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  • Gujarat Farmers Maha Panchayat : “किसानों की आवाज़ : अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने गुजरात में किया महापंचायत का आयोजन”

    Gujarat Farmers Maha Panchayat : “किसानों की आवाज़ : अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने गुजरात में किया महापंचायत का आयोजन”

    Gujarat Farmers Maha Panchayat : गुजरात में किसानों-और पशुपालकों की समस्या को लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, गोपाल इटालिया तथा चैतर वसावा के साथ मिलकर आयोजित महापंचायत में भाजपा पर किसान-विरोधी रवैए का आरोप लगाया गया। जानिए पूरा मामला।

    “आम आदमी पार्टी किसानों-पशुपालकों के हक की लड़ाई में”

    Gujarat Farmers Maha Panchayat

    गुजरात में किसानों और पशुपालकों की समस्या को लेकर बड़ी राजनीति छिड़ गई है। अरविंद केजरीवाल, जो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक हैं, ने प्रदेश में किसानों-पशुपालकों के समर्थन में एक महापंचायत का आयोजन किया है। इसके साथ ही पार्टी के गुजरात संगठन के प्रमुख नेता गोपाल इटालिया व आदिवासी और किसान-नेता चैतर वसावा भी इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

    किसानों की महापंचायत किसानों की लड़ाई में हमारा साथ है” – केजरीवाल

    केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि गुजरात में भाजपा शासित सरकार ने किसान-पशुपालक समुदाय के साथ अन्याय किया है — बोनस नहीं दिया, लाठीचार्ज किया गया, मुकदमे लगाए गए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं बल्कि पूरे व्यवस्था का दुष्चक्र है, जिसमें किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा है।

    मामले की शुरुआत इस तरह हुई कि गुजरात के कुछ जिलों में डेयरी कारोबार से जुड़े पशुपालक किसानों ने सरकार से बोनस व मुनाफा-हिस्सेदारी की मांग की थी। लेकिन उन्हें समय पर भुगतान नहीं हुआ। केजरीवाल ने कहा कि “पिछले वर्षों में 16-17 % बोनस मिल रहा था, इस साल अचानक 9.5 % घोषित हुआ और वह भी किसानों को नहीं मिला”।

    Gujarat Farmers Maha Panchayat
    Gujarat Farmers Maha Panchayat

    जब किसानों ने आवाज़ उठाई, तो कहा जाता है कि वहां लाठीचार्ज व आंसू गैस का उपयोग किया गया, और एक पशुपालक की मृत्यु भी हो गई। केजरीवाल ने इस पर कहा कि “जब अपने ही खेतों में खून बह रहा है, फिर राजनीति का मतलब क्या रह गया?”

    जब किसानों की आवाज़ दबाई जाए, तब उठती है महापंचायत

    चैतर वसावा जिनका संबंध आदिवासी इलाके से है और जिन्होंने किसानों-पशुपालकों के संघर्ष को उठाया है, उनका दावा है कि उन्हें अन्याय के आरोपों में फँसाया गया ताकि उनका आंदोलन दबाया जा सके। वसावा का कहना है कि यह केवल उनके खिलाफ नहीं है — यह पूरे आदिवासी-किसान वर्ग के खिलाफ है।

    “चैतर वसावा-गोपाल इटालिया के साथ किसानों के लिए मैदान में”

    गुजरात के खेतों से उठ रहा है बदलाव का संदेश

    गोपाल इटालिया और अन्य AAP नेताओं के साथ मिलकर, केजरीवाल ने महापंचायत के जरिये किसानों-पशुपालकों को यह संदेश दिया कि उनकी लड़ाई अकेली नहीं है। उन्होंने कहा कि “AAP किसान-पशुपालक-श्रमिकों की पार्टी है। जहां अन्य दल मुद्दों को भूल गये, हम उनके साथ खड़े हैं।”

    इस आंदोलन का राजनीतिक आयाम भी है। गुजरात में लंबे समय से एक ही पार्टी शासन कर रही है, किसानों-पशुपालकों की उपेक्षा का आरोप लगता रहा है, और AAP इसे अवसर के रूप में देख रही है। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि “अब राज परिवर्तन की लहर आएगी”।

    महापंचायत का मकसद था किसानों की मांगों को आवाज़ देना — बोनस भुगतान की गारंटी, दूध–डेयरी पेमेंट में पारदर्शिता, आदिवासी किसानों के हक की रक्षा, और स्थानीय सहकारी समितियों में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करना। साथ ही उन्होंने सरकार से संवाद की माँग की ताकि बल प्रयोग से समस्या हल न हो।

    इस पूरे मोर्चे पर तीन बातें स्पष्ट हैं:

    1. संकट की पहचान – किसानों-पशुपालकों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से उपेक्षित माना गया है।
    2. राजनीतिक प्लेटफॉर्म – AAP इसे सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि अगले चुनावों की रणनीति के रूप में देख रही है।
    3. संघर्ष की दिशा – मजबूती से खड़े होना, किसानों-पशुपालकों को संगठित करना, और संवादविहीन राजनीति के खिलाफ आवाज़ उठाना।

    कहने को यह आंदोलन अभी शुरू है — लेकिन इसका प्रतिध्वनि गुजरात के ग्रामीण-आदिवासी इलाकों तक व्यापक दिख रहा है। यदि किसानों-पशुपालकों की मांगों को समय रहते नहीं पूरा किया गया, तो यह सिर्फ एक महापंचायत ही नहीं रहेगा, बल्कि आगामी सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन की एक शुरुआत बन सकता है।



    Tulsi Shaligram Vivah 2025: शुभ मुहूर्त, विधि और इसका दिव्य महत्व

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  • Tulsi Shaligram Vivah 2025: शुभ मुहूर्त, विधि और इसका दिव्य महत्व

    Tulsi Shaligram Vivah 2025: शुभ मुहूर्त, विधि और इसका दिव्य महत्व

    Tulsi Shaligram Vivah 2025 को 2 नवंबर को होगा। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, धार्मिक कहानियाँ और इस पवित्र आयोजन का महत्व। कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि पर तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन — जानिए 2 नवंबर 2025 का मुहूर्त, पूजा-विधि और क्यों है यह हिंदू धर्म में आरंभ नया वर्ष-विवाह मौसम।

