Azam Khan Abudullah Azam Khan 55 दिन की रिहाई के बाद फिर सलाखों के पीछे: पैन-कार्ड मामले में 7 साल की सज़ा
Azam Khan Abudullah Azam Khan समाजवादी नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को पैन-कार्ड (दो PAN) मामले में दोषी ठहराकर रामपुर की कोर्ट ने 7-7 साल की जेल सज़ा सुनाई है। रिहाई को महज़ 55 दिन ही खुले में बिताने का मौका मिला। उनके समर्थक राजनीतिक षड़यंत्र का आरोप लगा रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे न्याय की जीत बता रहा है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिर हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को 55 दिन पहले रिहा किए जाने के बाद फिर से जेल भेज दिया गया है। यह फैसला रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया, जिसमें उन्हें एक पुराने पैन-कार्ड मामले में दोषी ठहराया गया।
Azam Khan Abudullah Azam Khan कौन सा मामला है?
कोर्ट ने पाया कि आजम खान और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम ने दो पैन-कार्ड रखने का दोषी हैं। अदालत ने इस आरोप को साबित मानते हुए दोनों को 7 वर्ष की कठोर कैद और 50,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।


यह मामला रामपुर में 2019 का है, जब भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ PAN और पहचान दस्तावेजों में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। जांच के दौरान आजम खान की भूमिका भी सामने आई, जिसके बाद मुकदमा चला।
Azam Khan Abudullah Azam Khan रिहाई — और फिर जख्मों की ताज़गी
23 महीने की जेल की कैद के बाद, 20 सितंबर 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजम खान को जमानत दी थी। इसके बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर उन्होंने रामपुर में अपने समर्थकों के साथ स्वागत समारोह भी किया।
लेकिन कोर्ट के इस फैसले का आनंद उन्हें अधिक देर नहीं मिल सका — महज 55 दिन बाद, रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें पैन-कार्ड के मामले में दोषी करार दे दिया।
समर्थन बनाम न्याय — राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
आजम खान और उनके समर्थक इसे राजनीतिक रंजिश बताने में जरा भी नहीं हिचक रहे। उनका दावा है कि उन पर बनाये गए मुकदमे राजनीतिक प्रेरित हैं, और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे सपा में एक मजबूत मुस्लिम और पिछड़े वर्ग का चेहरा हैं।
वहीं विपक्षी दल और कानून का थामने वाले लोग इस फैसले को न्याय की जीत कह रहे हैं। उनका कहना है कि अदालत ने नियम और कानून के अनुसार फैसला सुनाया है, और किसी को भी कानून से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए।
समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया और स्ट्रीट रैलियों में खुलकर दुख और गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह फैसला सिर्फ आजम खान के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे मुस्लिम और पिछड़े तबके के लिए एक प्रतीकात्मक लड़ाई है।
आगे की राह और कानूनी विकल्प
कानूनी जानकारों का मानना है कि आजम खान और अब्दुल्ला दोनों उच्च न्यायालय या सार्वोच्च न्यायालय (SC) में अपील कर सकते हैं। सजा के बाद उनका केस सुर्ख़ियों में आ गया है, और सपा के प्रमुख नेता भी इस फैसले को पलटने की लड़ाई के लिए तैयार हैं।
दूसरी ओर, यह मामला सपा के चुनावी फॉरमूले पर भी असर डाल सकता है — रामपुर और अन्य क्षेत्रों में उनकी पकड़ और समर्थन का परीक्षण होगा।
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