Safala Ekadashi 2025: तारीख, पूजा–विधि और जानिये इसका गहरा धार्मिक महत्व
Safala Ekadashi 2025: की तिथि, इस व्रत का तरीका और धार्मिक महत्व। जानिए कैसे करें सफला एकादशी की पूजा-विधि, व्रतऔर भक्ति, और क्यों प्राचीन काल से यह व्रत विशेष माना गया है।
Safala Ekadashi 2025 सफला एकादशी — व्रत, पूजा विधि एवं धार्मिक महत्व

सफला एकादशी क्या है?
हिंदू पंचांग में एकादशी दिन का विशेष महत्व है। कई प्रकार की एकादशियाँ होती हैं, जिनमें से एक है सफला एकादशी (Safala Ekadashi)। यह भगवान विष्णु को समर्पित एक व्रत दिवस है। भक्त इस दिन व्रत करके, ध्यान और भक्ति द्वारा पवित्रता प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।

2025 में सफला एकादशी की तिथि
वर्तमान में उपलब्ध सार्वजनिक पंचांग और वैदिक कैलेंडर स्रोतों में 2025 के लिए सफला एकादशी की स्पष्ट तारीख स्वतंत्र रूप से प्रमाणित नहीं मिली है। हिंदू धर्म में व्रत-तिथि तय करने के लिए चंद्र मास, कृष्ण/शुक्ल पक्ष आदि देखना पड़ता है।
महत्वपूर्ण: यदि आप सफला एकादशी का व्रत करना चाहते हैं, तो कृपया अपने क्षेत्र के पंडित या स्थानीय पंचांग (हिंदू कैलेंडर) से तिथि की पुष्टि अवश्य करें।
पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 14 दिसंबर 2025, रविवार को शाम 6:50 बजे से होगा। यह तिथि अगली रात 15 दिसंबर को रात 9:21 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के नियम के अनुसार सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, सोमवार को रखा जाएगा। इस दिन भक्तजन सुबह और शाम भगवान विष्णु तथा मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत का पालन करके सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
पूजा–विधि / व्रत कैसे करें?
अगर आप तय तिथि जान लें, तो निम्न विधि से व्रत-पूजा कर सकते हैं:
- नव–शुद्ध स्नान करें और साफ व शांत स्थान चुनें।
- भगवान विष्णु—और/या देवी-देवताओं की पूजा करें।
- हाथ, मुंह, कपड़े शुद्ध रखें। भजन, स्तुति, “विष्णु सहस्रनाम”, “एकादशी व्रत मंत्र” आदि का पाठ करें।
- व्रत के दौरान दिनभर शुद्ध आहार लें—अन्न, फल, दूध आदि व्रतअनुकूल। मांस, नॉनवेज आदि से बचें।
- दिन में एकादशी व्रत कथा या पूजा करने पर सत्कर्म, दान-पुण्य करना शुभ मानते हैं।
- रात में फिर से भजन या आरती करें, व्रत की प्रतिज्ञा दोहराएँ।

सफला एकादशी का धार्मिक महत्व
- यह व्रत धार्मिक शुद्धि का माध्यम माना जाता है — व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा को पवित्र करता है।
- व्रत से गुणों और पुण्यों की प्राप्ति होती है — जैसे सद्चिन्तन, संयम, दया, परोपकार।
- पारिवारिक और सामाजिक सौहार्द बनता है — व्रत से घर में शांति, सुख और समृद्धि की कामना होती है।
- धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, एकादशी व्रत से पापों का नाश और आत्मिक उन्नति होती है।
- आज की व्यस्त और तनाव-भरी जिंदगी में, एकादशी व्रत दिन — ध्यान, आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक पुनरावलोकन का अवसर देता है।
सुझाव — व्रत करने से पहले ध्यान रखें
- अपने स्थानीय पंचांग या पुरोहित से तिथि व पक्ष की पुष्टि ज़रूर करें।
- व्रत करने के बाद आहार और दान-पुण्य करें — यह व्रत को सार्थक बनाता है।
- व्रत या पूजा के दौरान शुद्धता, सादगी और भक्ति बनाए रखें।
- यदि स्वास्थ्य, उम्र या अन्य कारणों से व्रत कठिन हो, तो भक्ति, दान, जप, ध्यान आदि से भी व्रत का उद्देश्य पूरा किया जा सकता है।
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