    Tulsi Shaligram Vivah 2025
    Tulsi Shaligram Vivah 2025

    हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एक अत्यन्त शुभ तिथि है — जब पवित्र पौधा तुलसी (Holy Basil) को अपने “वर” शालिग्राम (ख़ासतौर पर भगवान् विष्णु का स्वरूप) से विवाह कराया जाता है। इस आयोजन को तुलसी विवाह कहा जाता है। इस वर्ष 2025 में यह आयोजन 2 नवंबर को धूप-दीप और मंगलमय ऊर्जा के साथ मनाया जाना है।

    Tulsi Shaligram Vivah 2025 मुहूर्त और तिथि

    2025 में तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल द्वादशी (Dwādashī) तिथि पर होगा। पञ्चांग के अनुसार, इस तिथि का आरंभ ** सुबह 07:31 बजे** होगा और समाप्ति अगले दिन 05:07 बजे तक है। इस समय को घर-परिवार में पूजा, उपवास तथा विवाह जैसा विधि-रूप में सम्पन्न किया जाना शुभ माना जाता है।

    धार्मिक कथा और महत्व

    शास्त्रों में तुलसी-विवाह की कथा वर्णित है — देवर्षि नारद के माध्यम से यह कहानी हमें मिलती है कि ब्रिंदा/तुलसी नामक देवी ने अत्यन्त भक्ति-भाव से विष्णु की उपासना की थी। उनकी भक्ति के कारण असुर जलंधर शक्तिशाली हो गया था। अंततः भगवान विष्णु ने शालिग्राम स्वरूप में ब्रिंदा के पतिव्रत धर्म को तोड़ा और ब्रिंदा ने आत्म-समर्पण किया। इसके बाद उन्हें तुलसी रूप में स्थान मिला और भगवान ने उनसे विवाह किया। इस प्रकार यह शुभ आयोजन विवाह-ऋतु के आरंभ का प्रतीक बन गया।

    Tulsi Shaligram Vivah 2025
    Tulsi Shaligram Vivah 2025

    इसका अर्थ है — जब तुलसी का विवाह भगवान से होता है, तो नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं, गृह-परिवार में समृद्धि आती है तथा विवाह-ऋतु का शुभारंभ होता है।

    Tulsi Shaligram Vivah 2025 पूजा-विधि संक्षिप्त

    • पूजा-स्थान को स्वच्छ करें, रंगोली बनाएं, तुलसी के पौधे और शालिग्राम अथवा भगवान विष्णु की मूर्ति सजाएं।
    • चौकी-मंडप बनाएं, एक तरफ तुलसी को वधू के रूप में सजाएं और दूसरी तरफ शालिग्राम को वर के स्थान पर रखें।
    • हल्दी-कुमकुम, नवीन वस्त्र, फूल-फूलमालाएँ, प्रसाद, दीप-धूप आदि समर्पित करें।
    • वर-माला का आदान-प्रदान करें (तुलसी-शालिग्राम को माला पहनाएं), गाथबंधन करें, कन्यादान का प्रतीक करें।
    • आरती और भजन-कीर्तन से समापन करें।

    क्यों मनाया जाता है और क्या-क्या लाभ?

    • विवाह सीज़न का आरंभ: इस दिन से हिन्दू विवाह-मौसम की शुरुआत मानी जाती है।
    • गृह-सौख्य व समृद्धि: तुलसी को लक्ष्मी­देवी का रूप माना जाता है, और शालिग्राम विष्णु का। इनके एकीकरण से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
    • विवाह-संयोग और संतानप्राप्ति: विवाहित तथा अविवाहित दोनों के लिए शुभ माना जाता है कि यह पूजा-विधि करना लाभकारी है।

    तुलसी विवाह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि हिन्दू संस्कृति में पवित्रता, समृद्धि, एकता और नव-आरंभ का प्रतीक है। 2 नवंबर 2025 को इसका आयोजन जिस मुहूर्त पर हो रहा है, वह आयुष्मान-समृद्ध-समझा गया है। आपके परिवार में यदि इस दिन पूजा-विधि सम्पन्न हो, तो यह आने वाले वर्ष के लिए शुभ संकेत माना जाएगा।



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  • Lint Removal Tips: सर्दियों में वूलेन कपड़ों पर जमे रोएं और छोटे-छोटे बबल्स से परेशान हैं? अब नहीं!

    Lint Removal Tips: सर्दियों में वूलेन कपड़ों पर जमे रोएं और छोटे-छोटे बबल्स से परेशान हैं? अब नहीं!

    Lint Removal Tips: सर्दियों में वूलेन कपड़ों पर जमे रोएं और छोटे-छोटे बबल्स से परेशान हैं? अब नहीं! जानिए घर पर मौजूद चीज़ों से लिंट हटाने के आसान और सस्ते उपाय। वूलेन कपड़ों से लिंट और बबल्स हटाने के आसान हैक्स जानें। बिना महंगे लिंट रोलर के भी कपड़े बनेंगे नए जैसे। सर्दियों में अपनाएं ये आसान टिप्स।

    Lint Removal Tips: सर्दियों का मौसम आते ही हम अपने वॉर्डरोब से गर्म और आरामदायक वूलेन कपड़े निकालते हैं। लेकिन कुछ ही दिनों में इन पर छोटे-छोटे रोएं (Lint) और बबल्स (Pills) दिखाई देने लगते हैं, जो न सिर्फ कपड़ों की खूबसूरती खराब कर देते हैं, बल्कि उन्हें पुराना और गंदा भी दिखाते हैं।

    लिंट क्या है और ये वुलन कपड़ो पर कैसे हो जाता है?

