22 December 2025 Winter Solstice: साल की सबसे लंबी रात क्यों होती है? जानें विंटर सोल्सटिस का विज्ञान, प्राचीन मान्यताएँ और रोचक तथ्य
22 December 2025 Winter Solstice: को साल की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन क्यों होता है? जानिए विंटर सोल्सटिस का वैज्ञानिक कारण, इतिहास और रोचक मान्यताएँ।
हर साल 22 दिसंबर का दिन पृथ्वी के लिए बेहद खास माना जाता है, क्योंकि यह दिन “विंटर सोल्सटिस” यानी शीत अयनांत के नाम से जाना जाता है। इस दिन वर्ष की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन होता है। यह खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि कई संस्कृतियों में इसे विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का समय भी माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन के पीछे का विज्ञान, इतिहास और रोचक मान्यताएँ।
क्या है विंटर सोल्सटिस?
पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5° झुकी हुई है और सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। इस झुकाव की वजह से साल के अलग-अलग समय पर सूरज की रोशनी पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों पर अलग कोण से पड़ती है।
22 या 21 दिसंबर को
- सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्ध पर सीधी पड़ती हैं
- और उत्तरी गोलार्ध सूरज से थोड़ा दूर झुका रहता है
इसी कारण उत्तरी गोलार्ध में रहने वाले लोगों के लिए यह साल की सबसे लंबी रात बन जाती है।

22 दिसंबर को दिन इतना छोटा क्यों होता है?
इस दिन सूर्य का “अपेक्षिक उदय” देर से होता है और “अस्त” जल्दी हो जाता है।
नतीजतन –
✔ दिन छोटा
✔ रात लंबी
उदाहरण के तौर पर भारत में इस दिन लगभग 10 घंटे से भी कम दिन की रोशनी मिलती है, जबकि रात लगभग 14 घंटे तक रहती है।
यह घटना साइंस की दृष्टि से बेहद सटीक है और हर साल लगभग इसी तारीख के आसपास दोहराई जाती है।
दुनिया भर में क्यों मनाया जाता है यह दिन?
विंटर सोल्सटिस को दुनिया की कई सभ्यताओं ने विशेष दिन माना है।
1. प्राचीन यूरोप में “यूल डे”
नॉर्दर्न यूरोप में लोग इस रात को बड़ी आग जलाकर मनाते थे, क्योंकि यह अंधकार के कम होने और आसमान में सूर्य की धीरे–धीरे वापसी का प्रतीक माना जाता था।
2. रोम का त्योहार “सैटर्नेलिया”
रोमन लोग इस दिन ईश्वर सैटर्न की पूजा करते थे और उत्सव मनाते थे। यही परंपरा बाद में कई क्रिसमस परंपराओं से मेल खाती है।
3. भारत की परंपराएँ
भारत में भले ही विंटर सोल्सटिस का शब्द आम नहीं है, लेकिन संक्रांति, लोहड़ी और मकर संक्रांति जैसी परंपराएँ सूर्य के इसी बदलाव पर आधारित हैं।
22 दिसंबर के बाद जैसे ही सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है, माना जाता है कि दिन शुभ होने लगते हैं।


क्या इस दिन कुछ खास ऊर्जा होती है?
आध्यात्मिक दृष्टि से माना जाता है कि
- इस रात का सन्नाटा
- सूर्य का उत्तरी गोलार्ध की ओर लौटना
- और प्रकृति का संक्रमण काल
मानव मन और शरीर को नई ऊर्जा देता है।
कई संस्कृतियाँ इस रात ध्यान, शांति और संकल्प–धारण का अभ्यास करती हैं।
22 December 2025 Winter Solstice रोचक तथ्य
सबसे लंबी रात उत्तरी गोलार्ध में ही होती है, जबकि इसी दिन दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
यह रात लंबी होते हुए भी खतरनाक नहीं, बल्कि एक खगोलीय परिवर्तन का संकेत है।
22 दिसंबर के बाद हर दिन सूरज थोड़ी देर ज्यादा चमकता है।
भारत, चीन और मिडिल ईस्ट सहित कई जगहों पर लोग इस समय को नई शुरुआत का प्रतीक मानते हैं।
भारत में इस दिन का प्रभाव
भारत में सर्दी का यह समय मौसम के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है।
- खेतों में रबी की फसलों पर इसका असर
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का बदलना
- और प्राकृतिक ऊर्जा का परिवर्तन
विंटर सोल्सटिस को और भी खास बना देता है।
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