Parul Chaudhary:

Parul Chaudhary: पारुल चौधरी, जो कभी खेत में नंगे पैर दौड़ती थी, आज 5000 मीटर दौड़ में भाग लेंगी।

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Parul Chaudhary: पारुल के पिता बताते हैं कि पारुल को कभी घर से निकालने पर जो लोग ताना देते थे, आज वे गर्व से सीना चौड़ा कर कहते हैं कि पारुल हमारे गांव की बेटी है। आज बेटी दो पेरिस ओलंपिक प्रतियोगिताओं में भाग लेगी।

पेरिस ओलंपिक खेल शुरू हो चुके हैं। आज मेरठ के एकमात्र गांव की पारुल चौधरी 5000 दौड़ में भाग लेगी। वह रात 9:40 बजे 5000 दौड़ इवेंट के पहले राउंड में भाग लेगी।

अगर पारुल चौधरी इस राउंड में क्वालिफाई करती हैं, तो 5 अगस्त रात 12:40 पर 5000 मीटर दौड़ के फाइनल में हिस्सा लेंगी। चार अगस्त को पारुल भी 3,000 मीटर स्टीपल चेज में पहले दौर में भाग लेंगे, जो दोपहर 1.25 बजे होगा। छह अगस्त को रात 12.40 बजे 3,000 मीटर स्टीपल चेज का फाइनल होगा।

Parul Chaudhary: 3,000 मीटर स्टीपल चेज में पारुल के सर्वश्रेष्ठ


9:15.31 मिनट- वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप बुडापेस्ट, अगस्त 2023
9:24.28 मिनट- वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप बुडापेस्ट, अगस्त 2023
9:27.63 मिनट- 19वां एशियन गेम्स एचओसी स्टेडियम हांगझो, अक्टूबर 2023
9:29.51 मिनट- लास एंजिलिस ग्रांड प्रिक्स ड्रेक स्टेडियम, मई 2023

Parul Chaudhary: 5,000 मीटर दौड़ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन


15:10.35 मिनट- ट्रैक फेस्टिवल, वालनट अमेरिका, मई 2023
15:10.69 मिनट- ट्रैक फेस्टिवल लास एंजिलिस, अमेरिका, मई 2024
15:14.75 मिनट- 19वां एशियन गेम्स हांगझो चीन, अक्टूबर 2023
15:36.03 मिनट- एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप दोहा, अप्रैल 2019
15:39.77 मिनट- नेशनल फेडरेशन कप, थेन्हीपालम भारत, अप्रैल 2022

Parul Chaudhary: कभी लोग ताने देते थे, आज गर्व करते हैं

एकल गांव की पारुल चौधरी आज दूसरी लड़कियों के लिए भी एक आदर्श बन गई हैं। साथ ही उनकी मां और पिता का संघर्ष भी कम नहीं है। आज, जो लोग कभी बेटी को घर से बाहर भेजने पर ताना देते थे, वे गर्व से सीना चौड़ा कर कहते हैं कि पारुल हमारे गांव की बेटी है।

कभी-कभी खेतों में नंगे पांव दौड़ने वाली पारुल के लिए ओलंपिक तक पहुंचने का रास्ता कठिन होता है। प्रशिक्षण के लिए 20 किमी दूर स्थित गांव से शहर जाना आसान नहीं था। पारुल आज सभी को गर्व है क्योंकि वह अपनी बड़ी बहन प्रीति के साथ प्रतियोगिता की तैयारी करना, गांव के ताने सहना सब कुछ नहीं सहा।

पारुल राजेश देवी और कृष्णपाल चौधरी की चार संतानों में से एक हैं। उनके बड़े भाई राहुल भी धावक था। उसने अपनी बड़ी बहन प्रीती चौधरी के साथ साइकिल पर मेरठ आकर पारुल की तैयारी की। पारुल को सिर्फ उनके पिता ने दौड़ने को कहा था।

Parul Chaudhary: काॅलेज प्रतियोगिता में पहली बार दौड़ जीतने के बाद, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा

वह 800 मीटर की दौड़ में पहली बार पीपी इंटर कॉलेज में दौड़ी, जिसमें उनके पिता ने उनसे कहा और पहले स्थान पर रहीं। इसके बाद वह ऑल इंडिया विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में खेली। उन्होंने 1500 मीटर और 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया, फिर 5000 मीटर की दौड़ में भाग लिया. बाद में, वे पेशेवर रूप से स्पर्धाओं में भाग लेने लगे। पहले कॉलेज स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया, फिर जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लिया।गाँव से साइकिल पर स्टेडियम आती थी, नंगे पांव करती थी तैयारी

पारुल चौधरी और उनकी बहन प्रीति साइकिल पर कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम पहुंच गए। दोनों बहने लगभग दो सौ मीटर चलकर तैयार हो गईं। वह गांव की सड़कों पर और खेत जोतने के बाद नंगे पैर ही पारुल दौड़ लगाती थीं।

बाद में प्रीति को स्पोर्ट्स कोटे से पुलिस में नौकरी मिली क्योंकि वे भी अच्छी धावक थीं। पारुल के पिता कृष्णपाल ने बताया कि दोनों बहनों ने बाद में स्कूटी लेकर चलना शुरू किया। तब बेटी ने ऊंचाइयों का सफर तय किया।

गाँव वाले पहले ताने देते थे, आज बेटियों ने मान बढ़ाया

पारुल के पिता कृष्णपाल चौधरी ने बताया कि दोनों बहने गांव से अकेले ही शहर आती थीं और तैयारी करती थीं। इसे गाँव के लोग लेकर ताने भी देते थे। पीछे कहा गया कि बेटियां शहर छोड़ रहे हैं, लेकिन वे कभी नहीं झुकते थे। आज बेटी ने देश का नाम रोशन किया है। सब लोग मुंह बंद कर रहे हैं। बेटियों ने गांव का सम्मान बढ़ा दिया है।

तैयारी अच्छी होने के कारण हरियाणा से एक गाय खरीदकर

पारुल के भाई राहुल ने बताया कि वह तैयारी करते समय खाने और पीने का भी पूरा ध्यान रखती थी। हरियाणा से 80 हजार रुपये में एक गाय उसके लिए लाया गया था। गाय और बछिया आज भी घर में हैं। पारुल को इसी गाय का दूध और घी दिया जाता था। पारुल अब सिर्फ विदेश में रहकर तैयारी कर रही है। वह ट्रेनिंग के दौरान जो कुछ खाती है, उसे खाती है, लेकिन जब घर आती है तो इसी गाय का दूध पीती है।

पारुल की लड़ाई को याद कर मां की आंखें भर आईं

मम्मी राजेश देवी ने बताया कि पारुल अपने आप सभी काम करती है जब भी घर आती है। घर में सफाई करना या झाडू-पौछा लगाना किसी काम से पीछे नहीं हटता। वह पूरी लगन से अपना काम करती है। उस समय उनकी आंखे भर आईं जब वे बेटी को याद कर रहे थे। हमारा सर बेटी ने उठाया, उन्होंने कहा। उन्होंने हमारा और देश का नाम रोशन किया और उम्मीद है कि वह ओलंपिक खेलों में मेडल लेकर वापस आएगी।

Parul Chaudhary: पारुल चौधरी, जो कभी खेत में नंगे पैर दौड़ती थी, आज 5000 मीटर दौड़ में भाग लेंगी।


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