    लिंट यानी वो छोटे-छोटे रोएं या फाइबर के टुकड़े जो वूलेन या कॉटन कपड़ों की सतह पर जमा हो जाते हैं। जब कपड़े को बार-बार धोया, रगड़ा या पहना जाता है, तो उसके धागे ढीले होकर टूटने लगते हैं। ये टूटे हुए फाइबर सतह पर चिपककर लिंट या बबल्स बना देते हैं। सर्दियों में वूलेन कपड़ों पर ये ज़्यादा दिखते हैं क्योंकि ऊन के धागे मुलायम होते हैं और जल्दी घिसते हैं।

    अगर आप भी इस परेशानी से जूझ रहे हैं, तो अब चिंता की ज़रूरत नहीं। कुछ आसान घरेलू हैक्स (Home Hacks) अपनाकर आप अपने वूलेन कपड़ों को फिर से नया जैसा बना सकते हैं। आइए जानते हैं वो असरदार तरीके जिनसे आप बिना ज़्यादा खर्च किए लिंट हटा सकते हैं।

    1. शेविंग रेज़र का करें इस्तेमाल

    Lint Removal Tips
    Lint Removal Tips

    यह सबसे आसान और कारगर तरीका है।
    कपड़े को समतल सतह पर रखें और हल्के हाथ से शेविंग रेज़र को धीरे-धीरे चलाएं।
    रेज़र की धार लिंट और बबल्स को साफ कर देगी और कपड़ा नया जैसा लगेगा।
    ⚠️ ध्यान रखें — बहुत ज़ोर से रगड़ें नहीं, वरना कपड़ा कट सकता है।

    2. सिरके का कमाल Lint Removal Tips

    Lint Removal Tips
    Lint Removal Tips

    सिरका (Vinegar) न सिर्फ दाग हटाने में मदद करता है, बल्कि कपड़ों के फाइबर को भी मजबूत बनाता है।

    • एक बाल्टी पानी में एक कप सफेद सिरका डालें।
    • वूलेन कपड़े को 10–15 मिनट के लिए इसमें भिगो दें।
    • इसके बाद सामान्य पानी से धोकर सुखा लें।
      कपड़े की सतह मुलायम और लिंट-फ्री हो जाएगी।

    3. वेलक्रो स्ट्रिप या स्पंज से हटाएं लिंट

    Lint Removal Tips
    Lint Removal Tips

    अगर आपके पास लिंट रोलर नहीं है, तो घर में रखी वेलक्रो स्ट्रिप या किचन स्पंज का इस्तेमाल करें।
    स्पंज के खुरदुरे हिस्से को कपड़े पर हल्के हाथ से रगड़ें, इससे रोएं आसानी से निकल जाएंगे।

    4. लिंट रोलर या टेप का उपयोग

    Lint Removal Tips
    Lint Removal Tips

    लिंट हटाने के लिए मार्केट में मिलने वाले लिंट रोलर बहुत कारगर होते हैं।
    अगर आपके पास नहीं है तो कोई बात नहीं —
    चिपकने वाली टेप (adhesive tape) को उल्टा हाथ पर लपेटें और धीरे-धीरे कपड़े पर रोल करें।
    सारे लिंट और छोटे बबल्स टेप पर चिपक जाएंगे।

    5. वॉशिंग में करें ये बदलाव Lint Removal Tips

    • वूलेन कपड़ों को हमेशा इनसाइड आउट (उल्टा) धोएं।
    • माइल्ड डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें।
    • मशीन में डालते समय gentle cycle या wool mode चुनें।
    • साथ ही, कपड़ों को ज़्यादा देर ड्रायर में न रखें क्योंकि गर्मी से फाइबर कमजोर हो जाते हैं और लिंट बढ़ता है।

    6. फैब्रिक सॉफ्टनर और फ्रीज़र ट्रिक

    धोने के बाद थोड़ा फैब्रिक सॉफ्टनर डालें ताकि फाइबर स्मूद रहें।
    या फिर कपड़े को प्लास्टिक बैग में डालकर 2 घंटे के लिए फ्रीज़र में रख दें।
    ठंडा तापमान लिंट को जमने नहीं देता और कपड़ा फ्रेश लगता है।

    7. वूलेन कपड़ों की सही देखभाल

    Lint Removal Tips
    Lint Removal Tips
    • कपड़ों को पहनने के बाद ब्रश करें ताकि धूल और बाल ना जमें।
    • उन्हें हैंगर पर टांगने के बजाय फोल्ड कर रखें।
    • बार-बार धोने से बचें, क्योंकि बार-बार वॉशिंग से फाइबर टूटते हैं।

    सर्दियों में वूलेन कपड़ों को लिंट-फ्री रखना कोई मुश्किल काम नहीं। थोड़ी सी सावधानी और ये आसान DIY हैक्स अपनाकर आप अपने पुराने कपड़ों को नया जैसा बना सकते हैं। अब न ज़रूरत महंगे प्रोडक्ट्स की, न ड्राई-क्लीनिंग की — बस अपनाएं ये आसान टिप्स और पाएं बिना लिंट के चमकदार वूलेन आउटफिट्स।



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  • Biography of Vallabhbhai Patel सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी: भारत के लौहपुरुष जिन्होंने रियासतों को जोड़कर बनाया अखंड भारत

    Biography of Vallabhbhai Patel सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी: भारत के लौहपुरुष जिन्होंने रियासतों को जोड़कर बनाया अखंड भारत

    Biography of Vallabhbhai Patel भारत की आज़ादी के बाद 562 रियासतों को एक सूत्र में पिरोने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल — जानिए उनकी प्रेरणादायक जीवन कहानी, संघर्ष और योगदान। जानिए भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी — जन्म, शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम, और देश की एकता में उनके अमूल्य योगदान की कहानी।

    सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी: भारत के लौहपुरुष जिन्होंने रियासतों को जोड़कर बनाया अखंड भारत

    Biography of Vallabhbhai Patel
    Biography of Vallabhbhai Patel

    भारत के इतिहास में अगर किसी नेता को “एकता का प्रतीक” कहा जाए तो वह हैं — सरदार वल्लभभाई पटेल।
    उन्हें भारत का लौहपुरुष (Iron Man of India) कहा जाता है क्योंकि उन्होंने आज़ादी के बाद देश की 562 रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत का निर्माण किया। उनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और देशप्रेम का एक अद्भुत उदाहरण है।

    प्रारंभिक जीवन और शिक्षा Biography of Vallabhbhai Patel

    सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद (गुजरात) के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता झवेरभाई पटेल खेती करते थे और माता लाडबाई धार्मिक स्वभाव की थीं।
    वह बचपन से ही मेहनती और दृढ़ निश्चयी थे। उन्होंने स्वाध्याय के माध्यम से कानून की पढ़ाई की और लंदन के मिडिल टेंपल इन से बार-एट-लॉ (Barrister) की डिग्री प्राप्त की।

