Parliament Winter Session कंगना रनौत सदन में गरजीं प्रियंका गाँधी पर
Parliament Winter Session लोकसभा के शीतकालीन सत्र में कंगना रनौत ने चुनावी आरोप-प्रत्यारोप के बीच कहा कि प्रधानमंत्री मोदी EVM हैक नहीं करते, बल्कि लोगों के दिल हैक करते हैं। पढ़िए संसद में चले विवाद, उनका पुराना और नया वार, और विपक्ष के खिलाफ तीखा हमला।
संसद के 2025 के शीतकालीन सत्र के दौरान, देश की राजनीति फिर एक बार गरमा-गर्मी की ओर बढ़ी है। इस बार मोर्चे पर आईं थीं भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत — जिन्होंने अपनी संसद में हुई आवाज़ से सबको चौंका दिया।
कोंग्रेस के राहुल-प्रियंका पे वार Parliament Winter Session
विपक्ष द्वारा चुनाव सुधार और ईवीएम (EVM) हैकिंग के आरोप लगाए जा रहे थे। इस पूरे विवाद के बीच, कंगना रनौत ने अपने अंदाज़ में पलटवार किया। उन्होंने कहा:
“PM मोदी EVM नहीं हैक करते — वो दिल हैक करते हैं.”
SIR SIR के नारे लगाकर समय बिगाड़ा है
उनका कहना था कि विपक्ष बार-बार EVM पर शक उठा कर, लोगों के मतदान पर सवाल खड़े कर रहा है — लेकिन असल में जनता ने अपने भरोसे और समर्थन से सत्ता को चुना है। ये सिर्फ मशीनों या वोटिंग मशीनों का मामला नहीं है, यह जनता के ज़ज़्बात और भरोसे का मुद्दा है। सिर्फ इतना ही नहीं — कंगना ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वो सदन में हंगामा कर कार्यवाही को रोके हुए हैं। उन्होंने कहा कि नई MPs के रूप में वे सीखने और काम करने आई हैं, लेकिन विपक्ष द्वारा “SIR, SIR” नारे लगाकर, बार-बार बीच होता है, जिससे संसद नहीं चलने देती।


कांग्रेस नेताओं, विशेष रूप से प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए, कंगना ने कहा कि विपक्ष अपनी हार स्वीकार नहीं कर रहा — वह पुराने मतदाता रिकॉर्ड, नागरिकता, वोट आबंटन आदि पर सवाल उठा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की राजनीति अब “वोट चोरी” और “पुराना इतिहास” पर आधारित है।
उनके इस बयान ने सदन में हलचल मचा दी — विपक्ष चुप रहा, जबकि सत्तापक्ष ने तालियाँ बजाई। कई मीडिया रिपोर्टों में इसे शीतकालीन सत्र की सबसे गरम बहस बताया गया। हालाँकि, इस विवाद ने एक बड़ा सवाल भी उठाया — लोकतंत्र में मतदाता की इच्छा और भरोसा कितनी महत्त्वपूर्ण है? क्या EVM-सत्यापन पर संदेह या आरोप, जनता की चुनी हुई सरकार को अवास्तविक बना देते हैं?
कंगना रनौत का कहना है कि अगर जनता ने वोट दे दिया, अगर सरकार बनी है, तो मशीनों या अभियानों से नहीं — जनता के भरोसे से बनी है। उन्होंने विपक्ष द्वारा आरोपों को सिर्फ सिरे से खारिज ही नहीं किया, बल्कि भ्रष्टाचार, अनुचित आरोपों और विपक्ष के रवैये को भी बेनकाब किया। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि 2025 का संसद सत्र सिर्फ बिल पास करने या कुर्सियों का संघर्ष नहीं है — यह सोच, जनता के भरोसे, लोकतंत्र की मजबूती, और राजनीतिक संस्कृति पर बहस है।
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