का स्थान बन गया है। वह इस गांव में रहने के कारण दुखी है। अभिजीत ने बताया कि उसके पिता, बहन, चाचा और चाची के शव मलबे में मिले, लेकिन उसकी मां, भाई, दादी और चचेरे भाई गायब हैं। अभिजीत ने अपनी चाची को खो दिया, जो रिश्तेदारों से मिलने चूरलमाला गई थी।
रो-रोकर बुरा हाल
अभिजीत अकेला रह गया; उसके चाचा नारायणन के परिवार से एकमात्र जीवित व्यक्ति उसका चचेरा भाई प्रणव था। अभिजीत अपने पिता और बहन का अंतिम संस्कार करने के लिए मरियम्मम मंदिर के राहत शिविर से चला गया। उन्होंने कहा कि हमारा गांव बहुत खूबसूरत था। मैंने बहुत सी फोटो लीं। उनमें से अधिकांश को मैंने मिटा दिया है। जब सब कुछ खो गया है, उन्हें सुरक्षित रखने का क्या लाभ है? चित्र गायब हो गए, लेकिन उनके निशान शेष रहे।
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