    वकालत से राजनीति तक का सफर

    भारत लौटने के बाद पटेल ने अहमदाबाद में वकालत शुरू की और अपनी बुद्धिमत्ता से जल्दी ही प्रसिद्ध वकील बन गए। लेकिन 1915 में महात्मा गांधी से मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
    गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए खेड़ा सत्याग्रह (1918) और बारडोली सत्याग्रह (1928) का नेतृत्व किया।
    बारडोली आंदोलन की सफलता के बाद जनता ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दी।

    स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

    सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भाग लिया।
    उनका प्रशासनिक अनुभव और संगठन क्षमता कांग्रेस को मजबूत बनाने में अहम रहा।

    Biography of Vallabhbhai Patel
    Biography of Vallabhbhai Patel

    स्वतंत्र भारत के निर्माता

    1947 में भारत को आज़ादी मिली, लेकिन देश एकजुट नहीं था। उस समय भारत में 562 रियासतें थीं — जिनमें से कई स्वतंत्र रहना चाहती थीं।
    गृह मंत्री बनने के बाद पटेल ने अपनी राजनीतिक कुशलता, दृढ़ इच्छाशक्ति और रणनीति से सभी रियासतों को भारत में विलय कराया।
    हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसी बड़ी रियासतों को शांतिपूर्वक भारत में सम्मिलित करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
    उनकी इस एकता नीति के कारण ही उन्हें “भारत का बिस्मार्क” और “आयरन मैन ऑफ इंडिया” कहा गया।

    ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ – उनकी अमर स्मृति

    Biography of Vallabhbhai Patel
    Biography of Vallabhbhai Patel

    सरदार पटेल के सम्मान में गुजरात के केवड़िया में 182 मीटर ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाई गई, जिसका उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को हुआ।
    यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है और उनकी राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रतीक मानी जाती है।

    मृत्यु और विरासत

    सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ।
    भारत सरकार ने उनके सम्मान में 1991 में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया।
    उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल भाषणों से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प और कर्मनिष्ठा से सिद्ध होता है।

    सरदार वल्लभभाई पटेल न केवल स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वे भारत की आत्मा थे जिन्होंने बिखरे हुए टुकड़ों को जोड़कर एक राष्ट्र का निर्माण किया।
    उनकी सोच आज भी प्रासंगिक है —

    “भारत की एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और इसे कोई नहीं तोड़ सकता।”

    Biography of Vallabhbhai Patel
    Biography of Vallabhbhai Patel

    सरदार वल्लभभाई पटेल के परिवार (Family) की जानकारी संक्षेप में

    सरदार वल्लभभाई पटेल का परिवार (In Short):

    • पूरा नाम: सरदार वल्लभभाई झवेरभाई पटेल
    • पिता का नाम: झवेरभाई पटेल (किसान और स्वतंत्रता प्रेमी)
    • माता का नाम: लाडबाई पटेल (धार्मिक और सरल स्वभाव की)
    • पत्नी का नाम: झवेरबा पटेल
      • उनका विवाह किशोरावस्था में ही झवेरबा से हुआ था।
      • 1909 में झवेरबा का निधन हो गया, जिसके बाद पटेल ने जीवनभर दोबारा विवाह नहीं किया।
    • संतान:
      • पुत्र: डाह्याभाई पटेल
      • पुत्री: मणिबेन पटेल
    • पुत्र डाह्याभाई पटेल बाद में सांसद बने और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे।
    • पुत्री मणिबेन पटेल भी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रहीं और अपने पिता की विचारधारा पर चलीं।

    सरदार पटेल का परिवार छोटा था लेकिन राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा ही उनका सबसे बड़ा परिवार बन गई।
    उनकी संतानें भी सार्वजनिक सेवा और राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय रहीं।


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  • Geyser Buying Guide सर्दी में गीजर खरीदने की सोच रहे हैं? खरीदने से पहले ज़रूर जान लें ये 7 ज़रूरी बातें, वरना हो सकता है नुकसान

    Geyser Buying Guide सर्दी में गीजर खरीदने की सोच रहे हैं? खरीदने से पहले ज़रूर जान लें ये 7 ज़रूरी बातें, वरना हो सकता है नुकसान

    Geyser Buying Guide सर्दियों में गीजर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें? जानिए सही साइज, पावर, टाइप और सेफ्टी फीचर्स के साथ गीजर खरीदने की पूरी जानकारी। सर्दियों में गर्म पानी के लिए हर घर में जरूरी होता है गीजर। लेकिन गलत गीजर चुनने से बिजली बिल बढ़ सकता है और सुरक्षा जोखिम भी! जानिए सही गीजर खरीदने की पूरी गाइड।

    Geyser Buying Guide
    Geyser Buying Guide

    Geyser Buying Guide सर्दियां आते ही गर्म पानी की जरूरत हर घर में बढ़ जाती है। चाहे सुबह का नहाना हो या रात का बर्तन धोना — गीजर (Water Heater) सर्द मौसम का सबसे जरूरी साथी बन जाता है। लेकिन बाजार में इतनी सारी कंपनियों और मॉडल्स के बीच सही गीजर चुनना आसान नहीं होता। अगर आप भी नया गीजर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इन ज़रूरी बातों का ध्यान रखना आपके लिए बेहद फायदेमंद रहेगा।

    1. गीजर का प्रकार चुनें – Instant या Storage? Geyser Buying Guide

    गीजर दो तरह के होते हैं – इंस्टेंट (Instant Geyser) और स्टोरेज (Storage Geyser)

    • इंस्टेंट गीजर छोटे परिवारों या किचन के लिए अच्छा रहता है, क्योंकि यह तुरंत पानी गर्म करता है।
    • स्टोरेज गीजर बड़ी फैमिली के लिए बेहतर है, इसमें गर्म पानी कुछ समय तक स्टोर रहता है।
      आपकी जरूरत और इस्तेमाल के हिसाब से सही प्रकार चुनें।

    2. कितने लीटर का गीजर लें? (Capacity)

      गीजर का साइज आपकी फैमिली और उपयोग पर निर्भर करता है।

      • 1–2 लोगों के लिए: 6–10 लीटर
      • 3–4 लोगों के लिए: 15–25 लीटर
      • बड़ी फैमिली (5+ सदस्य): 25–35 लीटर
        छोटा गीजर लगातार पानी नहीं देगा, और बहुत बड़ा गीजर बिजली की बर्बादी करेगा।

      3. पावर कंजंप्शन पर ध्यान दें (Energy Efficiency)

      गीजर जितनी बिजली बचाएगा, उतना ही आपके बिल में फर्क पड़ेगा।
      BEE Star Rating वाले एनर्जी-एफिशिएंट गीजर खरीदें। 5-स्टार रेटिंग वाले मॉडल भले थोड़ा महंगे हों, लेकिन लंबी अवधि में बिजली की बचत करते हैं।

      4. टैंक की क्वालिटी और मैटेरियल देखें

      गीजर का अंदरूनी टैंक स्टेनलेस स्टील या टाइटेनियम ग्लास लाइन कोटिंग वाला होना चाहिए। इससे पानी की क्वालिटी खराब नहीं होती और गीजर ज्यादा दिन चलता है।
      हार्ड वॉटर वाले इलाकों में मैग्नीशियम एनोड रॉड वाला गीजर चुनें — यह टैंक को जंग से बचाता है।

      5. सेफ्टी फीचर्स सबसे जरूरी

      सुरक्षा के मामले में कोई समझौता न करें। गीजर में थर्मोस्टेट, ऑटो कट-ऑफ, प्रेशर रिलीज वॉल्व और ओवरहीट प्रोटेक्शन जैसे फीचर्स जरूर होने चाहिए। ये न केवल आपको सुरक्षित रखते हैं बल्कि बिजली की भी बचत करते हैं।

      6. ब्रांड और वारंटी जांचें Geyser Buying Guide

      गीजर खरीदते समय विश्वसनीय ब्रांड जैसे Bajaj, Havells, AO Smith, Crompton, Racold या Venus चुनें।
      कम से कम 2 से 5 साल की वारंटी देखें ताकि किसी तकनीकी खराबी पर सर्विस मिल सके।

      7. इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस पर ध्यान दें

      गीजर को हमेशा प्रमाणित इलेक्ट्रिशियन से ही इंस्टॉल कराएँ।
      हर 6 महीने में सर्विस करवाएँ और हार्ड वॉटर क्षेत्रों में डीस्केलिंग कराना न भूलें, ताकि हीटिंग एलिमेंट खराब न हो।

      बोनस टिप: Geyser Buying Guide

      अगर आपके घर में सोलर पैनल लगे हैं, तो सोलर वॉटर हीटर एक बेहतरीन इको-फ्रेंडली विकल्प है। इससे बिजली बिल लगभग 70% तक कम हो सकता है।

      गीजर खरीदना सिर्फ “ब्रांड” या “कीमत” का मामला नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा, ऊर्जा-बचत और दीर्घकालिक उपयोग से जुड़ा फैसला है। सही क्षमता, ऊर्जा रेटिंग और सुरक्षा फीचर्स के साथ चुना गया गीजर आने वाले कई सर्दियों तक आपका भरोसेमंद साथी साबित होगा।


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    1. 29 April 1946: जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल के बीच तय हुई भारत की आज़ादी की राह — कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर हुआ ऐतिहासिक मोड़

      29 April 1946: जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल के बीच तय हुई भारत की आज़ादी की राह — कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर हुआ ऐतिहासिक मोड़

      29 April 1946 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम मोड़ था, जब सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के बीच देश के भविष्य को लेकर एक निर्णायक चर्चा और राजनीतिक घटनाएँ हुईं। 29 अप्रैल 1946 — वह दिन जब सरदार पटेल कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सबसे क़रीब थे, पर महात्मा गांधी के एक संकेत पर नेहरू को मिला नेतृत्व। यह फैसला भारत की स्वतंत्रता की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।

      29 April 1946 को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सरदार पटेल की जगह नेहरू के चयन ने भारत की आज़ादी की दिशा बदली। जानिए क्या हुआ था उस ऐतिहासिक दिन।

      29 April 1946
      29 April 1946

      भारत के स्वतंत्रता संग्राम की यात्रा में 29 अप्रैल 1946 एक ऐसा दिन है, जिसने देश की आज़ादी और विभाजन — दोनों की कहानी को दिशा दी। इस दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर एक बड़ा निर्णय लिया गया था — कौन बनेगा स्वतंत्र भारत का नेतृत्व करने वाला?
      यह वही समय था जब ब्रिटिश सरकार ने भारत में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू की थी, और कांग्रेस के नेतृत्व को देश का भविष्य तय करना था।

      29 April 1946 कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव: गांधी का निर्णायक संकेत

      1946 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। यह वही पद था, जिसे धारण करने वाला व्यक्ति भविष्य में भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने वाला था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार अंतरिम सरकार का गठन करने जा रही थी।

      उस समय 15 प्रांतीय कांग्रेस समितियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम भेजे।

      इनमें से 12 समितियों ने सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम प्रस्तावित किया,
      जबकि जवाहरलाल नेहरू का नाम किसी एक भी प्रांतीय समिति ने नहीं भेजा।

      लेकिन कांग्रेस की परंपरा के अनुसार, अंतिम निर्णय महात्मा गांधी के सुझाव पर निर्भर करता था। गांधीजी ने नेहरू को बुलाया और उनसे पूछा कि क्या वे कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहेंगे। नेहरू ने साफ कहा कि वे केवल तभी काम करेंगे जब वे अध्यक्ष होंगे।

      गांधीजी जानते थे कि नेहरू का व्यक्तित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली है, और वे ब्रिटिश नेताओं के साथ बातचीत में उपयोगी साबित होंगे। इसलिए, उन्होंने पटेल से कहा कि वे “नेहरू के लिए जगह छोड़ दें” — और सरदार पटेल ने बिना किसी विरोध के गांधीजी की इच्छा का सम्मान किया।

      29 April 1946 परिणाम: देश की दिशा तय करने वाला फैसला

      29 अप्रैल 1946 को आधिकारिक तौर पर नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, और सरदार पटेल ने अपने नामांकन वापस ले लिया। यह घटना केवल पार्टी का आंतरिक मामला नहीं थी, बल्कि भारत के भविष्य को निर्धारित करने वाला क्षण था।

