Indian Constitution Day ‘हमारे लोकतंत्र की रीढ़…’ संविधान दिवस पर प्रेरक भाषण, जानें क्या कहा गया
Indian Constitution Day “संविधान—भारत की लोकतांत्रिक आत्मा”
संविधान दिवस पर दिए गए भाषण में लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों, कर्तव्यों और भारतीय संविधान की मजबूती पर जोर दिया गया। भाषण में संविधान को राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए युवाओं को जागरूक व जिम्मेदार नागरिक बनने का संदेश दिया गया।
Indian Constitution Day संविधान दिवस भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन पूरे देश में भारतीय संविधान के मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को सम्मान देने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी क्रम में दिए गए एक प्रमुख भाषण ने लोगों में नई ऊर्जा और जागरूकता भर दी। भाषण की शुरुआत करते हुए वक्ता ने संविधान को “हमारे लोकतंत्र की रीढ़” बताया और कहा कि इसका हर अनुच्छेद, हर मूल्य देश की दिशा तय करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
“हमारा संविधान, हमारा सम्मान”
वक्ता ने कहा कि भारत जैसे विविधता से भरे देश में संविधान ही वह धागा है जो सभी को जोड़कर रखता है। इसने न सिर्फ नागरिकों को समानता, न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार दिया, बल्कि उन्हें अपने कर्तव्यों का बोध भी कराया। भाषण में देश की आजादी के संघर्ष और संविधान निर्माण में योगदान देने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर सहित सभी संविधान निर्माताओं को नमन किया गया।
संविधान दिवस पर भाषण कैसे दे?
भाषण में खासतौर पर युवाओं को संबोधित करते हुए कहा गया कि आधुनिक भारत का भविष्य उन्हीं के हाथों में है। इसलिए संविधान में दिए गए अधिकारों का सम्मान करने के साथ ही मौलिक कर्तव्यों का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। वक्ता ने जोर दिया कि संविधान सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक जीवंत दस्तावेज है जो समय के साथ बदलते समाज के अनुरूप विकसित होता है।
“हमारा संविधान—हमारी आजादी, हमारे अधिकार और हमारी पहचान”
कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि आज के दौर में लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए जागरूकता, संवाद और पारदर्शिता बेहद आवश्यक हैं। नागरिकों को अपने मताधिकार का उपयोग ईमानदारी से करना चाहिए और समाज में सौहार्द, भाईचारा और समानता की भावना को मजबूत बनाना चाहिए।

भाषण के समापन में वक्ता ने दोहराया कि संविधान का सम्मान करना और उसके मूल्यों को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची देशभक्ति है। उन्होंने कहा कि जब तक नागरिक संविधान की गरिमा को बनाए रखेंगे, भारत का लोकतंत्र दुनिया के सामने एक आदर्श उदाहरण बना रहेगा।
“लोकतंत्र की रीढ़—भारतीय संविधान”
भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इसे संविधान दिवस या नेशनल लॉ डे के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन 1949 में, संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया था। डॉ. बीआर. अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। यह दिन हमें संविधान का महत्व समझाता है। सरकारी संस्थाओं के ढांचे और कामकाज को बताता है। यह सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार, समानता और न्याय सुनिश्चित करता है। संविधान दिवस हमें अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों का सम्मान करने की याद दिलाता है। स्कूल और कॉलेज इस दिन जागरूकता बढ़ाने के लिए एक्टिविटीज करते हैं। यह हर नागरिक को संविधान में दिए गए मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
Indian Constitution Day क्या है कैसे स्टार्ट हुआ ये दिन?
Indian Constitution Day, जिसे संविधान दिवस या Samvidhan Diwas कहा जाता है, हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन इसलिए खास है क्योंकि 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया (Adopt किया) था। इसी ऐतिहासिक पल की याद में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस दिन को संविधान दिवस के रूप में officially मनाने की घोषणा की। इससे पहले 26 नवंबर को “Law Day” कहा जाता था, लेकिन संविधान दिवस घोषित होने के बाद इसे देशभर में बड़े स्तर पर मनाया जाने लगा। इस दिन का उद्देश्य नागरिकों में संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उसके मूल्यों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता—को समझना और डॉ. भीमराव अम्बेडकर सहित सभी संविधान निर्माताओं के योगदान को सम्मान देना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा संविधान केवल नियमों का दस्तावेज नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा है, जो भारत की विविधता को एक सूत्र में पिरोकर हमें एक मजबूत राष्ट्र बनाता है।
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