Election: 2008 में खडूर साहिब सीट शुरू हुई। लोकसभा क्षेत्र में नौ क्षेत्र हैं। इनमें जंडियाला, तरनतारन, खेमकरण, पट्टी, खडूर साहिब, बाबा बकाला, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और जीरा शामिल हैं। 2009 में शिअद के रतन सिंह अजनाला सांसद बने, लेकिन 2014 में अकाली उम्मीदवार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने इस पद को जीता।
इस बार पंथ राजनीति ने पंजाब की खडूर साहिब सीट को घेर लिया है। शुरू में इस पद पर मुकाबला इतना आसान नहीं लगता था, लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते यह अधिक कठिन होता जा रहा है।
खडूर साहिब क्षेत्र को सिखों का पवित्र स्थान मानते हैं। यह स्थान गुरुद्वारा श्री खडूर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। सिखों के आठ गुरुओं ने यहां भ्रमण किया था। गुरुनानक देव पांच बार यहां आए थे।
Election: शिरोमणि अकाली दल समेत सभी पार्टियां पंथक राजनीति में फंस गई हैं क्योंकि वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है। स्थिति ऐसी है कि एसजीपीसी (शिअद) अमृतपाल सिंह के केस की पैरवी कर रही है, जबकि शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल लगातार कह रहे हैं कि अमृतपाल सिंह नहीं है। उसका संघर्ष सिर्फ उसके लिए है।
यह चिंता की बात है कि अमृतपाल बहुत से कट्टरपंथी संगठनों से जुड़ गया है। शिअद के नेता मंजीत सिंह ने भी घोषणा की है कि वे पार्टी छोड़कर अमृतपाल का समर्थन देंगे। साथ ही, सिमरनजीत मान के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने अमृतपाल का समर्थन किया है, जो शिअद को मुश्किल में डाल दिया है। साथ ही, वे अपने प्रतिद्वंद्वी को वापस लेकर अमृतपाल का समर्थन करते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में मानव अधिकार कार्यकर्ता मरहूम जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा ने खडूर साहिब से पंजाब एकता पार्टी से चुनाव लड़ा और दो लाख से अधिक वोटों से तीसरे स्थान पर रहीं। यहां पर वाम और सिख संगठनों ने मिलकर खालड़ा का प्रचार किया। अब शिरोमणि अकाली दल को खडूर साहिब में अमृतपाल सिंह का विरोध करना पड़ रहा है। चुनाव आयोग ने अमृतपाल सिंह को ‘माइक’ चुनाव चिह्न दिया है।
Election: मुकाबला बहुकोणीय है
अमृतपाल सिंह के आगमन से खडूर साहिब की चुनावी लड़ाई में विभिन्न पक्षों का उदय हुआ है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोहा को चुनाव में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक कुलबीर सिंह को विजयी घोषित किया है, जबकि बीजेपी ने मंजीत सिंह मियांविंड को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
Election: बेअदबी की समस्या अभी भी है
इस बार भी माझा बेल्ट की इस सीट पर बेअदबी का मुद्दा गर्माया हुआ है। इसके अलावा, लोग पंथिक मुद्दों जैसे बंदी सिंहों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। शिअद के कार्यकाल में गुरमीत राम रहीम को श्री अकाल तख्त साहब से माफी मांगने और बरगाड़ी में सिख संगत पर गोलियां चलाने की घटनाओं ने पंथक वोटरों में अकाली दल (बादल) से गहरी नाराजगी पैदा की थी। 2019 में अकाली दल ने सिर्फ दो सीटें जीतीं। कांग्रेस को 13 में से 8 सीटें मिली, अकाली-भाजपा गठबंधन को चार सीटें मिली, जबकि “आप” को सिर्फ एक सीट मिली।
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Election: पंथक राजनीति में उलझी हुई खडूर साहिब सीट को पार करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।
Lok Sabha Election 2024: Prashant Kishor Predicts These 4 Big Changes In Modi 3.0 | India Today LIVE
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