      अगर उस दिन पटेल अध्यक्ष बनते, तो संभव है कि देश का राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा कुछ अलग होता। पटेल का दृष्टिकोण व्यावहारिक और निर्णायक था, जबकि नेहरू का दृष्टिकोण अधिक आदर्शवादी और समाजवादी झुकाव वाला था।

      इतिहासकारों का मानना है कि इस एक निर्णय ने आने वाले वर्षों में भारत की नीति, विभाजन की प्रक्रिया, और नेहरू-गांधी युग की राजनीतिक नींव रख दी।

      गांधी, नेहरू और पटेल: मतभेद नहीं, दृष्टिकोण का अंतर

      गांधीजी, नेहरू और पटेल — तीनों भारत की स्वतंत्रता के तीन स्तंभ थे। उनके विचार भिन्न थे, लेकिन उद्देश्य एक था — स्वतंत्र और एकजुट भारत
      पटेल ने कभी भी इस निर्णय पर सार्वजनिक आपत्ति नहीं की, बल्कि नेहरू के नेतृत्व में काम किया और बाद में गृह मंत्री बनकर देश की रियासतों को एकसूत्र में पिरोने का महान कार्य किया।

      29 अप्रैल 1946 का यह दिन केवल राजनीतिक तिथि नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक मोड़ था —
      जिसने तय किया कि भारत का पहला प्रधानमंत्री कौन होगा,
      और स्वतंत्र भारत का भविष्य किस दिशा में आगे बढ़ेगा।

      सरदार पटेल का त्याग, नेहरू का नेतृत्व और गांधीजी की दूरदर्शिता — इन तीनों के संतुलन ने भारत को आज़ादी की ओर अग्रसर किया।



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    2. Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: जानिए क्यों हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है ‘राष्ट्र एकता दिवस’

      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: जानिए क्यों हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है ‘राष्ट्र एकता दिवस’

      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस। जानिए लौहपुरुष पटेल की वो उपलब्धियाँ जिन्होंने भारत को एक सूत्र में पिरोया। भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर देशभर में मनाया जाएगा राष्ट्रीय एकता दिवस। जानिए क्यों पटेल का योगदान आज भी देश की एकता की पहचान बना हुआ है।

      हर साल 31 अक्टूबर को भारत में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को समर्पित है — वह महान नेता जिन्होंने आज़ाद भारत को एकजुट राष्ट्र के रूप में गढ़ने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। सरदार पटेल को भारत की एकता, अखंडता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक माना जाता है।

      स्वतंत्र भारत के शिल्पकार

      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti
      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti

      सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वे एक वकील, स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे। अंग्रेजों के खिलाफ़ सत्याग्रह और असहयोग आंदोलनों में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही — देश की 562 रियासतों को एकजुट कर भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाना।

      आज़ादी के बाद जब देश रियासतों में बँटा हुआ था, तब कई नवाब और राजा भारत में शामिल होने से हिचकिचा रहे थे। ऐसे समय में पटेल ने अपनी राजनीतिक बुद्धिमत्ता, दृढ़ इच्छा शक्ति और कूटनीति से लगभग सभी रियासतों को भारत में विलय करने में सफलता प्राप्त की। इसीलिए उन्हें “भारत का लौहपुरुष” (Iron Man of India) कहा गया।

      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस?

      सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसका उद्देश्य देश के नागरिकों में राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा के महत्व को दोहराना है।

      इस दिन पूरे देश में एकता दौड़ (Run for Unity), रैलियाँ, भाषण, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सरकारी दफ्तरों और स्कूलों में लोग “मैं भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करता हूँ” की शपथ लेते हैं।

      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti
      Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti

      ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ – श्रद्धांजलि का प्रतीक

      2018 में गुजरात के केवड़िया में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया गया, जो सरदार पटेल की स्मृति में बनाई गई दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है।
      182 मीटर ऊँची यह प्रतिमा न सिर्फ़ सरदार पटेल के योगदान को सम्मान देती है, बल्कि भारत की एकता और दृढ़ता का प्रतीक भी है। हर साल लाखों लोग यहां आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

      आज के भारत में पटेल का महत्व Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti

      वर्तमान समय में जब क्षेत्रीय, भाषाई और सामाजिक विविधताएँ बढ़ रही हैं, सरदार पटेल के विचार और उनकी एकता की भावना पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा था —

      “हमारा देश केवल तभी महान बनेगा जब हम सब एक रहेंगे, एक सोचेंगे और एक दिशा में आगे बढ़ेंगे।”

      उनका यह संदेश आज भी भारत के हर नागरिक को जोड़ने की प्रेरणा देता है।

      सरदार वल्लभभाई पटेल केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वे भारत के “संघर्ष और समरसता” के प्रतीक थे। उनकी जयंती हमें याद दिलाती है कि स्वतंत्रता की असली शक्ति एकता और अनुशासन में निहित है।
      31 अक्टूबर का दिन इसलिए विशेष है क्योंकि यह हमें यह सिखाता है —
      “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” केवल एक नारा नहीं, बल्कि सरदार पटेल की विरासत है।



      Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

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    3. First Driverless Car भारत की पहली चालक रहित कार का अनावरण: IISc, विप्रो और RV कॉलेज ने मिलकर बनाया देश का ‘ड्राइवरलेस वंडर’

      First Driverless Car भारत की पहली चालक रहित कार का अनावरण: IISc, विप्रो और RV कॉलेज ने मिलकर बनाया देश का ‘ड्राइवरलेस वंडर’

      First Driverless Car बेंगलुरु में हुआ भारत की पहली स्वदेशी चालक रहित कार का अनावरण, IISc, विप्रो और आरवी कॉलेज की टीम ने किया कमाल — देश में ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी के नए युग की शुरुआत।

      IISc, विप्रो और बेंगलुरु के RV कॉलेज ने मिलकर भारत की पहली चालक रहित कार लॉन्च की। जानिए कैसे बदलेगी यह तकनीक भारत का ट्रैफिक भविष्य।

