Kargil War: कारगिल विजय दिवस को आज भी हर भारतीय गर्व से याद करता है। हमारे सैनिकों की बहादुरी, शौर्य और अदम्य साहस इस दिन स्मरणीय हैं। जंग में शहीद हुए जवानों को याद करते हुए आज भी उनके परिवारों की आंखें नम हो जाती हैं।
कारगिल युद्ध में दौराना वतन पर मिटने वाले शहीदों में से एक थे नायक अजायब सिंह; उनकी शहादत से प्रेरित होकर उनके गांव से लगभग दस युवाओं ने सेना में शामिल हो गया। इनमें से अधिकांश रेजिमेंट में पढ़े गए हैं।
1999 में टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने से कुछ ही मिनट पहले, आठ सिख रेजिमेंट के नायक अजायब सिंह ने अपने शत्रुओं से लोहा ले लिया। नायक अजायब सिंह ने 25 पाकिस्तानी सैनिक मार डाले थे। अजायब सिंह के हमला से पाकिस्तानी सैनिक बहुत डरे हुए थे। अजायब सिंह ने अपने पीछे खड़े भारतीय सैनिकों की ओर मुंह कर अपने दोनों हाथ उठाकर फतह बुलाई, लेकिन सीमा के दूसरी ओर से पाकिस्तानी सैनिकों ने उसके पीठ पर गोलियां चलाईं। दुश्मन की इस घृणित कार्रवाई के बाद, अजायब सिंह ने टाइगर हिल के पास अपनी अंतिम सांस ली। आंखें बंद करने से पहले, जय हिंद का जय घोष उनके मुख से निकला।
Kargil War: अजायब सिंह का जन्म जहांगीर, अमृतसर में हुआ था।
7 जुलाई 1999 को, अमृतसर जिले के गांव जहांगीर में इस सपूत ने अपनी जान दी। जब उनका शव तिरंगे में लिपटा हुआ उनके पैतृक गांव पहुंचा, तो सभी की आंखें नम हो गईं। शहीद के बड़े भाई जोगिंदर सिंह ने बताया कि अजायब सिंह ने 1984 में सेना में शामिल हो गया था। अजायब सिंह की मौत के दो वर्ष बाद उनके माता-पिता भी मर गए। टाइगर हिल में अजायब सिंह और उनके ताया का बेटा जसपाल सिंह भी थे। जसपाल को वहां गोली लगी तो अजायब सिंह ने उसे अस्पताल भेजा और फिर से वीरभूमि पर लौट गया। सरकार ने गांव की सरकारी एलिमेंटरी स्कूल को उनके शहीद भाई अजायब सिंह का नाम दिया है।
Kargil War: शहादत पर गर्व करती है पत्नी
शहीद अजायब सिंह की पत्नी मनजीत कौर ने कहा कि उनके पति बहुत देशभक्त थे। उन्हें अपनी कमी महसूस होती है, लेकिन वे देश की रक्षा के लिए दी गई शहादत पर गर्व महसूस करते हैं। मनजीत कौर को डीसी कार्यालय में क्लर्क का पद मिला था, लेकिन उन्होंने अपने दो बच्चों, रविंदर सिंह और प्रभजोत कौर की देखभाल करने के लिए पद छोड़ दिया। बाद में सरकार ने उन्हें गैस एजेंसी दी।
जोगिंदर सिंह बताते हैं कि टाइगर हिल की ओर चलते हुए अजायब सिंह का घुटना और कोहनी छिल गया था। शरीर के पास से गोलियां निकलने पर शरीर को गर्मी लगती है। ऐसे परिस्थितियों में भी अजायब गिरे नहीं, बल्कि उत्साह से आगे बढ़ते रहे। सेना ने 21 जुलाई 1999 को टाइगर हिल की एक पोस्ट पर तिरंगा फहराया, हालांकि सीधी चढ़ाई के कारण पहाड़ की तरह मुश्किल थी।
Kargil War: 60 दिन की लड़ाई चली
1999 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 60 दिन तक चले कारगिल युद्ध को हर कोई नहीं भूला है। ऑपरेशन विजय में भारत सरकार ने दो लाख सैनिक भेजे थे। 26 जुलाई को भारत ने जीत हासिल की, जिससे इसका अंत हुआ। कारगिल विजय दिवस हर साल मनाया जाता है, जो युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान में मनाया जाता है। इस युद्ध में 527 सैनिकों ने अपनी जान दी और 1400 युवा घायल हुए।
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Kargil War: दस युवा ने नायक अजायब सिंह की शहादत पर देश सेवा की शपथ ली।
करगिल के सपूतों को देश का सलाम | Kargil Vijay Diwas Celebration | PM Modi | Aaj Tak News
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