Sunday, November 16, 2025
HomePoliticsRohini Acharya एक बेटी जिसने पिता की जान बचाई… आज वही अपनी...

Rohini Acharya एक बेटी जिसने पिता की जान बचाई… आज वही अपनी आवाज़ उठाने को मजबूर है!

Rohini Acharya एक बेटी जिसने पिता की जान बचाई… आज वही अपनी आवाज़ उठाने को मजबूर है!

Rohini Acharya रोहिणी आचार्या की किडनी दान की कुर्बानी फिर सुर्खियों में। उनके दर्द, RJD की अंदरूनी कलह और बिहार चुनाव 2025 के बीच उठ रहे सियासी सवालों पर पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

बिहार की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर वही सवाल गूंज रहा है—क्या लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी रोहिणी आचार्या के दर्द को सुन भी रहे हैं? या फिर वाकई वे महाभारत के धृतराष्ट्र की तरह पुत्र मोह में ऐसे बंध चुके हैं कि बेटी की कुर्बानी तक उन्हें याद नहीं?

यह सवाल यूं ही नहीं उठ रहा। राजद नेता और नीतीश सरकार के पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने हाल ही में तंज कसते हुए कहा कि “बेटी की आह लालू को भारी पड़ेगी!”
यह आरोप सीधे उस भावनात्मक कहानी से जुड़ा है जिसने पूरे देश को कभी झकझोर दिया था — जब रोहिणी आचार्या ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान कर दी थी। वह एक बेटी की ऐसी मिसाल थी जिसने परिवार, राजनीति और आलोचना… सब कुछ पर अपने पिता के जीवन को प्राथमिकता दी।

लेकिन आज वही रोहिणी आचार्या खुद को बेहद अकेला महसूस कर रही हैं।
उनका हालिया बयान—
“मेरा कोई परिवार नहीं है… सवाल पूछने पर चप्पल से मारा गया…”
ने राजद खेमे में भूचाल ला दिया है।
यह बयान केवल दर्द नहीं, बल्कि उस टूटन का प्रतीक है जो सत्ता के गलियारे की राजनीति में कहीं खो गई थी।

Rohini Acharya
Rohini Acharya

टीम तेजस्वी पर गंभीर आरोप

Rohini Acharya रोहिणी के निशाने पर सबसे ज्यादा हैं तेजस्वी यादव की टीम के कुछ सदस्य, जिन पर उन्होंने कई बार दुर्व्यवहार और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया।
उनके मुताबिक, जब उन्होंने पार्टी की अंदरूनी गलतियों पर सवाल उठाया, तो उन्हें चुप कराने की कोशिश की गई।
रोहिणी का तंज था—
“टीम तेजस्वी के कारनामों ने RJD को ले डूबा और पिता बस देखते रह गए…”

यह बात सीधे राजद की उस छवि पर चोट करती है जिसे 2025 के बिहार चुनाव से पहले मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।

Rohini Acharya
Rohini Acharya

क्या लालू निष्क्रिय दर्शक बन गए हैं?

Rohini Acharya राजनीतिक गलियारों में बढ़ती चर्चा है कि लालू प्रसाद यादव इन मुद्दों पर मौन रहने की वजह से ऐसे दिख रहे हैं मानो पुत्र मोह में फंसकर बेटी के दर्द को अनदेखा कर रहे हों। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए लालू की तुलना धृतराष्ट्र से कर दी है— एक ऐसे पिता से जो गलत होते हुए भी आँखें मूँद लेता है।

बिहार चुनाव 2025 में असर?

बिहार चुनाव 2025 नजदीक है।
ऐसे में

  • RJD में बढ़ती खामोशी,
  • परिवार के भीतर गहराते तनाव,
  • और रोहिणी जैसी प्रभावशाली चेहरे की नाराज़गी
    चुनाव रणनीति को बड़ा नुकसान पहुँचा सकती है।

नीरज कुमार का बयान भी इसी राजनीतिक लकीर को खींचता है—
“रोहिणी की पीड़ा सिर्फ एक बेटी का दर्द नहीं, बल्कि उस घर की कहानी है जहाँ राजनीति रिश्तों पर भारी पड़ गई है।”

एक बेटी की कुर्बानी… क्या सचमुच भुला दी गई?

Rohini Acharya रोहिणी ने अपने पिता को नई जिंदगी दी।
आज भी वह अपनी पोस्ट में लिखती हैं कि वह हमेशा अपने पिता के स्वास्थ्य और सम्मान के लिए लड़ती रहेंगी।
लेकिन साथ ही एक गहरी टीस भी है—
कि उनकी आवाज़ को वह सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था।

रोहिणी आचार्या का दर्द महज निजी मामला नहीं रहा। यह RJD की अंदरूनी राजनीति, सत्ता संघर्ष और परिवारवाद की जटिलताओं का दर्पण बन चुका है। अब सवाल यह है कि क्या लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी की पुकार सुनेंगे… या बिहार की राजनीति में यह ‘धृतराष्ट्र’ वाली छवि RJD को भारी पड़ेगी?


Rohini Acharya Social Media Post “रोहिणी आचार्य के X पोस्ट में दो नाम — कौन हैं संजय यादव और रमीज़, और क्यों उठे गंभीर आरोप?”

शोर्ट वीडियोज देखने के लिए VR लाइव से जुड़िये

Quitting Politics Rohini Acharya “राजनीति और परिवार दोनों छोड़ रही हूँ”: लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने RJD की करारी हार के बाद किया चौंकाने वाला ऐलान


RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments