Wednesday, December 10, 2025
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Rahul Gandhi 3 Demand: ‘अगर मानी जाए, तो वोट चोरी का हर सवाल हल’ — चुनाव सुधार बहस में सियासी गरमाहट

Rahul Gandhi 3 Demand: ‘अगर मानी जाए, तो वोट चोरी का हर सवाल हल’ — चुनाव सुधार बहस में सियासी गरमाहट

Rahul Gandhi 3 Demand: लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने तीन अहम माँगें रखीं — और कहा कि इन्हें पूर्ण किया जाए तो वोट चोरी से जुड़े सभी आरोपों का जवाब मिल जाएगा। लेकिन चुनाव आयोग और सरकार द्वारा इन डिमांड्स को स्वीकार न करने की वजह क्या है? जानिए पूरी दिक्कत।

संसद के शीतकालीन सत्र में जब चुनाव सुधार (Electoral Reforms) पर चर्चा हो रही थी, Bharatiya Janata Party (भाजपा) और चुनाव प्राधिकरण की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने फिर ‘वोट चोरी’ के आरोपों को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि देश में ईमानदार चुनाव के लिए तीन महत्वपूर्ण डिमांड (माँग) हैं — जिन्हें अगर पूरा कर दिया जाए, तो वोट चोरी, फर्जी मतदाता, मतदाता सूची में हेरफेर जैसे तमाम सवालों का जवाब मिल जाएगा।

Rahul Gandhi 3 Demand: राहुल गांधी की 3 डिमांड क्या हैं?

राहुल ने लोकसभा में यह पूछा कि — चुनाव आयोग में नई नियुक्तियों में पारदर्शिता हो, मतदाता-सूची (voter-rolls) की सघन समीक्षा (special intensive revision) हो, और मतदान के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग सहित अन्य प्रक्रियाओं को सार्वजनिक और भरोसेमंद बनाया जाए।

उनका कहना था कि — जब तक ये तीन माँगें पूरी नहीं होंगी, वोट चोरी पर उठ रही शंका, फर्जी मतदाता, गड़बड़ी आदि के तमाम आरोपों का स्थायी समाधान नहीं हो सकता।

लेकिन दिक्कत क्या है — क्यों नहीं मानी जा रही डिमांड्स?

  1. चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया पर राजनीतिक विवाद
    राहुल ने सवाल उठाया कि किस तरह चुनाव आयोग का गठन होता है — और क्यों उसमें विपक्ष की आवाज़ नहीं मानी जाती।
    सरकार व आयोग का कहना है कि नियुक्तियाँ नियमों के तहत होती हैं, और इतनी बार बदलाव करना लोकतांत्रिक स्थिरता के लिए ठीक नहीं।
  2. मतदाता-सूची (voter-rolls) में सघन पुनरावलोकन (SIR) पर असहमति
    आयोग कह चुका है कि मतदाता सूचियों में सुधार के लिए समय-समय पर समीक्षा होती है — लेकिन देशव्यापी या बार-बार “SIR” जैसा व्यापक पुनरीक्षण करना मुश्किल और संसाधन-गहन है।
    राजनीतिक दलों के बीच इस पर सहमति नहीं बन रही कि कितनी बार और किस रूप में SIR हो।
  3. वीडियो रिकॉर्डिंग व मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता
    मतदान के समय वीडियो या अन्य रिकॉर्डिंग सार्वजनिक करना, खुफिया व गोपनीयता से जुड़ा मामला है। चुनाव आयोग व सरकार का कहना है कि हर बूथ की वीडियो रिकॉर्डिंग करना सुरक्षा, गोपनीयता और तकनीकी वजहों से संभव नहीं। इसके अलावा, डेटा की सुरक्षा, लीगल प्रक्रिया और गोपनीयता कानून भी एक बड़ा मुद्दा बन जाते हैं।

राहुल गांधी का तर्क — लोकतंत्र की रक्षा

राहुल गांधी ने कहा कि भारत लंबे समय से एक लोकतंत्र है, लेकिन अगर जनता का भरोसा चुनाव व्यवस्था पर न रहे, तो लोकतंत्र धूमिल हो जाएगा। उन्होंने कहा — “हम एक कपड़े की तरह हैं, जिसकी बुनावट लोगों से बनी है। यदि वोट सुरक्षित नहीं रहेगा, तो पूरा लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है।”

उनका दावा है कि हरियाणा और अन्य राज्यों में हुए उदाहरण — फर्जी वोटर, मतदाता-सूची में एक ही व्यक्ति कई जगह, फर्जी पते — ये वोट चोरी की बारीकियों को दिखाते हैं।

लेकिन निष्पक्ष सुधार के लिए ये चुनौतियाँ सहज नहीं

जिन मांगों को राहुल गांधी उठा रहे हैं — चाहे चुनाव आयोग की नियुक्ति हो, वोटर-लिस्ट सुधार या मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता — इन सब पर बहस चल रही है।

  • चुनाव आयोग की स्वायत्तता व राजनीतिक संतुलन बनाए रखना
  • देशभर में हर चुनाव में “SIR” जैसा व्यापक समिक्षा करना व्यावहारिक नहीं माना जाना
  • गोपनीयता, सुरक्षा, संसाधन और प्रशासनिक बाधाओं के कारण वीडियो रिकॉर्डिंग व खुली प्रक्रिया लागू करना जटिल

इसलिए, भले ही इन डिमांड्स में तर्क हो — लेकिन उन्हें पूरा करना जितना आसान दिखता है, उतना आसान नहीं है।



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