      First Driverless Car
      First Driverless Car

      भारत ने ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और ऐतिहासिक कदम रखा है। बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), विप्रो लिमिटेड और आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की संयुक्त टीम ने देश की पहली स्वदेशी चालक रहित कार (Driverless Car) का अनावरण किया है। इस प्रोजेक्ट को “WIRIN – Wipro IISc Research and Innovation Network” के नाम से विकसित किया गया है।

      यह कार पूरी तरह से भारत में डिजाइन और इंजीनियर की गई है। इसका उद्देश्य भारतीय सड़कों की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों — जैसे ट्रैफिक जाम, गड्ढे, अनियमित लेन सिस्टम और सड़क पर अचानक आने वाले पशुओं — को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित और स्मार्ट ड्राइविंग अनुभव प्रदान करना है।

      First Driverless Car तकनीक में भारतीय दिमाग की जीत

      WIRIN ड्राइवरलेस कार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और एडवांस्ड सेंसर तकनीक से लैस किया गया है। यह कार LiDAR सेंसर, कैमरा मॉड्यूल, GPS सिस्टम, और डीप न्यूरल नेटवर्क पर आधारित एल्गोरिद्म का उपयोग करती है। इसके जरिए वाहन सड़क की स्थिति, मोड़, ट्रैफिक लाइट और पैदल यात्रियों को स्वतः पहचान कर दिशा तय करता है।

      इस परियोजना का प्रमुख लक्ष्य है – भारत में इंडिजिनस ऑटोनॉमस व्हीकल टेक्नोलॉजी का विकास और इसका स्थानीयकरण। जहां विदेशी कंपनियाँ जैसे टेस्ला, वेमो और गूगल अपनी सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक विदेशों में टेस्ट कर रही हैं, वहीं IISc और विप्रो का यह प्रयास पूरी तरह भारतीय सड़क-स्थितियों पर केंद्रित है।

      First Driverless Car लॉन्च और प्रदर्शन

      27 अक्टूबर 2025 को बेंगलुरु स्थित RV कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के कैंपस में इसका आधिकारिक अनावरण हुआ। इस मौके पर विप्रो के CTO और IISc के प्रोफेसर समेत कई प्रमुख वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद थे। इस दौरान कार का लाइव डेमो भी दिया गया, जिसमें यह वाहन बिना किसी मानव चालक के निर्धारित मार्ग पर सफलतापूर्वक चला।

      RV कॉलेज के छात्रों और शोधकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट में हार्डवेयर इंटीग्रेशन, नेविगेशन एल्गोरिद्म और सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विप्रो ने औद्योगिक समर्थन और प्रायोगिक संसाधन उपलब्ध कराए, जबकि IISc ने अनुसंधान, डिज़ाइन और परीक्षण चरण का नेतृत्व किया।

      First Driverless Car भारत में ट्रांसपोर्ट का नया अध्याय

      विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत में स्मार्ट मोबिलिटी के भविष्य को दिशा देगी। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है, बल्कि यातायात प्रणाली भी और अधिक संगठित हो सकती है।
      हालांकि, अभी यह परियोजना परीक्षण चरण में है और व्यावसायिक उपयोग के लिए इसे मंजूरी मिलना बाकी है। लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले वर्षों में भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर एक नई तकनीकी क्रांति का साक्षी बनेगा।

      IISc, विप्रो और RV कॉलेज का यह संयुक्त प्रोजेक्ट दिखाता है कि भारत अब केवल तकनीकी उपभोक्ता नहीं बल्कि नवाचार का निर्माता (Innovator Nation) बन चुका है। यह ड्राइवरलेस कार “मेक इन इंडिया” की भावना का सच्चा उदाहरण है — जो आने वाले समय में देश की सड़कों पर एक स्मार्ट और सुरक्षित परिवहन प्रणाली की नींव रखेगी।


      Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

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    4. Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

      Kartik Purnima 2025 कब है? 4 या 5 नवंबर? जानिए सही तारीख, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त – और कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

      कार्तिक पूर्णिमा 2025 कब मनाई जाएगी? 4 या 5 नवंबर में से कौन-सी तारीख सही है? पूजा का शुद्ध मुहूर्त, वैष्णव परंपरा में गंगा स्नान का महत्व, तुलसी एवं भगवान विष्णु की उपासना विधि — संपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें।

      Kartik Purnima 2025
      Kartik Purnima 2025

      कार्तिक पूर्णिमा 2025 का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व

      पुराणों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा, तुलसी माता की आरती, तथा गंगा स्नान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। विशेष रूप से गौतम और कश्यप गोत्र के लोग इस पूर्णिमा को अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते हैं।

      • तुलसी विवाह के बाद का सबसे पवित्र दिन
      • धर्मसाधना, जप, दान और दीपदान का अत्यधिक फलदायी समय
      • मान्यता है कि इस दिन की पूजा से अनंत पुण्यफल एवं पापों का क्षय होता है
      Kartik Purnima 2025
      Kartik Purnima 2025

      कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (विस्तार से)

      • सूर्योदय से पूर्व स्नान — सम्भव हो तो गंगा या तीर्थ स्थलों पर
      • भगवान विष्णु / श्रीकृष्ण / दामोदर रूप में पूजा-अर्चना
      • तुलसी माता को अश्वमेध मंत्र के साथ दीप अर्पित करें
      • श्रद्धा के साथ दीपदान — विशेष रूप से नदी किनारे दीप प्रवाहित करें
      • दक्षिणा/दान — वस्त्र, घी, तिल, सोना, अनाज, मिठाई आदि का दान
      • संध्या आरती के साथ परिवार की समृद्धि हेतु प्रार्थना

      Kartik Purnima 2025 प्रमुख मान्यताएँ

      • कार्तिक पूर्णिमा के दिन “दामोदर व्रत” करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है
      • मान्यता है — “एक दीप प्रवाहित करने से लाखों पाप नष्ट होते हैं”
      • व्यापारी समाज के लिए यह नये वर्ष की शुरुआत, बही-खाता या तिजोरी पूजन का शुभ समय होता है

      देव दिवाली कब मनाई जाएगी एवं चंद्रमा को अर्घ्य कब दिया जाएगा?

      कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दिवाली का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल देव पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है, जो शाम 05:15 बजे से 07:50 बजे तक रहेगा। यानी देव दिवाली समारोह के लिए लगभग ढाई घंटे का उत्तम समय उपलब्ध होगा।

      चंद्रमा की पूजा के लिए शुभ चंद्रोदयर समय शाम 05:11 बजे का है।

      Kartik Purnima 2025: 4 या 5 नवंबर?

