Wednesday, December 24, 2025
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Naad Yog : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 रोज 10 से 15 मिनिट करें ये योग, स्ट्रेस और उलजनों से मिलेगा परमेनेट इलाज़ #अंतरराष्ट्रीययोगदिवस #InternationalYogaDay #naadyog #नादयोग #धव्नियोग

Naad Yog : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 : रोज 10 से 15 मिनिट करें ये योग, स्ट्रेस और उलजनों से मिलेगा परमेनेट इलाज़। नाद योग एक प्राचीन भारतीय योग पद्धति है जिसमें ध्वनि (नाद) के माध्यम से मन, आत्मा और ब्रह्मांड से एकत्व स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। यह योग की एक ध्यानात्मक शाखा है जो “ध्वनि के माध्यम से मोक्ष” पर केंद्रित है।

नाद योग का अर्थ

  • “नाद” = ध्वनि (अनहद या अहद ध्वनि)
  • “योग” = एकता या मिलन
    ➡️ नाद योग का शाब्दिक अर्थ है: ध्वनि के माध्यम से परमात्मा से एकता

Naad Yog
Naad Yog

🎵 नाद योग के दो प्रमुख प्रकार:

  1. अहद नाद (External Sound)
    • बाहरी ध्वनि जैसे मृदंग, वीणा, शंख, मंत्रोच्चार आदि।
    • इसका प्रयोग प्रारंभिक साधना के लिए होता है।
  2. अनहद नाद (Internal Sound)
    • यह आत्मिक ध्वनि होती है जो ध्यान में भीतर सुनी जाती है।
    • इसे सुनने के लिए गहरा ध्यान और मौन आवश्यक होता है।

🧘‍♂️ नाद योग की साधना में क्या होता है?

  • मंत्र जप (ॐ, गायत्री मंत्र, बीज मंत्र आदि)
  • ध्यान (Ear-focusing meditation — ध्यान कानों पर केंद्रित होता है)
  • प्राणायाम (श्वास की लय से ध्वनि को महसूस करना)
  • विनियोग संगीत (शास्त्रीय संगीत, स्वर साधना)

🌟 Naad Yog लाभ (Benefits)

  1. मानसिक शांति और तनाव मुक्ति
  2. ध्यान की गहराई बढ़ती है
  3. आत्मिक अनुभव और भीतर की ध्वनि का अनुभव
  4. चक्रों का जागरण
  5. नींद में सुधार, चिंता और अवसाद में राहत

Naad Yog
Naad Yog

🕉️ नाद योग में ‘ॐ’ का महत्व

  • ‘ॐ’ को प्रथम नाद माना जाता है।
  • यह संपूर्ण ब्रह्मांड की कंपन (vibration) का प्रतिनिधित्व करता है।
  • नाद योगी इसे सुनकर अनहद नाद तक पहुँचने का मार्ग बनाते हैं।

📜 प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख

  • Nada Bindu Upanishad, Hatha Yoga Pradipika, और Shiva Samhita जैसे ग्रंथों में नाद योग का वर्णन मिलता है।

🎧 उदाहरण के लिए – कैसे करें शुरुआत?

  1. शांत स्थान चुनें।
  2. आंखें बंद करें, कानों पर ध्यान केंद्रित करें।
  3. कुछ मिनटों तक सिर्फ ॐ का उच्चारण करें और उसकी गूंज को महसूस करें।
  4. धीरे-धीरे शरीर, मन और ध्वनि एकाकार होने लगते हैं।

जो व्यक्ति सच्चा योग-मिलन चाहता है, उसे सभी विचार त्यागकर, एकाग्रचित्त होकर नाद पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए



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