IndiGo Safety First: “DGCA के नए पायलट रेस्ट-नियम: IndiGo की उड़ानों पर क्यों आई तूफानी असर?”
IndiGo Safety First: थके पायलट = सुरक्षित उड़ान मुश्केल है
भारत में DGCA के नए fatigue-management नियमों के तहत पायलटों को बढ़ा हुआ रेस्ट दिया जाना अनिवार्य; IndiGo को राहत नियमों के कारण उड़ान रद्द करनी पड़ी। जानिए क्या है नया law।

भारत की घनी आबादी और बढ़ते हवाई यात्रियों के साथ, फ्लाइट सुरक्षा — ख़ासकर पायलटों की थकान (fatigue) — अब पहले से कहीं ज़्यादा अहम हो गयी है। इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए, DGCA ने 2024 में नए नियम पेश किए, जिन्हें 2025 में लागू करना शुरू किया गया।
नए नियमों में प्रमुख बदलाव ये हुए: अब पायलटों को हर हफ्ते कम-से-कम 48 लगातार घंटे आराम दिए जाने होंगे — पहले यह 36 घंटे था। इसके अलावा, रात (midnight–early morning) में उड़ानों को लेकर सख्ती बढ़ी है: हर पायलट अब हफ्ते में सिर्फ दो रात की लैंडिंग्स कर सकेगा — पहले छह तक हो सकती थीं।
जब पायलट थके होंगे… तो आपकी उड़ान कैसी सुरक्षित रहेगी?
यदि उड़ान रात में जाती हो, तो उसके लिए पायलट की कुल उड़ान-ड्यूटी अवधि (flight duty) 10 घंटे से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। अतिरिक्त: पायलट की पर्सनल लीव (leave) को रेस्ट टाइम में शामिल नहीं किया जा सकेगा — मतलब छुट्टी हो या न हो, रेस्ट 48 घंटे अलग से होगी। और एयरलाइंस को अब हर तीन महीने पर “fatigue report” भेजना होगा — जिसमें बताया जाएगा कि थकान रोकने के लिए उन्होंने क्या-क्या कदम उठाए।
ये बदलाव इसलिए जरूरी थे क्योंकि कई पायलटों ने शिकायत की थी कि लंबे घंटे, लगातार उड़ान, रात की फ्लाइट्स और कम आराम उन्हें थका देती हैं — और इस थकान की वजह से सुरक्षा पर असर हो सकता है। एक सर्वे (survey) में यह पाया गया कि लगभग 70% पायलटों का कहना था कि 10 घंटे से ज़्यादा की flight-duty fatigue बढ़ने की वजह बनती है।
लेकिन जैसे ही 1 नवंबर 2025 से ये नियम पूरी तरह लागू हुए, बड़ी एयरलाइन IndiGo समेत कई एयरलाइंस को scheduling में दिक्कतें आने लगीं। IndiGo ने बताया कि उसके पायलटों के roster तैयार नहीं थे — उसे नए नियमों के हिसाब से पायलट टीम नहीं मिल रही थी। परिणामस्वरूप, उसने सैकड़ों फ्लाइट्स रद्द या विलंबित कर दीं।

सिर्फ विमान नहीं — पायलट को भी चाहिए रेंडम रेस्ट
भारतीय वायु-यात्री के लिए यह बड़ी परेशानी बनी: यात्रा रद्द, टिकट कन्फ्यूजन, एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी। DGCA ने वाईक रेस्ट-नॉर्म्स लागू करने में भारी मात बदलने के बाद, कुछ राहत दी — उदाहरण के लिए, पर्सनल लीव को रेस्ट टाइम में गिनने की बाध्यता को फिलहाल टाल दिया।
जहाँ एक ओर ये नियम पायलटों की सेहत और यात्रियों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी थे, वहीं दूसरी ओर ऑपरेशन और फ्लाइट्स की प्लानिंग पर इसका भारी असर दिखा। कई लोग कह रहे हैं कि अगर पहले से पायलटों की संख्या और roster buffer ठीक से बनाये होते, तो यह परेशानी नहीं होती।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि — ये नियम “pilot fatigue survey / fatigue management law” सिर्फ कागज़ों के लिए नहीं, बल्कि हकीकत में पायलटों की ज़िंदगी, उनकी सेहत और उड़ानों की सुरक्षा के लिए बने थे। मगर बड़े बदलावों के लिए तैयारी, संसाधन और बेहतर प्रबंधन की ज़रूरत होती है, वरना passengers, एयरलाइंस और पायलट — तीनों प्रभावित होंगे।
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