Thursday, December 25, 2025
HomeDharmaPaush Putrada Ekadashi 2025: 30 दिसंबर को है पुत्रदा एकादशी; जानें शुभ...

Paush Putrada Ekadashi 2025: 30 दिसंबर को है पुत्रदा एकादशी; जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और संतान प्राप्ति के अचूक उपाय

Paush Putrada Ekadashi 2025: 30 दिसंबर को है पुत्रदा एकादशी; जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और संतान प्राप्ति के अचूक उपाय

Paush Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी 2025 (30 दिसंबर) का शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व। ज्योतिषाचार्य से जानें संतान प्राप्ति के लिए पूजा विधि और दान का फल।

Paush Putrada Ekadashi 2025: संतान सुख और सौभाग्य का वरदान है यह व्रत

शास्त्रों में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में उत्तम बताया गया है, लेकिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का अपना एक विशिष्ट स्थान है। साल 2025 में यह पावन तिथि 30 दिसंबर को पड़ रही है। इसे ‘पुत्रदा एकादशी’ के नाम से जाना जाता है।

शुभ मुहूर्त (Auspicious Timing)

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत और समापन का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है:

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 दिसंबर 2025, रात्रि 11:12 बजे से।
  • एकादशी तिथि समाप्त: 30 दिसंबर 2025, रात्रि 10:35 बजे तक।
  • उदया तिथि के अनुसार व्रत: 30 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
  • पारण (व्रत खोलने) का समय: 31 दिसंबर 2025, सुबह 07:14 से 09:18 के बीच।

धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

वेद और पुराणों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से दो प्रमुख फलों की प्राप्ति होती है। पहला, जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है, उनके दोष शांत होते हैं। दूसरा, जिनकी संतान है, उनकी उन्नति और आयु के लिए यह व्रत रक्षा कवच की तरह काम करता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से, पौष मास सूर्य देव का महीना है और एकादशी भगवान विष्णु की तिथि है। इस दिन सूर्य और विष्णु की संयुक्त कृपा से कुंडली के ‘पंचम भाव’ (संतान भाव) के दोष दूर होते हैं।

शास्त्रों में एकादशी की महिमा

पद्म पुराण में उल्लेख है कि संसार के समस्त पापों से मुक्ति पाने के लिए एकादशी से बढ़कर कोई तपस्या नहीं है। पुत्रदा एकादशी के बारे में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को वाजपेयी यज्ञ के समान फल मिलता है। जो फल कठिन तपस्या से नहीं मिलता, वह मात्र इस दिन श्रद्धापूर्वक उपवास रखने से प्राप्त हो जाता है।

पूजा विधि (Vrat Vidhi)

  1. संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें पीले फूल, तुलसी दल (अनिवार्य), फल और पंचामृत अर्पित करें।
  3. मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। संतान गोपाल मंत्र का जाप करना भी अति उत्तम माना जाता है।
  4. कथा: शाम को पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  5. रात्रि जागरण: एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए; भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए।

Paush Putrada Ekadashi 2025 क्या करें और क्या न करें?

  • एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है।
  • सात्विक व्यवहार रखें और किसी की निंदा न करें।
  • अगले दिन यानी द्वादशी को ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देकर ही व्रत खोलें।

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा बहुत ही भावुक और फलदायी मानी जाती है। पद्म पुराण के अनुसार, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को यह कथा सुनाई थी।

यहाँ पुत्रदा एकादशी की प्राचीन व्रत कथा दी गई है:

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगरी में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शव्या था। राजा के पास धन-धान्य, राज-पाट और सुख की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण राजा और रानी हमेशा गहरे दुख और चिंता में डूबे रहते थे। राजा अक्सर सोचते थे कि— “मेरे मरने के बाद मेरा पिंडदान कौन करेगा? मेरे पूर्वजों को तर्पण कौन देगा? बिना पुत्र के पितृ ऋण से मुक्ति कैसे मिलेगी?” इसी चिंता के कारण राजा को न तो दिन में सुख मिलता था और न ही रात में नींद आती थी।

एक दिन राजा बहुत दुखी होकर वन की ओर चले गए। वन में घूमते-घूमते उन्हें प्यास लगी, तो वे एक सरोवर के पास पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि सरोवर के किनारे बहुत से ऋषि-मुनि बैठे हुए हैं। राजा ने उन ऋषियों को प्रणाम किया और उनसे उनके यहाँ एकत्रित होने का कारण पूछा। तब ऋषियों ने बताया कि— “हे राजन! हम विश्वेदेव हैं और इस सरोवर पर स्नान के लिए आए हैं। आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य आज के दिन व्रत रखता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।”

राजा ने ऋषियों की बात सुनकर उसी क्षण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लिया। राजा ने पूरे विधि-विधान से एकादशी का उपवास किया और अगले दिन द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से और ऋषियों के आशीर्वाद से कुछ समय बाद रानी शव्या गर्भवती हुईं। नौ महीने बाद उन्होंने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। वह पुत्र आगे चलकर अपने पिता की तरह ही न्यायप्रिय और वीर राजा बना।

उपसंहार: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य इस कथा को पढ़ता है या सुनता है, उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है और अंत में वह स्वर्ग लोक को जाता है।



Madhya Pradesh ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहाँ स्वयं ‘ॐ’ के आकार में बहती हैं माँ नर्मदा; जानिए इस पावन धाम का रहस्य

Nostradamus 2026 Predictions: क्या 2026 बदलाव और बड़े घटनाक्रम का संकेत देने वाला साल होगा? जानें भविष्यवाणियां

शोर्ट वीडियोज देखने के लिए VR लाइव से जुड़िये

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए इस लींक पर क्लीक कीजिए VR LIVE


RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments