Paush Purnima 2026: नए साल की पहली पूर्णिमा पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग; जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व
Paush Purnima 2026 Date & Time: जानें साल 2026 में पौष पूर्णिमा कब है? स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के ज्योतिषीय उपाय।
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हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ‘पौष पूर्णिमा’ कहा जाता है। यह दिन चंद्रमा की पूर्णता और सूर्य देव की ऊर्जा के मिलन का प्रतीक है। साल 2026 में पौष पूर्णिमा बेहद खास है क्योंकि यह नए साल के पहले ही सप्ताह में पड़ रही है।


पौष पूर्णिमा 2026 की सही तारीख और मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, साल 2026 में पौष पूर्णिमा की तिथि को लेकर भ्रमित न हों:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 3 जनवरी 2026, दोपहर 02:45 बजे से।
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 4 जनवरी 2026, दोपहर 12:10 बजे तक।
- उदया तिथि और मुख्य व्रत: 3 जनवरी 2026 (शनिवार) को ही पूर्णिमा का व्रत और पूजन करना श्रेष्ठ होगा।
- चंद्रोदय समय: 3 जनवरी की शाम को पूर्ण चंद्रमा के दर्शन होंगे।
स्नान और दान का महत्व
पौष पूर्णिमा को मोक्षदायिनी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों (जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा) में स्नान करने से मनुष्य के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं।
- इसी दिन से प्रयागराज में प्रसिद्ध ‘माघ मेला’ शुरू होता है।
- कल्पवास की शुरुआत भी इसी तिथि से मानी जाती है, जहाँ भक्त एक महीने तक संयम और सादगी से नदी किनारे रहकर ईश्वर की आराधना करते हैं।
- इस दिन तिल, गुड़, ऊनी वस्त्र और कंबल का दान करना अक्षय पुण्य प्रदान करता है।


पूजा विधि (How to Worship)
- प्रातः काल: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- अर्घ्य: भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ का जाप करें।
- विष्णु पूजन: सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करें। भगवान विष्णु को पीले फूल और पंचामृत चढ़ाएं।
- लक्ष्मी पूजन: चूँकि पूर्णिमा माँ लक्ष्मी की भी तिथि है, इसलिए रात में श्रीसूक्त का पाठ करना और घी का दीपक जलाना धन-वृद्धि करता है।
सुख-समृद्धि के विशेष उपाय (Remedies)
- आर्थिक लाभ के लिए: पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को दूध और गंगाजल मिले जल से अर्घ्य दें। इससे कुंडली में ‘चंद्र दोष’ दूर होता है और मानसिक शांति मिलती है।
- लक्ष्मी कृपा: मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और शाम को लक्ष्मी जी के सामने खीर का भोग लगाएं।
- पीपल पूजा: इस दिन पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि पीपल में त्रिदेवों का वास होता है।
धार्मिक महत्व: शाकंभरी पूर्णिमा
पौष पूर्णिमा के दिन ही माता शाकंभरी का प्राकट्य उत्सव भी मनाया जाता है। देवी शाकंभरी वनस्पति और अन्न की देवी हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं रहती।
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