Bihar Opinion Poll बिहार चुनाव से पहले तीन अलग-अलग ओपिनियन पोल ने दिखाई जनता का बदलता दिशा-रुझान
Bihar Opinion Poll 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तीन बड़ी सर्वे एजेंसियों के ओपिनियन पोल ने दिखाया कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बढ़त है, साथ ही मुख्यमंत्री चेहरे-पसंदी में तेजस्वी यादव आगे और नीतीश कुमार का वोट बैंक महिलाओं में अभी भी मजबूत।
2025 में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों-शोरों से जारी है। चुनाव से ठीक पहले अलग-अलग तीन प्रमुख ओपिनियन पोलों ने ऐसा परिदृश्य पेश किया है, जिसने राजनीतिक दलों तथा मत-विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राज्य में जनता का मिज़ाज कितने तेजी से बदल रहा है।
Bihar Opinion Poll बिहार ओपिनियन पोल 2025
पहला प्रमुख सर्वे था InkInsight की रिपोर्ट, जिसमें यह पाया गया कि एनडीए (भारतीय जनता पार्टी-जनता दल (उन्नत)) को लगभग 48.9 % वोट-प्राप्ति क्षमता मिली है, जबकि महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-Left) को करीब 35.8 % वोट-प्राप्ति मिली। यह सर्वे यह भी संकेत देता है कि एनडीए महिलाओं तथा 60 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के बीच बेहतर पकड़ बना रहा है।

बिहार चुनाव सर्वेक्षण
दूसरा सर्वे था C‑Voter-“Mood of the Nation” द्वारा, जिसमें मतदान सूची संशोधन (SIR) को लेकर मत-भावना भी मापी गई। इसमें 58 % लोगों ने माना कि वोटर-रोल संशोधन का उद्देश्य केवल योग्य नागरिकों को मतदान अधिकार सुनिश्चित करना है, जबकि 17 % को संदेह था कि इस प्रक्रिया का लाभ सत्तारूढ़ दल को मिलेगा। इसके अलावा, इस सर्वे में मुख्यमंत्री-चेहरे की श्रेणी में तेजस्वी यादव को बहुसंख्यक लोगों द्वारा पसंद किया गया।
तीसरा सर्वे था JVC Sreeram Polling-“Times Now-JVC” द्वारा, जिसमें सीट-प्रक्षेपण भी किया गया। इस सर्वे के मुताबिक एनडीए को 243 सदस्यों वाली विधानसभा में लगभग 136 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है, जबकि महागठबंधन को करीब 75 सीटें मिल सकती हैं। इस प्रकार से, तीनों सर्वे यह संकेत देते हैं कि एनडीए को बढ़त में माना जा रहा है—लेकिन यह बढ़त खास-खास नहीं, बल्कि राज्य में विपक्ष में बढ़ती सक्रियता, मतदाता असंतोष और नए दलों-उपदलों के प्रवेश से चुनौती भी बढ़ती नजर आ रही है।
विश्लेषण करें तो तीन बड़ी बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए—
- नेतृत्व-चेहरा: सर्वे में यह देखने को मिला है कि मुख्यमंत्री के पद के लिये तेज़स्वी यादव को सबसे अधिक समर्थन मिल रहा है, जबकि नीतीश कुमार की लोकप्रियता कम होती नजर आ रही है।
- वोट शेयर व सीट-प्रक्षेपण: एनडीए के वोट-शेयर में बढ़ोतरी और सीटों में बढ़ने की संभावना, खासकर भाजपा के हिस्से में। इसके विपरीत, जद(यू) को पिछली बार की तुलना में कम सीटें मिल सकती हैं।
- मतदाता-भावना और मुद्दे: बेरोज़गारी, मतदाता सूची-संशोधन, भरोसे का सवाल आदि महत्वपूर्ण बने हैं। मतदाता अब पारंपरिक वोट बैंक से अलग-थलग सोच रखने लगे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 विश्लेषण
हालाँकि, सर्वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि इस बढ़त के बावजूद एनडीए को ढीली जगहें मिली हुई हैं—उदाहरण के लिये महागठबंधन को अभी भी 30 % से ऊपर समर्थन मिला है, और लगभग 12 % मतदाता “अनिर्णीत” स्थिति में हैं, जो अन्तिम समय में किसी दिशा में मुड़ सकते हैं।
इसका मतलब यह है कि बिहार में सिर्फ गठबंधन-वोट नहीं बल्कि उम्मीदवार-लोकप्रियता, क्षेत्रीय समीकरण, जात-धर्म-वोट बैंक, युवा-वोटर एवं महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से निष्कर्ष तय होगा। मतदाता अब सिर्फ पार्टी नाम से नहीं बल्कि दल-नेता-विकास-प्रदर्शन पर निर्णय ले रहा है।
निष्कर्ष यह है कि तीनों पोल मिलकर एक संकेत देते हैं: बिहार में ज्यादातर विकल्प एनडीए की ओर इशारा कर रहे हैं, लेकिन यह रवैया इतनी दृढ़ नहीं कि अन्य दलों-गठबंधनों को पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया जाए। राजनीतिक दलों के लिये अभी भी चुनौती बनी हुई है कि वे अपनी रणनीति, जन-संपर्क, मुद्दों की पकड़ और उम्मीदवार-लीडरशिप को प्रभावी तरीके से उपयोग में लाएँ।
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