      धार्मिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा बुधवार, 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात्रि से प्रारंभ होगी, लेकिन उदय तिथि के अनुसार मुख्य पूजा एवं स्नान-दान का समय 5 नवंबर की प्रातः होगा।

      शुभ मुहूर्त

      • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर, रात 09:28 बजे (आंकलित)
      • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर, शाम 07:14 बजे (आंकलित)
      • स्नान एवं दान के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
        5 नवंबर, प्रातः 04:30 बजे से 08:30 बजे तक


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    5. Chhath Mahaparv 2025 छठ मईया का महापर्व 2025 में कब मनाया जाएगा? पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त यहाँ

      Chhath Mahaparv 2025 छठ मईया का महापर्व 2025 में कब मनाया जाएगा? पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त यहाँ

      Chhath Mahaparv 2025 छठ पूजा 2025 की सटीक तिथि, सूर्योदय-सूर्यास्त समय, पूजा विधि और महत्त्व जानें। बिहार, यूपी और झारखंड का यह सबसे बड़ा पर्व कैसे मनाया जाता है — विस्तार से पढ़ें।

      Chhath Mahaparv 2025 छठ पूजा 2025: तिथि, महत्त्व और पूजा विधि (600+ शब्दों का विस्तृत लेख)

      छठ पूजा, जिसे बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और अब पूरे देश में अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना का सबसे बड़ा लोकपर्व है। यह पर्व पूरी तरह प्रकृति, शुद्धता और जीवन की ऊर्जा के प्रतीक सूर्य की आराधना को समर्पित है। 2025 में यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाएगा — जैसे हर वर्ष होता है।

      छठ महापर्व अब सिर्फ बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा — यह आज राष्ट्रीय और वैश्विक आस्था का पर्व बन चुका है। परंपरागत रूप से यह पर्व निम्न प्रमुख क्षेत्रों में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है:

      Chhath Mahaparv 2025
      Chhath Mahaparv 2025

      भारत के प्रमुख शहर जहाँ छठ सबसे बड़े स्तर पर मनाया जाता है:

      • पटना (बिहार) – भारत का सबसे भव्य और विशाल छठ महापर्व यहीं आयोजित होता है (गंगा घाट)
      • गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, समस्तीपुर, आरा, सीवान (बिहार)
      • वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, मऊ, बलिया, देवरिया, गाज़ीपुर (पूर्वी उत्तर प्रदेश)
      • झारखंड – रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर
      • दिल्ली-NCR – यमुना घाटों पर लाखों श्रद्धालु जुटते हैं (कलिंदी कुंज, छठ घाट मयूर विहार)
      • मुंबई – जुहू बीच, वर्सोवा, पवई लेक
      • कोलकाता – हुगली नदी के घाटों पर बड़ी संख्या में भक्त
      • सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा (गुजरात) – बिहारी प्रवासी समुदाय की बड़ी उपस्थिति
      • पुणे, हैदराबाद, नागपुर, बेंगलुरु, चेन्नई – जहाँ भोजपुरी/मैथिली/मगही प्रवासी समुदाय बड़ी संख्या में है

      भारत से बाहर जहाँ छठ मनाया जाता है:

      • नेपाल (विशेषकर मधेश क्षेत्र एवं जनकपुर) || मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना – भोजपुरी मूल के प्रवासी देशों || USA, UK, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, UAE (दुबई/अबूधाबी) – प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा

      छठ पूजा 2025 की प्रमुख तिथियाँ (Tentative):

      • नहाय-खाय: 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
      • खरना: 26 अक्टूबर 2025 (रविवार)
      • पहला अर्घ्य (संध्या अर्घ्य): 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
      • दूसरा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य): 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) — व्रत समाप्त

      इन तारीखों की पुष्टि पंचांग और खगोल गणना के अनुसार होगी, लेकिन सामान्य रूप से दिवाली के छठे दिन यह पर्व संपन्न होता है।

      छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व

      छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें कोई मूर्ति पूजा नहीं होती, न ही कोई भोग या विलासिता की सामग्री — केवल प्रकृति, अनुशासन, सूर्योपासना और आस्था। यह माना जाता है कि सूर्य ही जीवन ऊर्जा का मूल स्रोत है और छठ पर्व में व्यक्ति प्रकृति के साथ जुड़कर आत्मशुद्धि करता है।

      Chhath Mahaparv 2025

      लोक मान्यता है कि छठी मैया संतान सुख, आरोग्य, समृद्धि और परिवार की रक्षा का आशीर्वाद देती हैं। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, लेकिन आजकल पुरुष भी बड़ी संख्या में इस व्रत को करते हैं।

      पूजा विधि और अनुष्ठान

      1. नहाय-खाय: व्रती शुद्ध स्नान कर सादा शाकाहारी भोजन करते हैं। घर को पूर्ण रूप से शुद्ध किया जाता है।
      2. खरना: सूर्यास्त के बाद व्रती गंगाजल मिश्रित चावल-गुड़ की खीर बनाते हैं और प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जल व्रत की शुरुआत करते हैं।
      3. संध्या अर्घ्य: नदी, तालाब या घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर कद्दू-भात, ठेकुआ, फल और गन्ने का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
      4. उषा अर्घ्य: अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, यहीं से व्रत पूर्ण होता है और प्रसाद वितरण किया जाता है।

      इस पूरे पर्व में शुद्धता और अनुशासन सर्वोच्च होते हैं — स्टील, प्लास्टिक, नॉन-स्टिक बर्तनों तक का उपयोग वर्जित माना जाता है।

      क्यों है छठ इतना विशेष?

      यह एकमात्र पर्व है जिसमें डूबते और उगते दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 36 घंटे का निर्जल उपवास विश्व के सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। यह त्योहार घर की बजाय घाटों और नदियों पर सामूहिक रूप से मनाया जाता है — लोक जीवन की एक अद्भुत एकता के साथ। वैज्ञानिक आयुर्वेद के अनुसार यह ऋतु परिवर्तन के समय शरीर की आंतरिक ऊर्जा को पुनर्स्थापित करता है।



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