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Bhojshala: तीर्थंकर की मूर्ति और जैन धर्म के चिह्न बनने के आधार पर जैन समाज का दावा, हिन्दू मुस्लिमों के बाद भोजशाला

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Bhojshala: विभिन्न धर्मों से जुड़े अवशेष मिलने से भोजशाला का इतिहास कई धर्मों और संस्कृतियों से जुड़ा हुआ है।

हिंदू, मुस्लिम और अब जैन समाज धार में भोजशाला का दावा कर रहे हैं। Bhojshala Dhar का इतिहास भी जटिल है और धार्मिक संरचनाओं का बहुआयामी है। ASI द्वारा किए गए सर्वे से मिली जानकारी ने बहस को और अधिक जटिल बना दिया है। विभिन्न धर्मों से जुड़े अवशेष मिलने से भोजशाला का इतिहास कई धर्मों और संस्कृतियों से जुड़ा हुआ है। अब जैन समाज भी कहता है कि भोजशाला पहले जैन गुरुकुल था। पुरातात्विक साक्ष्य और ऐतिहासिक दस्तावेजों की मदद से उन्होंने अपना दावा मजबूत करने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट को ही इस मामले में अंतिम निर्णय लेना है। जैन समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट में

Bhojshala: जैन समाज ने ब्रिटिश संग्रहालय की मूर्ति को भी हमारी बताया

जैन समाज ने 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस मामले में समाज ने उन्हें तीसरी पार्टी के रूप में अपील की है। याचिका में कहा गया है कि जैन समाज भी सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई करेगा क्योंकि ब्रिटिश म्यूजियम में स्थित मूर्ति जैन धर्म की देवी अंबिका की है, न कि वाग्देवी (सरस्वती) की। ASI के वैज्ञानिक सर्वे में भोजशाला में भी कई जैन मूर्तियां मिली हैं।

Bhojshala: ये बहस जैन समाज ने की

सलेकचंद्र जैन, एक जैन समाज के याचिकाकर्ता, ने कहा कि भोजशाला जैन समाज की है। जैन समाज भी पूजा करने का अधिकार पाया। समाज इसे लेना चाहिए। सलेकचंद्र जैन ने कहा कि राजा भोज ने कवियों को पसंद किया था। वे सब धर्मभक्त थे। धनंजय जैन उनके दरबार में कवि थे। उनका दूसरा नाम धनपाल था। कवि धनंजय जैन ने संस्कृत में एक ग्रन्थ लिखा था। राजा भोज ने उसके कुछ श्लोक सुनाए। कवि ने राजा भोज को बहुत प्रभावित किया और उनकी प्रशंसा की। कवि ने राजा को बताया कि मैं कुछ नहीं हूँ। महंत मानतुंग मेरा गुरु है। मैं उनका अनुयायी हूँ। मैं उनसे सीखा हूँ। तब राजा भोज को ऐसे शिक्षक से मिलना चाहिए था। उनका कर्मचारी

Bhojshala: ASI सर्वे में मिली कई मूर्तियां, एक शिव प्रतिमा दरगाह में

पुरानी दीवार की जगह में 27 फीट की खुदाई की गई है। सीढ़ियों के नीचे एक खाली कमरा पाया गया यहाँ वाग्देवी, मां सरस्वती, हनुमानजी, गणेशजी और शंख और चक्र के 79 अवशेष मिले हैं। दरगाह के पश्चिमी भाग में श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमाएं हैं। उत्तर-दक्षिणी कोने में 150 स्तंभों, तलवारों और दीवारों के अवशेष मिले हैं। यज्ञशाला के निकट सनातनी आकृतियों वाले पत्थर पाए गए हैं। दरगाह पर एक अंडरग्राउंड अक्कल कुइया दिखाई दी। स्तंभों पर केमिकल प्रक्रिया के बाद सीता-राम और ओम नम: शिवाय के चित्र चिह्नित हैं।

Bhojshala: हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक इंतजार करना चाहिए था।

भोजशाला विवाद पर मई 2022 से हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। 21 मार्च 2024 को हाईकोर्ट ने ASI को सर्वे करने का आदेश दिया था। सर्वे का समय सौ दिन था। 15 जुलाई को सर्वे रिपोर्ट ASI ने हाईकोर्ट को सौंप दी है। 22 जुलाई को मामले की सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई है। इसमें ASI रिपोर्ट का हवाला देकर हिंदू पक्ष को भोजशाला देने का अनुरोध किया गया। 30 जुलाई को इस पर सुनवाई होनी है। बाद में हाईकोर्ट ने कहा कि सभी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए था।

Bhojshala: तीर्थंकर की मूर्ति और जैन धर्म के चिह्न बनने के आधार पर जैन समाज का दावा, हिन्दू मुस्लिमों के बाद भोजशाला

हिन्दू धर्म और जैन धर्म में अन्तर || Jain Dharm granth || STORY GURU G ||


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