सकट चौथ 2026 (Sakat Chauth 2026): जानें तारीख और शुभ मुहूर्त, संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं का सबसे बड़ा व्रत
Sakat Chauth 2026 Date: जानें 2026 में सकट चौथ कब है। संतान की सलामती के लिए क्यों रखा जाता है यह व्रत? पढ़ें पूजा मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और तिलकुट का विशेष महत्व।
“माँ की दुआ और बप्पा का आशीर्वाद!
Sakat Chauth 2026: संतान की ढाल है यह व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और तिलकुट का रहस्य
भारतीय संस्कृति में माताओं द्वारा अपनी संतान के लिए रखे जाने वाले व्रतों का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक सबसे महत्वपूर्ण और कठिन व्रत है ‘सकट चौथ’ (Sakat Chauth), जिसे ‘तिलकुटा चौथ’, ‘माघी चौथ’ और ‘संकष्टी चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है। साल 2026 में यह पावन पर्व बहुत ही शुभ संयोग में मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत की तारीख, महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।

Sakat Chauth 2026 की तारीख और मुहूर्त (Date and Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ मनाई जाती है।
- सकट चौथ तिथि: 6 जनवरी 2026, मंगलवार
- चतुर्थी तिथि आरंभ: 6 जनवरी 2026 को सुबह 08:01 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 7 जनवरी 2026 को सुबह 06:52 बजे
चूंकि चतुर्थी तिथि 6 जनवरी को पूरे दिन और रात को विद्यमान रहेगी, और इस व्रत में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए यह व्रत 6 जनवरी 2026 को ही रखा जाएगा।

चंद्रोदय का समय (Moonrise Time) सकट चौथ का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है। 6 जनवरी 2026 को चंद्रोदय का संभावित समय रात 08:54 बजे (स्थान के अनुसार 5-10 मिनट का अंतर हो सकता है) है।
Sakat Chauth 2026 संतान के लिए क्यों खास है यह व्रत? (Significance for Children)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ का व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और संकटों से रक्षा के लिए रखा जाता है। ‘सकट’ का अर्थ है ‘संकट’। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से बच्चों पर आने वाले सभी बड़े-से-बड़े संकट टल जाते हैं।
पौराणिक कथाओं में भी उल्लेख है कि जब-जब भक्तों पर संकट आया, विघ्नहर्ता गणेश जी ने उनकी रक्षा की। माताएं इस दिन निर्जला (बिना पानी पिए) व्रत रखती हैं और शाम को गणेश जी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही जल ग्रहण करती हैं। यह त्याग और तपस्या संतान के जीवन में सुरक्षा कवच का काम करती है।
तिलकुट का विशेष महत्व (Importance of Tilkut)
इस व्रत को ‘तिलकुटा चौथ’ (Tilkut Chauth) भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन तिल (Sesame) और गुड़ (Jaggery) का विशेष महत्व होता है।
- भोग: पूजा में भगवान गणेश को तिल और गुड़ से बने लड्डू या कूट (तिलकुट) का भोग लगाया जाता है।
- वैज्ञानिक कारण: माघ महीने में कड़ाके की ठंड होती है। तिल और गुड़ दोनों ही शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं और ऊर्जा देते हैं।
- प्रसाद: पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्यों, विशेषकर बच्चों को तिलकुट का प्रसाद दिया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

व्रत की पौराणिक कथा (Mythology)
सकट चौथ से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा भगवान गणेश और कार्तिकेय जी की है। एक बार देवताओं पर संकट आया, तो भगवान शिव ने पूछा कि इसका निवारण कौन करेगा? कार्तिकेय और गणेश दोनों तैयार थे। शिवजी ने परीक्षा ली कि जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा, वही जाएगा। कार्तिकेय जी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा को निकल गए, लेकिन गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता से माता पार्वती और पिता शिव की ही सात बार परिक्रमा कर ली। उन्होंने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। उनकी इस बुद्धि और भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि हर संकट में सबसे पहले गणेश जी की पूजा होगी।
पूजा विधि (Worship Method)
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करें।
- दिन भर निर्जला उपवास रखें।
- शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
- गणेश जी को दूर्वा, लड्डू, तिलकुट, शकरकंद और अमरूद अर्पित करें।
- सकट चौथ की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- रात में चंद्रमा निकलने पर जल, दूध और अक्षत से अर्घ्य दें और संतान की खुशहाली की प्रार्थना करें।
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