Wednesday, December 24, 2025
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Ram Rahim: हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: रणजीत सिंह हत्याकांड में गिरफ्तार गुरमीत राम रहीम, बेटा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

Ram Rahim: 10 जुलाई 2002 की शाम को सिरसा डेरा के प्रबंधक रणजीत सिंह को गोली मारकर मार डाला गया। 2003 में सीबीआई को मामले की जांच सौंप दी गई थी। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को जांच के बाद सीबीआई ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राम रहीम को बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में बड़ी राहत देते हुए उसे दोषमुक्त करार दिया है। राम रहीम को इस मामले में सीबीआई की अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

गुरमीत राम रहीम के वकील जतिंदर खुराना ने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बदल दिया है जिसमें सभी पांच लोगों को बरी कर दिया गया था। हम इस निर्णय को सराहते हैं।

राम रहीम ने उम्र कैद की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। उसकी अपील पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने सीबीआई की अदालत का निर्णय रद्द कर दिया। पूर्ण आदेश अभी आना बाकी है।

Ram Rahim: बेटा ने कहा, मैं निराश हूँ, लेकिन हार नहीं मानूंगा।

रणजीत सिंह के बेटे जगसीर ने हाईकोर्ट के डेरा मुखी राम रहीम को रिहा करने पर निराशा व्यक्त की। उनका दावा था कि फैसला सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्हें सीबीआई कोर्ट ने न्याय दिलाया था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने डेरा मुखी को बरी कर दिया है। हम हार नहीं मानेंगे, हालांकि यह अन्याय है।

रणजीत सिंह गांव के लोग भी हाईकोर्ट के फैसले से हैरान हैं। लोगों का कहना है कि सीबीआई जांच के बाद कोर्ट ने डेरा मुखी को सजा सुनाई थी, लेकिन अब उन्हें हाई कोर्ट से बरी कर दिया गया है।

Ram Rahim: डेरे का प्रबंधक रणजीत सिंह था।

सिरसा डेरे का प्रबंधक रणजीत सिंह था। 22 साल पहले, रणजीत सिंह को शक की वजह से मार डाला गया था। रणजीत सिंह कुरुक्षेत्र, हरियाणा के निवासी थे। 10 जुलाई 2002 को उन्हें गोली मार दी गई।

एक गुमनाम साध्वी ने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को एक पत्र लिखा था। पत्र में राम रहीम को जांच करने की मांग की गई थी। डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने अपनी बहन से साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी लिखी थी।

यह गुमनाम पत्र है जिसे सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने हाल ही में अपने समाचार पत्र “पूरा सच” में प्रकाशित किया था। इसके परिणामस्वरूप 24 अक्तूबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर हमला किया गया और उन्हें गोली मार दी गई। रामचंद्र 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मर गया था।

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