Dharmik Mandir Tradition दर्शन के बाद मंदिर की पैड़ी पर क्यों बैठते हैं भक्त?
Dharmik Mandir Tradition मंदिर में दर्शन के बाद पैड़ी पर कुछ देर बैठने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसके पीछे धार्मिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक वजहें जुड़ी हैं। जानें क्यों माना जाता है यह रिवाज बेहद शुभ और आवश्यक।
भगवान के दर्शन के बाद मन क्यों पाता है शांति?
भगवान के दर्शन के बाद मन को शांति इसलिए मिलती है क्योंकि उस क्षण हमारा ध्यान पूरी तरह दिव्यता पर केंद्रित हो जाता है। मंदिर का वातावरण, मंत्रों की ध्वनि, दीपक की रोशनी और पूजा की सुगंध मन के तनाव को स्वाभाविक रूप से कम कर देती है। दर्शन करते समय हमारा मन सांसारिक चिंताओं से हटकर श्रद्धा, विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। यही कारण है कि हम भीतर से हल्कापन, संतुलन और मानसिक शांति महसूस करते हैं। यह अनुभूति हमें आत्मिक बल देती है और मन को स्थिरता प्रदान करती है।
मंदिर में पैड़ी पर बैठने की परंपरा—धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण
भारतीय संस्कृति में मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने का पवित्र केंद्र माना गया है। मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्तों का कुछ देर पैड़ी या सीढ़ियों पर बैठकर शांत रहना एक सामान्य और प्राचीन परंपरा है। अक्सर लोग इसे केवल रिवाज मानते हैं, लेकिन इसके पीछे कई गहरे धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण जुड़े होते हैं।
दर्शन के बाद पैड़ी पर बैठना क्यों है शुभ? जानें छिपा रहस्य Dharmik Mandir Tradition

1. देवत्व की ऊर्जा को आत्मसात करने के लिए
शास्त्रों में बताया गया है कि मंदिरों में मूर्ति के सामने नियमित रूप से पूजन, मंत्रोच्चार, घी का दीप और हवन होने के कारण एक विशेष सकारात्मक ऊर्जा (Divine Vibrations) बनी रहती है।
दर्शन के बाद तुरंत बाहर निकल जाने से यह ऊर्जा शरीर और मन तक पूरी तरह नहीं पहुँच पाती।
इसीलिए पैड़ी पर 2–3 मिनट बैठने से यह दिव्य वातावरण शरीर के चक्रों को संतुलित करता है और मन में स्थिरता लाता है।
2. मन को शांत करने की परंपरा Dharmik Mandir Tradition
दर्शन के बाद भक्त अक्सर भावुक, उत्साहित या अधिक ध्यान-पूर्ण अवस्था में होते हैं।
थोड़ी देर बैठने से मन धीरे-धीरे सामान्य गति में आता है। यह ध्यान का एक छोटा रूप भी माना जाता है जिससे व्यक्ति पूजा के भाव का स्थायित्व महसूस कर सके।
3. शरीर की ऊर्जा को स्थिर करने का वैज्ञानिक कारण
मंदिरों की जमीन प्राकृतिक सामग्री—पत्थर, संगमरमर या मिट्टी—से बनी होती है।
ये सतहें शरीर के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड को संतुलित करती हैं।
काफी देर खड़े रहने या घूमने के बाद पैड़ी पर बैठना शरीर को तुरंत आराम देता है और ब्लड सर्कुलेशन भी संतुलित करता है।
4. आभार व्यक्त करने का संकेत
बैठना यह दर्शाता है कि भक्त भगवान के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट कर रहा है।
यह माना जाता है कि दर्शन के बाद थोड़ी देर रुककर ‘धन्यवाद’ की भावना के साथ अपने मन की बात भगवान तक पहुँचती है।
5. मंदिर की भीड़ और अनुशासन का हिस्सा
पहले के समय में मंदिरों में बड़ी भीड़ होती थी।
पैड़ी पर बैठना व्यवस्था बनाए रखने और प्रवेश–प्रस्थान को संतुलित रखने का एक आसान तरीका था, जो आज भी जारी है।
दर्शन के बाद पैड़ी पर बैठने की यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी मानी जाती है।
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