Wednesday, December 24, 2025
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Kuldeep Singh Sengar Bail :’अगर कुलदीप सेंगर की जमानत रद्द नहीं हुई, तो हम जान दे देंगे…’ उन्नाव पीड़िता की माँ की चेतावनी

Kuldeep Singh Sengar Bail : ‘अगर कुलदीप सेंगर की जमानत रद्द नहीं हुई, तो हम जान दे देंगे…’ उन्नाव पीड़िता की माँ की चेतावनी

Kuldeep Singh Sengar Bail उन्नाव/नई दिल्ली: क्या देश का कानून प्रभावशाली अपराधियों के सामने घुटने टेक चुका है? यह सवाल आज हर उस नागरिक के मन में उठ रहा है जो उन्नाव रेप केस की भयावहता को जानता है। 2017 के उस कांड के मुख्य दोषी और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत/पैरोल की खबरों ने एक बार फिर पीड़ित परिवार को दहशत में डाल दिया है।

पीड़िता की माँ ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है: “अगर कुलदीप सेंगर की जमानत रद्द नहीं की गई, तो हम पूरा परिवार अपनी जान दे देंगे।”

सिस्टम का दोहरा रवैया: अपराधी बाहर, एक्टिविस्ट अंदर

यह मामला केवल एक जमानत का नहीं, बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था के गिरते स्तर का प्रतीक बन गया है। सोशल मीडिया और सड़कों पर लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार और कोर्ट की प्राथमिकता क्या है?

एक तरफ कुलदीप सेंगर जैसा अपराधी है, जिस पर बलात्कार और पीड़िता के परिवार की हत्या की साजिश रचने (एक्सीडेंट केस) के गंभीर आरोप सिद्ध हो चुके हैं। उसे ‘अच्छे चाल-चलन’ या स्वास्थ्य के नाम पर राहत मिल जाती है। वहीं दूसरी तरफ, भीमा कोरेगांव के आरोपी, पर्यावरणविद, लद्दाख के अधिकारों की बात करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और कई मुस्लिम युवा सालों से जेल में सड़ रहे हैं। उनमें से कई के खिलाफ अब तक ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ है और न ही कोई ठोस सबूत पेश किए गए हैं।

जनता पूछ रही है—क्या इंसाफ का पैमाना व्यक्ति का रसूख और धर्म देखकर तय होता है?

डर के साये में पीड़ित परिवार

उन्नाव पीड़िता का परिवार पहले ही बहुत कुछ खो चुका है। पिता की हिरासत में मौत, चाची और मौसी की एक्सीडेंट में मौत—इस परिवार ने सत्ता के नशे में चूर एक अपराधी का सबसे क्रूर चेहरा देखा है। पीड़िता की माँ का कहना है, “जब वह (सेंगर) जेल के अंदर होकर मेरे परिवार को खत्म करवा सकता है, तो बाहर आकर वह क्या करेगा, यह सोचकर ही हमारी रूह कांप जाती है। यह रिहाई नहीं, हमारी मौत का फरमान है।”

Kuldeep Singh Sengar Bail न्याय की हार?

आलोचकों का कहना है कि ‘बेटी बचाओ’ का नारा देने वाली सत्ताधारी पार्टी के राज में बेटियों के गुनहगारों को माला पहनाई जा रही है या उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है (जैसा कि बिलकिस बानो केस के दोषियों के साथ हुआ था)। जब एक बलात्कारी को खुला आसमान मिलता है और मानवाधिकार की बात करने वाले बुजुर्गों को काल कोठरी, तो यह सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या है।

हम चुप नहीं रह सकते। अगर आज हम इस अन्याय के खिलाफ नहीं बोले, तो कल कोई और बेटी इस रसूखदार सिस्टम की भेंट चढ़ जाएगी।



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